गर्भावस्था में डेटिंग स्कैन कराना

प्रेगनेंसी के समय डेटिंग स्कैन करना

डेटिंग स्कैन पहली तिमाही में किए जाने वाले अल्ट्रासाउंड में शामिल होता है, ये आपको जानने में मदद करता है कि आप कितने समय से गर्भवती हैं, इसके अलावा भी कई चीजों की जांच करने के लिए ये स्कैन कराया जाता है, जैसे आपके गर्भ में एक से ज्यादा शिशु होने की संभावना, भ्रूण का आकार कितना बड़ा है। इस स्कैन से बच्चे के दिल की धड़कन का पता चलता और इसके जरिए उसकी विकास संबंधी समस्याओं का भी पता लगाया जाता है, इसके अलावा डेटिंग स्कैन के जरिए प्रसव तिथि का अनुमान भी लगाया जाता है ।

आमतौर पर पहली तिमाही में दो स्कैन किए जाते हैं। 6 से 9 सप्ताह के बीच डेटिंग व वायबिलिटी स्कैन और 11 से 13 सप्ताह के बीच अर्ली मोर्फोलॉजी स्कैन या एन.टी. स्कैन।

डेटिंग स्कैन क्या है और क्यों किया जाता है

डेटिंग स्कैन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका उपयोग अधिकतम 3 से 5 दिनों की त्रुटि के साथ भ्रूण की आयु का आकलन करने के लिए किया जाता है। डेटिंग स्कैन उन महिलाओं के लिए है जिन्हें निम्नलिखित समस्याएं होती हैं:

  • जिनका मासिक धर्म चक्र समय पर नहीं होता है । मासिक धर्म कभी जल्दी हो जाता है और कभी देर में होता है।
  • जिन महिलाओं को हमेशा से अनियमित मासिक धर्म होता है, उन्हें इस डेटिंग स्कैन से सबसे अधिक लाभ होगा। चूंकि 28-दिवसीय नियम का कभी पालन नहीं किया जाता है, इसलिए भ्रूण की सही आयु का आकलन पारंपरिक तरीकों से किया जाना कठिन होगा।
  • स्तनपान करवाना 6 माह तक एक प्राकृतिक गर्भनिरोधक के रूप में कार्य करता है। हालांकि, यदि आप इस दौरान गर्भवती हो जाती हैं, तो डेटिंग स्कैन इस मामले में उपयोगी होता है।
  • जो महिलाएं गर्भनिरोधक गोलियां अपनाती हैं, परंतु फिर भी गर्भवती हो जाती हैं, उन्हें अपने डिंबोत्सर्जन चक्र का पता नहीं होता है । इससे भ्रूण की आयु निर्धारित करना मुश्किल हो जाता है । 

डेटिंग स्कैन कब अनुशंसित किया जाता है

  • प्रथम डेटिंग स्कैन सामान्यतः दसवें सप्ताह के बाद किया जाता है।
  • इसका अर्थ यह नहीं है कि आप आठवें सप्ताह में डेटिंग स्कैन नहीं करा सकती हैं। ऐसी कई माएं हैं जिन्होंने ऐसा ही किया है और उनके परिणाम भी सटीक आए हैं।
  • जिन महिलाओं की गर्भावस्था का इतिहास जटिलताओं से घिरा रहा हो, तो वे इसे पहले करवा सकती हैं। उदाहरण के लिए, वो महिलाएं जो पूर्व में गर्भपात या रक्तस्राव से पीड़ित हो चुकी हैं, उन्हें छठे सप्ताह में डेटिंग स्कैन की आवश्यकता होती है।

यह कैसे किया जाता है

डेटिंग स्कैन एक अल्ट्रासाउंड मशीन की सहायता से किया जाता है। इस दौरान आपके पेट पर जेल लगाया जाता है और उसके बाद ट्रांसड्यूसर नामक उपकरण की मदद से इसे पेट पर धीरे-धीरे घुमाया जाता है । इस प्रक्रिया में 20 से 30 मिनट लग सकते हैं। डेटिंग स्कैन करने से पहले आपको पानी पीने की आवश्यकता होगी क्योंकि भरा हुआ मूत्राशय इस परीक्षण के लिए सबसे आवश्यक है। ऐसा इसलिए है क्योंकि मूत्राशय गर्भाशय को ऊपर की ओर धकेलता है जिससे डेटिंग स्कैन के जरिए गर्भ की उचित दृश्यता प्राप्त होती है।

डेटिंग स्कैन से क्या पता चलता है

डेटिंग स्कैन से क्या पता चलता है

सातवें सप्ताह में डेटिंग स्कैन करवाकर आप निम्नलिखित चीजें पता कर सकती हैं:

  • भ्रूण के दिल की धड़कन
  • फाइब्रॉइड की उपस्थिति
  • भ्रूण के विकासशील अंग
  • भ्रूण की गति
  • यह गर्भनाल की समस्याओं के साथ-साथ शिशु की सिर में विकृति का पता लगा सकता है
  • यह जुड़वां या उससे अधिक भ्रूण की उपस्थिति का संकेत दे सकता है
  • कुछ आंतरिक अंगों जैसे पेट को भी देखा जा सकता है। हालांकि, यह आंतरिक अंगों की कार्यविधि को विस्तृत रूप से देखने में समर्थ नहीं होता है।

डेटिंग स्कैन कितना सटीक होता है

शुरुआत में ही डेटिंग स्कैन करने से इसका परिणाम ज्यादा विश्वसनीय और सटीक होता है। हालांकि, पूरे तौर पर यह नहीं कहा जा सकता की बिलकुल सटीक परिणाम देता है लेकिन इस समय इसके सटीक परिणाम देने की संभावना अधिक होती है और ऐसी परिस्थिति जहाँ इसकी सटीकता से समझौता किया जा सकता है। इनमें से कुछ स्थितियों में शामिल हैं:

  • सोनोग्राफर द्वारा डेटिंग स्कैन को ठीक से करना बहुत जरूरी है। यदि उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाता है, तो आपको गलत परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। आप किसी भी ऐसे व्यक्ति से स्कैन न कराएं जो अनुभवहीन हो या उसे पता ही न हो कि वो क्या कर रहा है, यदि आपको ऐसा महसूस होता है, तो किसी अनुभवी व्यक्ति से इसके बारे में एक बार और राय लें।
  • एक सोनोग्राफर केवल अपने उपकरण को अच्छी तरह से इस्तेमाल कर सकता है लेकिन वह यह ठीक से नहीं बता सकता है कि स्कैन के दौरान आपकी गर्भावस्था में किस प्रकार की समस्याएं आ रही हैं या फिर ऐसा भी हो सकता है अल्ट्रासाउंड मशीन ही ठीक से काम न कर रही हो। जिसके कारण आपको स्कैन कराने के बाद गलत परिणाम मिलें ।
  • स्कैन के दौरान भ्रूण की स्थिति के कारण ठीक से स्कैन करने में परेशानी हो सकती। हो सकता है कभी-कभी वह फैला हुआ हो, तो कभी वह मुड़ा हुआ हो सकता है या एक अनुपयुक्त स्थिति में हो जिसके कारण स्कैन करना मुश्किल हो जाता है।
  • आनुवंशिकी के कारण विकास विविध होता है और औसत माप के आधार पर नहीं होता है। उदाहरण के लिए, दस सप्ताह का भ्रूण, बाद में तेज गति से विकसित होने के लिए, आठ सप्ताह के भ्रूण की दर से विकसित हो सकता है । इससे सोनोग्राफर को गलत आकलन प्राप्त हो सकता है।
  • यदि बारहवें सप्ताह के बाद डेटिंग स्कैन किया जाता है, तो त्रुटि की संभावना बढ़ जाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इससे पूर्व भ्रूण की गतिविधि बहुत कम होती है।

क्या आप एक ही समय में स्क्रीनिंग टेस्ट और डेटिंग स्कैन करवा सकती हैं

यह तकनीकी रूप से संभव है लेकिन ये इस बात पर निर्भर करता है कि किस प्रकार की अल्ट्रासाउंड मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। जबकि कुछ अल्ट्रासाउंड मशीने स्क्रीनिंग टेस्ट कर सकती हैं, वहीं अन्य नहीं कर सकतीं। 

आप स्क्रीनिंग टेस्ट का उपयोग यह जांचने के लिए कर सकती हैं कि कहीं आपके शिशु में डाउन सिंड्रोम होने की संभावना तो नहीं है। यह एक रक्त परीक्षण के साथ एक न्यूकल ट्रांसलुसेंसी (एन.टी.) टेस्ट की मदद से किया जाता है। इन दोनों परीक्षणों को एक साथ संयुक्त करके स्क्रीनिंग टेस्ट के रूप में जाना जाता है।

संयुक्त स्क्रीनिंग टेस्ट के लिए, यह जरूरी है कि आप पहले एक डेटिंग स्कैन करवाएं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि आपकी गर्भावस्था के आधार पर शरीर में हार्मोन बदलते हैं।

क्या डेटिंग स्कैन करवाने से कोई नुकसान होता है

वैसे तो डेटिंग स्कैन से होने वाले लाभ आपको स्पष्ट रूप से बताए जा चुके हैं, लेकिन इसके साथ ही कुछ नकारात्मक पहलू भी हैं:

  • संयुक्त स्क्रीनिंग टेस्ट करवाने वालों को गलत सकारात्मक परिणाम प्राप्त होने की संभावना होती है। इसका अर्थ यह है कि एक गर्भवती महिला जिसे बताया गया है कि उसके बच्चे में डाउन सिंड्रोम पाया गया है वास्तव में उसे डाउन सिंड्रोम नहीं होगा ।
  • एक छोटी सी समस्या जिसका गर्भावस्था पर कोई असर नहीं पड़ेगा, उसे माँ के सामने गलत ढंग से प्रस्तुत करने से अनावश्यक रूप से उसकी चिंता और तनाव बढ़ता है, जबकि उसे गर्भावस्था के दौरान शांत मनःस्थिति में होना चाहिए।
  • कभी-कभी, वास्तव में कोई समस्या पाए जाने की संभावना होती है, लेकिन यह अपने आप ठीक हो जाती है। तथापि इससे होने वाली माँ पर अनावश्यक तनाव पड़ सकता है जोकि उसके लिए स्वास्थ्य संबंधी जोखिम पैदा कर सकता है।

यदि आप अपने मासिक चक्र का विवरण रख रही हैं और गर्भाधान के समय का अनुमान करने में सक्षम हैं, तो आप सुरक्षित हैं। हालांकि, आप में से जिन्होंने अपने मासिक चक्र का विवरण नहीं रखा है, वे चिंता न करें क्योंकि डेटिंग स्कैन इसमें आपकी सहायता कर सकता है।

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