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आमतौर पर, शिशु जब जन्म लेते हैं, उसी पल से वे भूखे होते हैं और अपनी पहली सांस लेने के लगभग आधे घंटे के बाद ही, वे फीडिंग की शुरुआत करने के लिए उत्साहित होते हैं। नई माँ को ब्रेस्टफीडिंग के बारे में बहुत सी बातों की जानकारी होनी चाहिए। जिनमें से एक यह है, कि हर सेशन में कितना समय लगना चाहिए और दो फीडिंग्स के बीच कितने समय का अंतराल होना चाहिए।
आपका नवजात शिशु 20 मिनट से लेकर 45 मिनट के बीच कितने भी समय के लिए दूध पी सकता है। यह बच्चे के ऊपर निर्भर करता है। इस उम्र में शिशुओं को बहुत नींद आती है और इसलिए इसमें थोड़ा समय लग सकता है। आपको बच्चे को दोनों ब्रेस्ट में से दूध पिलाने पर ध्यान देना चाहिए। इसके लिए आप एक तरफ से शुरुआत करें और फिर बच्चे को डकार कराने के बाद दूसरी ओर से दूध पिलाएं। कुछ बच्चे एक ही ब्रेस्ट से दूध पीना पसंद करते हैं, इसलिए इस बात का ध्यान रखें, कि हर बार ब्रेस्टफीडिंग की शुरुआत करते समय अलग-अलग ब्रेस्ट से शुरुआत करें।
नवजात शिशुओं को दिन और रात में ज्यादातर समय दूध पिलाने की जरूरत होती है। इसलिए एक माँ के रूप में, आपको अपने बेबी के द्वारा दिए जाने वाले उन संकेतों की जानकारी होनी चाहिए, जिनसे उसके भूखे होने का पता चलता है। बच्चा जब भूखा होता है, तब वह अधिक चौकन्ना हो जाता है और वह हर उपलब्ध चीज को मुँह में लेने की कोशिश करने लगता है।
अगर बच्चा बहुत अधिक सोता है, तो आपको सलाह दी जाती है, कि आप हर 3 घंटे में एक बार उसे जगाएं और फिर उसे दूध पिलाएं। जहाँ आपको लग सकता है कि यह बहुत ज्यादा है, वहीं आपके बच्चे के स्वस्थ और मजबूत विकास के लिए यह जरूरी है, कि उसे पर्याप्त पोषण मिले और उसका वजन बढ़े। यानी कि, उसे दिन में कम से कम 12 बार दूध पिलाने की जरूरत है।
पहले सप्ताह में फीडिंग की फ्रीक्वेंसी की तरह ही, बेबी को भूख लगने पर दिन भर में 12 बार दूध पिलाने की जरूरत होगी। इस उम्र में, आपको अधिक आराम नहीं मिल पाएगा, क्योंकि आपको बार-बार उसे फीड कराना पड़ेगा। चूंकि, हर बच्चा अलग होता है, तो ऐसे में फीडिंग में लगने वाला समय और फीडिंग की फ्रीक्वेंसी भी दूसरे बच्चों से अलग हो सकती है। लेकिन आमतौर पर, इस उम्र में शिशुओं को हर 2 से 3 घंटे में एक बार दूध जरूर पिलाना चाहिए।
बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होता जाता है, दूध पीने की उसकी फ्रीक्वेंसी कम होती जाती है। हालांकि, अभी भी आपको दिन भर में कम से कम 6 बार दूध पिलाने की जरूरत पड़ेगी। 2 महीने की उम्र में बच्चे के ब्रेस्टफीडिंग की जो फ्रीक्वेंसी होती है, तीसरे महीने में वह कम हो सकती है और इसलिए बच्चे के दूध पीने की इच्छा भी धीरे-धीरे कम होती जाती है।
6 महीने की उम्र तक शिशु स्तनपान को छोड़कर ठोस आहार की शुरुआत करने के लिए तैयार हो सकता है। ब्रेस्टफीडिंग के साथ-साथ बेबी को प्यूरी की हुई सब्जियों या सीरियल का पहला स्वाद मिलना चाहिए। इस उम्र में भी बच्चे को जरूरत पड़ने पर दूध पिलाने की जरूरत होगी। हालांकि इसकी फ्रीक्वेंसी 6 बार या इससे कम भी हो सकती है।
नई माँ के तौर पर कभी-कभी यह जानना मुश्किल हो सकता है कि बच्चे को पर्याप्त दूध मिल रहा है या नहीं। यहाँ पर कुछ तरीके दिए गए हैं, जो आपकी मदद कर सकते हैं:
फीडिंग को आपके लिए सिंपल बनाने के लिए, यहां पर एक ब्रेस्टफीडिंग फ्रीक्वेंसी चार्ट दी गई है, जिसे आप फॉलो कर सकते हैं:
उम्र | फ्रीक्वेंसी | वजन में बढ़ोतरी | गीले डायपर | गंदे डायपर |
पहला सप्ताह | 1 दिन में 8 से 12 बार | शुरुआती 3 दिनों में 7% वजन का घटना, उसके बाद हर दिन 25 ग्राम वजन बढ़ना | शुरुआती दो दिनों में केवल दो, सप्ताह के अंत तक इसकी संख्या 1 दिन में छह हो जानी चाहिए | शुरुआती दो दिनों में कम से कम एक, सप्ताह के बाकी दिनों के लिए कम से कम 3 |
2 सप्ताह से 2 महीने | 8 या अधिक | हर सप्ताह 170 ग्राम | प्रतिदिन 6 | प्रतिदिन 3 |
2 महीने से 6 महीने | 6 या अधिक | हर सप्ताह 160 ग्राम | प्रतिदिन 6 | प्रतिदिन 3 |
6 से 12 महीने | 3 से 4 बार | हर सप्ताह 110 ग्राम | प्रतिदिन 5 से 6 | प्रतिदिन 1 |
लेकिन, एक शिशु कितनी बार दूध पीना चाहता है, यह उस पर निर्भर करता है। अपने नवजात शिशु की देखभाल करना थकावट भरा लग सकता है और दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने वाली सलाह भी आपको परेशान कर सकती हैं। बाकी तो सब ठीक है, लेकिन अगर आपसे यह कहा जाता है, कि अपने बच्चे को कम दूध पिलाएं, तो आपको इस बात पर ध्यान नहीं देना चाहिए। जब तक आपके बच्चे की ब्रेस्टफीडिंग की फ्रीक्वेंसी इस गाइडलाइन के अनुसार सही है, तब तक आपको इसके बारे में चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। अगर फिर भी आपको इसे लेकर मन में कुछ दुविधा या संदेह है, तो अपने डॉक्टर या लैक्टेशन कंसलटेंट से परामर्श लें।
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