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हर माता-पिता की पहली प्राथमिकता हमेशा से यह होनी चाहिए कि उनके बच्चे को सही समय पर सही रूप में सही शिक्षा मिले। यह तो आप जानती ही होंगी कि आपका बच्चा शिक्षा की शुरुआत प्रीस्कूल से करता है, फिर किंडरगार्टन में जाता है, उसके बाद प्राथमिक और इसी तरह आगे की शिक्षा प्राप्त करता जाता है। लेकिन माता-पिता के रूप में आपका सिर्फ इतना काम नहीं है कि आप बच्चे की फीस भर दें, या उसका टिफिन पैक कर दें और उसे जहां भी जरूरत हो वहां भेज दें। विकास के शुरुआती पड़ाव बच्चे के मन को आकार देते हैं और इसलिए यह बहुत जरूरी है कि आप उसकी पढ़ाई में सही तरीके से शामिल हो।
बच्चों की पढ़ाई में माता-पिता की भागीदारी का महत्व प्रत्यक्ष रूप से स्पष्ट नहीं हैं। लेकिन उनकी हिस्सेदारी बच्चे के सीखने की प्रक्रिया को जारी रखने और इसे बेहतर बनाने के लिए उसे प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है ताकि बच्चे की जिज्ञासा और नया सीखने की चाह हमेशा बनी रहे।
शिक्षा की सीमाएं दिन प्रतिदिन बढ़ रही हैं और आप इस बात से अवगत हैं। ऐसे में अगर आप उसका साथ दें तो वो आपको बेहतर परिणाम दे सकते हैं। जब बच्चे के माता-पिता उसकी शिक्षा में सक्रिय रूप से हिस्सा लेते हैं, तो उनके बच्चे हाई स्कोर करते हैं। ऐसे बच्चे हायर एजुकेशन में बहुत रुचि दिखाते हैं, और निर्धारित समय के अंदर कॉलेज के माध्यम से ग्रेजुएट हो जाते हैं और अन्य बच्चों की तरह कॉलेज ड्रॉप आउट नहीं होते। ये सभी चीजें बच्चे के व्यवहार में सकारात्मक प्रतिक्रिया पैदा करती हैं, जो उसे एक महान सामाजिक और लीडरशिप स्किल वाला व्यक्ति बनने में मदद करती हैं, ऐसे बच्चों में बदलते परिवेश के अनुकूल खुद को ढालने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं और साथ ही वे जीवन को सही तरीके से जीने के लिए आवश्यक सिद्धांतों को अपने अंदर विकसित करते हैं।
हर बच्चे की शिक्षा पर पेरेंट्स के प्रभाव को कम नहीं समझा जा सकता है और आमतौर पर कई माता-पिता खुद इसके महत्व को कम आंकते हैं। यही वजह है कि कई बार उनका व्यवहार बच्चे की शिक्षा प्रक्रिया को समर्थन देने के बजाय उसमें बाधा डालने का होता है। आसान भाषा में कहें तो आपकी लापरवाही से आपके बच्चे के दिमाग पर गहरा प्रभाव पड़ता है। आइए नीचे जानते हैं बच्चे की शिक्षा पर किस प्रकार प्रभाव पड़ता है:
हर सिस्टम परफेक्ट नहीं होता। आज हमारे एजुकेशन सिस्टम में अपनी कमियां हैं और इसके चलते कुछ माता-पिता पूरी तरह से होम स्कूलिंग का विकल्प चुनते हैं। हालांकि, यह सभी की जरूरत नहीं है और सबके लिए ऐसा करना संभव भी नहीं है, लेकिन घर पर पढ़ाई शुरू करना एक अच्छा कदम है। इसका मतलब यह नहीं है कि आप अपने बच्चे को अधिक से अधिक होमवर्क दें, बल्कि आप ऐसे में आप उसे शिक्षा की प्रक्रिया के साथ तालमेल बिठाने में मदद करने के लिए प्रेरित करना सिखाएं।
यह जानते हुए कि बच्चे की शिक्षा में माता-पिता रोल कितना महत्वपूर्ण है, ऐसे कुछ तरीके हैं जिनसे आप अपने बच्चे की शिक्षा प्रक्रिया में शामिल हो सकती हैं और सुनिश्चित कर सकती हैं कि उसे इसका सबसे ज्यादा फायदा मिले।
आप यह समझें कि बच्चे का हित कहां हैं और एक सही स्कूल चुनने का प्रयास करें जो हर मायने में उसे पढ़ाई के साथ-साथ सुविधा प्रदान कर सके। घर से दूरी और आने-जाने का समय जैसे अन्य कई फैक्टर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन चूंकि आपका बच्चा दिन का एक बड़ा हिस्सा स्कूल में बिता रहा है, इसलिए यह सारी चीजों से ज्यादा महत्वपूर्ण है।
स्कूल को एक ऐसी संस्था के रूप में न मानें जहां आप बच्चे को सिर्फ भेजती हैं और वह पढ़कर घर वापस आ जाता है। इसे ऐसे समझें जैसे कि यह एक एक्सटेंडेड फ्रेंड्स सर्किल है और स्कूल के अलग-अलग स्टाफ सदस्यों को जानें। अपने बच्चे के क्लास टीचर से नियमित रूप से बात करें और उससे अच्छे रिश्ते बनाएं। अपने बच्चे को भी टीचर के साथ खुलकर बात करने के लिए प्रोत्साहित करें।
कई माता-पिता मुश्किल से किसी भी एक्टिविटी से अवगत होते हैं जो स्कूल ने बच्चों के लिए प्लान की होती है। अपने बच्चे के दोस्तों के माता-पिता के साथ बात करने का प्रयास करें और एक दूसरे को लूप में रखने के लिए एक चैट ग्रुप भी बनाएं। किसी भी समस्या या मसले का तुरंत समाधान निकाला जा सकता है। स्कूल द्वारा आयोजित कई कार्यक्रमों में भाग लें, भले ही आपका बच्चा उनमें भाग न ले रहा हो। स्कूल द्वारा दिए जाने वाले किसी भी टूल्स का उपयोग करके अपने बच्चे की प्रगति पर नजर रखें और उसके टीचर या काउंसलर के साथ मीटिंग करें।
इनके अलावा, माता-पिता कई अन्य तरीकों से भी बच्चों की शिक्षा में उनकी मदद कर सकते हैं।
अपने बच्चे को यह समझने में मदद करें कि लर्निंग और पढ़ाई केवल स्कूल और होमवर्क तक ही सीमित नहीं है। यह एक ऐसी हैबिट है जो बाद में जीवन भर उसकी मदद करेगी।
किसी भी चीज को सीखने के लिए केवल किताबों का सहारा न लें। बच्चे को सिखाने के लिए किसी भी विषय को खेल या एक्टिविटीज में बदल दें जहां आपका बच्चा अपनी रचनात्मकता का भी प्रयोग कर सके।
लक्जरी या मजेदार एक्टिविटीज और अपने बच्चे की शिक्षा के बीच को चुनते समय, हमेशा शिक्षा और सीखने को उसके जीवन में सर्वोच्च प्राथमिकता दें।
यदि आपके बच्चे को कई ध्यान भटकाने वाली चीजों के कारण पढ़ाई करने में परेशानी होती है, तो अपने बच्चे की पढ़ाई के समय के साथ अपने काम को निर्धारित करने का प्रयास करें। इससे सभी के लिए पढ़ाई का माहौल बनेगा।
चाहे स्कूल द्वारा या खुद करें, लेकिन बच्चे को साइंस पार्क या म्यूजियम घुमाने जरूर ले जाएं जो शिक्षा में उसकी रुचि को बढ़ाने में मदद करता है।
आपके बच्चे की जिंदगी में सिर्फ पढ़ाई ही नहीं होनी चाहिए। उसे पढ़ाई का दबाव डाले बिना अन्य एक्टिविटीज और खेलों का मजा जरूर लेने दें।
बच्चों को अपनी नैतिक दिशा और व्यवहार को विकसित करने के लिए इस उम्र में बहुत अधिक प्रोत्साहन और मान्यता की आवश्यकता होती है। इस बात का ध्यान रखें कि आप उसे कोई अच्छा काम करने पर कुछ न कुछ इनाम जरूर दें।
आज की आधुनिक जिंदगी में बच्चे की शिक्षा में माता-पिता के रोल में पहले की तुलना में काफी बदलाव आया है। सही मायने में एक प्रजाति के रूप में हमने जो सफलता हासिल की है उसका परिणाम है और यह दिखाता है कि हमारी अगली पीढ़ी हमसे बेहतर होने वाली है। अपने बच्चे का सपोर्ट करके उसे बेहतर इंसान बनने में मदद करें।
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