बच्चों का कान छिदवाना: सही उम्र, प्रभाव और सेफ्टी टिप्स

बच्चों का कान छिदवाना: सही उम्र, प्रभाव और सेफ्टी टिप्स

कई परिवारों में पीढ़ियों से बच्चों के कान छिदवाने की परंपरा होती है फिर चाहे वह लड़की हो या लड़का। कई बार बच्चे जब काफी छोटे होते हैं तभी उनके कान छिदवाए जाते हैं। कर्णछेदन भी हिंदू धर्म में एक संस्कार है, जिसके लिए कई माता-पिता और परिवार उत्सुक रहते हैं। लेकिन बच्चे के कान छिदवाने से पहले आपको कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

बच्चे के कान छिदवाने की सही उम्र क्या है? 

कान छिदवाने की सबसे अच्छी उम्र किसी व्यक्ति की स्वयं की पसंद हो सकती है क्योंकि कान छिदवाने के हर व्यक्ति के कारण अलग-अलग होते हैं। आमतौर पर, बहुत छोटे बच्चों के कान छिदवाने की सलाह नहीं दी जाती है क्योंकि उनमें इंफेक्शन से लड़ने के लिए इम्युनिटी की कमी होती है। इसलिए बेबी की उम्र कम से कम 6 महीने या उससे अधिक होने के बाद ही कान छिदवाने की सलाह दी जाती है। 

अगर आप चाहती हैं कि आप बच्चे की इच्छा के अनुसार कान छिदवाएं तो आपको उसके लगभग 9 या 10 साल का होने तक प्रतीक्षा करने की सलाह दी जाती है।

कान छिदवाने की विधि कैसे चुनें

पियर्सिंग करने की विधि इस बात पर निर्भर करती है कि यह कहाँ की जाएगी। कान छेदने वाले अधिकांश सैलून एक मशीनीकृत बंदूक का उपयोग करते हैं जिसमें स्टरलाइज स्टड होते हैं। आम तौर पर दोनों कानों को एक ही समय में छेद दिया जाता है। इसके अलावा टैटू स्टूडियो में भी स्टेराइल सर्जिकल सुइयों का उपयोग किया जाता है, जो मशीनीकृत बंदूक से भी ज्यादा स्वच्छ होती हैं। भारत में, कई माता-पिता बच्चों को अपने विश्वसनीय सुनार या जौहरी के पास ले जाते हैं, जो कान छेदने के लिए सोने के महीन तार का उपयोग करते हैं।

आपके बच्चे के कान किसे छेदने चाहिए? 

ज्यादातर परिवारों में यह काम अपने पारंपरिक कान छेदने वाले के द्वारा करने की सलाह मिलती है जो पीढ़ियों से ऐसा करते आ रहे हैं। लेकिन इयर पियर्सिंग केवल पेशेवरों द्वारा ही किया जाना चाहिए, जिसमें उचित और साफ ग्लव्स, स्टेराइल उपकरणों आदि का उपयोग होना चाहिए। उनके पास फर्स्ट एड किट भी होनी चाहिए।

कैसे सुनिश्चित करें कि बच्चे को कान छिदवाने के दौरान कम से कम दर्द हो 

  • कई पेशेवर लिडोकेन से बनी एक एनस्थेटिक क्रीम का उपयोग करते हैं। यह उस जगह को सुन्न करने और दर्द को एक साधारण चुभन तक कम करने में मदद करती है। इसे कान छेदने से लगभग 15 मिनट पहले लगाने की जरुरत होती है।
  • दूसरा तरीका बर्फ का उपयोग करना है। लंबे समय तक ईयरलोब पर एक आइस क्यूब रखने से उस हिस्से में नर्व्स एंड की संवेदनशीलता थोड़े समय के लिए कम हो जाती है। तो यह लोब को सुई से छेदने से ठीक पहले किया जा सकता है।
  • दोनों में से कोई भी तरीका दर्द को पूरी तरह से कम नहीं कर सकता है। इसलिए बच्चे को समझाना और सपोर्ट करना ताकि उसे शुरू में दर्द का एहसास न हो, जरूरी है। दर्द बाद में भी शुरू हो सकता है क्योंकि एनेस्थीसिया का असर खत्म हो जाता है। प्रक्रिया के दौरान उसे अपने हाथों को कसकर पकड़ने दें और उसे शांत होने के लिए गहरी सांस लेने की सलाह दें।

कैसे सुनिश्चित करें कि बच्चे को कान छिदवाने के दौरान कम से कम दर्द हो 

इयररिंग्स के लिए सबसे अच्छी धातु कौन सी है? 

बच्चे के कान में सबसे पहले पहनाई जाने वाली बाली या स्टड के लिए, सर्जिकल स्टेनलेस स्टील से बने इयररिंग्स उपलब्ध होते हैं। क्योंकि इनमें कोई मिश्र धातु नहीं होती है जो एलर्जी का कारण बने और इसलिए, बच्चे की पहली बाली या स्टड के लिए यह एक सुरक्षित विकल्प माना जाता है। बच्चों के कान के लिए प्लैटिनम, टाइटेनियम और लोकप्रिय 14 कैरेट सोने के इयररिंग्स भी अच्छे हो सकते हैं। वाइट गोल्ड से बने इयररिंग्स चुनने से बचें, क्योंकि इसमें निकल नामक मेटल (धातु) हो सकता है जो एलर्जी का कारण बन सकता है। आप डॉक्टर से सलाह ले सकती हैं कि बच्चे के पहले इयररिंग्स के लिए कौन सा मेटल सबसे सुरक्षित होगा।

सुरक्षा उपाय

  • सुनिश्चित करें कि बच्चे के कान के हड्डियों के जोड़ (कार्टिलेज) में छेद करने से बचें। कार्टिलेज पियर्सिंग को ठीक होने में अधिक समय लगता है, और यदि उचित देखभाल नहीं की जाए, तो यह गांठ (केलोइड्स) का कारण बन सकती है।
  • अगर बच्चे के बाल लंबे हैं, तो बांधकर रखें ताकि वे बाली या झुमके में न उलझें। हेयर स्प्रे, हेयर जेल और परफ्यूम जैसे उत्पादों को कानों से दूर रखें।
  • यदि आपके बच्चे को एलर्जी, कमजोर इम्युनिटी, स्किन प्रॉब्लम आदि जैसी कोई मेडिकल समस्या है, तो उसके कान छिदवाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

कान छिदवाने के बाद इंफेक्शन के लक्षण क्या होते हैं? 

अगर कान में छेद करते समय सही सावधानियां नहीं बरती गईं, तो छेद इन्फेक्टेड होने की संभावना हो सकती है। इंफेक्शन की वजह से कान के छेद वाली जगह में सूजन और लाली दिखनी शुरु हो सकती है। आपके बच्चे को इससे खुजली और दर्द हो सकता है। अगर कान से पानी निकल रहा है तो यह मवाद बनने का संकेत हो सकता है। डॉक्टर इसे देखकर बता सकेंगे कि ये लक्षण एलर्जी के हैं या इंफेक्शन के। वैसे अलग-अलग इयररिंग्स का उपयोग करके एलर्जी को आसानी से कम किया जा सकता है। इंफेक्शन के मामले में, इयररिंग्स को हटा देना चाहिए, और उस जगह को साफ कर देना चाहिए। बैक्टीरिया से लड़ने के लिए एंटीबायोटिक की डोज भी दी जा सकती है। उपचार के दौरान, छेद बंद हो सकता है। इसे फिर से छेदने की जरूरत पड़ सकती है और फिर से छेद करवाने के लिए पहले कम से कम 6-8 महीने तक इंतजार करना चाहिए और बार-बार ऐसा करने से बचना चाहिए।

बच्चों में कान छिदवाने के प्रभाव

  • खेलने के दौरान, आपके बच्चे का छेदा हुआ कान का लोब गंदे हाथों या वस्तुओं के संपर्क में आ सकता है, और इससे इंफेक्शन हो सकता है।
  • इंफेक्टेड त्वचा समय के साथ ठीक हो जाती है इसके लिए सिर्फ पीछे के स्टड को हटाने की जरूरत होती है, अगर बाली को पहले ही हटा दिया गया है, तो फिर से छेदन करना पड़ सकता है।
  • खेल या शारीरिक गतिविधियों के दौरान, बड़े कान की बाली कपड़े या अन्य चीजों में फंस सकती है, और इससे कान का लोब खींच सकता है। यह इयरलोब को घायल कर सकता है या फट भी सकता है, इसलिए हमेशा सावधानी बरतनी चाहिए।
  • अगर कान के छेद का आकार बहुत छोटा है, तो इससे नई त्वचा कान की बाली के साथ मिल सकती है।

कान छेदने के बाद की देखभाल जिसका आपको पालन करना चाहिए

  • कान छेदने के बाद, वह जगह काफी संवेदनशील हो जाती है। इसलिए, ऐसे समय में अतिरिक्त देखभाल और स्वच्छता बनाए रखने की आवश्यकता होती है। सुनिश्चित करें कि बच्चा किसी भी स्थिति में कान को छूने से पहले अपने हाथों को साफ और सूखा रखे। अगर बच्चा छोटा है, तो उसके हाथ हमेशा साफ रखें, क्योंकि उसे अपने कानों को छूने से रोकना मुश्किल हो सकता है।
  • हालांकि वह जगह संवेदनशील होती है, फिर भी उसे नियमित रूप से साफ करने की जरूरत है। नमक वाले पानी के घोल का उपयोग करें और एक बार जब आपका बच्चा स्नान कर ले, तो उस जगह को दिन में दो बार हल्के से स्पंज जरूर करें।
  • छेद को उचित आकार में रखने के लिए अक्सर कान की बाली को घुमाने की सलाह दी जाती है। हालांकि, जब तक घाव पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाता है, तब तक कान के छेद के साथ कुछ भी नहीं करना सबसे अच्छा होगा। घाव के ऊपर बनने वाली किसी भी सूखी पपड़ी को न हटाएं।

क्या कान छिदवाने के बाद बच्चे को किसी विशेष एक्टिविटी से बचना चाहिए?

जब तक कान के छेद का घाव पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाता है, यह सलाह दी जाती है कि बच्चा अत्यधिक शारीरिक गतिविधियों में शामिल न हों या ऐसे खेल न खेले जहां बच्चों के बीच बहुत अधिक शारीरिक संपर्क हो। इसके अलावा स्विमिंग से भी बचें, क्योंकि पूल के कीटाणु घाव में इंफेक्शन पैदा कर सकते हैं।

बच्चों के लिए कान छिदवाना उन्हें काफी खुश और उत्साहित कर सकता है। कई बच्चे अपनी माँ के इयररिंग्स को देखकर अपने लिए भी ऐसा ही चाहते हैं, लेकिन यहां यह जानना जरूरी है कि इयर पियर्सिंग के बाद किसी भी तरह के इंफेक्शन से बचने के लिए उचित देखभाल की जाए।

स्रोत 1: Parents
स्रोत 2: Rileychildrens

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