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अगर आप एक प्रीस्कूल जाने वाले बच्चे के माता-पिता हैं, जिसके अंदर बहुत एनर्जी है और वो हर एक चीज के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहता है, तो ऐसे में आपके लिए उसकी ऊर्जा के स्तर को बनाए रखना बहुत कठिन होता होगा। कभी-कभी ऐसे बच्चों के पीछे दौड़ना चुनौतीपूर्ण और थका देने वाला होता है। क्योंकि बच्चों की परवरिश सबसे चैलेंजिंग मानी जाती है, लेकिन आपको यह सब अकेले नहीं करना है। इसलिए हम आपकी मदद करने के लिए यहां कुछ पेरेंटिंग टिप्स लेकर आए हैं जो आपको अपने प्रीस्कूलर को वैसे ही बढ़ने में मदद करेंगी जैसे आप चाहती हैं।
यहां कुछ पेरेंटिंग टिप्स दिए गए हैं जिनका पालन प्रीस्कूल जाने वाले बच्चे के माता-पिता कर सकते हैं।
बच्चों के लिए भी कम्युनिकेशन स्किल बेहतर होना बहुत जरूरी होता है। बच्चे के कम्युनिकेशन स्किल जितने स्पष्ट होंगे, प्रीस्कूल जाने पर वह अन्य बच्चों और टीचर के साथ उतना ही बेहतर प्रदर्शन करेगा।
आमतौर पर बच्चों के जिज्ञासु मन को रोकना बहुत चुनौतीपूर्ण होता है, खासकर जब वे प्रीस्कूलर हों। चूंकि उन्हें स्कूल की विभिन्न गतिविधियों में भाग लेना होता है, जैसे सिंगिंग, ड्राइंग, टीचर के स्पष्टीकरण को सुनना आदि, ऐसे में इन सभी चीजों को सीखने के लिए आपके बच्चे को शांत बैठना और चीजों को समझने के लिए ध्यान देना होगा। एक अच्छा श्रोता बनने से बच्चे को प्रीस्कूल में विभिन्न एक्टिविटीज में सक्रिय रूप से भाग लेने में मदद मिलती है।
एक बार जब बच्चा स्कूल जाना शुरू कर दे, तो वह अपने साथियों और शिक्षकों के साथ अच्छे से 4-5 घंटे बिताएगा और विभिन्न ग्रुप एक्टिविटीज में भाग लेगा। यह पक्का करने के लिए कि आपका छोटा बच्चा दूसरे बच्चों से बात करे और उनके साथ जुड़े, इसके लिए उसे टीम वर्क के बारे में बताने और व्यवहार में लाने की जरूरत है। क्योंकि बच्चे की सभी मांगें घर की तरह स्कूल में पूरी हों ऐसा नहीं होगा, इसलिए यह सुनिश्चित करने के लिए कि वह अन्य बच्चों के साथ घुल मिल जाए, आपको उसे टीम वर्क के बारे में सिखाने की जरूरत होगी। इस स्किल को आप घर पर उसके साथ गेम खेलकर आसानी से विकसित कर सकती हैं।
आपको बच्चे को दिए गए निर्देशों का पालन करना सिखाना आना चाहिए। क्योंकि प्रीस्कूल में, जाने के बाद उसे अपने टीचर की बात को सुनना होगा और उनके निर्देशों का पालन करना होगा। ऐसे में आपको अपने बच्चे को उस स्थिति (निर्देशों का पालन करने) के लिए तैयार करना होगा। आप यह नियम बच्चे को मौज-मस्ती और खेल के माध्यम से भी सिखा सकती हैं।
प्रीस्कूल में बच्चों को विभिन्न गतिविधियों का हिस्सा बनना होता है, जिनमें पेंसिल, क्रेयॉन, कैंची और रंगीन पेंसिल जैसी चीजों का उपयोग करने की जरूरत होती है। ड्राइंग और पेंटिंग जैसी एक्टिविटीज को प्रोत्साहित करने के लिए आप उसकी मदद कर सकती हैं कि उसे कलर और पेंसिल को सही तरीके से कैसे पकड़ना है। उम्र के आधार पर, बच्चों को सिखाया जा सकता है कि अक्षरों, संख्याओं आदि के स्ट्रोक कैसे लिखे जाते हैं।
आपके बच्चे को आत्मनिर्भर होना चाहिए। अगर वह प्रीस्कूल जाना शुरू करता है तो उसे कुछ गतिविधियों को स्वयं करना आना चाहिए। घर पर आप खाने के समय उसके चेहरे को पोंछने के लिए या खेलने के समय उसके हाथ धोने में मदद करने के लिए साथ में होती होंगी, लेकिन प्रीस्कूल में, उसे यह सब खुद करना होगा, इसलिए प्रीस्कूल जाने से पहले आपको बच्चे को कुछ चीजें सिखाने की जरूरत है। इन छोटे-छोटे कामों को सीखने से बच्चों में जिम्मेदारी और आत्मनिर्भरता की भावना उत्पन्न होगी, जिससे उन्हें आगे जीवन में भी मदद मिलेगी।
विभिन्न गतिविधियों जैसे खेलना, भोजन करना, नाश्ता करना, सोना आदि के लिए एक रूटीन का होना आप दोनों के लिए बहुत जरूरी है। यह न केवल आपके बच्चे को अनुशासन सिखाएगा, बल्कि यह आपको अपने समय को कुशलतापूर्वक मैनेज करने में भी मदद करेगा। इसका एक और फायदा यह भी है कि आपको खाने या सोने जाने के लिए हर दिन बच्चे के पीछे भागना नहीं पड़ेगा।
कभी भी माता-पिता को अनुशासन और सख्ती को एक नहीं समझना चाहिए। अगर आप उसके साथ बहुत सख्त हैं तो इससे बच्चे जिद्दी हो जाते हैं। इसलिए आपको अपने बच्चे से दोस्ताना तरीके से बात और व्यवहार करने और उसका विश्वास जीतने की जरूरत है ताकि वह बिना किसी डर के आपसे अपने दिल की बात और समस्या बता सके। यह तरीका आपको अपने बच्चे के साथ एक मजबूत बॉड बनाने में भी मदद करेगा।
बच्चे के नखरे करने पर, आप सख्त होने के बाद तुरंत नर्मी से बर्ताव न करें। ऐसे में आपको सही संतुलन बनाने की कोशिश करनी चाहिए, जो न तो बहुत स्ट्रिक्ट हो और न ही बहुत नरम। बच्चे के नखरे को नजरअंदाज न करें, बल्कि इसकी जगह, उसे कुछ और करने के लिए निर्देशित करें। अगर वो किसी खास चीज के लिए नखरे या जिद कर रहा है, तो इस तरह के व्यवहार करने के पीछे के कारण को समझें और उसका हल निकालें।
कभी-कभी, माता-पिता अपने बच्चों से बहुत अधिक अपेक्षाएं करने लगते हैं। आप अपने बच्चे के साथ बड़ों की तरह व्यवहार करने लग सकती हैं, लेकिन आपको यह समझना होगा कि वो अभी भी बच्चा है और सीखने की प्रक्रिया से गुजर रहा है। आप उसे जो कुछ भी बताती हैं उसे तुरंत समझने की अपेक्षा न करें। धैर्य रखें, और उसे अपनी गति से सीखने दें। यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि आप उसे सीखने और कोशिश करते रहने के लिए प्रोत्साहित करती रहें। आप शायद यह जानना चाहें कि बच्चे की क्या रुचियां और प्रेरणाएं हैं। जब आप उसे कोई काम दें, तो रचनात्मक रहें और यह तय करें कि ये आप दोनों के लिए ही मजेदार होना चाहिए, न कि बस एक ऐसे काम की तरह लें जो हर हाल में आपको पूरा करवाना ही है।
यह आपके लिए काफी मुश्किल हो सकता है, लेकिन इसके बारे में आपको विचार करना चाहिए! आपको बात बात पर बच्चे को न कहने की अपनी आदत पर काम करना होगा।
बच्चों का दिल बहुत संवेदनशील होता है और अगर आप उन्हें ज्यादातर चीजों के लिए उन्हें ‘ना’ कहती हैं, तो वो खुद को अप्रिय महसूस करते हैं। इसके साथ ही अगर आप बच्चे को हर बात के लिए ‘नहीं’ कहती रहेंगी, तो इससे उसमें विद्रोही स्वभाव उत्पन्न हो सकता है। ऐसे में आपको अपने ‘नहीं’ कहने की आदत को खत्म करने की कोशिश करनी होगी और अगर आप किसी वजह से किसी बात के लिए बच्चे को ‘ना’ कह रही हों तो बच्चे को सौम्य तरीके से समझाने का प्रयास करें की आप ऐसा क्यों कह रही हैं आप देखेंगी कि वह आपकी बात समझ जाएगा।
हम सभी को तारीफ सुनना पसंद होता है, खासकर जब हमारे प्रयासों के लिए हमारी प्रशंसा की जाती है। बच्चों के साथ भी ऐसा ही होता है। एक आत्मनिर्भर और जिम्मेदार बच्चे को जीवन में ऊपर उठाने और आगे बढ़ाने के लिए आपको उसके हर बेहतर काम करने के लिए तारीफ करते हुए हमेशा प्रोत्साहित करना चाहिए। अगर वह कुछ गलत करता है, तो उसे बताएं कि यह गलत क्यों है। इस तरह की जागरूकता उसे जागरूक करेगी कि वह क्या कर रहा है, और क्या उसके किए गए कामों का नकारात्मक परिणाम होगा।
हर बच्चा अलग होता है और अपनी ही गति से सब सीखता है। माता-पिता के रूप में, आपको अपने बच्चे से कुछ अपेक्षाएं होंगी। हालांकि, यह भी पेरेंट्स की जिम्मेदारी है कि वो अपने बच्चे को समझें और उसकी क्षमताओं को स्वीकार करें। इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि आप बच्चे को एक साथ बहुत कुछ न सिखाएं, बल्कि एक संतुलित शेड्यूल बनाए, जो आपके बच्चे के लिए आरामदायक हो। क्योंकि वो बहुत छोटा है और अभी भी सीख रहा है।
आपके बच्चे अपना अधिकांश समय आपके साथ बितता है। ऐसे में, आप उससे कैसा व्यवहार करती हैं, आप क्या करती हैं, आप किन चीजों को देखती हैं, ये बहुत सारी बातें और व्यवहार आपके बच्चे के विकास को प्रभावित करता है, इसलिए अपने बच्चे के लिए आप एक आदर्श (रोल मॉडल) बनें, ताकि वह आपके जैसे बनने का प्रयास करे।
बच्चे की परवरिश करना आसान काम नहीं है लेकिन यह एक प्यारा अनुभव भी है। इसलिए अपने बच्चे के साथ छोटी-छोटी चीजों का आनंद लें और साथ में बच्चों की मजेदार एक्टिविटी में शामिल हों। सरल चीजें एक साथ करने से आपको अपने बच्चे के साथ विश्वास और रिश्ते को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। आपको माता-पिता होने के साथ-साथ अपने बच्चे का दोस्त भी होना चाहिए, और एक ऐसा व्यक्ति भी जिस पर वह बिना किसी हिचकिचाहट के भरोसा कर सके।
कोई भी माता-पिता अपने बच्चों के लिए कुछ भी कम करना नहीं चाहते। क्योंकि हर पेरेंट्स बच्चे के लिए बेहतर से बेहतर करना चाहते हैं। हालांकि, कई बार आपके अच्छे इरादे से किया काम बच्चों को गलत लगने लगता है, जिससे उनका मनोबल गिरने लगता है। ऐसे में आज हम यहाँ कुछ आम गलतियों के बारे बताएंगे कि जिन्हें माता-पिता को अपने प्रीस्कूल जाने वाले बच्चे के साथ करने से बचना चाहिए:
बच्चे बहुत जल्द ग्रहण करने वाले होते हैं और वे अपने माता-पिता और परिवेश को देखकर बहुत कुछ सीखते हैं। अगर आप उन्हें एक अच्छी आदत सिखाना चाहती हैं, तो पहले अपने भीतर से बदलाव की शुरुआत करें। अगर आप खुद आलू के चिप्स और कुकीज खा रही हैं,तो ऐसे में आप बच्चे से हेल्दी फूड खाने की उम्मीद नहीं कर सकती हैं। अगर आप अपने बच्चे में पढ़ने की आदत डालना चाहती हैं, तो आपको उसे करके दिखाना होगा।
आप अपने बच्चे की हर बुरी मांग को नकार दिया करें। क्योंकि अगर आप उसे हमेशा ‘हाँ’ कहती हैं, तो वह कभी भी, कुछ भी मांग सकता है। ऐसे में जब ‘ना’ कहने का समय हो, तो साफ और सीधे तरीके से बच्चे को समझाएं कि आप ‘नहीं’ क्यों कह रही हैं।
हर माता-पिता के लिए बच्चे की सुरक्षा करना स्वाभाविक है, लेकिन अधिक सुरक्षा करना उसके विकास में बाधा डाल सकता है। वह लगभग हर चीज के लिए अपने माता-पिता पर बहुत ज्यादा निर्भर हो सकता है। प्रीस्कूलर का पालन-पोषण करते समय, आपको उसे उन चीजों को शुरू करने देना चाहिए जो वो अपने दम पर करने में सक्षम हो। अगर बच्चा खेलते या चलते समय गिर जाता है, तो हर बार उसके पास दौड़कर न जाएं बल्कि उसे खुद से खड़े होने दें। जरूरत पड़ने पर ही उसकी मदद करें और उसे बढ़ने दें!
बच्चों को कुछ करने के लिए चॉकलेट या अन्य चीजों के साथ लालच देना एक सामान्य तरीका है, लेकिन माता-पिता को इससे बचना चाहिए। उदाहरण के लिए, सब्जी खाने पर आप उसे केक देंगी। लेकिन यह दांव उल्टा भी पड़ सकता है और वह इससे नफरत करना शुरू कर सकता है, इसलिए बार-बार एक ही तरकीब न अपनाएं।
कई माता-पिता यह भूल जाते हैं कि हर बच्चा अलग और अनोखा होता है। बच्चों की तुलना उनके भाई-बहनों से न करें। इस तरह का व्यवहार उन्हें हतोत्साहित करेगा और जिससे उन्हें यह अहसास होगा कि आप उनसे प्यार नहीं करती हैं। वे अपने भाई-बहनों के प्रति भी घृणा करना शुरू कर सकते हैं।
एक प्रीस्कूलर को पालना चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन यह मजेदार भी है। कभी-कभी, आपको अपने बच्चे के एनर्जी लेवल और जिज्ञासा को बनाए रखना मुश्किल हो सकता है, लेकिन आप यह अच्छी तरह जानती हैं कि आपका बच्चा दूसरे माता-पिता अपने लिए नहीं ढूंढ सकता। अगर आपको मदद की जरूरत है तो ऐसे में अपनी पेरेंटिंग स्किल पर भरोसा करें या इन पेरेंटिंग टिप्स को देखें। हम जानते हैं कि आप अपनी जिम्मेदारी निभाने में कोई कमी नहीं छोड़ रही हैं!
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