6 सप्ताह की जुड़वां या एकाधिक गर्भावस्था

6 सप्ताह की जुड़वां या एकाधिक प्रेगनेंसी

जुड़वां या एकाधिक गर्भावस्था में गर्भवती महिला को ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है। जुड़वां बच्चों के साथ गर्भावस्था के 6 सप्ताह का अर्थ है एक पड़ाव पर पहुँचना। वैसे तो गर्भावस्था का यह सफर पहले ही शुरू हो गया होता है, लेकिन कुछ महिलाओं को इस समय ही अपने गर्भवती होने का पता चलता है  यह वो समय भी होता है जब आपको पता चलता है कि आपके गर्भ में जुड़वां या उससे ज्यादा बच्चे पल रहे हैं! यह खबर आपको खुशी से भर देगी, वहीं दूसरी ओर आपको यह चिंता होने लगेगी कि आप खुद का और अपने बच्चों का खयाल कैसे रखेंगी । इस समय यह बहुत जरूरी है कि आप शांत रहें और खुद को समझाएं कि बिना चिंता किए भी सब हो जाएगा

जुड़वां गर्भावस्था के छठे सप्ताह में बच्चों का विकास

गर्भावस्था का छठा सप्ताह बहुत मायने रखता है इसका मुख्य कारण यह है कि इस समय गर्भ में पल रहे शिशुओं के शरीर विकसित होकर मानव-समान दिखना शुरू हो जाते हैं। इस दौरान चेहरे के अंग यानी कान, नाक और थोड़ा-बहुत होंठों का भी निर्माण लगभग हो जाता है। हालांकि भ्रूण के फेफड़ों का विकास गर्भावस्था के आखिरी चरण में पूरी तौर से होता है लेकिन इसके टिश्यू बनने की शुरुआत हो जाती है । इसके अलावा शिशुओं की आंतें बनने लगती हैं और उनके हाथों और पैरों का विकास भी शुरू हो जाता है। जुड़वां या इससे अधिक बच्चों में छठे सप्ताह तक उनके पिट्यूटरी ग्लैंड व मस्तिष्क के अन्य हिस्सों को सहारा देने वाली हड्डियों और मांसपेशियों का विकास होने लगता है। तेजी से हो रहे इस विकास के कारण शिशुओं का हृदय, माँ के हृदय की तुलना में लगभग दोगुनी गति से धड़कना शुरू कर देता है।

बच्चों का आकार क्या होता है

बच्चों का आकार क्या होता है

शिशुओं में होने वाले इन सभी प्रमुख विकासों के बावजूद, उनका आकार मटर के एक दाने अर्थात लगभग आधा सेंटीमीटर से ज्यादा नहीं होता है।

आम शारीरिक परिवर्तन

जैसे-जैसे गर्भ में बच्चे विकसित होते हैं आपके शरीर को वैसे-वैसे इसका अहसास होने लगता है और इसी के अनुसार आपके शरीर में परिवर्तन भी होते हैं ।

  • कई प्रकार के हार्मोनल उतार-चढ़ाव के कारण आपको न केवल मूड स्विंग होता है बल्कि इसकी वजह से बहुत सारे शारीरिक परिवर्तन भी होते हैं । थकान, मतली, पेट फूलना, ऐंठन और ऐसी कई सारी समस्याएं हो सकती हैं।
  • कुछ माओं को इस अवस्था में स्पॉटिंग भी होती है। वैसे ऐसा होना सामान्य है, लेकिन कभी-कभी यह ऐसी गर्भावस्था का संकेतक होता है जो गर्भाशय में समुचित ढंग से अस्तित्व में नहीं आई होती है। यदि स्पॉटिंग बनी रहती है या और भी अधिक हो जाती है, तो इसका अर्थ है कि यह भविष्य में गर्भपात का कारण बन सकती है।
  • आपकी जुड़वां या एकाधिक गर्भावस्था के कारण आपको मॉर्निंग सिकनेस की समस्या अधिक होगी। ये एचसीजी (ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन) का स्तर बढ़ने की वजह से होता है और जिन महिलाओं के गर्भ में दो अथवा उससे अधिक शिशु हों उनमें इसका स्तर अधिक होता है।
  • आपका वजन बढ़ जाएगा – आखिरकार, आप दो से अधिक लोगों के लिए खा रही हैं! यह सामान्य बात है क्योंकि आपके शरीर को आपके गर्भ में पल रहे जीवन को पोषण देने के लिए अधिक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है।

जुड़वां गर्भावस्था के छठे सप्ताह के लक्षण

हालांकि अधिकांश महिलाओं को छठे सप्ताह में जुड़वां बच्चों के संकेत मिलने लगते हैं,लेकिन यदि आपको इसका अनुभव नहीं होता है, तो इसमें घबराने की आवश्यकता नहीं है। आप नीचे दिए गए कुछ लक्षणों से इसकी पहचान कर सकती हैं:

  • जी मिचलाना इस समय तक बढ़ जाता है। आपको मॉर्निंग सिकनेस की समस्या पूरे दिन बनी रह सकती है जो आपके शरीर में तेजी से हो रहे परिवर्तनों के कारण होता है।
  • कुछ गर्भवती महिलाओं को उनका पेट फुला हुआ और भरा-भरा सा भी लगता है।
  • बढ़े हुए रक्त संचार के चलते, स्तनों में कसाव आ जाता है, जिससे आपको दर्द महसूस होगा। अनुचित या तंग कपड़े पहनने से उनमें खुजली भी हो सकती है।
  • एचसीजी हॉर्मोन का स्तर शरीर में तेजी से बढ़ने लगता है, जिसके परिणामस्वरूप आपके मूत्राशय पर दबाव बढ़ जाता है और आपको बार-बार पेशाब के लिए जाना पड़ता है।इस दौरान पर्याप्त मात्रा में पानी न पीने और फाइबर युक्त आहार का सेवन न करने से आपको कब्ज की समस्या की भी हो सकती है।
  • शरीर में होने वाले बहुत सारे परिवर्तन और गर्भ में लगातार विकसित होते शिशुओं के कारण, आप छोटे-मोटे कामों में भी बहुत थकान महसूस करेंगी।

जुड़वां गर्भावस्था के छठे सप्ताह में पेट

जुड़वां गर्भावस्था के छठे सप्ताह में पेट

गर्भावस्था के छठे सप्ताह में आपका बेबी बंप दिखाई नहीं देगा। इस समय आपका पेट निकला हुआ नहीं नजर आएगा, अभी आपका बच्चा केवल एक मटर के दाने जितना ही होगा।

जुड़वां गर्भावस्था के छठे सप्ताह में अल्ट्रासाउंड

जिन महिलाओं को अभी भी अपनी जुड़वां या एकाधिक गर्भावस्था से संबंधित किसी प्रकार का कोई संदेह है, तो छठे सप्ताह में आप अल्ट्रासाउंड के जरिए अपने इस संदेह को स्पष्ट कर सकती हैं। हालांकि लगभग चौथे सप्ताह में ही गर्भ में कई सैक का निर्माण हो चुका होता है, लेकिन अधिकांश महिलाओं में 6 सप्ताह पूरे होने के बाद ही इसे ठीक से देखा जा सकता है। अल्ट्रासाउंड के जरिए बच्चों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलती है, जैसे उनकी वृद्धि, आकार इत्यादि। शिशुओं के दिल की धड़कन सामान्यतः प्रति मिनट लगभग 90-110 होती है, जबकि कई शिशुओं में अभी तक ह्रदय का पूरी तरह निर्माण भी नहीं हुआ होता। इस चरण में स्कैन करने से आपके गर्भ में पल रहे शिशु दो बड़े धब्बों जैसे प्रतीत होंगे। इसके बावजूद भी एक माँ के लिए अपने बच्चों की पहली झलक बेहद खास होती है।

आहार

आहार

गर्भवती महिला में जुड़वां या उससे अधिक बच्चों की गर्भावस्था के दौरान हैरान कर देने वाले परिवर्तन होते हैं। इस समय उनकी भूख अचानक से बढ़ जाती है। बच्चों को विकास करने के लिए पोषण की जरूरत होती है, जो उन्हें माँ के जरिए मिलती है और इस कारण बच्चों की पोषण संबंधी जरूरत को पूरा करने के कारण माँ को ज्यादा भूख लगती। पर्याप्त मात्रा में स्वस्थ और पौष्टिक आहार लेना अत्यंत आवश्यक होता है, लेकिन ध्यान रहे कि किसी भी चीज का सेवन जरूरत से ज्यादा मात्रा में न करें।

इसके अलावा, बच्चे लगातार विकास कर रहे होते हैं और अपने लिए गर्भ में जगह बनाने का प्रयास करते हैं जिससे गर्भाशय भी बढ़ता है और पेट को प्रभावित करता है, जिसके कारण आपकी सीने में जलन और एसिडिटी बढ़ सकती है। इस दशा में यदि कब्ज हो जाए, तो यह एक गर्भवती महिला के लिए बहुत कष्टदायी हो जाता है। पूरे दिन पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थों के साथ फाइबर युक्त फलों का सेवन करने से आप इस परेशानी से छुटकारा पा सकती हैं ।

देखभाल संबंधी टिप्स

गर्भावस्था के दौरान आपका शरीर बहुत सारे परिवर्तनों से गुजर रहा होता है इसलिए अपने शरीर का अच्छे से ध्यान रखना आपकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। यहाँ आपको कुछ टिप्स दिए गए हैं जिन पर आपको ध्यान देना चाहिए, ये आगे आपके लिए मददगार साबित होंगे। 

क्या करें

  • यदि आपने अभी तक अपनी गर्भावस्था का पहला चेकअप नहीं कराया है, तो अभी करा लें। इस समय आपके डॉक्टर द्वारा कई सारे परीक्षण किए जाते हैं, जो यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि आपकी गर्भावस्था का सफर बिना किसी व्यवधान के सुचारु ढंग से पूरा हो सके।
  • थोड़ा-बहुत व्यायाम करती रहें जिससे आप शारीरिक रूप से तंदुरुस्त रहेंगी। प्रयास करें कि भोजन करने के बाद थोड़ा टहलें ताकि आपको अपच की परेशानी न हो और इससे सीने में होने वाली जलन की संभावना भी कम हो।
  • अधिक मात्रा में 3 बार में खाने के बजाए आप थोड़े-थोड़े अंतराल पर दिन में कई बार कुछ न कुछ खाएं, इससे आपकी भूख नियंत्रित रहेगी और आपको अपना पेट फूला हुआ नहीं लगेगा और एसिडिटी की समस्या भी कम हो जाएगी।

क्या न करें

  • स्ट्रेस और एंग्जायटी आपके गर्भ में पल रहे बच्चों के लिए बहुत खतरनाक है । आपके लिए ऐसा महसूस करना प्राकृतिक और बायोलॉजिकल है, क्योंकि ये शरीर में हार्मोन के स्तर के बढ़ जाने की वजह से होता है । आप खुद को शांत और तनावमुक्त रखने के लिए मेडिटेशन, व्यायाम, संगीत सुनने, इत्यादि उपाय अपना सकती हैं। 
  • किसी भी नूट्रिशनल सप्लीमेंट या प्रीनेटल विटामिन लेने में की गई देरी आपके शिशुओं की वृद्धि और विकास के लिए घातक हो सकती है। विभिन्न तत्व जैसे फोलिक एसिड और विटामिन की गर्भावस्था के दौरान अत्यधिक जरूरत होती है, खासकर जब शिशुओं का तंत्रिका (न्यूरल) विकास चरम अपने चरम पर होता है। इस स्तर पर पोषक तत्वों की कमी से बच्चे को विकास संबंधी विकार अथवा गंभीर जन्मजात दोष हो सकता है।

शॉपिंग लिस्ट

अपने शरीर और पेट के आकार में हो रही लगातार वृद्धि को देखते हुए यह आवश्यक है कि आप बड़े और आरामदायक कपड़े खरीदें जिन्हें आप किसी फंक्शन में भी पहन सकें। आप फैशन और आराम दोनों को नजर में रखते हुए बाजार में उपलब्ध विभिन्न प्रकार के मैटरनिटी क्लॉथ खरीद सकती हैं। 

इस समय आपके स्तनों का आकार बढ़ने लगता है और वो अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। इसलिए, अपने स्तनों को सहारा देने के लिए आप एक अच्छी ब्रा खरीदने पर विचार कर सकती हैं। सैर पर जाते समय, ऐसे जूतों का प्रयोग करें जिनकी ग्रिप अच्छी हो और सोल नर्म हों।

छठे सप्ताह में अपने जुड़वां बच्चों को अल्ट्रासाउंड स्कैन के जरिए पहली बार देखना आपको और आपके साथी को माता-पिता बनने का अहसास दिलाता है । मटर के छोटे दानों जितने दिखने वाले आपके बच्चे मुश्किल से एक सेंटीमीटर के होंगे जो कुछ ही समय में पूर्ण रूप से विकसित हो कर शिशु के समान दिखने लगेंगे। बच्चों के विकास और उनकी सुरक्षा का सबको ध्यान रखना चाहिए और होने वाली माँ की अच्छे से देखभाल करनी चाहिए, उन्हें स्वस्थ आहार दें, उनके आसपास शांति का माहौल बनाए रखें और ढ़ेर सारा प्यार दें।