गर्भावस्था के दौरान नींद खराब होने के कारण और टिप्स

गर्भावस्था के दौरान नींद खराब होने के कारण और टिप्स

रिसर्च के अनुसार 78% से ज्यादा गर्भवती महिलाएं इस दौरान नींद न आने की शिकायत करती हैं। गर्भावस्था के दौरान नींद न आना स्वाभाविक है और अन्य समस्याओं की तरह ही अनिद्रा होने के कई कारण हैं। फर्स्टक्राई पेरेंटिंग हिंदी के इस आर्टिकल में गर्भावस्था के दौरान नींद न आने के बारे में पूरी जानकारी दी गई है और साथ ही इससे संबंधित महिलाओं के सामान्य सवालों के जवाब भी दिए गए हैं, जानने के लिए आगे पढ़ें। 

गर्भावस्था और नींद 

गर्भावस्था के दौरान आपकी नींद में काफी प्रभाव पड़ता है। रिसर्च के अनुसार शरीर में हॉर्मोनल बदलावों की वजह से अक्सर गर्भवती महिलाओं का स्लीपिंग पैटर्न खराब हो जाता है। यदि आपको भी सोने में कठिनाई होती है या सोने से संबंधित समस्याएं हैं तो इसका यह मतलब है कि आपके हॉर्मोन्स अत्यधिक उत्तेजित हो रहे हैं। 

कई गर्भवती महिलाओं को पहली तिमाही में नींद से संबंधित समस्याएं होती हैं। नींद की समस्याएं गर्भधारण करते समय या गर्भावस्था के बाद के चरण में भी हो सकती हैं। हालांकि गर्भावस्था के बाद के दिनों में अनिद्रा होना या नींद में बाधा आना स्वाभाविक है। गर्भावस्था की तीसरी तिमाही के दौरान रात को लगातार नींद न आना एक आम समस्या है। आपको इस बात का भी खयाल रखना चाहिए कि गर्भावस्था के साथ थकान भी बहुत होती है। नींद में कमी होने से आपकी थकान बढ़ सकती है। 

गर्भावस्था के दौरान नींद क्यों नहीं आती है?

गर्भावस्था के दौरान नींद क्यों नहीं आती है

गर्भावस्था आपके शरीर में बहुत सारे बदलाव लेकर आती है और इन बदलावों से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को सपने भी बहुत आते हैं इसलिए आप खुद को पूरी तरह से तैयार कर लें ताकि आपको कोई भी असुविधा न हो। अब हम जानते हैं कि गर्भावस्था के दौरान नींद में प्रभाव पड़ता है पर इस सफर में अनिद्रा होने का कारण क्या है यह जानने के लिए आगे पढ़ें;

हॉर्मोनल बदलाव 

गर्भावस्था के दौरान महिला में सबसे मुख्य बदलाव हॉर्मोन्स में होते हैं। इसके अलावा इस समय महिलाओं में शारीरिक बदलाव और भावनात्मक उतार-चढ़ाव भी होते हैं जिससे उनके स्लीपिंग पैटर्न्स पर असर पड़ता है। गर्भावस्था से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण हॉर्मोन्स इस प्रकार हैं, आइए जानें;

  • प्रोजेस्टेरोन

यह हॉर्मोन्स मसल्स को स्मूद बनाते हैं और इसकी वजह से नेजल कंजेशन, हार्टबर्न होता है और साथ ही लगातार पेशाब भी आती है। ये सभी लक्षण स्लीपिंग पैटर्न पर प्रभाव डालते हैं। इस दौरान रात में अच्छी नींद नहीं आती है जिसकी वजह से रैपिड आई मूवमेंट (आरइएम) स्लीप कम हो जाती है। आरइएम सोने का वह चरण है जिसमें बहुत प्रभावी सपने आते हैं। 

  • एस्ट्रोजन

यदि यह हॉर्मोन वैसोडिलेशन नामक प्रक्रिया में शामिल होता है तो इससे भी स्लीप पैटर्न में बाधा आती है। एस्ट्रोजन हॉर्मोन्स वैसोडिलेशन प्रक्रिया से ब्लड वेसल्स को बड़ा करते हैं जिससे पैरों और लंग्स में सूजन भी आती है। इससे सोते समय सांस लेने में तकलीफ होती है और साथ आरइएम नींद कम हो जाती है। 

  • ऑक्सीटोसिन

रात में ऑक्सीटोसिन का स्तर बढ़ने से संकुचन होता है जिससे नींद खराब हो जाती है। 

शारीरिक और भावनात्मक बदलाव 

गर्भावस्था के दौरान शारीरिक और मानसिक बदलाव की वजह से भी महिलाओं को नींद कम आती है, जैसे कम्फर्टेबल जगह न मिलना, पैरों में क्रैंप आना, नेजल कंजेशन, हार्टबर्न, सांस लेने में कठिनाई होना, दिल की धड़कन बढ़ना, पीठ में दर्द होना, एंग्जायटी और रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम होना। रेस्टलेस लेग सिंड्रोम वह समस्या है जिसमें पैरों में सेंसेशन होती है और ये कुछ कारण हैं जिनकी वजह से गर्भवती महिला को नींद आने में कठिनाई हो सकती है। 

गर्भावस्था के दौरान बढ़ते बच्चे की वजह से ब्लैडर पर दबाव पड़ता है जिससे लगातार पेशाब आने और असुविधाओं से नींद प्रभावित होती है। 

पहली तिमाही के दौरान नींद में बदलाव 

गर्भावस्था की पहली तिमाही में सोने की पोजीशन में कठिनाई हो सकती है क्योंकि इस समय आपका शरीर शारीरिक व मानसिक, सभी बदलावों को एडाप्ट करने का प्रयास करता है। इस दौरान आपको दिन में नींद आ सकती है और आप दिनभर में शॉर्ट नैप भी ले सकती हैं। आपके शरीर में प्रोजेस्टेरोन के बढ़ने से आपको दिन में आलस आ सकता है पर इससे रात की नींद खराब हो जाती है। रात में अनिद्रा की वजह से दिन में अधिक थकान होती है। 

ब्रेस्ट सेंसिटिव होने से सोने की पोजीशन कम्फर्टेबल नहीं हो पाती है। इस दौरान दाईं तरफ सोना अच्छा है क्योंकि इससे गर्भाशय व बच्चे का ब्लड फ्लो अच्छा होता है। इसकी मदद से शरीर से फ्लूइड और वेस्ट बाहर निकालने में मदद मिलती है।

गर्भाशय और बच्चे के बढ़ने से ब्लैडर पर दबाव पड़ता है जिसकी वजह से आपको बार-बार पेशाब लगती है और इससे नींद खराब होती है। 

दूसरी तिमाही के दौरान नींद में बदलाव 

गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में सोने की सही पोजीशन से कुछ महिलाओं को थोड़ा बहुत आराम मिलता है। दूसरी तिमाही में गर्भवती महिलाओं की नींद में सुधार आता है और इस समय मतली व पेशाब आने की समस्याएं भी कम हो जाती हैं जिसकी वजह से नींद बेहतर होती है। गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में अनिद्रा होने के कुछ कारण हैं, जैसे कंजेशन, पैरों में क्रैंप्स आना और रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम। 

तीसरी तिमाही के दौरान नींद में बदलाव 

तीसरी तिमाही में सोने की पोजीशन सही रखना बहुत चैलेंजिंग होता है जिसकी वजह से आपकी नींद में बाधा आती है और आराम नहीं मिलता है। रीसर्च के अनुसार गर्भवती महिलाएं रात में कई बार उठती हैं और इससे उनकी नींद में असर पड़ता है। गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में नींद न आने के कुछ कारणों में निम्नलिखित शामिल हैं, आइए जानें;

तीसरी तिमाही के दौरान नींद में बदलाव 

  • खुजली होना 
  • पैरों में क्रैम्प्स आना 
  • बार-बार पेशाब लगना 
  • हार्टबर्न होना 
  • सोने की पोजीशन ठीक न होना 
  • कमर में दर्द होना 
  • जोड़ों में दर्द होना 
  • हाथों सुन्न हो जाना 
  • ब्रेस्ट संवेदनशील होना 
  • एंग्जायटी होना 

गर्भावस्था में नींद से संबंधित सामान्य समस्याएं कौन सी हैं?

आप जान चुकी हैं कि गर्भावस्था के दौरान अनिद्रा क्यों होती है। आइए अब गर्भावस्था में होने वाली नींद से संबंधित कुछ समस्याएं भी जानते हैं;

1. बार-बार पेशाब आना 

बार-बार पेशाब लगने से नींद में बाधा आ ही जाती है। गर्भावस्था के हॉर्मोन्स का स्तर बहुत ज्यादा होने से आपको बार-बार पेशाब लग सकती है। गर्भ में बच्चे का वजन बढ़ने से ब्लैडर पर दबाव पड़ता है जिससे असुविधाएं भी होती हैं। इसके अलावा किडनी को 50% से भी ज्यादा ब्लड फिल्टर करना पड़ता है जिसकी वजह से पेशाब ज्यादा होती है। 

2. सामान्य असुविधाएं होना 

गर्भावस्था में बढ़ते पेट की वजह अच्छी पोजीशन में सोना कठिन हो जाता है। जिन महिलाओं को पेट व पीठ के बल सोने की आदत होती है उन्हें भी बिना असुविधाओं के अच्छी नींद लेने में कठिनाई होती है। 

3. हार्टबर्न 

हॉर्मोनल बदलावों की वजह से हार्टबर्न होता है। यह रात में सही नहीं है और इससे सोने में भी तकलीफ होती है। गर्भावस्था की तीसरी तिमाही के दौरान बेबी बंप के कारण यह समस्या गंभीर हो जाती है। 

4. पैरों में क्रैम्प्स आना 

गर्भावस्था के दौरान सबसे ज्यादा वजन आपके पैरों में पड़ता है इसलिए ब्लड वेसल सिकुड़ने की वजह से और थकान के कारण आपको क्रैम्प्स आते हैं। 

5. नेजल कंजेशन 

शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन बढ़ने से नाक के मेम्ब्रेन में खून की मात्रा बढ़ जाती है। जिसके परिणामस्वरूप अधिक म्यूकस आता है और नाक बंद हो जाती है। नेजल कंजेशन की वजह से महिलाओं को रात में असुविधाएं और खांसी होती है। 

6. रेस्टलेस लेग सिंड्रोम 

कुछ महिलाएं आरएलएस से ग्रसित होती हैं जिसकी वजह से नींद खराब हो सकती है। यह समस्या पैरों में दर्द व झनझनाहट की वजह से होती है और इसमें आपको पैर हिलाने का मन करता है जिससे नींद में प्रभाव पड़ता है। 

7. स्लीप एप्निया  

इस समस्या में सोते समय सांस लेने में तकलीफ होती है जिससे नींद का पैटर्न बिगड़ जाता है। 

गर्भावस्था के दौरान सोने की पोजीशन 

गर्भावस्था के दौरान सोने की पोजीशन हर तिमाही में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि पूरी गर्भावस्था में आप करवट से सोएंगी तो इससे आपको काफी मदद मिल सकती है। 

गर्भवती महिलाओं को करवट से घुटने मोड़कर सोना चाहिए क्योंकि इससे काफी सुविधाएं मिलती हैं और यह पोजीशन सबसे बेस्ट है। यह पोस्चर आपकी दिल के फंक्शन को ठीक इसलिए रखता है क्योंकि इससे बच्चे का वजन सीधे पोस्चर से वेना कावा की ओर आ जाता है। यह नर्व शरीर में खून को दिल से पैरों तक पहुँचाती है। 

गर्भावस्था के दौरान सोने की पोजीशन 

कई डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को बाईं ओर सोने की सलाह देते हैं क्योंकि इससे यूटरस का भार लिवर पर नहीं पड़ता है। यह दिल के सर्कुलेशन को भी बेहतर बनाता है और बच्चे, यूटरस और किडनी में खून के बहाव को सरल बनाता है। 

इस दौरान तकिए का उपयोग करने से आपको काफी आराम मिल सकता है। आप पीठ के बल ब्लैंकेट को रोल करके भी रख सकती हैं। गर्भावस्था के दौरान सोने की पोजीशन के बारे में पूरी जानकारी के लिए डॉक्टर से मदद लें क्योंकि इससे आपको ज्यादा से ज्यादा आराम मिलेगा। 

गर्भावस्था के दौरान अनिद्रा 

सोने में कठिनाई होने या नींद पूरी न होने को अनिद्रा कहते हैं। अक्सर गर्भवती महिलाओं को अनिद्रा की समस्या होती है पर यह गर्भावस्था की पहली और तीसरी तिमाही में होना बहुत आम है। 

एंग्जायटी, मतली, कमर में दर्द, पैरों में क्रैंप्स होने, बार-बार पेशाब आने और सांस लेने में तकलीफ होने के कारण ही अनिद्रा की समस्या होती है। यद्यपि आप नींद की असुविधाओं को पूरी तरह से खत्म नहीं कर सकती हैं पर कुछ टिप्स हैं जो गर्भावस्था के दौरान आपको अच्छी नींद लेने में मदद कर सकते हैं। 

गर्भावस्था के दौरान बेहतर नींद के लिए टिप्स 

यह सलाह दी जाती है कि आप अच्छी नींद लेने की आदत डालें ताकि गर्भावस्था के दौरान भी आपको अच्छी नींद आए। गर्भवती होने पर अच्छी नींद लेने के लिए यहाँ कुछ टिप्स बताए गए हैं, आइए जानें;

1. सोने का समय निर्धारित करें

आप सोने से पहले टीवी, मोबाइल, लैपटॉप या अन्य डिजिटल डिवाइस का उपयोग न करें। इस समय आप किताबें और कहानियां पढ़ें व गुनगुने पानी से नहाएं जिससे आपको सोने में मदद मिलेगी। यदि आपको बिलकुल भी नींद नहीं आती है तो उठें और जल्दी सोने की कोशिश से खुद का ध्यान हटा लें। 

2. दिन में तरल पदार्थ लें 

दिन में खुद हाइड्रेटेड रखने के लिए खूब सारा पानी पिएं और तरल पदार्थ लें। शाम को 7 बजे तक ज्यादा से ज्यादा पानी पी लें। इस आदत से आपको उठकर बार-बार पेशाब के लिए नहीं जाना पड़ेगा। 

3. संतुलित आहार लें 

आप रात में हेल्दी खाएं पर धीरे-धीरे खाएं ताकि आपकी हार्टबर्न की संभावनाएं कम हो सकें। आप जल्दी खाना खा लें और रात में भूखी न सोएं। यदि जरूरत हो तो हल्का स्नैक्स लें। यदि आप प्रोटीन-युक्त फूड लेती हैं तो इससे रात के दौरान भी आपका ब्लड शुगर ठीक रहेगा। रात में सोने से पहले आप एक गिलास गुनगुना दूध पिएं। इससे आपको काफी मदद मिलेगी। इस दौरान आप ऑयली, तीखा, मीठा, एसिडिक फूड और कैफीन का सेवन न करें। 

4. सोने की जगह को सुविधाजनक बनाएं 

अच्छी नींद के लिए आप सभी सुविधाओं का उपयोग करें। सोते समय कम्फर्टेबल ब्रा पहनें क्योंकि इससे ब्रेस्ट की सेंसिटिविटी के कारण आपको असुविधा नहीं होगी। अपने कमरे में अंधेरा रखें या जरूरत हो तो कम रोशनी रखें इससे आपको सोने के लिए वातावरण अच्छा बनेगा। बाथरूम में नाईट लाइट का उपयोग करें ताकि ब्राइट लाइट से आपको दोबारा सोने में कठिनाई न हो। 

सोने की जगह को सुविधाजनक बनाएं 

5. एक्सरसाइज करें लेकिन आराम करें

दिन में एक्टिव रहने से रात में अच्छी नींद आ सकती है। आप रिलैक्स करने के तरीकों और मेडिटेशन का अभ्यास भी करें। इससे आपको रात में अच्छी नींद लेने में मदद मिलेगी। 

6. सही पोस्चर में सोएं 

इस बात का ध्यान रखें सोने की पोजीशन से आपकी नींद पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान करवट से विशेष दाएं ओर सोना सबसे सही माना जाता है। यह पोजीशन बच्चे के लिए सही है और इससे ब्लड सर्कुलेशन में मदद मिलती है। 

7. सप्लीमेंट्स और दवाइयों की जांच करें 

पैरों में क्रैंप कैल्शियम या मैग्निशयम की कमी से भी आते हैं। इसके अलावा आप अपने शरीर में आयरन और विटामिन ‘सी’ की भी जांच करें क्योंकि मुख्य मिनरल शरीर को डिलीवरी और बच्चे की वृद्धि के लिए मजबूत बनाते हैं। यदि जरूरत हो तो आप सप्लीमेंट्स के डोसेज बढ़ाने के लिए डॉक्टर से सलाह लें। आप नेजल कंजेशन को ठीक करने के लिए सेलाइन नेजल स्प्रे और नोज स्ट्रिप का उपयोग करें। 

8. भावनात्मक स्तर को बनाए रखें 

गर्भावस्था के दौरान एंग्जायटी और स्ट्रेस से बचें क्योंकि इससे नींद आना बंद हो जाती है जिसके परिणामस्वरूप आपको थकान हो सकती है। 

पूरी गर्भावस्था में अच्छी नींद लेना बहुत चैलेंजिंग है। हालांकि प्लान करने और नींद को प्राथमिक बनाने से आपको काफी मदद मिल सकती है। रिसर्च के अनुसार गर्भावस्था में कम सोने वाली महिलाओं का ज्यादातर सी-सेक्शन डिलीवरी होती है और लेबर में काफी समय लगता है।

यह सलाह दी जाती है कि महिलाओं को जल्दी सोना चाहिए क्योंकि इस समय गर्भ में बच्चा होने की वजह से आपको ज्यादा नींद लेने की जरूरत है। यदि आप जल्दी से जल्दी अपने बच्चे को गोदी में खिलाना चाहती हैं तो आपको अपना यह सफर मेमोरेबल बनाने के लिए अच्छी नींद जरूर लें। 

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