गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान गुस्सा आना – प्रभाव और कैसे कंट्रोल करें

हर महिला के जीवन में गर्भावस्था एक उत्साहपूर्ण समय होता है। जहाँ गर्भवती होने पर आप उत्सुकता और खुशी महसूस करेंगी वहीं कभी-कभी यह स्थिति आपको तनाव, क्रोध, इरिटेशन और एंग्जायटी की भावनाओं से प्रभावित कर सकती है। यद्यपि गर्भावस्था के दौरान कभी-कभी गुस्सा और निराशा महसूस करना पूरी तरह से सामान्य है पर फिर भी लगातार गुस्सा करने के कुछ अप्रत्याशित परिणाम भी हो सकते हैं। एक माँ और गर्भ में पल रहे बच्चे के बीच ऐसा जुड़ाव होता है जिससे बच्चा माँ को होने वाले सभी अनुभव और मनोभावों, जैसे खुशी और गुस्से को भी महसूस कर लेता है 

इसके अलावा यदि आप लंबे समय तक अपने अंदर गुस्से को दबाकर रखती हैं तो इसके परिणामस्वरूप आपको डिप्रेशन भी हो सकता है – यह न केवल रिश्तों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है, बल्कि यह हाई ब्लड प्रेशर, अल्सर, अस्थमा, सिर दर्द और पाचन जैसी किसी भी समस्या को उत्पन्न कर सकता है। इससे आपके गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए असुरक्षित वातावरण बन सकता है, जो आपकी गर्भावस्था के लिए हानिकारक है। गर्भवती महिलाओं के लिए सकारात्मक और शांत रहना महत्वपूर्ण है और उन्हें अपनी बदलती भावनाओं को किसी भी तरह से खुद पर हावी नहीं होने देना चाहिए।

गर्भावस्था के दौरान गुस्सा आने के कारण

अक्सर गर्भवती महिलाओं का मूड स्विंग होता है और इस समय उनके मन में अलग-अलग भावनाएं उत्पन्न होती हैं। गर्भावस्था के दौरान गुस्सा आने के क्या कारण हो सकते हैं, यह जानने के लिए यहाँ क्लिक करें; 

1. हॉर्मोनल परिवर्तन

गर्भावस्था के दौरान हॉर्मोन में उतार-चढ़ाव के कारण अक्सर महिलाओं को गुस्सा आ सकता है। इस समय महिलाओं में हॉर्मोनल परिवर्तन के कारण मूड स्विंग और अति-संवेदनशीलता के साथ-साथ  उनकी भावनाएं तेजी से प्रेरित हो सकती हैं। आमतौर पर गर्भवती महिलाओं में गुस्सा बढ़ने का कारण पहले हुई किसी अप्रिय घटना से भी पता लगाया जा सकता है।

2. तनाव

गर्भावस्था के दौरान थोड़ा तनाव महसूस करना आम बात है। यह कई कारणों से हो सकता है, जैसे शारीरिक असुविधाएं, अपर्याप्त आराम, अनिद्रा, पति का उदास होना, काम का अधिक बोझ, नौकरी और पैसों से संबंधित तनाव। लगातार तनाव होने से कोई भी व्यक्ति अपनी भावनाओं को कंट्रोल नहीं कर पाता है जिससे यह गुस्से के रूप में बाहर निकलता है।

3. डर

गर्भावस्था के दौरान गुस्सा आने का एक अन्य कारण अज्ञात डर या भविष्य का डर भी हो सकता है। गर्भवती महिलाओं को अपनी गर्भावस्था को सुचारू रूप से आगे बढ़ाने, लेबर पेन, गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य और किसी संभावित जटिलता या बीमारी के बारे में चिंता हो सकती है। यह डर काफी हद तक बढ़ सकता है जिसकी संभावित प्रतिक्रिया गुस्से के रूप में दिखाई दे सकती है।

4. असुविधा

गर्भावस्‍था के दौरान शारीरिक बदलावों के कारण थोड़ी असुविधा हो सकती है। गर्भवती महिलाओं को ज्यादातर अन्य चीजों के अलावा बीमारी, मतली और थकान का अनुभव होता है। अप्रत्याशित समय पर असुविधाएं होने से महिलाओं को चिड़चिड़ापन हो सकता है या उनमें गुस्से जैसी अनेक भावनाएं उत्पन्न हो सकती हैं।  यह खासकर तब होता है जब गर्भावस्था के दौरान हो रही असुविधाओं को उचित तरीके से रोका न जा सके।

क्या गुस्सा आपके गर्भ में पल रहे बच्चे को प्रभावित कर सकता है?

जिन महिलाओं को अधिक गुस्से का अनुभव होता है, उनमें कुछ बायोलॉजिकल और फिजिकल परिवर्तन भी हो सकते हैं, जैसे ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट में वृद्धि; एपिनेफ्रीन और एड्रेनालाईन, जैसे हॉर्मोन के स्तर में अत्‍यधिक वृद्धि, जिसके परिणामस्वरूप ब्लड वेसल में संकुचन हो सकता है। यह भ्रूण तक पहुँचने वाली ऑक्सीजन और खून की आपूर्ति को कम कर देता है और यह गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान लंबे समय तक ज्यादा गुस्सा करने से लेबर के दौरान भी कुछ जटिलताएं हो सकती हैं। यह माना जाता है कि गर्भावस्था के दौरान लगातार गुस्सा करना बच्चे को निम्नलिखित तरीकों से प्रभावित करता है:

  • जन्म के समय बच्चे के वजन में कमी होना
  • समय से पहले डिलीवरी/प्रीमैच्योर डिलीवरी होना
  • भविष्य में बच्चे के स्वभाव पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है (अधिक चिड़चिड़ापन और डिप्रेशन का खतरा)
  • जन्म के बाद बच्चे के अतिसक्रिय होने की संभावना अधिक होना
  • जन्म के बाद बच्चे में कॉग्निटिव (संज्ञानात्मक) क्षमताएं सीमित हो सकती हैं

गुस्सा कंट्रोल करने के लिए कुछ टिप्स

कोई भी व्यक्ति आपको खुद से बेहतर नहीं जानता है, इसलिए आप स्‍वयं अपने गुस्से को शांत और प्रबंधित करने के लिए सही कदम उठा सकती हैं। यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं जिससे आप गर्भावस्था के दौरान अपने गुस्से को कंट्रोल कर सकती हैं, आइए जानते हैं:

1. स्वस्थ आहार लें

गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ और पौष्टिक भोजन का सेवन करने पर ध्यान देना चाहिए। यदि आप अपने संतुलित आहार में ज्यादा से ज्यादा प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, हरी सब्जियां और फल शामिल करती हैं तो यह आपकी एनर्जी के स्तर को बनाए रखने और थकान को कम करने में मदद करता है  जिसके परिणामस्वरूप आपका मूड अच्छा रहेगा।

2. नियमित एक्सरसाइज करें

इस समय पर रोजाना हल्की एक्सरसाइज करके या नियमित रूप से टहलकर अपनी एक सक्रिय दिनचर्या बनाए रखें। गर्भावस्था में सक्रिय और स्‍वस्‍थ रहने से एंडोर्फिन हॉर्मोन रिलीज होने से मूड स्विंग और गुस्से को नियंत्रण में रखा जा सकता है, जिससे आप खुश और सकारात्मक रह सकती हैं।

3. पसंदीदा एक्टिविटी करें

गर्भवती महिलाओं के लिए यह बेहद फायदेमंद है कि वे अपने पसंदीदा कार्यों को करने का आनंद लें – आराम करना या अपने दोस्तों के साथ समय बिताना, फिल्म देखने जाना, पेंटिंग करना, संगीत सुनना या बागवानी करना। ये सभी कार्य तनाव को दूर करने में मदद कर सकते हैं और साथ ही इससे आपका ध्यान अधिक लाभदायक और मनोरंजक चीजों की ओर आकर्षित हो सकता है।

4. मेडिटेशन करें

गर्भवती महिलाएं अपने तनाव और गुस्से को कम करने के लिए ध्यान या योग कर सकती हैं। इस समय पर गहरी सांस की एक्सरसाइज सीखना उचित है जो तनाव को कम और आपको रिलैक्स करने में मदद करता है।

गहरी सांस लेने की एक्सरसाइज को यदि सही तरीके से किया जाए तो यह तनाव को कम करने के लिए बहुत उपयोगी हो सकती है। यहाँ कुछ श्‍वास संबंधी एक्सरसाइज बताई गई हैं जो आप गर्भावस्था के दौरान कर सकती हैं:

  • प्राणायाम: यह एक श्‍वास संबंधी व्यायाम है जिसके कई फायदे होते हैं और इससे दिमाग भी शांत रहता है। प्राणायाम करने के कई तरीके होते हैं जिसमें आपको विशेष रूप से नाक से गहरी सांस लेना, थोड़ी देर के लिए सांस को रोकना और फिर सांस को छोड़ना होता है। इसे 5 सेकंड के अंतराल पर लगभग 10 मिनट के लिए करें।
  • डीप और शैलो ब्रीदिंग: इसे करने के लिए आप अपनी नाक से सांस लें, कुछ सेकंड के लिए रोकें और फिर मुंह से सांस छोड़ें। इस व्यायाम को हर दिन 5 सेकंड के अंतराल में लगभग 10 मिनट के लिए करें।
  • स्टमक ब्रीदिंग: इसके लिए आप एक आरामदायक कुर्सी में पैर पर पैर रखकर सीधे बैठें। फिर गहरी सांस लें और अपने डायाफ्राम को बढ़ने दें – इस एक्सरसाइज को करते समय जैसे ही आप सांस अंदर लेना शुरू करेंगी आपका पेट बाहर निकलना चाहिए। सांस अंदर लेकर 5 सेकंड के लिए रुकें और फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते समय अपना पेट अंदर करें। प्रभावी परिणामों के लिए इसे रोजाना 10 मिनट तक करें।

5. मालिश करवाएं

गर्भावस्था के दौरान हल्की मालिश आपको शारीरिक और मानसिक आराम प्रदान कर सकती है।इस समय आप स्पा ट्रीटमेंट की मदद से भी अपने दिमाग को शांत कर सकती हैं और मांसपेशियों को आराम दे सकती हैं।

6. बहस करने से बचें

कभी-कभी मुश्किल और तनावपूर्ण स्थिति से बचने के लिए उससे दूर रहना फायदेमंद होता है। यदि आपको लगता है कि आप शांत नहीं रह पा रही हैं या स्थिति गंभीर हो रही है, तो उस समय के लिए आपका वहाँ से दूर होना ही सबसे अच्छा है।

7. कार्यों की प्राथमिकताएं निर्धारित करें

गर्भावस्था बढ़ने के साथ आपके लिए अपनी नौकरी और घर दोनों को प्रबंधित करना मुश्किल हो सकता है। ऐसे मामले में आप उन चीजों को प्राथमिकता दें जो आप वास्तव में करना चाहती हैं और आवश्यकता पड़ने पर परिवारजनों से मदद लें। अनावश्यक तनाव से बचने के लिए अपनी चीजों में परिवार के सदस्यों को शामिल करें, उनसे मदद लें या अपने कलीग्स की मदद स्वीकार करें।

8. पर्याप्त आराम करें

गर्भावस्था के दौरान उचित आराम और रात की अच्‍छी नींद आवश्यक है। यदि आप पर्याप्त नींद नहीं लेंगी तो यह न केवल चिड़चिड़ापन उत्पन्न करेगा बल्कि इसके परिणामस्वरूप आपको अधिक गुस्सा भी आ सकता है। दिन में आराम करने के लिए एक टाइम टेबल बनाएं, जैसे बार-बार नैप लेना, अपने पैरों को ऊंचा रखकर लेटना और जल्दी-जल्दी आराम करना। ऐसा करने से अक्सर यह सुनिश्चित करने में मदद मिलती है कि आपको रोजाना पर्याप्त आराम मिल रहा है।

9. भावनाओं को व्यक्त करें

अपनी भावनाओं को व्यक्त करना महत्वपूर्ण है फिर चाहे वह बच्चे का स्वागत करने का उत्साह हो या परिवार के किसी सदस्य या सहकर्मी के प्रति झुंझलाहट हो। अपनी भावनाओं को अंदर ही अंदर दबाए रखने से आपका चिड़चिड़ापन बढ़ सकता है। एक अच्छे दोस्त या अपने जीवन साथी पर विश्वास करें और उनसे अपनी दबी हुई भावनाओं को शेयर करें। वैकल्पिक रूप से, आप एक जर्नल या डायरी के माध्यम से अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का प्रयास कर सकती हैं।

10. स्‍वयं को प्राथमिकता दें

गर्भावस्था के दौरान आपकी खुशी और स्वास्थ्य का बहुत महत्व है क्योंकि इससे आपके बच्चे की सेहत भी जुड़ी होती है। आप खुद को शारीरिक और भावनात्मक रूप से स्वस्थ और आरामदायक स्थिति में रखने के लिए कुछ चीजें कर सकती हैं, जैसे आरामदायक कपड़े व जूते पहनें, पति से बातें शेयर करें और अपने परिवार, दोस्तों या डॉक्टर से अपनी शंकाओं को शेयर करें।

11. डॉक्टर की मदद लें

यदि गर्भावस्था के दौरान आपको बहुत ज्यादा गुस्सा आता है तो काउंसलर या डॉक्टर की मदद लेना सबसे अच्छा है।

गर्भावस्था के दौरान, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि आपका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रहे। इस समय पर थोड़ा तनाव और गुस्से का अनुभव करना न केवल आम बात है बल्कि अपेक्षित भी है। हालांकि आप अपने जीवन के इस महत्वपूर्ण चरण में अधिक से अधिक खुश रहने की कोशिश करें और अपने बच्चे का स्वागत करने से जुड़ी बातों पर ध्यान दें ।

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सुरक्षा कटियार

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