In this Article
- हीमोग्लोबिन क्या है
- गर्भावस्था के दौरान हीमोग्लोबिन का महत्व
- हीमोग्लोबिन की सामान्य सीमा
- गर्भावस्था के दौरान हीमोग्लोबिन का स्तर क्यों गिरता है
- हीमोग्लोबिन के कम होने का प्रभाव
- क्या आपको हीमोग्लोबिन कम होने का खतरा है
- गर्भवती होने पर हीमोग्लोबिन कैसे बढ़ाएं
- गर्भावस्था के दौरान हेमोग्लोबिन का स्तर कब बढ़ जाता है
- हीमोग्लोबिन के बढ़े हुए स्तर के प्रभाव
- हीमोग्लोबिन के बढ़े हुए स्तर का इलाज
शोधकर्ताओं का मानना है कि दुनिया भर में लगभग 20% गर्भवती महिलाएं एनीमिया या खून में हीमोग्लोबिन के कम स्तर से पीड़ित होती हैं। गर्भावस्था के दौरान एनीमिया मैटर्नल और प्रीनेटल मृत्यु दर, समय से पहले डिलीवरी और जन्म के समय बच्चे का कम वजन जैसी समस्याओं की संभावना को बढ़ाता है।
हीमोग्लोबिन क्या है
हीमोग्लोबिन खून का एक जटिल प्रोटीन है जो शरीर के विभिन्न हिस्सों में ऑक्सीजन पहुँचाने और कार्बन डाइऑक्साइड को निकालने में मदद करता है। आयरन रेड ब्लड सेल्स का मुख्य घटक है, इसलिए हीमोग्लोबिन के नाम में ‘हीमो’ का अर्थ आयरन है और ‘ग्लोब्युलिन’ प्रोटीन का नाम है। महिलाओं में हीमोग्लोबिन का स्तर 12 से 16 ग्राम/डेसीलीटर के बीच होना चाहिए।
गर्भावस्था के दौरान हीमोग्लोबिन का महत्व
गर्भावस्था में महिला को सामान्य से अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है क्योंकि उसके गर्भ में पल रहे बच्चे को भी ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। इसलिए, जैसे ही कोई महिला गर्भवती होती है, उसके हीमोग्लोबिन के स्तर का पता लगाया जाता है। रक्त की ऑक्सीजन-वहन क्षमता सीधे शरीर में हीमोग्लोबिन के गाढ़ेपन पर निर्भर करती है।
हीमोग्लोबिन की सामान्य सीमा
हीमोग्लोबिन को ग्राम प्रति डेसीलीटर में मापा जाता है। वयस्कों में हीमोग्लोबिन की सामान्य सीमा इस तरह से होती है।
- जब गर्भवती न हो: 12 से 15.8 ग्राम/डेसीलीटर या 120 से 158 ग्राम/लीटर
- गर्भावस्था की पहली तिमाही: 11.6 से 13.9 ग्राम/डेसीलीटर या 116 से 139 ग्राम/लीटर
- गर्भावस्था की दूसरी तिमाही: 9.7 से 14.8 ग्राम/डेसीलीटर या 97 से 148 ग्राम/लीटर
- गर्भावस्था की तीसरी तिमाही: 9.5 से 15 ग्राम/डेसीलीटर या 95 से 150 ग्राम/लीटर
गर्भावस्था के दौरान हीमोग्लोबिन का स्तर क्यों गिरता है
गर्भावस्था के दौरान हीमोग्लोबिन के कम होने की संभावना रहती है। दरअसल, हीमोग्लोबिन का 10.5 ग्राम/डेसीलीटर तक कम होना सामान्य माना जाता है । इसके पीछे का कारण काफी सरल है – जब कोई महिला गर्भवती होती है, तो बढ़ रहे बच्चे को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करने के लिए उसका ब्लड वॉल्यूम 50% तक बढ़ जाता है। गर्भावस्था के 8वें सप्ताह तक, एक होने वाली माँ में रेड ब्लड सेल्स (आरबीसी) की तुलना में प्लाज़्मा का स्तर अधिक होता है। खून में आरबीसी के गाढ़ेपन में कमी के कारण, हीमोग्लोबिन का स्तर 10.5 ग्राम/डेसीलीटर तक कम हो जाता है। इससे थोड़ा भी कम होने पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
हीमोग्लोबिन के कम होने का प्रभाव
हीमोग्लोबिन का स्तर 10.5 ग्राम/डेसीलीटर से नीचे होने पर गर्भवती महिला के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, गर्भावस्था के दौरान आयरन के सप्लीमेंट्स ग्रहण करना महत्वपूर्ण है, जैसा कि डॉक्टर द्वारा सलाह दी जाती है। यहाँ गर्भावस्था के दौरान हीमोग्लोबिन के कम स्तर के कुछ दुष्प्रभाव दिए जा रहे हैं:
- आप को थकावट महसूस होगी
- चक्कर आना सामान्य हो जाएगा
- आपकी त्वचा और होंठ फीके पड़ जाएंगे
- आराम करते समय भी आपकी सांस फूलने लगेगी
- आपके दिल की धड़कन बढ़ जाएगी
- आपके हाथ और पैर अक्सर ठंडे रहेंगे
- आपके नाखून कमजोर हो जाएंगे और आसानी से टूट जाएंगे
हीमोग्लोबिन की इससे अधिक कमी होने पर यह स्थिति और भी खराब हो सकती है। यदि हीमोग्लोबिन 6 ग्राम/डेसीलीटर तक कम हो जाता है, तो गर्भवती महिला को एन्जाइना का अनुभव हो सकता है। इस स्थिति में गर्भवती महिला को सीने में तेज दर्द होगा जो हृदय तक खून के अपर्याप्त भाव के कारण इसे धीरे-धीरे बाहों, कंधों और गर्दन तक ले जाएगा।
क्या आपको हीमोग्लोबिन कम होने का खतरा है
जैसा कि पहले बताया गया है गर्भावस्था के दौरान हीमोग्लोबिन में मामूली गिरावट सामान्य बात है। लेकिन यदि आप ऐसे समय गर्भवती होती हैं, जब आपका हीमोग्लोबिन पहले से ही सामान्य से कम है, तो आपको गर्भावस्था के दौरान हीमोग्लोबिन के कम स्तर पर होने से अधिक खतरा हो सकता है। गर्भावस्था से पहले के कुछ कारक जो किसी महिला में हीमोग्लोबिन कम होने की इस स्थिति का कारण हो सकते हैं:
- माहवारी के दौरान बड़ी मात्रा में खून का बहना, खासकर गर्भवती होने से पहले की आखिरी माहवारी
- ऐसी डाइट पर होना जिसमें आयरन की मात्रा कम हो
- गर्भावस्था से ठीक पहले रक्तदान किया हो
- आयरन को ठीक से अवशोषित करने में विफल रहना
- डिलीवरी के तुरंत बाद फिर से गर्भवती हो जाना
गर्भावस्था के दौरान हीमोग्लोबिन से संबंधित 3 प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं:
- आयरन की कमी से एनीमिया – यह तब होता है जब शरीर में आवश्यक हीमोग्लोबिन का उत्पादन करने के लिए पर्याप्त आयरन नहीं होता।
- फोलेट की कमी से एनीमिया – अधिक आरबीसी, जो शरीर के ऊतकों तक ऑक्सीजन पहुँचाने में मदद करते हैं, का उत्पादन करने के लिए शरीर को फोलेट की आवश्यकता होती है। पर्याप्त मात्रा में हरी पत्तेदार सब्जियां नहीं खाने से हीमोग्लोबिन की फोलेट से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं।
- विटामिन बी-12 की कमी – शरीर को स्वस्थ आरबीसी के निर्माण के लिए पर्याप्त विटामिन बी-12 की भी आवश्यकता होती है। आहार में विटामिन की कमी होने से ऐसी समस्याएं हो सकती हैं जो सीधे हीमोग्लोबिन के स्तर को प्रभावित करती हैं।
गर्भवती होने पर हीमोग्लोबिन कैसे बढ़ाएं
चूंकि हम यह जानते हैं कि गर्भावस्था के दौरान हीमोग्लोबिन का स्तर कम हो सकता है, इसलिए आपको अपने डॉक्टर से सलाह लेकर आयरन के सप्लीमेंट्स लेने चाहिए। इसके अलावा, आपके आहार में बदलाव से आपको आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन बी-12 और विटामिन सी की भरपाई करने में मदद मिल सकती है, जिनके बिना आपको हीमोग्लोबिन की कमी हो सकती है।
यहाँ उन खाद्य पदार्थों की सूची दी गई है जो आपको इस कमी की भरपाई करने में मदद कर सकते हैं।
- आपको अपने आहार में पत्तेदार सब्जियां शामिल करनी चाहिए जैसे पालक, मेथी, सूखे मेवे, अनाज जैसे जौ, मक्का, बाजरा, और तिल। ये आयरन के विश्वसनीय स्रोत हैं।
- आयरन से भरपूर फल, जैसे कि अमरूद, कीवी, आड़ू, अंजीर, सेब, आदि को अपने रोजमर्रा के आहार में जरूर लेना चाहिए।
- विटामिन सी से भरपूर भोजन को अपने आहार में अवश्य शामिल करें, क्योंकि यह आयरन को अवशोषित करने में शरीर की मदद करता है। कीवी, संतरा, नींबू और रास्पबेरी जैसे फल विटामिन सी के बेहतरीन स्रोत हैं। गहरे रंग के पत्तेदार साग, शिमला मिर्च, ब्रोकली और टमाटर भी विटामिन सी से भरपूर होते हैं और इन्हें भी अपने आहार में शामिल करना चाहिए।
- फोलिक एसिड और विटामिन बी कॉम्प्लेक्स आरबीसी के उत्पादन में मदद करते हैं, जो बदले में शरीर के अंदर हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाते हैं। इसलिए, फोलिक एसिड और विटामिन बी कॉम्प्लेक्स से भरपूर खाद्य जैसे एवोकैडो, भिंडी, सलाद, शलजम (शलगम), स्प्राउट, आदि को भी आपके दैनिक आहार का हिस्सा होना चाहिए।
- यह देखा गया है कि कैल्शियम, ग्लूटेन और कैफीन का अधिक सेवन शरीर द्वारा आयरन के अवशोषण को अवरुद्ध कर सकता है। इसलिए, गर्भावस्था के दौरान, आपको नीचे दी गई चीजों का सीमित सेवन करना चाहिए:
- कॉफी/चाय
- शराब
- पास्ता और गेहूँ के उत्पाद (ग्लूटेन)
- अजवायन (ऑक्सैलिक एसिड)
- डेयरी प्रोडक्ट
गर्भावस्था के दौरान हेमोग्लोबिन का स्तर कब बढ़ जाता है
गर्भावस्था के दौरान हीमोग्लोबिन का स्तर हार्ट, फेफड़े और किडनी से संबंधित समस्याओं के कारण बढ़ सकता है। गर्भवती महिला में हीमोग्लोबिन नीचे दिए हुए कारणों से भी बढ़ सकता है:
1. डिहाइड्रेशन
यदि गर्भावस्था के दौरान पानी या तरल पदार्थों के सेवन में कमी होती है, तो आप हीमोग्लोबिन में अचानक वृद्धि का अनुभव कर सकती हैं। आपके द्वारा तरल पदार्थों को अधिक पीने के साथ ही यह स्थिति नियंत्रण में आ जाती है।
2. एरिथ्रोसाइटोसिस
इस हालत में, आरबीसी में अचानक वृद्धि देखी जाती है। गर्भावस्था के दौरान, यदि, किसी कारण से, शरीर विभिन्न टिश्यूज की ऑक्सीजन की आवश्यकताओं को पूरा करने में विफल रहता है, तो आरबीसी के उत्पादन में वृद्धि होती है। जिससे स्वाभाविक रूप से शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है।
3. आयरन सप्लीमेंट्स की हद से ज्यादा खुराक
शरीर में आयरन के स्तर बढ़ने से हीमोग्लोबिन के स्तर में अचानक वृद्धि होती है। इसलिए, अपने डॉक्टर से परामर्श किए बिना आयरन सप्लीमेंट्स न लें।
हीमोग्लोबिन के बढ़े हुए स्तर के प्रभाव
आपको आश्चर्य हो सकता है, लेकिन गर्भावस्था के दौरान हीमोग्लोबिन का बढ़ना काफी खतरनाक हो सकता है। गर्भवती होने पर हीमोग्लोबिन के बढ़े हुए स्तर के कुछ अवांछित परिणाम इस प्रकार हैं:
- यह जन्म के समय शिशु का वजन कम होने की संभावना को बढ़ाता है।
- पहली और दूसरी तिमाही के दौरान, इसके कारण फीटल एसजीए (स्मॉल फॉर जेस्टेशनल एज) हो सकता है जिसमें भ्रूण का वजन आयु के अनुसार 10 पर्सेंटाइल से भी कम होता है।
- यदि दूसरी तिमाही के दौरान हीमोग्लोबिन का स्तर 14 ग्राम/डेसीलीटर से ऊपर चला जाता है, तो यह प्रीएक्लेम्पसिया का संकेत दे सकता है।
- खून के गाढ़ेपन में वृद्धि सीधे माँ के शरीर में खून के बहाव को प्रभावित कर सकती है। परिणामस्वरूप, हो सकता है कि रक्त प्लेसेंटा तक न पहुँचे और यह स्पष्ट रूप से बच्चे के स्वस्थ विकास में बाधा उत्पन्न करेगा।
हीमोग्लोबिन के बढ़े हुए स्तर का इलाज
गर्भावस्था के दौरान हीमोग्लोबिन के बढ़े हुए स्तर के लिए कोई निर्धारित घरेलू उपाय नहीं है। इसका इलाज किसी विशेषज्ञ द्वारा किया जाना चाहिए। एक डॉक्टर द्वारा आपकी बारीकी से निगरानी की जाएगी जो आपके लक्षणों के आधार पर उपचार का तरीका तय करेंगे।
अपनी गर्भावस्था का पूरा आनंद लेने के लिए, आप जो कुछ खा रही हैं उस पर ध्यान रखें, अपने शरीर की और विशेष रूप से अपने डॉक्टर की सुनें। थोड़ा सा भी संदेह होने पर, तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
स्रोत और संदर्भ: WebMD
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