गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान ब्रेस्ट कैंसर होना

कैंसर किसी को कभी भी और कैसे भी हो सकता है, यहाँ तक कि यह समस्या गर्भावस्था के दौरान भी हो सकती है। गर्भावस्था के दौरान ब्रेस्ट कैंसर होने पर आपको बहुत देखभाल करनी चाहिए क्योंकि कैंसर को खत्म करने के लिए बेस्ट ट्रीटमेंट चाहिए होता है और साथ ही बच्चे को इस ट्रीटमेंट के साइड-इफेक्ट्स से भी सुरक्षित रखा जाता है।

गर्भावस्था के दौरान ब्रेस्ट कैंसर होने के कारण

यद्यपि कई नेचुरल कारणों की वजह से यह रोग हो सकता है पर गर्भावस्था से संबंधित कुछ चीजें हैं जिसकी वजह से भी ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। यह समस्या होने के कुछ कारण निम्नलिखित हैं, आइए जानें; 

  • गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन्स बढ़ते हैं। इसकी वजह से शरीर के भीतर कैंसर सेल्स भी उत्पन्न हो जाते हैं और यह समस्या अन्य टिश्यू में भी बढ़ने लगती है।
  • कुछ गर्भवती महिलाओं में रिप्रोडक्टिव अंग पूरी तरह से परिपक्व होने के बाद ब्रेस्ट कैंसर की बीमारी आनुवांशिक रूप से हो जाती है।
  • गर्भावस्था के बाद के दिनों में भी ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है और इसके कई मामले सामने आए हैं।
  • यदि परिवार में पहले कभी किसी को कैंसर हो चुका है तो इससे भी महिला को यह समस्या हो सकती है।

ब्रेस्ट कैंसर होने के संभावित लक्षण और संकेत

गर्भावस्था के दौरान अन्य लक्षण दिखाई देने से भी आपको ब्रेस्ट कैंसर होने का धोखा हो सकता है। नीचे दिए हुए लक्षणों के बारे में आप डॉक्टर से चर्चा जरूर करें क्योंकि यह कैंसर होने के लक्षण भी हो सकते हैं, आइए जानें; 

  • यदि आपकी अंडरआर्म या ब्रेस्ट में लंप है या उस भाग की त्वचा मोटी हो रही है।
  • यदि ब्रेस्ट का आकार बदलता है।
  • यदि ब्रेस्ट की त्वचा सिकुड़ने लगती है।
  • यदि निप्पल मुड़ जाते हैं या उल्टे हो जाते हैं।
  • यदि निप्पल से खून निकलता है।
  • यदि ब्रेस्ट की त्वचा, निप्पल या एरोला लाल या टेढ़े हो जाते हैं और इनमें सूजन आ जाती है।
  • यदि त्वचा पर ऑरेंज डिंपल होते हैं जिसे पिउ डी’ऑरेंज कहा जाता है।

क्या गर्भावस्था के शुरुआती समय में ब्रेस्ट कैंसर को डायग्नोज करना कठिन है?

कई मामलों में गर्भावस्था के शुरूआती समय में कैंसर जैसी समस्याओं का पता नहीं चलता है क्योंकि गर्भावस्था के दौरान महिला में हॉर्मोन्स बदलने की वजह से ब्रेस्ट अलग दिखाई देते हैं। शरीर गर्भावस्था के लिए खुद से ही तैयार होता है और ब्रेस्ट में मौजूद टिश्यू भी बढ़ जाते हैं जिसकी वजह से छोटे ट्यूमर्स का पता लगा पाना कठिन है। 

डॉक्टर को अक्सर इसके बारे में तब पता चलता है जब कैंसर टिश्यू इतना बड़ा हो जाता है कि सामने से दिखने लगे। इस दौरान मैमोग्राम की सलाह नहीं दी जाती है क्योंकि रेडिएशन से गर्भ में पल रहे बच्चे को हानि हो सकती है। अगर आपकी गर्भावस्था की पहली तिमाही पूरी हो चुकी है तो डायग्नोसिस के लिए डॉक्टर आपको बच्चे की सुरक्षा के साथ मैमोग्राफी जांच कराने की सलाह देते हैं। 

गर्भावस्था में ब्रेस्ट कैंसर की जांच कैसे करें?

आप सोचती होंगी कि गर्भावस्था के दौरान कैंसर का पता जल्दी से जल्दी कैसे लगाया जाए ताकि बच्चे को बिना हानि पहुँचाए इसका उपचार किया जा सके। 

इसका पता लगाने के लिए आप रोजाना अपने ब्रेस्ट और इसके आसपास का हिस्सा विशेषकर अंडरआर्म्स जैसी जगहों को चेक करें। यह आप खुद भी कर सकती हैं और आपके साथी भी इसमें आपकी मदद कर सकते हैं। यदि आपको लंप्स होने के कोई भी लक्षण दिखाई देते हैं तो आप इसके बारे में डॉक्टर से बात करने में बिल्कुल भी न झिझकें।  

गर्भावस्था के दौरान ब्रेस्ट कैंसर का डायग्नोसिस

यदि आपमें ब्रैस्ट कैंसर होने के पर्याप्त कारण हैं तो डॉक्टर आपको बढ़ती गर्भावस्था के अनुसार मैमोग्राम या इमेजिंग टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। यदि लंप है तो आपको चेक करवाना चाहिए कि यह समस्या गंभीर है या थोड़ी बहुत है। गर्भावस्था के दौरान ब्रेस्ट कैंसर का डायग्नोसिस कैसे होता है, आइए जानें;

  • ब्रेस्ट कैंसर में डायग्नोसिस के लिए सबसे पहले टिश्यू का सैंपल बायोप्सी के लिए भिजवाया जाता है। यह दो तरीकों से होता है – जिसमें टिश्यू का सैंपल सर्जरी से लिया जाता है या फिर टिश्यू का सैंपल सुई से लिया जाता है।
  • इस प्रोसीजर के लिए आप चिंता न करें क्योंकि लंप के आसपास की जगह पर एनेस्थीसिया दिया जाता है और इसमें दर्द भी नहीं होता है।
  • यह बायोप्सी, लंप की प्रकृति को समझने के लिए की जाती है जो अक्सर ट्यूमर होता है और यह या तो ज्यादा गंभीर नहीं होगा व इसकी सिर्फ शुरूआत होगी और इससे कैंसर नहीं होगा या फिर मैलिग्नैंट है जो कैंसर से ग्रसित होता है।

ब्रेस्ट कैंसर के स्टेज

यदि मौजूद लंप से कैंसर हो सकता है तो आपको यह जानना चाहिए कि यह किस स्टेज में है ताकि आप इसका प्रभावी ट्रीटमेंट करवा सकें। यदि यह लंप कैंसर से ग्रसित है तो आपके लिए जानना बहुत जरूरी है कि यह कौन सी स्टेज पर है और इसके सेल्स कितनी दूर तक फैल चुके हैं। यदि कैंसर गंभीर रूप से हुआ है या नहीं और यह ब्रेस्ट से बाहर भी फैल गया है तो आपको इसके ट्यूमर का साइज भी जानना चाहिए। इसके कुछ स्टेजेस के बारे में जानकारी निम्नलिखित है, आइए जानें;

स्टेज 0: इस स्टेज में यह बताया जाता है कि कैंसर से ग्रसित सेल्स ब्रेस्ट से बाहर फैले हैं या ज्यादा दूर तक नहीं फैले हैं। इसे नॉन-इनवेसिव ब्रेस्ट कैंसर कहते हैं। 

स्टेज 1: यह इनवेसिव कैंसर है जिसमें कैंसर से ग्रसित सेल्स ब्रेस्ट के टिश्यू को प्रभावित करते हैं। यह ट्यूमर लगभग 2 सेंटीमीटर तक फैलता है या एक बड़ा ट्यूमर होने के बजाय कैंसर से ग्रसित छोटे-छोटे कई सेल्स होते हैं जिनका साइज 0.2 एमएम से 2 एमएम तक होता है। कैंसर से ग्रसित छोटे-छोटे सेल्स लिम्फ नोड में भी पाए जाते हैं। 

स्टेज 2: इस स्टेज में कैंसर से ग्रसित सेल्स लिम्फ के तीन नोड्स को प्रभावित करते हैं या इसमें ट्यूमर का आकार 5 सेंटीमीटर तक बढ़ जाता है या फिर दोनों चीजें भी हो सकती हैं। 

स्टेज 3: इस स्टेज में कैंसर से ग्रसित सेल्स 9 ऑक्सिलरी लिम्फ नोड्स तक फैलते हैं या ट्यूमर 5 सेंटीमीटर तक का होता है और साथ में सूजन भी होती है। इस स्टेज में आपको अल्सर भी हो सकता है या यह ब्रेस्ट के आसपास कई जगहों पर भी फैल सकता है, जैसे सीने या ब्रेस्ट की त्वचा में। 

स्टेज 4: इस स्टेज में कैंसर ब्रेस्ट से बाहर भी फैल जाता है और यह शारीरिक अंगों को प्रभावित करता है, जैसे लंग्स, त्वचा, हड्डियां या यहाँ तक कि ब्रेन भी। 

क्या सर्जरी करवाना सही है?

चाहे आप गर्भवती हैं या नहीं हैं पर यदि आपको कैंसर है तो डॉक्टर आपको सर्जरी करवाने की सलाह देंगे। यद्यपि यदि आप गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में सर्जरी करने की योजना बनाती हैं तो इससे आपके बच्चे को कोई भी खतरा नहीं होगा और बच्चे की हेल्थ को मॉनिटर करने के लिए आपके साथ डॉक्टर रहेंगे। 

यदि शुरुआती दिनों में कैंसर होता है तो डॉक्टर आपको सर्जरी करवाने की सलाह देंगे और यह आपके ब्रेस्ट या अंडरआर्म के लिम्फ नोड में स्थित होगा। 

क्या गर्भावस्था के दौरान ब्रेस्ट कैंसर का ट्रीटमेंट करने के लिए एनेस्थीसिया देना सही है?

एनेस्थीसिया प्लेसेंटा से बच्चे तक पहुँचने के लिए जाना जाता है। वैसे इससे जन्म के दौरान बच्चे में विकार हो सकते हैं या गर्भावस्था की अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं। यदि आपको कोई भी शंका या डर है तो आप इस बारे में डॉक्टर से भी कह सकती हैं। यदि आप गर्भवती हैं तो डॉक्टर आपको ऑपरेटिंग टेबल पर लेटने के लिए कहेंगे ताकि वे यह चेक कर सकें कि आप में और बच्चे में एनेस्थीसिया का प्रभाव लंबे समय तक न पड़े। 

गर्भावस्था के दौरान ब्रेस्ट कैंसर का ट्रीटमेंट

ब्रेस्ट कैंसर का ट्रीटमेंट कैंसर के स्टेजेस यानि चरणों पर निर्भर करता है। यदि आपको शुरुआती दिनों में कैंसर का पता लगा है तो डॉक्टर सबसे पहले सर्जरी ही करेंगे। इसका ट्रीटमेंट निम्नलिखित दो प्रकार से किया जाता है:

सर्जरी: सर्जरी से ब्रेस्ट में कैंसर के टिश्यू और इसके आसपास की जगहों को निकाला जाता है। इस मामले में दो प्रकार की सर्जरी होती है – बीसीएस या ब्रेस्ट कंजर्विंग या मस्टेक्टॉमी। इससे पहले सिर्फ शरीर से कैंसर का टिश्यू निकाला जाता है और फिर बाद में कैंसर से ग्रसित पूरा ब्रेस्ट निकाला जाता है। बीसीएस में रेडिएशन की आवश्यकता होती है जिसकी सलाह गर्भवती महिलाओं को नहीं दी जाती है क्योंकि इससे गर्भ में पल रहे बच्चे को हानि हो सकती है। 

कीमोथेरेपी: यह ट्रीटमेंट कैंसर के चरण, प्रभाव और गर्भावस्था के चरण के अनुसार ही किया जाता है। गर्भावस्था की पहली तिमाही में महिलाओं को इसकी सलाह नहीं दी जाती है क्योंकि इससे बच्चे के डेवलपमेंट पर प्रभाव पड़ता है। गर्भावस्था के 35वें सप्ताह में और डिलीवरी के 3 सप्ताह के बाद तक भी डॉक्टर महिलाओं को कीमोथेरेपी की सलाह नहीं देते हैं क्योंकि इससे महिलाओं के शरीर में खून कम हो जाता है। 

कभी-कभी महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के ट्रीटमेंट बच्चे के लिए हेल्दी नहीं होते हैं। इस समस्या से संबंधित बहुत सारी चीजें हैं जिसमें आपको डॉक्टर, गायनेकोलॉजिस्ट, सर्जन, मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट और रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट की सलाह लेनी चाहिए और इससे आपको बहुत ज्यादा मदद मिल सकती है। 

क्या ब्रेस्ट कैंसर से बच्चे पर कोई प्रभाव पड़ता है?

यदि गर्भावस्था के दौरान महिला को ब्रेस्ट कैंसर हो जाता है तो यह सबसे अधिक चिंताजनक विषय है क्योंकि गर्भावस्था और ब्रेस्ट कैंसर, यह दोनों समस्याएं एक दूसरे से प्रभावित होती हैं और इससे विशेषकर बच्चे को भी हानि होती है। वैसे अभी तक ऐसा कोई भी मामला सामने नहीं आया है जिससे यह कहा जा सके कि ब्रेस्ट कैंसर से बच्चे को कोई हानि हुई है पर कुछ मामलों में कैंसर के सेल्स प्लेसेंटा तक जरूर पहुंचे हैं। 

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को वैसे ही एंग्जायटी व चिंताएं होती हैं और इस समय ब्रेस्ट कैंसर होने से कॉम्पलेशन्स बढ़ जाती हैं। इस बात का ध्यान रखें कि यदि आपको कभी भी लंप्स हों तो इसकी जांच कराएं और इसके बारे में डॉक्टर को बताएं ताकि आप कैंसर, गर्भावस्था और पहले हुई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को ध्यान में रखकर ही इसके इलाज की योजना बना सकें। 

यह भी पढ़ें: 

गर्भावस्था के दौरान हर्निया – कारण, लक्षण और उपचार
प्रेगनेंसी के दौरान टी.बी. (तपेदिक)
गर्भावस्था के दौरान लिम्फ नोड्स में सूजन

सुरक्षा कटियार

Recent Posts

जादुई हथौड़े की कहानी | Magical Hammer Story In Hindi

ये कहानी एक लोहार और जादुई हथौड़े की है। इसमें ये बताया गया है कि…

1 week ago

श्री कृष्ण और अरिष्टासुर वध की कहानी l The Story Of Shri Krishna And Arishtasura Vadh In Hindi

भगवान कृष्ण ने जन्म के बाद ही अपने अवतार के चमत्कार दिखाने शुरू कर दिए…

1 week ago

शेर और भालू की कहानी | Lion And Bear Story In Hindi

शेर और भालू की ये एक बहुत ही मजेदार कहानी है। इसमें बताया गया है…

1 week ago

भूखा राजा और गरीब किसान की कहानी | The Hungry King And Poor Farmer Story In Hindi

भूखा राजा और गरीब किसान की इस कहानी में बताया गया कि कैसे एक राजा…

1 week ago

मातृ दिवस पर भाषण (Mother’s Day Speech in Hindi)

मदर्स डे वो दिन है जो हर बच्चे के लिए खास होता है। यह आपको…

1 week ago

मोगली की कहानी | Mowgli Story In Hindi

मोगली की कहानी सालों से बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय रही है। सभी ने इस…

1 week ago