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यदि आपका बच्चा थाली में परोसने वाली हर चीज को खाने से मना कर रहा है, तो इसका मतलब यह हुआ कि आपका बच्चा पिकी ईटर है। मां होने के नाते यह निश्चित रूप से आपके लिए चिंताजनक हो सकता है, जब आपका बच्चा रोजाना खाने के मामले में नखरे दिखाता है। लेकिन चिंता न करें, बच्चों में भूख कम लगना एक आम समस्या है। अगर आपका बच्चा भी इस समस्या का सामना कर रहा है, तो यहाँ बताया गया है कि आप इससे कैसे निपट सकती हैं।
भूख कम होना क्या है?
भूख न लगना या भूख में कमी होना तब शुरू होता है जब खाने की इच्छा कम होने लगती है। ऐसा दो से छह साल की उम्र के बच्चों में देखा जाना काफी आम है। यह आमतौर पर इसलिए होता है, क्योंकि एक साल के बाद बच्चे का डेवलपमेंट रेट काफी धीमा हो जाता है। पहले साल में, बच्चे का वजन लगभग 5 से 6 किलो तक बढ़ सकता है। हालांकि, एक से छह साल की उम्र के बीच बच्चे का इतना वजन नहीं बढ़ा पाता है। यहाँ तक कि तीन से चार महीने तक ऐसा हो सकता है कि बच्चे का बिलकुल वजन न बढ़े।
मस्तिष्क में एपेटाइट सेंटर होता है, जो बच्चे में भोजन के सेवन करने को रेगुलेट करता है और उसे उतना ही खाने के लिए संदेश भेजता है जितना उसकी ग्रोथ के लिए जरूरत होती है। चूंकि बच्चा अब उतनी तेजी से बढ़ नहीं रहा है, इसलिए अब उसकी भूख भी कम हो गई, जिसे साइकोलॉजिकल एनोरेक्सिया भी कहा जाता है।
टॉडलर में भूख की कमी का प्रमुख कारण क्या है?
हालांकि अब तक आप जान गई होंगी कि बच्चे की ग्रोथ धीमी होने की वजह से उसकी भूख भी कम हो जाती है, लेकिन उसके अलावा भी ऐसे कई कारण हैं, जो बच्चों की भूख कम कर सकते हैं।
1. बीमारी
यदि आपका बच्चा बीमार है और उसे बुखार, गले में खराश या अन्य लक्षण हैं, तो इस अवधि के दौरान और स्वस्थ होने की प्रक्रिया के दौरान उसकी भूख कम हो सकती है।
2. डिप्रेशन या स्ट्रेस
किसी अपने की मृत्यु हो जाने से या किसी करीबी के अचानक दूर चले जाने से बच्चे को स्ट्रेस हो सकता है और इससे उसकी भूख पर भी प्रभाव पड़ सकता है। इससे वह दूसरों के प्रति काफी आक्रामक भी हो सकते हैं।
3. भोजन के बीच जंक फूड खाना
अगर आपका बच्चा अपने मील टाइम के दौरान जंक फूड खाता है, तो भोजन के समय उसकी भूख कम होना तय है। इससे उसे मोटापे के साथ-साथ कई तरह की हेल्थ प्रॉब्लम भी हो सकती हैं।
4. तरल पदार्थों का बहुत ज्यादा सेवन
पानी के अलावा भोजन करने के बीच बहुत ज्यादा तरल पदार्थ पीने से बच्चे भूख कम हो सकती है, क्योंकि आपके बच्चे का पेट लिक्विड से भर जाएगा!
5. एनीमिया
यदि आपके बच्चे को एनीमिया है, तो वह कमजोरी महसूस कर सकता है और भूख में कमी का अनुभव कर सकता है।
6. फिजिकल एक्टिविटी कम होना
यदि बच्चा शारीरिक रूप से एक्टिव नहीं है और ज्यादातर समय टीवी के सामने देखने में बिताता है या दिनभर बैठा रहता है, तो यह उसके डाइजेशन में समस्या पैदा कर सकता है, जिससे बच्चे को भूख कम लगती है।
टॉडलर के लिए कितना खाना पर्याप्त होता है?
यहाँ आपको न्यूट्रिएंट्स का एक चार्ट दिया गया है जिसकी आपके बच्चे को रोजाना जरूरत होती है।
भोजन के प्रकार | 2 साल के बच्चों के लिए | 3 साल के बच्चों के लिए | क्या दे सकते हैं? |
फल | 1 कप (100-150ग्राम) | 1 से 1½ कप (150-200ग्राम) | · ताजा जूस
· फलों की प्यूरी · पूरे फल |
सब्जियां | 1 कप | 1 से 1½ कप | · मैश की हुई या कटी हुई सब्जियां
· कच्चे हरे पत्ते · सब्जियों का जूस · कॉर्न · सूप |
अनाज | 85 ग्राम | 100-150 ग्राम | · ब्रेड
· पोहा · चावल या दलिया · रोटी |
प्रोटीन युक्त भोजन | 55 ग्राम | 85-100 ग्राम | · पका हुआ मीट, चिकन सी फूड
· अंडे · दालें · पके हुए बीन्स या मटर |
डेयरी | 2 कप | 2 ½ कप | · दूध
· दही · पनीर |
टॉडलर की भूख कैसे बढ़ाएं
अपने बच्चे की भूख बढ़ाना एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें बहुत ज्यादा धैर्य की आवश्यकता होती है। एक बार जब आप अपने बच्चे की भूख कम होने का कारण जान लेती हैं, तो आप उसके अनुसार इसका हल भी ढूंढ सकती हैं ।
टॉडलर की भूख बढ़ाने के टिप्स
यदि आपका बच्चा पिकी ईटर है, तो आप उसकी भूख को बढ़ाने में मदद करने के लिए नीचे बताई गई टिप्स का उपयोग कर सकती हैं।
- अपने बच्चे को मात्रा तय करने दें – अपने बच्चे के ब्रेन एपेटाइट सेंटर पर भरोसा करें और उसे यह तय करने दें कि वह कितना खाना चाहता है।
- दो से ज्यादा स्नैक रोजाना लिमिटेड रखें – मील टाइम के बीच रोजाना दो बार से ज्यादा स्नैक्स न दें। बहुत ज्यादा स्नैक्स देने से बच्चे की भूख कम हो जाएगी।
- तरल पदार्थ का सेवन सीमित करें – प्रति दिन लगभग 480 मिलीलीटर तरल पदार्थ से ज्यादा न करें, क्योंकि तरल पदार्थ (पीने के पानी के अलावा) में कैलोरी होती है, जिससे बच्चे का पेट भरा हुआ महसूस होता है।
- अलग-अलग तरह की चीजें दें – खाने के प्रति आपके बच्चे का इंट्रेस्ट बना रहे, इसके लिए आपको उनकी पसंद और वैरायटी के साथ खाने का मेनू तैयार करना चाहिए, रोजाना कुछ न कुछ नया होने की वजह से बच्चे का खाने में इंट्रेस्ट बना रहता है और साथ उसकी फूड प्रेफरेंस क्या है इसका भी पता लगता ।
- खाने को क्रिएटिविटी के साथ पेश करें – जी हाँ आप खाने के साथ क्रिएटिविटी करके इसे शेप, कलर और खाने को अलग अलग तरह से सजा कर बच्चे को दें, ताकि वे खुशी-खुशी अपना सारा खाना खत्म कर सकें।
- छोटे-छोटे हिस्सों में परोसें – कम मात्रा में खाना देखकर बच्चे उसे खा लेते हैं और अपनी प्लेट पर मौजूद सारा खाना जल्दी खत्म कर देते हैं, अगर आप बच्चे को ज्यादा मात्रा में खाना परोसेंगी तो हो सकता है वो अपना खाना छोड़ दें । बजाय इसके आप कम पोरशन में जब उन्हें खाना देंगी तो हो सकता है कि वे आपसे दोबारा भी खाना मांग लें।
- भोजन का समय निश्चित करें – एक निश्चित समय पर बच्चे को खाना देने से उसका शरीर अपने समय पर बच्चे को भूख लगने के संकेत देने लगता है।
- परिवार के साथ फन मील टाइम बनाएं – भोजन के समय पूरे परिवार के साथ बातचीत करें और इसे मजेदार बनाएं। यह आपके बच्चे को अपने भोजन के लिए एक्साइटेड रखता है । लेकिन ध्यान रहे कि वह टीवी के सामने बैठ कर कभी भी खाना न खाएं।
- बच्चे को ज्यादा फिंगर फूड देने की कोशिश करें – फिंगर फूड को पकड़ना आसान होता है, यहाँ तक कि उन बच्चों के लिए भी जिन्होंने अभी तक चम्मच का उपयोग करना तक नहीं सीखा है।
- स्पून-फीड न करें – यदि आपका बच्चा चम्मच से खाना जानता है, लेकिन नहीं वो नहीं खा रहा है तो आप उसे स्पून फीड न कराएं। जबरदस्ती बच्चे को खिलाने से उसकी भूख प्रभावित होती है।
- खाने के बारे में बातचीत करने से बचें – अपने बच्चे के सामने उसके खाने की आदतों के बारे में चर्चा या शिकायत न करें क्योंकि इससे उनका खाने में इंट्रेस्ट कम हो सकता है।
- बच्चे को डेली विटामिन देने पर विचार करें – यदि आप अपने बच्चे के खाने के सेवन के बारे में चिंतित हैं, तो आप अपने बच्चे के लिए विटामिन की स्मॉल डोज देने के बारे में डॉक्टर से बात कर सकती हैं।
आपको क्या नहीं करना चाहिए
अपने बच्चे की भूख बढ़ाने के प्रयास में, निम्नलिखित में शामिल न हों:
- सुनिश्चित करें कि स्नैक बहुत ज्यादा न दें और वो न्यूट्रिशियस भी हो।
- उसे जबरदस्ती खिलाना या स्पून फीड न कराएं।
- बच्चे को खिलाने के लिए कभी सोते से न जगाएं।
- डरा धमका कर खाना न खिलाएं।
- अपने बच्चे को शर्मिंदा या दोषी महसूस न कराएं।
- बच्चे को लंबे समय तक हाई चेयर पर बैठे रहने के लिए मजबूर न करें, अगर वो अपना भोजन समाप्त न कर रहा है।
डॉक्टर से परामर्श करें
यदि आप अपने बच्चे में निम्नलिखित बातों को नोटिस करतीहैं, तो आपको जल्द से जल्द डॉक्टर से परामर्श करने की आवश्यकता हो सकती है।
- उसका वजन कम होता जा रहा हो।
- पिछले छह महीनों में उसका वजन नहीं बढ़ा हो।
- वह दस्त या बुखार जैसी कंडीशन से बीमार हो।
- जब वह कुछ खाता है तो उसे उल्टी हो जाती है।
- अगर बच्चे ने आठ घंटे से अधिक समय से पेशाब नहीं किया हो।
यह संभव है कि बहुत बार, माता-पिता बच्चे की बदलती जरूरतों को भूख की कमी के कारण समझ कर गलतफहमी के शिकार हो जाते हैं। यह तब होता है जब वे बच्चे को जबरदस्ती खाना खिला कर उस समस्या को और ज्यादा बढ़ा देते हैं और फिर शिकायत करते हैं कि उनका बच्चा ठीक से नहीं खाता है। यदि आपका बच्चा सामान्य रूप से खाए जाने वाले भोजन को नॉर्मल अमाउंट में भी नहीं खा पा रहा है, तो ऐसे में आपका धैर्य रखना जरूरी है। चेक करें कि क्या उसका वजन और हाइट अपनी उम्र के हिसाब से ठीक है या नहीं और आप ज्यादातर ऐसे केस में यह नोटिस करेंगी कि चिंता करने जैसे कुछ है ही नहीं।
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