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यदि आप और आपके पति पिछले एक साल से बिना कोई सफलता हासिल किए हुए गर्भधारण करने की कोशिश कर रहे हैं, तो ऐसे में आपमें से कोई एक इन्फर्टाइल यानी बांझ हो सकता है। आज की भागती दौड़ती और तनाव से भरी जिंदगी के कारण, कई कपल इनफर्टिलिटी से पीड़ित होते जा रहे हैं या उन्हें बच्चे को गर्भ में धारण करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। प्राइमरी इनफर्टिलिटी के बारे में अधिक जानने के लिए इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़ें, क्योंकि हो सकता है कि यह जानकारी आपके लिए सहायक साबित हो सके।
बता दें कि जब कोई कपल 12 महीने या उससे अधिक समय तक असुरक्षित यौन संबंध बनाता है, लेकिन उसके बावजूद गर्भधारण करने में असमर्थ होता है तो इसे प्राइमरी इनफर्टिलिटी कहा जाता है।
प्राइमरी इनफर्टिलिटी की स्थिति तब होती है जब किसी जोड़े ने पहले कभी गर्भधारण नहीं किया हो और बच्चा पैदा करने में असफल रहे हों। यदि कोई जोड़ा पहले प्रेग्नेंट हो चुका है लेकिन वर्तमान में दोबारा गर्भधारण करने में असमर्थ है, तो इसे सेकेंडरी इनफर्टिलिटी कहा जाता है।
एक कपल में इनफर्टिलिटी के कारणों को इस तरह से वर्गीकृत किया जाता है:
पुरुषों में प्राइमरी इनफर्टिलिटी नीचे दिए गए कारणों से जुड़ी हो सकती है:
महिला में प्राइमरी इनफर्टिलिटी इन निम्न कारणों से हो सकती है:
प्राइमरी इनफर्टिलिटी का इलाज अलग-अलग मामले के आधार पर किया जाता है। कई ऐसे फैक्टर्स हैं जो प्राइमरी इनफर्टिलिटी के लिए उपयोग किए जाने वाले उपचार को प्रभावित करते हैं जैसे कि दोनों पार्टनर्स की उम्र, प्राइमरी इनफर्टिलिटी टेस्ट, इनफर्टिलिटी का सही कारण और कपल कितने समय से गर्भधारण करने की कोशिश कर रहा है। इस ट्रीटमेंट शामिल हैं:
एआरटी को इस उपचार के एक विकल्प के रूप में माना जाता है इस विकल्प को तब चुना जाता है जब एक महिला स्वाभाविक रूप से और फर्टिलिटी दवाओं की मदद से गर्भवती होने में असमर्थ होती है। एआरटी इन निम्नलिखित तरीके की मदद से महिलाओं में आर्टिफिशियल इंप्लांटेशन करता है:
एआरटी प्रक्रिया की सफलता दर दोनों पार्टनर की उम्र और मेडिकल हेल्थ जैसे अहम फैक्टर्स पर निर्भर करता है। 35 साल से कम उम्र की महिलाओं में एआरटी के माध्यम से 35 साल से अधिक उम्र की महिलाओं की तुलना में सफलता की संभावना अधिक होती है।
फर्टिलिटी दवाएं ओवुलेशन की समस्याओं वाली महिलाओं को अच्छे क्वालिटी वाले अंडे का उत्पादन करने के लिए अंडाशय को उत्तेजित करने में मदद करती हैं। बांझपन के इलाज के लिए सबसे ज्यादा इन दवाओं का उपयोग किया जाता है:
प्राइमरी इनफर्टिलिटी उपचार के कारण होने वाले प्रमुख दुष्प्रभावों में शामिल हैं:
इनफर्टिलिटी का इलाज वास्तव में हमारे दिमागी स्वास्थ्य पर भारी असर डालता है और बहुत अधिक स्ट्रेस, मूड स्विंग, सिरदर्द, बेचैनी और डिप्रेशन का कारण बनता है। यह हार्मोन असंतुलन या इसमें इस्तेमाल होने वाली दवा के कारण होता है।
फर्टिलिटी उपचार में अक्सर एक से अधिक बच्चे पैदा होने का जोखिम शामिल होता है, यानी कि जुड़वां या अन्य मामलों में ट्रिपल बच्चे पैदा होने का जोखिम।
बांझपन के इलाज के कारण आपको समय से पहले प्रसव हो सकता है, साथ ही अन्य बच्चे को अन्य जोखिम जैसे सेरेब्रल पाल्सी, नर्वस डिसऑर्डर या हार्ट या गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल से जुड़े प्रभाव वाले जन्म दोष हो सकते हैं।
आईवीएफ जैसे इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट महिलाओं में ओएचएसएस का कारण बनते हैं जिसके कारण ओवरीज बढ़ जाती हैं। ओएचएसएस के कारण सूजन, पेल्विक डिस्कम्फर्ट, डिहाइड्रेशन, पेशाब करने में कठिनाई आदि समस्याएं होती हैं।
कई बार इलाज की वजह से बच्चे का समय से पहले जन्म हो जाता है और ऐसे में बच्चे का वजन बहुत कम होता है।
बांझपन से जुड़ा हर एक मामला एक-दूसरे से अलग होता है। इसलिए यह बेहत जरूरी है कि अपने सभी लक्षणों और समस्याओं के बारे में अपने डॉक्टर को ईमानदारी से बताएं। आपके डॉक्टर को आपके फर्टिलिटी स्वास्थ्य के बारे में सभी जानकारी प्राप्त करना जरूरी है, जिसमें पहले मिसकैरेज या एबॉर्शन आदि हुआ हो। इससे आपको सही निदान और इनफर्टिलिटी के लिए एक सही इलाज लेने में मदद मिलती है।
एक कपल होने के नाते, आपको धैर्य रखने और एक दूसरे को सपोर्ट करने की जरूरत होती है। ऐसे में स्ट्रेस और डिप्रेशन से मामला और बिगड़ जाएगा। इनफर्टिलिटी से जूझने के साथ-साथ आपको तनाव से निपटने के लिए बेहतरीन उपाय जैसे मेडिटेशन, योगा और सांस लेने वाले व्यायाम करने होंगे। ये आपके मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक होगा।
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