गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान इंसुलिन लेना – रेकमेंडेड खुराक, खतरे और टिप्स

प्रेगनेंसी के दौरान कई महिलाओं को डायबिटीज की समस्या हो जाती है। डायबिटीज तीन प्रकार का होता है, लेकिन, आपको चाहे किसी भी तरह का डायबिटीज हो, हेल्दी प्रेगनेंसी के लिए आपको कुछ कदम उठाने पड़ेंगे। डायबिटीज से ग्रसित प्रेग्नेंट महिलाओं को नियमित चेकअप कराते रहना चाहिए, क्योंकि, उन्हें सामान्य प्रेग्नेंट महिलाओं की तुलना में अधिक प्रीनेटल केयर की जरूरत होती है। 

डायबिटीज क्या होता है?

जब किसी व्यक्ति में ब्लड शुगर और ग्लूकोज का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है तब उसे डायबिटीज कहते हैं। कई बार ऐसा भी होता है, जब किसी व्यक्ति का ब्लड शुगर नॉर्मल से ज्यादा होता है पर, इतना ज्यादा नहीं होता, कि उसे डायबिटीज कहा जाए। ऐसी स्थिति को प्रीडायबिटीज कहते हैं और जिस व्यक्ति में यह देखा जाता है उसे टाइप 2 डायबिटीज होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है। 

डायबिटीज तीन तरह के होते हैं, जिनकी चर्चा नीचे की गई है। 

1. टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज

अगर आपका शरीर सही मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता है, तो ऐसा मानना चाहिए कि आपको टाइप वन डायबिटीज है। 

टाइप टू डायबिटीज बहुत ही आम है। इसमें शरीर इंसुलिन का सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाता है क्योंकि वह उसके प्रति एक रजिस्टेंस पैदा कर लेता है। 

2. जेस्टेशनल डायबिटीज (गर्भकालीन डायबिटीज)

जब प्रेग्नेंट महिला में डायबिटीज की पहचान होती है, तो उसे जेस्टेशनल डायबिटीज कहा जाता है। यह स्थिति आसामान्य नहीं है और यह प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले हॉर्मोनल बदलावों के कारण होता है। 

इंसुलिन क्या है?

असल में इंसुलिन एक प्रकार का हॉर्मोन है, जो ग्लूकोज (जो हमारे खाए गए भोजन से मिलता है) को सेल्स में आने में और उन्हें एनर्जी देने में मदद करता है। बेसिकली इंसुलिन शरीर में ग्लूकोज के इस्तेमाल को रेगुलेट करता है और पैंक्रियास इसे पैदा करने का काम करता है। अगर एक व्यक्ति के खून में बहुत ज्यादा ग्लूकोज है और लंबे समय तक उसकी जांच ना की जाए, तो उसकी नसों, आंखों और किडनी में समस्या हो सकती है। कई बार देखा गया है, कि इसके कारण स्ट्रोक, दिल की बीमारी और अंग-भंग तक की आवश्यकता भी पड़ जाती है।

प्रेगनेंसी के दौरान इंसुलिन शॉट लेने की सलाह कब दी जाती है?

जब डायट और एक्सरसाइज में बदलाव करने के बाद भी ब्लड शुगर का स्तर नीचे नहीं आता है, तब ऐसी स्थिति में डॉक्टर इंसुलिन शॉट लेने की सलाह देते हैं। ये शॉट माँ और बच्चे को स्वस्थ और सुरक्षित रखने में मदद करते हैं, क्योंकि, ये खून में ग्लूकोज के स्तर को रेगुलेट करने का काम करते हैं। प्रेगनेंसी के दौरान इंसुलिन की सलाह देते समय नीचे दी गई कुछ बातों के ऊपर विचार किया जाता है: 

  • प्रेगनेंसी का चरण
  • माँ का वजन
  • माँ का खाना
  • ब्लड शुगर लेवल टेस्ट का सबसे लेटेस्ट रिजल्ट

प्रेगनेंसी में इंसुलिन में बदलाव

प्रेगनेंसी के विभिन्न चरणों के दौरान इंसुलिन की जरूरतें लगातार बदलती रहती हैं, ऐसा बच्चे के विकास के दौरान शरीर में होने वाले हॉर्मोनल बदलावों के कारण होता है। अपने इंसुलिन की खुराकों में एडजस्टमेंट के लिए तैयार रहें, क्योंकि यह बिल्कुल आम है और यह हफ्ते में कम से कम एक बार जरूर होता है। 

प्रेगनेंसी की शुरुआत

प्रेगनेंसी की शुरुआत के दौरान होने वाले सभी हॉर्मोनल और शारीरिक बदलाव, शरीर में ब्लड ग्लूकोज के स्तर को सही बनाए रखने में बहुत दिक्कतें पैदा करते हैं। प्रेगनेंसी के शुरुआती छह से आठ हफ्तों में आपका ग्लूकोज लेवल बहुत ही अस्थिर होता है। इसके बाद बाकी की तिमाहियों में यह कम होना शुरू हो जाता है। इस दौरान आपको अपने इंसुलिन के सेवन को एडजस्ट करने की जरूरत होती है। अपने किसी भी भोजन या स्नैक्स को मिस न करें और ध्यान से लेते रहें।

प्रेगनेंसी के मध्य से अंत तक का समय

जैसे-जैसे आपके प्रेगनेंसी हॉर्मोन्स बढ़ते जाते हैं, वैसे-वैसे आपकी इंसुलिन की जरूरत भी बढ़ती जाती है। 30 हफ्तों तक आते-आते आपकी जरूरतें शुरूआती प्रेगनेंसी की तुलना में दोगुनी हो सकती है। बहुत संभावना है कि आपको भोजन के समय ली जाने वाली तेज इंसुलिन की जरूरत होगी।

36 हफ्तों तक आते-आते आपके इंसुलिन की जरूरत या तो स्थिर हो जाती है या थोड़ी गिर जाती है। आपको ऐसा लगता है, कि आपकी जरूरत बहुत ज्यादा गिर रही है, तो हो सकता है कि आपको कोई समस्या हो, तो ऐसे में अपने डॉक्टर से मिलें। 

प्रेग्नेंट महिला के लिए इंसुलिन की सही खुराक

जब एक प्रेग्नेंट महिला में इंसुलिन की खुराक की बात आती है, तो आपको और आपके डॉक्टर को साथ मिलकर काम करने की जरूरत होती है, क्योंकि बच्चे के बढ़ने के साथ-साथ आपके इंसुलिन की जरूरतें की बदलती रहती हैं। 

आपके ब्लड शुगर को दिन में कई बार चेक करने की जरूरत होगी, ताकि पता चल सके कि आपको जो इंसुलिन दिया जा रहा है वह ठीक तरीके से काम कर रहा है या नहीं। आपके ब्लडशुगर लेवल के अनुसार आपकी खुराक को भी कम ज्यादा किया जाएगा। 

1. टाइप 1 डायबिटीज

  • आपके ग्लूकोज को खाना खाने के पहले और बाद, सोने से पहले और सुबह के समय चेक करने की जरूरत होगी।
  • प्रोजेस्टेरोन के स्तर में बढ़त होने के कारण ज्यादा इंसुलिन लेने की जरूरत होगी।
  • प्रेगनेंसी के पहले महीने के बाद प्रोजेस्टेरोन का स्तर तब तक बढ़ता है, जब तक प्रोजेस्टेरोन के उत्पादन के लिए प्लेसेंटा ओवरी की जगह नहीं ले लेता। यह लगभग 10 से 12 हफ्तों के दौरान होता है।
  • लगभग 3 महीने के दौरान प्रोजेस्टेरोन का स्तर गिरता है और इंसुलिन की जरूरत भी कम हो जाती है। इस समय के दौरान प्रेग्नेंट महिलाओं की नियमित रूप से जांच की जाती है और इंसुलिन की कम खुराक की जरूरत होती है।
  • यह लगभग 8 दिनों तक चलता है। उसके बाद प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ता है और इंसुलिन की खुराक भी बढ़ जाती है।

2. टाइप 2 डायबिटीज

  • चूंकि टाइप 2 डायबिटीज के रोगियों को कार्बोहाइड्रेट के प्रति एक इनटोलरेंस होती है, इसलिए आपके कार्बोहाइड्रेट के सेवन को भी कम करने की आवश्यकता होगी।
  • नियमित रूप से मॉनिटर करने की जरूरत होगी और नतीजों के अनुसार इंसुलिन की खुराक को एडजस्ट करने की जरूरत होगी।

प्रेगनेंसी के दौरान इंसुलिन कैसे लें?

आमतौर पर इंसुलिन को आपकी ऊपरी बाँह, जांघों या पेट की त्वचा के अंदर के फैटी टिशु में इंजेक्ट किया जाता है। आपके लिए इंजेक्शन लेने के लिए सबसे सही जगह कौन सी है इसके बारे में अपने ऑब्सटेट्रिशियन से बात करें। कुछ डॉक्टर एक इंसुलिन पेन की सलाह देते हैं, जिससे शॉट लेना बहुत आसान हो जाता है। पर आप डिस्पोजेबल सुइयों और सिरिंजों का इस्तेमाल भी कर सकती हैं। शॉट लेने के तरीके यहाँ दिए गए हैं: 

  • जहां पर शॉट लेना है उस जगह को थोड़ा अल्कोहल लगाकर तैयार करें।
  • त्वचा को चुटकी से पकड़ें और प्लंगर को धीरे-धीरे धकेलते हुए इंसुलिन को इंजेक्ट कर दें।
  • त्वचा को चुटकी से मुक्त कर दें और धीरे से अपनी त्वचा से सुई भी निकाल दें।
  • उस जगह को रगड़ने के  बजाय कुछ सेकंड के लिए होल्ड करें।

इंसुलिन आपके लिए अच्छी तरीके से काम करे इसके लिए ध्यान रखने वाली कुछ बातें

अपने इंसुलिन शॉट्स को ज्यादा असरदार बनाने के लिए इन बातों का ध्यान रखें: 

  • शॉट लेने की प्रैक्टिस पहले से ही करें और हमेशा इंसुलिन की सही मात्रा का ध्यान रखें। अगर आप उसी सिरिंज में दो अलग प्रकारों का इस्तेमाल कर रही हैं, तो इस बात का ज्यादा ध्यान रखें।
  • आपने किस तरह का इंसुलिन लिया है और कितना लिया है, इस बात का एक रिकॉर्ड रखें।
  • पूरी कोशिश करें, कि हर दिन शॉट लेने का समय एक ही हो और अगर आपको किसी तरह की असुविधा महसूस हो, तो तुरंत अपने डॉक्टर को बताएं।
  • अपने इंसुलिन को सही तरीके से स्टोर करें ताकि यह हर बार अच्छे तरीके से काम करे।
  • अपने डॉक्टर से बात किए बिना अपने डायट, इंसुलिन या एक्सरसाइज में कोई बदलाव न करें।

इंसुलिन शॉट लेने के दौरान अपने ब्लडशुगर लेवल पर नजर कैसे रखें?

चूंकि, इंसुलिन शॉट्स लेने के दौरान आपको अपने ब्लडशुगर पर लगातार नजर रखने की जरूरत होती है, इसलिए आपको एक ग्लूकोमीटर रखना चाहिए, ताकि आप घर पर ही उस पर नजर रख सकें। आइए देखते हैं, कि इसे कैसे करते हैं: 

  • ग्लूकोमीटर के साथ एक धारदार हुई लगी होती है। उंगली के पोर से थोड़ा खून निकालने के लिए इसकी सहायता ली जाती है।
  • इसके साथ आपको कुछ टेस्ट स्ट्रिप भी मिलते हैं। इस पर खून की एक बूंद डालें, फिर उसे ग्लूकोमीटर में रखें।
  • इस प्रोसेस में लगभग 15 सेकंड लगते हैं, जिसके बाद आपको रिजल्ट मिल जाएगा।
  • अपनी रीडिंग पर नजर रखें, ताकि जब आप अपने डॉक्टर से अगली बार मिलें, तो उसे बता सकें।
  • सुई और टेस्ट स्ट्रिप को फेंक दें।

प्रेगनेंसी में इंसुलिन लेने के संभावित साइड इफेक्ट्स

अधिकतर मामलों में प्रेगनेंसी के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज के लिए इंसुलिन लेने की सलाह केवल तभी दी जाती है, जब एक्सरसाइज और डाइट के माध्यम से ब्लड शुगर लेवल को संतुलित करने में सफलता न मिले। अपने लेवल पर नजर रखते हुए आप इन साइड इफेक्ट्स की संभावनाओं को कम कर सकती हैं। प्रेगनेंसी के दौरान इंसुलिन के उपयोग से फीटस को होने वाले नुकसान बहुत ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं। इसलिए, नीचे लिखी बातों पर नजर रखें और आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखें, तो जितनी जल्दी हो सके अपने डॉक्टर से मिलें।

  • चक्कर आना
  • कंपकपी
  • पसीना आना
  • दिल की तेज धड़कन
  • चेहरे में सूजन
  • होंठ और जीभ में चुनचुनाहट
  • होंठ, जीभ और गले में सूजन
  • पहली तिमाही के अंत में प्रोजेस्टेरोन के स्तर में गिरावट आने पर अगर इंसुलिन के स्तर को एडजस्ट नहीं किया गया, तो आपको लो ब्लडशुगर होने की संभावना हो सकती है। यह किसी समय का खाना न लेने की स्थिति में भी हो सकता है।
  • प्रेगनेंसी के दौरान इंसुलिन के इंजेक्शन, अगर आप हर रोज एक ही जगह पर लेती हैं तो वहां पर गांठें बन सकती हैं, इसलिए इससे बचें।

ऐसी कई महिलाएं हैं जिन्होंने हर साल अपनी प्रेगनेंसी के दौरान डायबिटीज के साथ जंग लड़ी है और उनके नतीजे अच्छे रहे हैं और उन्होंने स्वस्थ और खुशहाल बच्चों को जन्म भी दिया है। इसका एक ही फॉर्मूला है, कि संतुलित और स्वस्थ खाना खाकर ग्लूकोज के स्तर को बैलेंस रखा जाए और नियमित एक्सरसाइज की जाए और सिर्फ हॉस्पिटल विजिट पर निर्भर रहने के बजाय घर पर ही इसकी जांच की जाए। 

यह भी पढ़ें: 

प्रेगनेंसी के दौरान डायबिटीज
प्रेगनेंसी के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज के लिए डाइट प्लान

पूजा ठाकुर

Recent Posts

जादुई हथौड़े की कहानी | Magical Hammer Story In Hindi

ये कहानी एक लोहार और जादुई हथौड़े की है। इसमें ये बताया गया है कि…

1 week ago

श्री कृष्ण और अरिष्टासुर वध की कहानी l The Story Of Shri Krishna And Arishtasura Vadh In Hindi

भगवान कृष्ण ने जन्म के बाद ही अपने अवतार के चमत्कार दिखाने शुरू कर दिए…

1 week ago

शेर और भालू की कहानी | Lion And Bear Story In Hindi

शेर और भालू की ये एक बहुत ही मजेदार कहानी है। इसमें बताया गया है…

1 week ago

भूखा राजा और गरीब किसान की कहानी | The Hungry King And Poor Farmer Story In Hindi

भूखा राजा और गरीब किसान की इस कहानी में बताया गया कि कैसे एक राजा…

1 week ago

मातृ दिवस पर भाषण (Mother’s Day Speech in Hindi)

मदर्स डे वो दिन है जो हर बच्चे के लिए खास होता है। यह आपको…

1 week ago

मोगली की कहानी | Mowgli Story In Hindi

मोगली की कहानी सालों से बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय रही है। सभी ने इस…

1 week ago