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बच्चों में चक्कर आने की समस्या का अक्सर पता लगाना मुश्किल होता है। बच्चे कभी-कभी समस्या को ठीक से समझाने में असमर्थ होते हैं और अपनी चंचलता में हो सकता है कि इस पर ध्यान ही न दें। यदि कोई स्वस्थ बच्चा अचानक से सिर घूमने या अस्थिर होने जैसा महसूस करता है, तो चिंता की कोई बात नहीं है। यह खेल के समय के दौरान साधारण मोशन के कारण या किसी विशेष स्थिति से बहुत तेजी से चलने के कारण होने वाली एक नेचुरल घटना होती है।
कृपया यह भी ध्यान दें कि वर्टिगो और चक्कर आना एक ही बात नहीं है। चक्कर आना सिर घूमने, अस्थिर, अस्त-व्यस्त आदि होने की एक समग्र भावना है, जिसके लक्षणों पर हम नीचे विस्तार से चर्चा करेंगे। दूसरी ओर वर्टिगो एक अलग और निश्चित प्रकार का चक्कर है। बच्चों में वर्टिगो का संदेह हो सकता है यदि वे चक्कर आने की शिकायत करते हैं, साथ ही पूरे कमरे में एक स्पिनिंग सेंसेशन और घूमने या चकराने की सनसनी होती है।
हालांकि, अगर वर्टिगो या चक्कर आना जारी रहता है और बढ़ जाता है तो आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए क्योंकि स्टडीज से ऐसा संकेत मिला है कि बच्चों में चक्कर आने के कई मामले रिपोर्ट नहीं किए जाते हैं क्योंकि उन्हें आसानी से पहचाना नहीं जा सकता है।
बच्चों में चक्कर आने के आम कारण
बच्चों में चक्कर आने के कई कारण हैं। बस यह पहचानना होगा कि इसका कारण शारीरिक है या मनोवैज्ञानिक। चक्कर आना नीचे दी गई स्थितियों के कारण होता है:
1. कान की समस्या
- भीतरी कान में विकार या मेनियर्स रोग होना
- कान के अंदर तरल पदार्थ का अत्यधिक निर्माण होना
- कुछ अन्य आंतरिक कान की समस्या या संक्रमण
2. दिमाग या सिर की समस्याएं
- माइग्रेन: मुख्य रूप से एक विशेष प्रकार के सिरदर्द, मोशन सिकनेस, मतली और कुछ अन्य संकेत और लक्षणों वाली एक बीमारी। हालांकि, इस बात पर ध्यान दें कि वेस्टिबुलर माइग्रेन सिरदर्द का कारण नहीं होता है। इसके बजाय इसमें चक्कर आना, मोशन, हल्की संवेदनशीलता आदि शामिल होते हैं।
- मिर्गी: दिमाग की कोशिकाओं के काम करने में समस्या आना।
- चियारी 1: सेरेबेल्लार (मस्तिष्क का हिस्सा) टॉन्सिल की विकृति।
- जेनेटिक अटैक्सिआ: जेनेटिक टिश्यू के कारण सेरिबैलम, रीढ़ की हड्डी या किसी अन्य टिश्यू का डैमेज होना।
- ब्रेन ट्यूमर
- सिर पर चोट
3. अन्य मेडिकल समस्याएं
- सौम्य पैरॉक्सिस्मल वर्टिगो जो सुनने की हानि या टिनिटस के बिना वर्टिगो की समस्या के साथ होता है।
- एमडीडी (माल दे देबारक्युमेंट) एक प्रकार का चक्कर है जो किसी नाव, जहाज या किसी अन्य प्रकार की समुद्री यात्रा के बाद होने वाली संवेदना के कारण होता है।
- ब्लड प्रेशर में गिरावट, बेहोशी या थोड़ी देर के लिए बेहोशी आना।
- हाइपरवेंटिलेशन (अत्यधिक सांस लेना) या सांस रुकना
- हाइपोथायरायडिज्म, जहां थायरॉयड ग्लैंड पर्याप्त थायराइड हार्मोन का उत्पादन नहीं करती है।
- हृदय संबंधी समस्या
- विकास में देरी
- मांसपेशियों में दर्द या समस्या
- डिहाइड्रेशन
- एनीमिया (खून की कमी)
- मनोवैज्ञानिक परेशानी
- हिस्टीरिया
- सीजर यानी दौरे
- एंग्जायटी
चक्कर आने के संकेत और लक्षण
इसका पहला कदम यह समझना है कि क्या बच्चा वास्तव में क्लिनिकल डिजिनेस यानी चक्कर आने की बीमारी से पीड़ित है। इस बात पर ध्यान दें कि क्या आपका बच्चा लगातार नीचे बताई गई भावनाओं की शिकायत कर रहा है:
- सिर घूमना
- सिर भारी होना
- धूमिल या धुंधला दिखना
- अजीब हरकत या भावना
- आसपास की चीजें घूमती हुई लगना
- असंतुलित मोशन
- आंखें घूमना
बहुत छोटे बच्चों में इसका पता लगाना बेहद मुश्किल है। देखें कि क्या बच्चा:
- यह शिकायत करता है कि उसे पेट या सिर में असहज महसूस हो रहा है
- अस्थिर होकर चलता है
- अपनी एक्टिविटीज सही से नहीं करता है
- नीचे गिरने लगता है
- उसके मोटर स्किल में गड़बड़ी या डेवलपमेंट में देरी दिखती है जैसे सिर को सीधा रखने, रेंगने, खड़े होने और अंत में चलने में कठिनाई आती है।
गंभीर मामलों में, चक्कर आने के साथ बेहोशी भी हो सकती है। ऐसे में कृपया इलाज के लिए तुरंत डॉक्टर से मिलें।
बच्चों में चक्कर आने का इलाज कैसे करें
चक्कर आना थोड़े वक्त के लिए हो सकता है और इसे इलाज की आवश्यकता नहीं होती है यदि यह खेल के दौरान साधारण मोशन या कान के साधारण इंफेक्शन के कारण होता है। हालांकि, यदि बच्चा लगातार चक्कर आने की शिकायत करता है तो इसमें इलाज की जरूरत होती है। यह उपचार चक्कर आने के मुख्य कारण पर निर्भर करता है। यहां कुछ उपचार के तरीके दिए गए हैं:
- मेनियर्स डिजीज के मामले में, वॉटर रिटेंशन को कम करने के लिए मूत्रवर्धक (ड्यूरेटिक्स) का उपयोग किया जाता है।
- डिहाइड्रेशन की स्थिति में पानी और नमक का सेवन बढ़ाएं।
- वर्टिगो के लिए रिहैबिलेशन एक्सरसाइज और शारीरिक थेरेपी जैसे सिर की एक्सरसाइज करें।
- दिल से जुड़ी किसी भी समस्या का पता चलने पर जांच की जाती है।
- एनीमिया, मिर्गी, माइग्रेन, चिआरी 1, जेनेटिक अटैक्सिआ, सिर की चोट, विकास से जुड़े मुद्दों के लिए पारंपरिक उपचार, थेरेपी और दवा दी जाती है।
- एक विशेषज्ञ की सलाह से हाई डोज स्टेरॉयड और वेस्टिबुलर रिहैबिलेशन की सलाह दी जाती है, जिसमे वायरल संक्रमण के कारण चक्कर आते हैं, यह अपने आप हल नहीं होता है साथ ही यह हफ्तों, महीनों या सालों के लंबे समय के लिए बैलेंस डेफिसिट का कारण बनती है।
- एंग्जायटी के साथ कुछ वेस्टिबुलर समस्याओं के कारण आने वाले चक्कर में, डॉक्टर एक फिजिकल थेरेपिस्ट, कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी और चुनिंदा सेरोटोनिन रीपटेक इनहिबिटर (एसएसआरआईI) थेरेपी के साथ आदतों पर आधारित वेस्टिबुलर रिहैबिलेशन करवाने का सुझाव देते हैं।
- दुर्लभ मामलों में, सर्जरी करवाने की सलाह दी जाती है जैसे कि गंभीर ब्रेन ट्यूमर में।
डॉक्टर से कब परामर्श करें
आपको तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए अगर बच्चे को चक्कर आने की शिकायत के साथ नीचे दी गई ये समस्याएं भी हों:
- सिर पर चोट लगना
- गर्दन में अकड़न आना
- तेज बुखार
- देखने की समस्या
- सुनने में दिक्कत होना
- बोलने में दिक्कत होना
- पैरों में कमजोरी या चलने में कठिनाई होना
- सीने में तकलीफ/दर्द और/या सांस लेने में तकलीफ होना
- धड़कन का धीमा होना
चूंकि बच्चों में चक्कर आना मुश्किल है, इसलिए आपको किसी भी शिकायत, संकेत या लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इसका जल्दी इलाज कराना महत्वपूर्ण है क्योंकि चक्कर आना किसी गंभीर छुपी हुई बीमारी के कारण भी हो सकता है।
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