बच्चे शायद ही कभी यह समझ पाते हैं कि उनके साथ कुछ गलत हो रहा है, जब तक वो बीमार न हों या कोई चोट न लगी हो। ज्यादातर बच्चे खुद को परेशानी से बचाने के लिए किसी भी तरह के सुरक्षा उपायों को नही अपनाते हैं, क्योंकि वो आमतौर पर लापरवाह होते हैं। शरीर के सभी अंगों में आँखें बहुत नाजुक होती हैं और उन्हें होने वाला किसी भी प्रकार के नुकसान का इलाज इतनी आसानी से नहीं किया जा सकता है। माता-पिता के रूप में बच्चों की आँखों की देखभाल करना आपका एक आवश्यक काम है और इसे कुछ तकनीकों का उपयोग करके आसानी से किया जा सकता है।
बच्चे लापरवाह होते हैं और इसलिए उनकी देखभाल करना आपका कर्तव्य होना चाहिए। आप अपने बच्चे की आँखों की सुरक्षा के लिए इन सुझावों का पालन कर सकती हैं:
प्रतिक्रियाशील होने की जगह चोट को रोकने के लिए सबसे पहले एक सक्रिय उपाय करना आवश्यक है, खासकर जब समस्या आपके बच्चे की खूबसूरत आँखों के बारे में हो। ध्यान रखें कि बच्चा जब भी कोई खेल खेल रहा हो या कोई ऐसी गतिविधि कर रहा हो जिससे आँखों को चोट लगने की संभावना ज्यादा हो, तो वह सुरक्षा के लिए चश्मे को जरुर पहने। चश्मा उसे आतिशबाजी देखने, रंगों से खेलते समय और पूल में तैरते समय भी जरूरी होता है। ध्यान रखें कि पूल में उतरने से पहले अपने बच्चे को स्विमिंग गॉगल्स पहनाएं। क्योंकि पूल के पानी में घुली क्लोरीन आँखों को तकलीफ दे सकती है।
आमतौर पर जिन खिलौनों या बोर्ड गेम्स को हानिकारक नहीं माना जाता है, उनसे भी गलती से या खेलते हुए किसी के हाथ की आकस्मिक गति की वजह से बच्चे की आँखों पर चोट लग सकती है। इस मामले में, यदि खिलौना या वस्तु नरम या कम नुकीला है, तो नुकसान बहुत ही कम होगा और आँख को स्थायी रूप से चोट नहीं पहुंचेगी। हालांकि, एक कोई धारदार खिलौना जोखिम भरा हो सकता है।
घर के बड़े लोग आपको अक्सर बच्चों की आँखों में काजल या सुरमा लगाने के लिए कहते होगें। जो देखने में खूबसूरत लगने के साथ, लंबे समय से चली आ रही परंपरा का हिस्सा भी माना जाता है। आमतौर पर माएं अपने बच्चों को बाजार से लाया गया काजल लगा देती हैं, जो केमिकल से बने होने के कारण उनकी आँखों पर , खासकर शिशुओं की आँखों के लिए नुकसानदेह हो सकता है। यहां तक कि हाई क्वालिटी वाली आई पेंसिल में भी ऐसे केमिकल होते हैं जो सुरक्षित नहीं होते हैं। अगर ये केमिकल आँख की पुतली के संपर्क में आते हैं, तो ये बच्चे की दृष्टि को प्रभावित कर सकते हैं।
जब भी आंख में जलन होती है, तो सबसे पहला रिएक्शन इसे दूर करने के लिए आंख को रगड़ना होता है। हालांकि, इससे समस्या और बढ़ जाती है। आंख में मौजूद कोई भी बाहरी चीज होने पर आईबॉल के पास रगड़ने या मलने से आंख को नुकसान पहुंच सकता है खासकर जब हाथ भी साफ न हो। इसके अलावा, अगर आंख को रगड़ते समय हाथ गंदे हैं, तो इससे कीटाणुओं और बैक्टीरिया के आंख में जाने की संभावना बढ़ जाती है, इसके परिणामस्वरूप आँखों में इंफेक्शन हो सकता है। यदि आपके बच्चे को पहले से ही कंजक्टिवाइटिस है, तो आंख को रगड़ने से उसकी स्थिति और खराब हो सकती है। बच्चे को ऐसा करने से बचना सिखाएं और इसके अलावा उसके हाथ साफ रखें और आँख को सही तरीके से साफ करने के लिए पानी का इस्तेमाल करें।
आज के दौर में डिजिटल डिवाइस और स्क्रीन लगभग सभी आकार में उपलब्ध है। बच्चे भी मोबाइल फोन पर वीडियो देखना, वीडियो गेम और कंप्यूटर पर गेम खेलना पसंद करते हैं। इसके परिणामस्वरूप लंबे समय तक स्क्रीन के सामने बैठने से उनकी आँखें पूरी प्रक्रिया के दौरान एक विशिष्ट बिंदु पर लगातार ध्यान केंद्रित कर रही होती हैं। इससे आँखों की रोशनी डैमेज हो सकती है, जिससे बहुत कम उम्र में नजर संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
अधिकांश बच्चे लंबे समय तक टेलीविजन पर कार्टून और पसंदीदा शो देखते रहते हैं। इससे उनकी आँखों पर दबाव पड़ता है जिसके परिणामस्वरूप अंततः दृष्टि की समस्या उत्पन्न हो सकती है। इस स्थिति से बचने के लिए अपने घर में कुछ नियम बना लें, जैसे स्क्रीन को हमेशा उचित दूरी से ही देखें या सोफे को सही दूरी पर रखें। इसके अलावा कमरे में उपयुक्त मात्रा में रोशनी हो ताकि प्रकाश का एकमात्र स्रोत टीवी का प्रकाश न हो क्योंकि इससे आँखों पर जोर पड़ता है।
शरीर के समुचित विकास के साथ ही आँखों को ठीक रखने के लिए भी संतुलित आहार का सेवन करना बहुत आवश्यक है। हरी पत्तेदार सब्जियां और आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थों से आँखों की रोशनी तेज होती है। जबकि पपीता, आम और अन्य फल जो मुख्य रूप से पीले रंग के होते हैं, उनमें बीटा-कैरोटीन की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जो आँखों की रोशनी को बढ़ाने में मदद करती है।
हम अक्सर ध्यान नहीं देते हैं, लेकिन हमारी आँखों को भी आराम की जरुरत होती है। बच्चों के लिए, स्कूल में ब्लैकबोर्ड देखना और पूरे स्कूल के दिनों में किताबों और नोटबुक को देखना, शाम को वीडियो गेम आदि खेलने से उनकी आँखों पर तनाव पड़ने लगता है। ऐसे में ये देखें कि वो रात में पर्याप्त नींद लें ताकि उनकी आँखों को पूरा आराम मिल सके। शाम की गतिविधियों में थोड़ा सा बदलाव करके आँखों को आराम दिया जा सकता है, इसके लिए पार्क में टहलने या अन्य आउटडोर खेल खेलने या बस आँखें बंद करके लेट कर संगीत सुनना अच्छा विकल्प माना जा सकता है।
सूरज कई बार काफी तेज और चमकीला हो सकता है, खासकर गर्मियों की दोपहर के समय। अगर आप किसी सफर पर हैं या छुट्टी पर हैं, जहाँ बच्चे को बाहर बहुत ज्यादा समय बिताना है और ऐसे में यदि आप अपनी और उसकी त्वचा को यूवी किरणों से बचाने के लिए सनस्क्रीन का उपयोग कर रही हैं, तो जरूरी है कि आँखों को भी उसी तरह की सुरक्षा मिले। खुद के साथ बच्चे को भी धूप का चश्मा जरूर पहनाएं।
वैसे तो वर्ष में कम से कम एक बार अपने बच्चे की आँखों की जांच अवश्य करवानी चाहिए। क्योंकि इससे आपको उसकी आँखों से संबंधित समस्याओं जैसे बार-बार आँखों में खुजली होना या चीजों को स्पष्ट रूप से नहीं देख पाना है, तो वो इंफेक्शन से पीड़ित हो सकता है या उसे चश्मे की आवश्यकता हो सकती है। इसकी पुष्टि के लिए एक नेत्र रोग विशेषज्ञ से जांच करवाएं और उनकी सलाह का पालन भी करें।
हमारी आँखों को दुनिया देखने वाली खिड़की माना जाता है और बच्चे अपने आस-पास की हर चीज को सिर्फ देखकर ही ढेर सारी जानकारी हासिल कर लेते हैं। ऐसे में सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा अपनी आँखों को कोई नुकसान न पहुंचाए और आँखों की अच्छी देखभाल के साथ बिना परेशानी के एक खूबसूरत बचपन जी सके, जैसा कि आप उसके लिए कोशिश करती हैं।
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