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गर्भावस्था के दौरान बहुत सारे परीक्षण किए जाते हैं जो आपके समग्र स्वास्थ्य के लिए एक संकेतक के रूप में कार्य करते हैं और यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने डॉक्टर से पहले चर्चा करें और जाने कि गर्भावस्था के दौरान आपके लिए कौन से परीक्षण सही हैं।
प्रसव पूर्व परीक्षण क्या हैं और वे महत्वपूर्ण क्यों हैं
प्रसव पूर्व परीक्षण (प्रीनैटल टेस्टिंग) चिकित्सा परीक्षण हैं, जो डॉक्टर आपकी गर्भावस्था की प्रगति और आपके बच्चे के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए करते हैं। आपके स्वास्थ्य के बारे में पता लगाने के लिए डॉक्टर आपकी प्रसव पूर्व जांच के दौरान हर बार कुछ परीक्षण करेंगे, इनमें मूत्र परीक्षण, रक्त परीक्षण आदि शामिल होते हैं। आपके बच्चे में किसी भी जन्म दोष या समस्याओं का पता लगाने के लिए कुछ अन्य स्क्रीनिंग टेस्ट प्रसव पूर्व किए जाते हैं।
प्रसवपूर्व परीक्षण की आवश्यकता किसे होती है
हर गर्भावती महिला को नियमित रूप से प्रसव पूर्व परीक्षण करने की आवश्यकता होती है। हालांकि, यदि आपके परिवार में कोई भी आनुवंशिक बीमारी है, तो किसी भी स्क्रीनिंग या आनुवंशिक परीक्षण के बारे में अपने डॉक्टर से चर्चा करें। वे महिलाएं, जिनकी गर्भावस्था में बहुत जोखिम होता है, उन्हें विशिष्ट परीक्षण करने की सलाह दी जाती है, इनमें शामिल है:
- 35 वर्ष से अधिक आयु की महिलाएं
- 13 से 19 वर्ष तक की आयु की महिलाएं
- जिन्हें पहले समय पूर्व प्रसव हो चुका है
- आनुवांशिक बीमारी या जन्म दोष के साथ एक बच्चा पहले पैदा हो चुका है
- जुड़वां या उससे अधिक बच्चे के साथ गर्भवती होना
- उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह, कैंसर, ल्यूपस, अस्थमा, एसटीडी, दौरे, आदि से पीड़ित होना
- ऐसे जातीय समूह से होना जिनमें आनुवंशिक विकारों का जोखिम होता है
स्क्रीनिंग टेस्ट और डाइग्नोस्टिक परीक्षण का क्या अर्थ है
स्क्रीनिंग टेस्ट आपके बच्चे में किसी भी संभावित स्वास्थ्य दोष के जोखिम के स्तर की जांच करता है, लेकिन यह निर्धारित नहीं करता है कि आपके बच्चे में दोष है या नहीं। यदि आपके बच्चे को किसी विशिष्ट विकार से बहुत अधिक खतरा है, तो डाइग्नोस्टिक परीक्षण किए जाते हैं। ये परीक्षण यह पता लगाने के लिए किए जाते हैं कि क्या आपका शिशु किसी स्वास्थ्य या आनुवंशिक दोष से पीड़ित है।
पहली तिमाही में किए जाने वाले प्रसव पूर्व परीक्षण
यहाँ कुछ परीक्षण दिए गए हैं जो आपकी गर्भावस्था की पहली तिमाही में किए जाते हैं।
1. न्यूकल ट्रांसलूसेंसी (एनटी) टेस्ट
न्यूकल ट्रांसलूसेंसी टेस्ट एक अल्ट्रासाउंड है, जो आपके बच्चे में आनुवंशिक दोषों के किसी भी खतरे की जांच करने के लिए किया जाता है, जिसमें डाउन सिंड्रोम, हृदय की समस्याएं और क्रोमोसोम असामान्यताएं शामिल हैं। हालांकि परीक्षण यह साफ नहीं करते हैं कि आपके बच्चे में वाकई दोष है, अगर जोखिम कम है तो यह माता-पिता को थोड़ी राहत दे सकता है। यदि जोखिम अधिक है, तो आपके डॉक्टर आपको यह निर्धारित करने के लिए कि आपके बच्चे को कोई समस्या है या नहीं, सीवीएस परीक्षण कराने की सलाह दे सकते हैं।
एनटी स्क्रीनिंग आपकी गर्भावस्था के 11 वें से 16 वें सप्ताह के बीच किया जाता है। एनटी परीक्षणों की कीमत 600 रु. से 4000 रु. के बीच हो सकती है।
2. रक्त परीक्षण
रक्त परीक्षण का उपयोग सिफलिस, हेपेटाइटिस बी और एचआईवी जैसे किसी भी संक्रमण का पता लगाने के लिए किया जाता है। यह आपके रक्त में आरएच नामक प्रोटीन के स्तर की भी जांच करता है। यदि आपको आरएच की कमी है, तो इससे बच्चे में भी आरएच रोग नामक दोष हो सकता है। रक्त परीक्षण से एनीमिया की भी जांच की जाती है।
आपकी गर्भावस्था के दौरान कई बार नियमित रूप से रक्त परीक्षण किए जाते हैं। राज्य और अस्पताल के आधार पर लागत रु 400 रु. से 2000 रु. के बीच होती है।
3. सीवीएस
कोरियोनिक विलस सैंपलिंग (सीवीएस) एक डाइग्नोस्टिक परीक्षण है जो किसी भी आनुवंशिक और क्रोमोसाम समस्या की जांच करने के लिए गर्भनाल में ऊतक का एक नमूना लेता है। यह डाउन सिंड्रोम, सिस्टिक फाइब्रोसिस और अन्य आनुवंशिक विकारों का पता लगाता है।
सीवीएस आपकी गर्भावस्था के 10वें से 13वें सप्ताह के बीच किया जाता है – परीक्षण की औसत लागत 10000 रु. तक होती है।
4. आनुवंशिक समस्याओं के लिए कैरियर स्क्रीनिंग
इस परीक्षण में रक्त या लार का उपयोग करके जांच की जाती है कि कहीं आप किसी आनुवंशिक दोष से पीड़ित तो नहीं हैं, जो आपके बच्चे को भी प्रभावित कर सकता है। जरूरी नहीं कि आपको यह दोष हो, लेकिन एक जीन परिवर्तन हो सकता है जिससे आपका बच्चा प्रभावित हो सकता है। यदि आप और आपके साथी दोनों एक ही आनुवांशिक दोष से ग्रसित हैं, तो आपके शिशु को यह दोष होने का खतरा बढ़ सकता है। सिस्टिक फाइब्रोसिस, थैलेसीमिया, स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी हेमोग्लोबिनोपैथी जैसे दोषों के जोखिम की जांच करने के लिए कैरियर स्क्रीनिंग किया जाता है। फ्रेजाइल एक्स सिंड्रोम, साथ ही साथ टीए सैक्स रोग जैसे दोषों का पता लगाने के लिए भी कैरियर स्क्रीनिंग किया जाता है।
यदि आप गर्भधारण करना चाहती हैं, तो यह प्रसवपूर्व आनुवंशिक परीक्षण गर्भावस्था से पहले कराया जाता है और यदि आप गर्भवती हैं तो यह गर्भावस्था के पहले कुछ हफ्तों में किया जाता है। इसे टेस्ट में लगभग 7000 रु. के ऊपर खर्चा आता है और यह निर्भर करता है कि आप किस प्रकार का स्क्रीनिंग परीक्षण करवाती हैं।
5. बिना चीरे की प्रसव पूर्व स्क्रीनिंग
बिना चीर फाड़ किए प्रसव पूर्व स्क्रीनिंग गर्भनाल से डीएनए की जांच करने के लिए आपके रक्त के नमूने का उपयोग करती है और आपके बच्चे में आनुवांशिक दोष के खतरे का निर्धारण करती है। एनआयपीटी जैसा प्रसव पूर्व स्क्रीनिंग टेस्ट केवल यह निर्धारित कर सकता है कि आपके बच्चे को कौन सा दोष होने की संभावना है, वह इसका निश्चित रूप से निर्धारण नहीं कर सकता है।
एनआयपीटी आपकी गर्भावस्था के 9वें सप्ताह के बाद किया जाता है। परीक्षण की लागत 18000 रु. से शुरू होती है।
6. प्रारंभिक अल्ट्रासाउंड
एक अल्ट्रासाउंड स्कैन आपको अपने बच्चे की एक छवि दिखाता है और आपके गर्भावस्था की स्थिति को भी बताता है।
एक सामान्य गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड दो बार किया जाता है – एक बार आपकी गर्भावस्था की शुरुआत में और फिर आपके बच्चे का स्वास्थ्य निर्धारित करने के लिए 18वें और 20वें सप्ताह के बीच। एक अल्ट्रासाउंड की लागत 450 रु. से शुरू होती है और यह प्रयोगशाला के अनुसार भिन्न होती है।
7. ट्रांसवजाइनल स्कैन (टीवीएस)
एक ट्रांसवजाइनल स्कैन गर्भाशय ग्रीवा, फैलोपियन ट्यूब, योनि, गर्भाशय और अंडाशय की जांच करता है। यह गर्भाशय नाल में किसी भी असामान्यता की जांच करता है, भ्रूण की धड़कन की निगरानी करता है, किसी असामान्य रक्तस्राव की जांच करता है और गर्भाशय ग्रीवा में किसी भी समस्या की जाँच करता है।
यह गर्भावस्था के 6वें और 10वें सप्ताह के बीच किया जाता है इसकी लागत लगभग 500 रु. होती है।
8. पेट का स्कैन
लीवर, पित्ताशय की थैली, अग्न्याशय, किडनी, अपेंडिक्स, आंतों और प्लीहा (स्प्लीन) जैसे पेट के अंगों के स्वास्थ्य की जांच करने के लिए पेट के स्कैन का उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग शिशु की वृद्धि और विकास की एक झलक पाने के लिए भी किया जाता है।
यह स्कैन 6वें तथा 7वें सप्ताह के बीच किया जाता है और स्कैन की लागत रु 500 रु. से शुरू होती है इससे अधिक भी खर्च हो सकता है।
9. यौन संचारित रोग (एसटीडी) परीक्षण
एसटीडी परीक्षणों में एड्स का कारण बनने वाले एचआईवी वायरस का पता लगाने के लिए एक रक्त परीक्षण शामिल है, जो कि प्रसव के दौरान या उससे पहले गर्भनाल में रिस सकता है और भ्रूण को संक्रमित कर सकता है। सिफलिस की जांच के लिए रक्त परीक्षण का भी उपयोग किया जाता है। गोनोरिया और क्लैमाइडिया गर्भाशय ग्रीवा से स्वैब के नमूने से पता लगाया जाता है।
यह परीक्षण आपकी पहली प्रसव पूर्व जांच के दौरान किया जाता है और इसकी लागत कम से कम 3000 रु. हो सकती है।
10. पैप स्मीयर
पैप स्मीयर गर्भाशय ग्रीवा से निकलने वाली कोशिकाओं का उपयोग करके गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के किसी भी संकेत का पता लगाने में मदद करता है।
यह परीक्षण आपकी पहली प्रसव पूर्व जांच के दौरान किया जाता है और इसकी लागत 200 रु. से 1500 रु. के बीच होती है।
11. रक्तचाप
इसका उपयोग यह पता लगाने के लिए किया जाता है कि क्या आप गर्भावस्था के दौरान प्रीक्लेम्पसिया या उच्च रक्तचाप से पीड़ित तो नहीं हैं। प्रीक्लेम्पसिया से आपके किडनी, लीवर और अन्य अंगों के कार्य में बाधा आ सकती है और ये आपकी गर्भावस्था के दौरान अन्य समस्याएं पैदा कर सकता है।
12. मूत्र परीक्षण
गर्भकालीन मधुमेह (पेशाब में अधिक शर्करा), प्रीक्लेम्पसिया (पेशाब में प्रोटीन), संक्रमण (मूत्र में रक्त और बैक्टीरिया), आदि का पता लगाने सहित विभिन्न कारणों के लिए मूत्र के नमूने का मूत्र परीक्षण किया जाता है।
यह परीक्षण आपके पहले प्रसव पूर्व जाँच के दौरान किया जाता है, और इसकी लागत 100 रु. है।
13. सिस्टिक फाइब्रोसिस (सीएफ)
सिस्टिक फाइब्रोसिस के कारण पाचन और सांस लेने में समस्या होती है। सीएफ परीक्षण लार या मूत्र के नमूने से किया जाता है, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि बीमारी है किसमें। यदि माता-पिता दोनों में ही ये समस्या है, तो हर बच्चे को यह बीमारी होने की 25 प्रतिशत संभावना हो सकती है।
यह परीक्षण गर्भवस्था के 20वें सप्ताह के पहले किया जाता है और इसकी लागत लगभग 6000 रु. है।
दूसरी तिमाही में स्क्रीनिंग टेस्ट
यहाँ कुछ परीक्षण हैं जो दूसरी तिमाही के दौरान किए जाते हैं।
1. मल्टीपल मार्कर / क्वाड्रुपल स्क्रीन
यह गर्भावस्था के दौरान जन्म दोष का पता लगाने के लिए किया जाता है। डाउन सिंड्रोम और कुछ तंत्रिका ट्यूब दोषों का पता लगाने के लिए ये परीक्षण किया जाता है, जिसमें एनेस्थली (सिर में असामान्यता) और स्पाइना बिफिडा भी शामिल हैं।
यह परीक्षण गर्भावस्था के 16वें और 18वें सप्ताह में किया जाता है और इसकी लागत कम से कम 1700 रु. हो सकती है।
2. इंटीग्रेटेड या सीक्वेंशियल स्क्रीनिंग
इस स्क्रीनिंग में डाउन सिंड्रोम, स्पाइना बिफिडा, मस्तिष्क विकार और रीढ़ की हड्डी के विकार के जोखिम को निर्धारित करने के लिए बच्चे की गर्दन की अल्ट्रासाउंड छवियों और रक्त परीक्षणों के संयोजन का उपयोग किया जाता है। यहाँ तक कि अगर परीक्षण में कोई जोखिम नहीं दिखाई देता है, तो फिर से परीक्षण किया जाएगा।
पहला परीक्षण 11वें और 14वें सप्ताह के बीच होता है और दूसरा परीक्षण 16 वें और 18 वें सप्ताह के बीच होता है।
3. एम्नियोसेंटेसिस
एम्नियोसेंटेसिस एम्नियोटिक द्रव निकालकर डाउन सिंड्रोम, तंत्रिका ट्यूब दोष आदि जैसे आनुवंशिक दोषों का परीक्षण करता है।
यह गर्भावस्था के 15वें और 20वें हफ्ते के बीच किया जाता है। परीक्षण की लागत कम से कम 8000 रु. से शुरू होती है।
4. अल्ट्रासाउंड
अल्ट्रासाउंड इमेजिंग का उपयोग आपके बच्चे के विकास की जांच करने और बच्चे में किसी भी जन्म दोष का पता लगाने के लिए किया जाता है।
यह स्कैन गर्भावस्था के लगभग 16वें और 20वें सप्ताह के बीच किया जाता है और इसकी लागत कम से कम 450 रु. होती है, आप ये परीक्षण कहाँ से करा रही हैं उस पर भी निर्भर करता है।
5. ग्लूकोज स्क्रीनिंग
एक ग्लूकोज स्क्रीनिंग आपके रक्त के नमूने का उपयोग करके आपकी गर्भकालीन मधुमेह के जोखिम की जांच करेगा । आपका रक्त निकालने के एक घंटे पहले आपको ग्लूकोज युक्त पेय पीने के लिए कहा जाएगा।
यह स्क्रीनिंग टेस्ट गर्भावस्था के 24वें और 28वें सप्ताह के बीच किया जाता है और इसकी लागत लगभग 500 रु. होती है।
6. फीटल डॉपलर अल्ट्रासाउंड
एक फीटल डॉपलर अल्ट्रासाउंड का उपयोग बच्चे की नसों में रक्त प्रवाह और भ्रूण के समग्र स्वास्थ्य को मापने के लिए किया जाता है। यह बच्चे की नसों के माध्यम से बहने वाले रक्त को एक तस्वीर या ऑडियो के रूप में दर्शाता है।
यह दो बार किया जाता है, 22वें और 24वें सप्ताह के बीच और 30वें और 34वें सप्ताह के बीच। अल्ट्रासाउंड की लागत लगभग 3500 रु. या इससे अधिक हो सकती है।
7. फिटोस्कोपी
फिटोस्कोपी में, फीटोस्कोप नामक एक उपकरण का उपयोग किया जाता है, जिसे पेट में एक छोटे से चीरे के माध्यम से गर्भाशय में डाला जाता है, ताकि किसी भी जन्म दोष की जांच की जा सके और साथ ही गर्भनाल से नमूना प्राप्त किया जा सके। अन्य आनुवंशिक दोषों के लिए प्राप्त किए गए नमूने का आगे परीक्षण किया जा सकता है।
यह प्रक्रिया गर्भावस्था के 18वें सप्ताह में किया जाता है और इसकी लागत लगभग 80000 रु. हो सकती है।
गर्भावस्था की तीसरी तिमाही के दौरान परीक्षण
गर्भावस्था की तीसरी तिमाही के दौरान किए गए कुछ परीक्षण नीचे दिए गए हैं:
1. जीबीएस
ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकोकस टेस्ट योनि और मलाशय से बैक्टीरिया कल्चर के साथ किया जाता है। ये बैक्टीरिया प्रसव के दौरान आपके बच्चे में आ सकते हैं और फेफड़ों, रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क में सूजन का कारण बन सकते हैं, या गंभीर मामलों में घातक भी हो सकते हैं। यदि आपका परीक्षण सकारात्मक है तो एंटीबायोटिक्स के प्रयोग से बैक्टीरिया के इस संचरण को रोक सकते हैं।
जीबीएस परीक्षण गर्भावस्था के 35वें और 37वें सप्ताह के बीच किया जाता है।
2. इलेक्ट्रॉनिक फीटल हार्ट मॉनिटरिंग
इलेक्ट्रॉनिक फीटल हार्ट मॉनिटरिंग गर्भावस्था, प्रसव पीड़ा और प्रसव के दौरान आपके बच्चे की सेहत जांचने के लिए उसके दिल की धड़कन पर नजर रखता है।
यह प्रसव पीड़ा और प्रसव के दौरान कई बार किया जाता है
3. कॉन्ट्रैक्शन स्ट्रेस टेस्ट
गर्भावस्था के दौरान यह प्रसवपूर्व परीक्षण आपके गर्भाशय में संकुचन के दौरान बच्चे के दिल की धड़कन को मापता है और यह सुनिश्चित करता है कि प्रसव के दौरान बच्चे को गर्भनाल से पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन प्राप्त होता है।
यह परीक्षण प्रसव के दौरान किया जाता है जब आप अपने बच्चे को जन्म देती हैं।
4. नॉन-स्ट्रेस टेस्ट
एक नॉन-स्ट्रेस टेस्ट का उपयोग भ्रूण के दिल की धड़कन को मापने के लिए तब किया जाता है जब एक महिला की गर्भावस्था में प्रीक्लेम्पसिया और गर्भकालीन मधुमेह जैसे दोषों के साथ बहुत जोखिम होता है।
यह तीसरी तिमाही के दौरान किया जा सकता है। इसकी लागत 300 रु. और 600 रु. के बीच हो सकती है।
5. बायोफिजिकल प्रोफाइल
बायोफिजिकल प्रोफाइल में अल्ट्रासाउंड के साथ-साथ एक नॉन-स्ट्रेस टेस्ट भी किया जाता है और भ्रूण के दिल की धड़कन और शरीर की गतिविधियों को और साथ ही एम्नियोटिक सैक में एम्नियोटिक द्रव की मात्रा भी निर्धारित की जाती है।
प्रसवपूर्व परीक्षण आपको आपकी गर्भावस्था के विकास के बारे में सही जानकारी देता है और आपको अपने बच्चे के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक अतिरिक्त उपाय भी बताता है। अपनी स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर आवश्यक परीक्षणों के बारे में अपने डॉक्टर से चर्चा करें।
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