गर्भावस्था के दौरान पति-पत्नी का संबंध

गर्भावस्था के दौरान पति-पत्नी का संबंध

गर्भावस्था आपके शरीर और आपके जीवन में बहुत सारे बदलाव लेकर आती है। यह आपको शारीरिक और मानसिक दोनों ही तरह से प्रभावित कर सकती है। प्रेगनेंसी के दौरान जहां एक तरफ आप अपने शरीर में आ रहे बदलावों से तालमेल बिठाना (और उन्हें अपनाने की कोशिश करना) सीखती हैं, वहीं आपको मानसिक तनाव से भी जूझना पड़ता है, जो आपको बिना किसी स्पष्ट कारण के परेशान करता है और इससे भी बदतर बात यह है, कि प्रेगनेंसी हॉर्मोन्स, शारीरिक बदलाव या मानसिक तनाव आपके शादीशुदा जीवन और आपके पति के साथ आपके संबंध को प्रभावित कर सकता है। 

फिर भी यह जरूरी है, कि इस पूरे समय के दौरान आपके साथी को आपकी भावनाओं की जानकारी हो और वे आपको सहयोग करें। यह लेख आपको यह समझने में मदद करेगा कि गर्भावस्था के दौरान आपके पति के साथ आप का संबंध किस प्रकार बदल सकता है। साथ ही, इसमें आपको कुछ ऐसे टिप्स भी मिलेंगे जिन्हें अपनाकर आप अपने पति के साथ अपने रिश्ते को स्वस्थ बनाए रख सकती हैं। 

गर्भावस्था पति और पत्नी के बीच के रिश्ते को किस प्रकार बदलती है?

हो सकता है, कि अब तक आपकी शादीशुदा जिंदगी बिल्कुल मजबूत रही हो, कभी भी झगड़े ना होते हों, बहस ना होती हो या फिर नोकझोंक भी ना होती हो। लेकिन इसे आपके गर्भवती होने के दौरान भी ऐसे ही बने रहने की उम्मीद ना करें। गर्भावस्था निम्नलिखित तरीकों से आपके पति के साथ आपके रिश्ते को प्रभावित कर सकती है-

  • आपके पति आप ही की तरह चिंतित या तनाव में रह सकते हैं, खासकर अगर आप अपनी जरूरतों के बारे में उन्हें ना बताती हों तो। इस एहसास से भावनात्मक दूरियां आ सकती हैं और अंतरंगता की कमी हो सकती है।
  • आपके शरीर में होने वाले बदलावों के कारण इमोशनल साइड इफेक्ट हो सकते हैं, जैसे घबराहट और मानसिक उन्माद। कई महिलाएं इन भावनाओं से निपटने के लिए अपने पति पर जरूरत से ज्यादा प्यार दिखाना या चिपकना शुरू कर देती हैं।
  • आपकी कामेच्छा बहुत बढ़ जाती है। लेकिन जब आपके पति यौन संबंध बनाने का प्रयास करते हैं, तब अगर आपको थकान, मतली या घबराहट महसूस होने लगती है, तो उन्हें नेगलेक्टेड महसूस हो सकता है। इससे आगे चलकर आप दोनों के बीच चीजें खराब हो सकती हैं।
  • गर्भवती होने के दौरान आपके आसपास बड़े पैमाने पर बदलाव होते हैं। आप अधिक इंट्रोवर्ट या अधिक एक्सट्रोवर्ट हो सकती हैं। इससे आपके पति और आपके परिवार का आपको देखने का नजरिया बदल सकता है।
  • गर्भावस्था के दौरान आपके शरीर में बदलाव नजर आएंगे। आपको स्ट्रेच मार्क्स, वेरीकोज वेन्स, बॉडी हेयर और ऐसी ही अन्य कई समस्याएं भी हो सकती हैं। ये सभी बातें आपको परेशान कर सकती हैं और आप खुद को लेकर कॉन्शियस हो सकती हैं। जहां इन सबके बावजूद आपके पति की नजर में आप सबसे खूबसूरत औरत होती हैं और वे आपके साथ थोड़ा रोमांटिक समय बिताना पसंद करेंगे, वहीं अगर आप ऐसा महसूस न करें, तो हो सकता है आप इस समय को उनके साथ एंजॉय न करना चाहें। बल्कि इससे आगे चल कर आप दोनों के बीच की सेक्सुअल केमिस्ट्री में एक दरार आ सकती है।

गर्भावस्था के दौरान पति और पत्नी के बीच अच्छे रिश्ते बने रहना जरूरी क्यों है?

गर्भावस्था के दौरान पति और पत्नी के बीच अच्छे रिश्ते बने रहना जरूरी क्यों है?

आप और आपके पति संभवतः एक दूसरे के साथ एक रूटीन के साथ सहज हो चुके होंगे। रोजमर्रा की जिम्मेदारियां बांटने से आसान हो जाती हैं। घर पर जब आपका कोई अपना इंतजार कर रहा हो, तब सुरक्षा की ये भावना एक ऐसी भावना है जिसकी इच्छा हर व्यक्ति में होती है। और जब आप गर्भवती हो जाती हैं, तब जिम्मेदारियां और घबराहट बराबर रूप से बढ़ जाती हैं। इन जिम्मेदारियों को बांटना आपके और आपके बच्चे के लिए हेल्दी भी होता है और मददगार भी होता है। विचार करें कि आपकी जिंदगी किस प्रकार बदलने वाली है और ऐसा फैसला करें जो कि आपके बच्चे के लिए सही हो, जो जल्द ही आपके घर पर आने वाला है। 

गर्भावस्था के दौरान आपसी रिश्ते को स्वस्थ बनाए रखने के लिए कुछ टिप्स

यहां पर कुछ टिप्स दिए गए हैं जिनकी मदद से आप प्रेगनेंसी के दौरान अपने रिश्ते को बनाए रख सकती हैं और एक सपोर्टिव हस्बैंड पा सकती हैं –

1. बच्चे के लिए एक साथ तैयार हों 

बच्चे होने का मतलब है जन्म के बाद आप दोनों का ही बहुत सारा काम बढ़ जाना। आप कई तरह से एडवांस में तैयारी कर सकते हैं। इसमें नवजात शिशु के लिए सोने की जगह तैयार करना, फिर चाहे वह आपके कमरे में हो या अलग कमरा हो, नैपी, दूध की बोतल, बच्चे के कपड़े, पैसिफायर, कंबल, तकिए, खिलौने, क्रिब और अनगिनत अन्य जरूरी चीजें खरीदना शामिल है। इन कामों को एक साथ मिलकर करने से पिता को अच्छा महसूस होता है  और वह खुद को बच्चे के लिए किए जाने वाले फैसलों का इंचार्ज समझते हैं। 

2. एक दूसरे के लिए समय निकालें

प्रेगनेंसी का मतलब होता है डॉक्टर के ढेर सरे अपॉइंटमेंट, थकान, तनाव और आपके साथी के साथ भावनात्मक दूरी। ये समस्याएं आपको निराश नहीं करनी चाहिए या आपके रिश्ते को प्रभावित नहीं करनी चाहिए। अपने साथी के साथ पर्याप्त समय बिताना और एक-दूसरे की जरूरतों को लेकर आजादी से बात करना जरूरी है। इससे आप दोनों को ही अंतरंगता या अटेंशन की कमी महसूस नहीं होगी और आप दोनों का रिश्ता और भी मजबूत बनेगा। 

3. करीबी बनाए रखें 

एक दूसरे के बीच रोमांस के एहसास को मरने ना दें। प्रेगनेंसी के बदलावों के कारण आपको ब्लोटिंग, थकान और चिड़चिड़ापन महसूस हो सकता है। लेकिन यह जरूरी है, कि आप अपने साथी के साथ नियमित रूप से बाहर जाएं, यहां तक कि रोमांटिक डेट्स पर भी। फिर चाहे यह घर पर खाना ऑर्डर करने और एक दूसरे को बाहों में थामे हुए एक साथ फिल्म देखना ही क्यों न हो। 

4. बच्चे का नाम चुनना

यह बहुत जरूरी है। अपने बच्चे के लिए आप जो नाम चुनती हैं, वह जीवन भर उसके साथ रहेगा। एक साथ मिलकर सही नाम चुनने की कोशिश करें। अपने साथी के साथ समय बिताएं और बच्चे के लिए एक ऐसा नाम चुनें, जो आप दोनों को ही पसंद हो और दोनों की ही रजामंदी हो। आप एक ऐसा नाम चुन सकती हैं, जो कि आप दोनों के लिए महत्वपूर्ण हो, ताकि दोनों में से किसी को भी अलग-थलग महसूस न हो। 

5. डॉक्टर के पास एक साथ जाएं

डॉक्टर की अपॉइंटमेंट के लिए हमेशा अपने पति के साथ जाएं। इससे बच्चे के विकास से संबंधित सबसे पहली जानकारी आप दोनों को एक साथ मिलेगी, जैसे बच्चे का वजन, उसका स्वास्थ्य, साथ ही प्रेगनेंसी में आगे ले जाने वाले कदम। जो पिता इस पड़ाव पर खुद को इंवॉल्व करते हैं, इस पूरी प्रक्रिया के साथ खुद को अधिक जुड़ा हुआ महसूस करते हैं, जिसके कारण वे प्रेगनेंसी और रिलेशनशिप में भी खुद को शामिल महसूस करते हैं। 

मां और पिता के बीच होने वाली बहस के कारण

यहां पर प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली कुछ रिलेशनशिप समस्याएं दी गई हैं, जिनके कारण आपके और आपके साथी के बीच लड़ाई हो सकती है। लेकिन चिंता न करें, क्योंकि अगर आप और आपके पति निम्नलिखित कारणों से आपस में झगड़ रहे हैं, तो इसे सुलझाने के लिए हम यहां पर कुछ टिप्स भी लेकर आए हैं: 

1. साथी की तरफ से ध्यान की कमी

समस्या – प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले शारीरिक और भावनात्मक बदलाव, असुरक्षा और दुर्बलता की एक भावना को बढ़ा सकते हैं। इस दौरान आपको ऐसा लग सकता है, कि आपके पति आप पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे रहे हैं या आपकी देखभाल नहीं कर रहे हैं। इस कारण झगड़े हो सकते हैं। 

समाधान –  डॉक्टर का अपॉइंटमेंट मिस कर देना जैसी छोटी-छोटी बातों को लेकर जरूरत से ज्यादा डिमांड करने से हो सकता है आपके पति अगली बार आपके साथ जाने के लिए अधिक उत्साहित न हों। जब वे आपके पास न हों, तो आप अपने किसी दोस्त या परिवार वाले को अपने साथ लेकर जा सकती हैं। 

2. फैमिली ड्रामा

समस्या – आप दोनों के ही माता-पिता आपकी प्रेगनेंसी में अधिक से अधिक इंवॉल्व होने की इच्छा रख सकते हैं।  यह इस हद तक हो सकता है, कि वे आपके जीवन के हर पहलू को नियंत्रित करने की इच्छा रखें। इससे अगर आप पर या आपके पति की अनचाही आलोचना की जाए, तो इससे समस्या खड़ी हो सकती है। 

समाधान – अपने पति के साथ इस बारे में बात करना जरूरी है। जन्म लेने वाला शिशु आप दोनों का है और उसके बारे में फैसले लेने का हक भी आपको ही होना चाहिए। जहां परिवार का सहयोग जरूरी है, वहीं इस बात का ध्यान रखें कि उनकी दखलअंदाजी आपकी रोजमर्रा की जिंदगी और आपके साथी के साथ आपके संबंध को प्रभावित न करे। 

3. आर्थिक समस्याएं

समस्या – शिशु के जन्म में काफी पैसे खर्च होते हैं। अगर आप कुछ बार भी मेडिकल अपॉइंटमेंट पर जा चुकी हैं, तो आप समझ चुकी होंगी, कि यह सच है। इसमें प्रेगनेंसी मेडिकल केयर, प्रीनेटल डाइट, डॉक्टर के अपॉइंटमेंट और ऐसी ही बहुत सी बातें शामिल होती हैं। बजट में आने वाला यह तेज उछाल आपको मानसिक रूप से परेशान कर सकता है, जिससे आपके और आपके साथी के बीच बहस हो सकती है। 

समाधान – इसके बारे में एक साथ मिलकर काम करें। इसे लेकर एक अच्छा बजट प्लान करें। अगर इसके लिए आपको गैरजरूरी खर्चे बंद करने पड़े तो भी अच्छा होगा। यह करने के लिए बच्चे के जन्म तक इंतजार न करें, क्योंकि इसके बाद यह करने के लिए आपको समय नहीं मिलेगा। 

4. शारीरिक नजदीकी में कमी

समस्या – जैसा कि पहले बताया गया है, प्रेगनेंसी के दौरान आपके शरीर में होने वाले बड़े बदलावों के कारण आपको सेक्स की इच्छा नहीं होती है। पर आपके साथी के साथ ऐसा नहीं है – वे अब भी आपकी ओर आकर्षण महसूस करते हैं और आपके साथ शारीरिक संबंध बनाना चाहते हैं। लेकिन अगर आपकी ऐसी इच्छा न हो तो ऐसे में आपके पति को अवांछित महसूस हो सकता है। 

समाधान – इसे लेकर झगड़े करने के बजाय चीजों को दूसरे नजरिए से देखने की कोशिश करें। जब आपके पेट में बहुत सी गैस भरी हो और आपको हर वक्त पेशाब आ रही हो, तो आपको ऐसे में सेक्सी महसूस नहीं होता है। अपने आप को बहुत अधिक गंभीरता से न लें। सेक्स की इच्छा नहीं होती है, तो आप अपने पति के साथ कडल कर सकती हैं या एक दूसरे के साथ अकेले में अच्छा समय बिता सकती हैं। 

5. बच्चे का नाम

समस्या – माता-पिता के लिए बच्चे का नाम रखना एक बहुत ही जरूरी बॉन्डिंग प्रक्रिया होती है। लेकिन इस बात पर भी आपस में बहस होना आम है। यह बहस एक बड़ी लड़ाई में भी बदल सकती है। 

समाधान – आपको अपने बच्चे का नाम उसके दादा के नाम के ऊपर रखना बिल्कुल नापसंद हो सकता है और वहीं आपके पति को आपका चुना हुआ नाम बहुत ही अतरंगी लग सकता है। इसका समाधान बहुत ही सिंपल है – तलाश जारी रखें। बच्चों के नामों की सूची का कोई अंत नहीं होता है। आपको केवल तब तक ढूंढने की जरूरत है, जब तक आप दोनों ही किसी नाम से खुश ना हो जाएं। इसके अलावा आपके बच्चे के बारे में यह कोई पहली चीज नहीं है, जिस पर आप को समझौता करना पड़ेगा। 

क्या पति और पत्नी के बीच की लड़ाई गर्भ में पल रहे बच्चे को प्रभावित करती है?

ऊपर बताए गए कारणों के अलावा भी ऐसे अन्य कई कारण होते हैं, जिनसे प्रेगनेंट कपल के बीच लड़ाई झगड़े हो सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान आपको इस बात का एहसास नहीं होता है, कि आप अपने साथी से कब बहस करना शुरू कर देती हैं और शायद इसका इल्जाम अपने प्रेगनेंसी हॉर्मोन्स पर लगाती हैं। ऐसा हर बार होता है। लेकिन अपने साथी के साथ बहसबाजी शुरू करने से पहले कृपया दोबारा सोचें। क्योंकि आपका शिशु भी इसे निश्चित रूप से सुन रहा है। प्रेगनेंसी के दौरान पति और पत्नी के बीच होने वाले झगड़ों से गर्भस्थ शिशु किस प्रकार से प्रभावित हो सकता है वे नीचे दिए गए हैं:

  • लंबे समय तक तनाव में रहने से मां और शिशु दोनों में ही एंग्जायटी और डिप्रेशन के लक्षण दिख सकते हैं। इससे आगे चलकर मिसकैरेज, प्रीमैच्योर डिलीवरी, स्टिलबर्थ जैसी स्थितियां पैदा हो सकती हैं। 
  • तनावपूर्ण स्थितियों में जन्म लेने वाले शिशु में हेल्थ कॉम्प्लिकेशंस दिख सकते हैं, जैसे जन्म के समय कम वजन और ऐसी ही अन्य कई समस्याएं। 
  • तनाव से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है और हार्मोनल असंतुलन भी हो सकता है, जिससे मिसकैरेज और समय से पहले डिलीवरी जैसी स्थितियां दिख सकती हैं। 
  • प्रेगनेंसी एंग्जायटी को पोस्टपार्टम डिप्रेशन के खतरे को बढ़ाने के लिए जानी जाती है, जो कि आपके और आपके बच्चे के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होता है। 

गर्भावस्था के कारण भावनात्मक उथल-पुथल हो सकती है, जिससे आपके पति के साथ आपके रिश्ते प्रभावित हो सकते हैं। आपको ऐसे किसी भी संभव ट्रिगर पर ध्यान देने की जरूरत है, जो एक झगड़े का रूप ले सकती है, ताकि आप अपने बच्चे के स्वास्थ्य को सुरक्षित रख सकें। आपको यह समझने की जरूरत है, कि इस खूबसूरत प्रक्रिया के दौरान पति और पत्नी दोनों की ही अपनी अपनी भूमिकाएं होती हैं, फिर चाहे दोनों के ही नजरिए अलग-अलग क्यों न हों। अपने आपसी मतभेदों को भूलकर आपको एक मजबूत और स्वस्थ नींव तैयार करनी चाहिए, ताकि आप अपने पैरंटहुड के नए सफर की बेहतरीन शुरुआत कर सकें। 

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