व्यक्तिगत स्वच्छता: बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए बेहतरीन आदतें और टिप्स

व्यक्तिगत स्वच्छता: बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए बेहतरीन आदतें और टिप्स

जब बच्चे बड़े होते हैं, तब उन्हें कुछ नया सिखाना एक बहुत ही कठिन और चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया होती है। उनके छोटे-छोटे हाथ, जो कुछ भी देखते हैं, उसे लेने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। हालांकि यह बच्चों की बढ़त और उनके विकास का एक हिस्सा हो सकता है, लेकिन दिखने वाली हर चीज के संपर्क में आना बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं होता है। कीचड़, दरवाजे के हैंडल, बाहर से आने वाला खाना और यहां तक कि खिलौने भी अनहाइजीनिक हो सकते हैं और ट्रांसमिटेबल बीमारियों के रूप में समस्याएं खड़ी कर सकते हैं। इसलिए बच्चों को सुरक्षित और स्वस्थ रखने के लिए कम उम्र से ही अच्छी आदतें डालना जरूरी है। 

इस लेख में हम बच्चों के लिए पर्सनल हाइजीन पर विस्तार से चर्चा करेंगे और बच्चों को इसका महत्व सिखाने में आपकी मदद के लिए कुछ टिप्स भी देंगे। तो आइए सबसे बेसिक सवाल से शुरू करते हैं – यह जरूरी क्यों है? अधिक जानने के लिए आगे पढ़ें। 

बच्चों के लिए पर्सनल हाइजीन जरूरी क्यों है?

स्वास्थ्य को अच्छा रखने के लिए बच्चों के द्वारा और बच्चों के लिए साफ सफाई का ध्यान रखना बेहद जरूरी है और इससे बीमारियों और कीटाणुओं को दूर रखने में मदद भी मिलती है। जब कभी भी वे धूल मिट्टी वाली जगह को छूते हैं, तब खतरनाक माइक्रो ऑर्गेनिज्म उनके हाथों में ट्रांसफर हो सकते हैं, जिसके बाद वे उनके खाने और अंत में उनके पेट में भी जा सकते हैं और बीमारियां पैदा कर सकते हैं। 

बच्चों के लिए अच्छा स्वास्थ्य और साफ सफाई सुनिश्चित करने के लिए कुछ आदतों को एक फाउंडेशन के रूप में प्रैक्टिस करना जरूरी है। बच्चों को यह समझाने का सबसे अच्छा तरीका है, कि कम उम्र से ही ऐसी आदतें उन्हें सिखाई जाएं। यहां पर ऐसी कुछ आम प्रैक्टिस दिए गए हैं, जिनके द्वारा बच्चों को पर्सनल हाइजीन से संबंधित बेहतरीन आदतें सिखाने में मदद मिल सकती है:

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1. खाने में स्वच्छता

खाने-पीने की अस्वास्थ्यकर आदतों से फूड पॉइजनिंग हो सकती है और इससे डायरिया, उल्टियां या पेट में दर्द जैसी स्थितियां पैदा हो सकती हैं। एक पैरेंट होने के नाते आपको बच्चे के लिए खाना तैयार करते हुए, उसे परोसते हुए या खिलाते हुए साफ सफाई का ध्यान रखना चाहिए। 

अपने बच्चे को फूड हाइजीन के बारे में सिखाते हुए बेसिक से शुरू करें और उसे बीमारियां पैदा करने वाले कीटाणुओं और बैक्टीरिया के बारे में बताएं। बच्चे को यह समझने दें, कि ये कीटाणु किस प्रकार शरीर को संक्रमित कर सकते हैं और उनके हाथों से उनके भोजन तक किस प्रकार फैल सकते हैं। साथ ही बीमारियों को दूर रखने वाली आदतों को प्रैक्टिस करने पर दबाव डालें। यहां पर कुछ बातें दी गई हैं, जिन्हें आप फॉलो कर सकते हैं और अपने बच्चे को सिखा सकते हैं: 

  • खाना पकाना: अगर घर का ज्यादातर खाना आप ही पकाते हैं, तो साफ सफाई की निम्नलिखित आदतों को अपने व्यवहार का हिस्सा बनाएं:
    • हमेशा एक एप्रन का इस्तेमाल करें और अपने बालों को बांधे रखें। 
    • कपड़ों पर दाग धब्बे लगने से बचाने के लिए अपने कपड़ों की स्लीव्स को ऊपर करें। 
    • खाने में छींकने या खांसने से बचें। जब भी आपको ऐसा करना हो, दूसरी ओर घूम जाए ताकि खाना कीटाणुओं से संक्रमित होने से बच सके। दोबारा खाने को छूने से पहले अपने हाथ धोएं या सैनिटाइज करें (ऐसा करते हुए सावधान रहें क्योंकि सैनीटाईजर में आग पकड़ने की बहुत अधिक संभावना होती है)। 
  • फूड स्टोरेज: हेल्दी फूड हैबिट में अच्छी तरह से स्टोर करना भी शामिल है। अपने बच्चे को सिखाएं, कि किस प्रकार खाने को अलग किया जाता है और फ्रिज में स्टोर किया जाता है। साथ ही बच्चे को यह भी बताएं, कि किस खाने को बाहर रखा जा सकता है और किसे फ्रिज में रखना जरूरी है। किसी भी खाने को खुला ना छोड़ें और साथ ही बैक्टीरिया से बचाव के लिए ढक्कन को भी साफ रखें। 
  • हाथ धोना: अपने हाथों को अच्छी तरह से धोएं और बच्चे को सिखाएं, कि साबुन और पानी से किस प्रकार हाथों को अच्छी तरह से धोया जा सकता है। हम अपने अगले पॉइंट में इस प्रैक्टिस पर थोड़ी और बात करेंगे। हर बार खाना खाने से पहले और खाने के बाद ऐसा जरूर करें। इसके अलावा बच्चे को अपने हाथ पोंछने के लिए उसे एक साफ टॉवल जरूर दें। इस टॉवल को बार-बार धोना/ बदलना जरूरी है। 

खाने में स्वच्छता

2. हाथों की सफाई

बार बार हाथ धोने से डायरिया जैसी बीमारियों के संक्रमण को कम किया जा सकता है। हाथों की सफाई प्रैक्टिस करने का सबसे सिंपल तरीका यह है, कि अपने बच्चे को यह सिखाएं कि हाथों को अच्छी तरह कैसे धोते हैं। अपने बच्चे को स्टेप बाय स्टेप हाथ धोने की प्रक्रिया करके दिखाएं और यह सुनिश्चित करें, कि उसे हर स्टेप अच्छी तरह से समझ आए। 

  • हाथों को गीला करें
  • हाथों पर साबुन लगाएं और रगड़ कर झाग बनाएं
  • इस बात का ध्यान रखें, कि बच्चा उंगलियों के बीच और नाखूनों के अंदर भी अच्छी तरह से सफाई करें
  • साफ पानी से हाथों के साबुन को पूरी तरह से धोएं

बच्चों के लिए हाइजीन में उनके हाथों को हर समय साफ रखना शामिल है। नीचे कुछ एक्टिविटीज दी गई हैं जिनके बाद हर बार बच्चे को हाथ धोने के आदत होनी चाहिए:

  • बाथरूम इस्तेमाल करना 
  • बाहर खेलना
  • घर साफ करना
  • किसी जानवर को छूना
  • बीमार दोस्त से मिलना
  • खांसना या छींकना
  • कुछ खाने से पहले
  • कुछ खाने के बाद 
  • बाहर से घर आने के बाद, फिर चाहे वो स्कूल हो या पार्क या कोई और जगह

3. नींद की आदत

बच्चों और बड़ों दोनों के लिए ही नींद बेहद जरूरी है, क्योंकि शरीर इस समय को अपनी कोशिकाओं को रीजेनरेट करने के लिए और मेमोरीज को रिकॉर्ड करने के लिए इस्तेमाल करता है। स्लीप हाइजीन में हर वह आदत शामिल है, जिससे आपके बच्चे को रात की अच्छी नींद मिल सकती है। इससे बच्चे के लिए ‘दिन के दौरान जागने और रात के दौरान आराम करने’ का पैटर्न तैयार करने में मदद मिलती है, ताकि वो रात के समय पर्याप्त नींद ले सके और दिन के समय एक्टिव रह सके। आप बच्चे को नींद का महत्व भी सिखा सकते हैं, ताकि बच्चे को इसके फायदे सीखने में अधिक दिलचस्पी आए। यहां पर कुछ तरीके दिए गए हैं, जिनसे आप बच्चे में सोने की अच्छी आदतें शामिल कर सकते हैं:

  • बच्चे को दिन के दौरान गलत समय पर सोने से रोकें, ताकि वे रात में अच्छी नींद ले सकें। लेकिन कुछ बच्चे दोपहर में थोड़ी झपकी लेते हैं, जिसमें कोई दिक्कत नहीं है। 
  • बिस्तर का इस्तेमाल केवल सोने के लिए होना चाहिए ना कि टीवी देखने के लिए या फिर होमवर्क करने के लिए। 
  • एक रिलैक्स्ड वातावरण तैयार करें। आप रोशनी को मध्यम कर सकते हैं, ताकि आपका बच्चा आराम कर सके, आप लोरी गाने की कोशिश भी कर सकते हैं। 
  • बच्चे के जगने से बचाव के लिए आप गैजेट और अलार्म को उसे दूर रख सकते हैं। 
  • हर दिन एक निश्चित समय पर बच्चे को सोने के लिए बिस्तर पर डालें। 
  • चाहे स्कूल की रातें हों, या वीकेंड हो, हर दिन सोने का एक ही समय होना चाहिए। 
  • बच्चे को भूखे पेट ना सोने दें। दूध और कुकीज़ जैसे हल्के स्नैक अच्छे हैं। सोने से 1 या 2 घंटे के अंदर भारी खाना खाने से नींद में रुकावट आती है। 
  • सोने से कुछ घंटों तक पहले तक कैफीन युक्त पदार्थों से बचें, जैसे कैफीनेटेड सोडा, चाय, कॉफी और चॉकलेट। 
  • इस बात का ध्यान रखें, कि बच्चा हर दिन बाहर थोड़ा समय बताएं। 
  • कमरे में एक आरामदायक तापमान रखें, जैसे 24 से 26 डिग्री। 
  • बेडरूम को टाइम आउट या पनिशमेंट के लिए इस्तेमाल ना करें। 

नींद की आदत

4. आवाज की देखभाल

यहां पर आपके और आपके बच्चे के लिए कुछ ऐसे तरीके दिए गए हैं, जिनकी मदद से आप उसकी आवाज को रेगुलेट कर सकते हैं। अधिकतर बच्चों में बहुत चीखने चिल्लाने की एक आदत बन जाती है। अगर इसे नजरअंदाज किया जाए और इस पर ध्यान ना दिया जाए, तो आपके बच्चे के वोकल कॉर्ड में अधिक जोर पड़ सकता है और इसे नुकसान हो सकता है। यहां पर कुछ टिप्स दिए गए हैं, जिनकी मदद से आप अपने बच्चे को इसका महत्व समझा सकते हैं और वोकल हाईजीन के साथ डील कर सकते हैं:

  • हर दिन बच्चे को पर्याप्त पानी देकर उसे हाइड्रेटेड रखें। 
  • बच्चे को बार बार कोल्ड ड्रिंक या आइसक्रीम देने से बचें। 
  • बातचीत के दौरान बच्चे को एक जैसे टोन में बात करने के लिए प्रेरित करें। 
  • बच्चे कभी कभी अपने गले को साफ कर सकते हैं जिससे उनकी आवाज प्रभावित हो सकती है। उन्हें ऐसा करने से हमेशा रोकें। 
  • बच्चे को बहुत अधिक चीखने से या फुसफुसाने से रोकें, क्योंकि ऐसा करने से वोकल कॉर्ड पर तनाव उत्पन्न होता है। 

5. मुंह की साफ-सफाई

बच्चे के मुंह और दांतों का ख्याल रखना भी जरूरी है। उचित देखभाल के बिना आपके बच्चे के दांतों में कैविटी, बदबूदार सांसें और अन्य बीमारियां विकसित हो सकती हैं। हालांकि बच्चों के दूध के दांत गिर जाते हैं, लेकिन इनसे बच्चों को खाना चबाने में मदद मिलती है और साथ ही स्पीच डेवलपमेंट में भी मदद मिलती है। यहां पर कुछ तरीके दिए गए हैं, जिनके द्वारा आप अपने बच्चे के दांतों को स्वस्थ रख सकते हैं:

  • इस बात का ध्यान रखें, कि आपका बच्चा दिन में कम से कम 2 बार अपने दांतों को साफ करे। 
  • हमेशा एक चाइल्ड टूथ ब्रश का इस्तेमाल करें, क्योंकि ये छोटे होते हैं और साथ ही विकसित हो रहे मसूड़ों पर सॉफ्ट भी होते हैं। 
  • शुरुआती 12 महीनों में बच्चे के मसूड़ों को केवल एक मुलायम साफ कपड़े से पोंछे। जब दांतों का पहला सेट दिखने लगता है, तब थोड़े पानी और टूथब्रश की मदद से सतह को हल्के हाथों से साफ करें। 
  • जब बच्चा लगभग 2 साल का हो जाता है, तब टूथपेस्ट का इस्तेमाल शुरु कर दें। 
  • दातों पर मीठा खाना लगा हुआ ना छोड़ें, इसे लंबे समय तक छोड़ने से कैविटी हो सकती है। 
  • अगर 6 वर्ष की उम्र तक बच्चे के दांत हिल रहे हों, तो उसे दांत को हिलाने दें, ताकि वह बिना दर्द या ब्लीडिंग के आसानी से गिर जाए। 

अगर आप यह सोच रहे हैं, कि आप अपने बच्चे को ब्रश करना किस तरह से सिखा सकते हैं, तो यहां पर ऐसी कुछ जानकारी दी गई है, जिनकी मदद से आप अपने बच्चे को दांत साफ करने का सही तरीका सिखा सकते हैं। शुरू में उनके दांतों को खुद साफ करें और धीरे-धीरे उन्हें ऐसा करने का सही तरीका सिखाएं। 

  • बच्चे के मसूढ़ों पर ब्रश को 45 डिग्री के एंगल पर रखें। 
  • ब्रश को आगे पीछे हल्के हाथों से घुमाएं। 
  • बच्चे के दांत की हर सतह को ब्रश करें (अंदर, बाहर और चबाने वाले क्षेत्र)
  • अंदरूनी सतह को पूरी तरह से साफ करने के लिए आप ब्रश को खड़ा करके पकड़ सकते हैं और इसे ऊपर नीचे मूव कर सकते हैं। 
  • जीभ पर भी ब्रश करें, ताकि कोई भी मौजूद बैक्टीरिया साफ हो जाए। 

मुंह की साफ-सफाई

बच्चे के दांतों से कैविटी को दूर रखने के लिए आप चाहें, तो डेंटल फ्लॉस का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। 

  • फ्लॉस का लगभग 18 इंच लें और इसके दोनों सिरों को अपने दोनों बीच की उंगलियों में लपेट लें। 
  • फ्लॉस को अपने अंगूठे और उंगलियों के बीच पकड़ें और दांतों के बीच फ्लॉस को डालें। 
  • फ्लॉस को शेप में पकड़े हुए हल्के हाथों से उसे रब करें। साथ ही इसे दांत पर दबाकर भी रखें। 
  • इस बात का ध्यान रखें, कि आप सभी दांतो और जबड़ों को फ्लॉस करें। 

6. साफ कपड़े और जूते

बच्चों को अपने कपड़े और जूते आदि की सफाई का ध्यान रखना सीखना जरूरी है। गंदे, मैले या बिना प्रेस किए कपड़े और मिट्टी लगे हुए जूते पहनने से व्यक्तित्व खराब दिखता है। 

  • अपने बच्चे को हर दिन साफ कपड़े पहनना सिखाएं, अगर उसे कोई खास ड्रेस काफी पसंद है, तो उसे बताएं कि वो यह ड्रेस केवल साफ होने पर ही पहने। 
  • यदि वह खेलने जाता है तो घर आने के बाद उन्हीं कपड़ों में सोफे या बिस्तर पर बैठने से रोकें और कपड़े बदलने की आदत डालें। 
  • उसे यह भी सिखाएं कि वह उतारे हुए कपड़े कमरे में इधर-उधर न फेंके और उन्हें अलमारी या लॉन्ड्री बैग में डाले। 
  • घर के बाहर और अंदर के जूते-चप्पल अलग रहने चाहिए। इससे बाहर की मिट्टी या गंदगी घर के अंदर आने से बचती है। 

7. बालों की स्वच्छता

बच्चे में बालों की साफ सफाई का ध्यान न रखने से उनमें रूसी, जुएं और सिर की त्वचा पर इंफेक्शन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। बच्चा अपने दोस्तों के साथ खेलते हुए या अपने आसपास के दूसरे बच्चों के साथ खेलते हुए इनके संपर्क में आ सकता है। इससे बचने के लिए बच्चे को उसके बालों और सिर की त्वचा का ध्यान रखना सिखाएं। 

  • हफ्ते में कम से कम 2 बार बच्चे के बालों को साफ करें, ताकि बाल धूल-मिट्टी और चिपचिपाहट से दूर रहें। 
  • जब आपका बच्चा बालों को खुद साफ करने के लिए पर्याप्त बड़ा हो जाता है, तो शैंपू लगाने में और पानी से धोने के दौरान उसके साथ रहें और उसे सहयोग करें। 
  • अगर आपके बच्चे के सिर में जुएं हैं तो उन का तुरंत इलाज करें। 
  • अगर बच्चे के बाल लंबे हैं, तो उन्हें अधिकतर समय बालों को बांधने के लिए प्रेरित करें ताकि वे गंदे होने से बच सकें।
  • अपने बच्चे को दूसरे बच्चों के साथ अपने कंघी, तकिया, टोपी आदि को शेयर करने से रोकें। 

8. नाखूनों की साफ-सफाई

बच्चों के नाखूनों में बहुत सारी धूल मिट्टी और माइक्रोब्स इकट्ठा हो सकते हैं, क्योंकि वे अक्सर बाहर और रेत, धूल-मिट्टी या गंदी जगहों पर खेलते हैं। बच्चे और बड़े दोनों ही अपने हाथ पैरों का इस्तेमाल बहुत अधिक करते हैं, जिसके कारण उनके नाखूनों में चोट लगने या संक्रमण होने की संभावना बहुत अधिक होती है। बच्चे में नाखूनों की साफ सफाई की आदत को शामिल करने के लिए आप नीचे दिए गए टिप्स को आजमा सकते हैं:

  • बच्चों को नाखून चबाने की आदत होती है। उन्हें ऐसा करने से रोकें, क्योंकि इससे उनके नाखूनों में मौजूद माइक्रोब्स उनके पेट में जा सकते हैं। 
  • बार-बार बच्चे के नाखूनों को काटें। 
  • बच्चे को नाखूनों के अंदर स्क्रब करना और धोना सिखाएं ताकि वे हमेशा साथ रहें। 
  • हर बार किसी जानवर को छूने पर, बाहर खेलने पर, खांसने-छींकने पर या खाने से पहले और खाने के बाद बच्चे को अच्छी तरह से हाथ धोने में मदद करें। 
  • साथ ही बच्चे के पैर के नाखूनों पर भी ध्यान दें और उन्हें नियमित रूप से काटें। 

9. नहाने के दौरान स्वच्छता

बच्चे को हर वक्त साफ और स्वस्थ रखने का सबसे अच्छा तरीका है, उन्हें नियमित रूप से नहलाना। नहाने में साफ-सफाई की कुछ अच्छी आदतें इस प्रकार हैं:  

  • बच्चे को हर दिन दो बार – स्कूल जाने से पहले और स्कूल से आने के बाद नहलाएं। 
  • बच्चे को उनके बगलों, पैरों, तलवों और ग्रोइन पर हल्के हाथों से स्क्रब करना सिखाएं। 
  • हर बार नहाने के दौरान साबुन का इस्तेमाल करना जरूरी है। 
  • बच्चे को अपना चेहरा धोते समय सावधानी बरतने की जरूरत है, क्योंकि शरीर की तुलना में चेहरे की त्वचा अधिक नाजुक होती है, इसलिए इस पर ध्यान दें। 

10. पैरों की साफ-सफाई

जब बच्चे के पैरों पर मौजूद पसीने के साथ बैक्टीरिया काम करता है, तब उनमें से बदबू आ सकती है। अगर आपका बच्चा पूरे दिन जूते पहनता है, खासकर बिना मोजे के, तब ऐसा हो सकता है। इससे बहुत सारी धूल मिट्टी और बैक्टीरिया आपके बच्चे के पैरों पर इकट्ठा हो सकते हैं। बच्चों के लिए कुछ पर्सनल हाइजीन आदतों को अपनाकर बदबूदार पैरों से बचने में मदद मिल सकती है:

  • इस बात का ध्यान रखें कि आपका बच्चा नहाने के दौरान हर बार अपने पैरों को अच्छी तरह से साफ करे। 
  • पैरों पर अच्छी तरह से साबुन लगाकर रगड़ कर और और साफ पानी से धोकर पैरों को साफ रखा जा सकता है। 
  • हमेशा उंगलियों के बीच के हिस्से को और पैर के अंदरूनी हिस्से को और नाखूनों के अंदर की त्वचा को साफ करें और माइक्रोब्स को दूर रखें। 
  • बच्चे को उसके फुटवियर साफ रखना सिखाएं, ताकि कीटाणुओं से बचाव हो सके। 
  • पैरों को हर समय मुलायम रखने के लिए मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करें। 

पैरों की साफ-सफाई

11. टॉयलेट का इस्तेमाल

घर का टॉयलेट या बाथरूम एक ऐसी जगह होती है, जहां पर सबसे ज्यादा जर्म्स होते हैं। अगर आप अपने बाथरूम को साफ रखते हैं और बच्चे को सही टॉयलेट हाइजीन सिखाते हैं, तो आप गंदे बाथरूम के इस्तेमाल से फैलने वाली लगभग सभी बीमारियों से बच सकते हैं। 

  • पॉटी करने के बाद बच्चे को धोना या पोंछना सिखाएं। 
  • बच्चे को खुद से फ्लश करना सिखाएं। 
  • बाथरूम इस्तेमाल करने के बाद हर बार हाथ धोना जरूरी है। बच्चे को ऐसा करना सिखाएं। 
  • बच्चे को यह सीखने में मदद करने के लिए इस पूरी प्रक्रिया के दौरान उनके साथ रहना और उन्हें गाइड करना सबसे अच्छा तरीका है। साथ ही हर बार पॉटी साफ करने के बाद बच्चे को चेक करना सिखाएँ। 

12. खांसने और छींकने में सावधानी

आप अपने बच्चे की रक्षा हमेशा नहीं कर सकते हैं और कभी-कभी होने वाली कुछ बीमारियां असल में बच्चे की इम्यूनिटी को बेहतर बनाने में मदद करती हैं। इसलिए बीमारियों से यह एक फायदा भी होता है। कभी-कभी आपके बच्चे को आम सर्दी-खांसी जैसे संक्रमण हो सकते हैं। यहां पर कुछ टिप्स दिए गए हैं, जिनकी मदद से आप उन्हें जल्दी ठीक होने में और बीमारी को दूसरों तक फैलने से रोकने में मदद कर सकते हैं। 

  • बच्चे को नाक और मुंह ढक कर खाँसना या छींकना सिखाएं, ताकि उसका संक्रमण दूसरों तक ना फैले। 
  • साथ ही उनके हाथों को इस्तेमाल करने के बजाय उन्हें एक रुमाल का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित करें। अगर उनके पास रुमाल न हो, तो उन्हें अपनी आस्तीन या कोहनी का इस्तेमाल करना सिखाएं, इससे उनके हाथों से कीटाणुओं को फैलने से बचाव होता है। 
  • जब कभी भी वे अपनी आस्तीन का इस्तेमाल करते हैं, तो उनकी तारीफ करें, जैसे “मैंने तुम्हें अपनी आस्तीन का इस्तेमाल करते हुए देखा ऐसा करने के लिए थैंक यू” इससे उसे भविष्य में भी ऐसा करना याद रहेगा। 

13. घरेलू साफ-सफाई

ऊपर बताए गए स्वच्छता के सभी प्रकारों के अलावा, आपके बच्चे को घर पर भी थोड़े हाइजीन का ध्यान रखने की जरूरत है, क्योंकि इससे आपके बच्चे में शिष्टाचार का निर्माण भी होता है। 

  • बच्चे को अपने आसपास भी सफाई का महत्व सिखाएं। उसे अपने कमरे को साफ रखना, जमा हुए कचरे को नियमित तौर पर हटाना और गंदे खिलौनों और दूसरी चीजों को स्वच्छ करके इस्तेमाल करने की आवश्यकता समझाएं। 
  • बच्चे में रोजाना साफ-सफाई की आदत डालें। 
  • बच्चे को खाने के बाद अपने प्लेट उठाना, उसे सिंक में रखना और साथ ही अपने हाथ धोना सिखाएं। 
  • अगर आपका बच्चा घर में कुछ गिरा देता है, तो उसे साफ करना सिखाएं। अगर वह ऐसा करने के लिए काफी छोटा है तो उसे साफ करने में मदद करें। 

यहां पर कुछ और टिप्स दिए गए हैं, जिनकी मदद से आपके बच्चे को पर्सनल हाइजीन को समझने में मदद मिलती है और वह अपनी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बना पाता है। 

बच्चे को पर्सनल हाइजीन सिखाने के लिए कुछ टिप्स

ऊपर बताई गई सभी आदतों को आप बच्चे को रातों-रात नहीं सिखा सकते हैं, बच्चे को पर्सनल हाइजीन सिखाने में धैर्य की जरूरत पड़ती है। थोड़ी बहुत गलतियां इधर-उधर हो सकती हैं, लेकिन बच्चे को डांटने से बचें क्योंकि वे सीख रहे हैं। यहां पर कुछ टिप्स दिए गए हैं, जिन्हें आप बच्चे को पर्सनल हाइजीन के बारे में सिखाते समय फॉलो कर सकते हैं: 

1. अंतर बताएं

अच्छी और बुरी आदतों के बारे में समझाने से शुरू करें। आप किसी ऐसी चीज से शुरु कर सकते हैं, जिसके बारे में आप का बच्चा पहले से ही जानता है। 

2. उद्देश्य स्पष्ट करें

अपने बच्चे को बताएं, कि उसे अच्छी साफ सफाई की अच्छी आदतों को मेंटेन करना जरूरी क्यों है और कोई भी चीज अच्छी या बुरी होने के पीछे क्या कारण है। 

3. तारीफ करें और प्रोत्साहन दें

जब बच्चा कुछ अच्छा करता है, तो उसकी तारीफ करें। फिर चाहे वह हाथ धोना हो या रुमाल में छींकना हो। 

4. बेसिक से शुरू करें

बच्चे के हाथ धोने से शुरू करें और फिर ब्रश करने, नहाने और खाने-पीने की आदतों की ओर रुख करें। 

5. ज्ञान देने से पहले खुद आदतें अपनाएं

हम जितना सोचते हैं, वे उससे कहीं अधिक होशियार होते हैं। वे चीजों को देखते हैं और जब आप उन्हें बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहे हों, तो वे समझ जाते हैं। हमेशा दूसरों को ज्ञान देने से पहले अच्छी आदतों को खुद अपनाएं। अधिकतर समय बच्चे आपको देखकर ही सीखते हैं। आपको उन्हें अलग से अच्छी आदतें सिखाने की जरूरत नहीं पड़ती है। 

6. उन्हें सिखाएं

बच्चे को बीमारियां पैदा करने वाले विभिन्न कीटाणुओं और माइक्रोब्स के बारे में सिखाएं। साथ ही कीटाणुओं से प्रभावित होने के बाद क्या होता है, यह भी उसे बताएं। 

7. सीखने को मजेदार बनाएं

इस प्रकार बच्चों को सिखाने से अधिक समय तक याद रहते हैं। जब आप उसे हाइजीन के बारे में कुछ सिखाते हैं, तो कुछ खेल और फन एक्टिविटी भी शामिल करने की कोशिश करें। 

बच्चे को साफ-सफाई सिखाने के दौरान किन बातों से बचें

ऐसी कुछ बातें होती हैं, जिन्हें बच्चे को हाइजीन के बारे में सिखाते समय बचना चाहिए। यहां पर कुछ टिप्स दिए गए हैं, जिनकी मदद से आपको बच्चे में अच्छी आदतें डालने में मदद मिलेगी और साथ ही आपका रिश्ता भी मजबूत होगा: 

1. बच्चे को डांटे नहीं

बच्चे को कभी भी डांटे नहीं, क्योंकि इससे केवल स्थिति खराब ही होगी। कुछ बच्चों को कुछ नया सीखने में अधिक समय लगता है। बच्चों को शिक्षा देते समय धैर्य बनाए रखें। 

2. तुलना न करें

अपने बच्चे की तुलना किसी और से करने से बच्चों में हीन भावना का एहसास हो सकता है। उन्हें जीवन जीने के नए तरीके के साथ एडजस्ट करने के लिए सीखने के दौरान थोड़ा समय दें और उनकी तुलना किसी और के साथ करने से बचें। 

3. सजा न दें

बच्चों को सजा देना एक ऐसी चीज है, जिससे पेरेंट्स को बचना चाहिए। जो पेरेंट्स समय लेते हैं, बच्चों को कुछ सिखाने और करने में मदद करते हैं, तब बच्चों को बहुत पसंद आता है। अगर आपका बच्चा आपकी बात नहीं मानता है या नहीं समझ पाता है, तो उसे सजा ना दें। इसके बजाय आप किसी बात को बच्चे को समझाने के लिए दूसरे तरीके दूसरे विकल्प आजमा सकते हैं। 

हालांकि बच्चे में साफ सफाई की आदतें जितनी जल्दी शामिल हो जाएं उतना अच्छा होता है। लेकिन अगर बच्चे पहली बार में इसे ना सीख पाए, तो धैर्य बनाए रखें और इसके महत्व को समझाते रहें। हाइजीन के बारे में बच्चे को सिखाने से वे आप की गैरमौजूदगी में भी अपना ध्यान रख पाने में सक्षम होते हैं। 

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