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बच्चों को सांस लेने में समस्या कई तरह से हो सकती है और शुरुआत में हो सकता है कि यह तुरंत स्पष्ट न हो। बच्चे की सांस फूलती हुई महसूस हो सकती है और हो सकता है, कि बहुत अधिक खेलने या अधिक थकावट को इसका कारण मान लिया जाए। बच्चे में सांस लेने में कठिनाई एंग्जायटी या फिर किसी गंभीर रेस्पिरेटरी समस्या के कारण भी हो सकती है। किसी भी मामले में सांस लेने में कठिनाई के पीछे के कारण और इसके उपाय के तरीकों को समझना सबसे अच्छा होता है।
बच्चों में सांस लेने में कठिनाई कई तरह के कारणों से हो सकती है, जिनमें से ज्यादातर इस प्रकार हैं-
अगर बच्चे में निम्नलिखित में से कोई भी संकेत या लक्षण नजर आते हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए:
जब बच्चे सांस के गंभीर संकट से जूझते हैं, तब इसका मुख्य कारण पुरानी बीमारी होती है, जिसका जितनी जल्दी हो सके डॉक्टर के द्वारा जांच किया जाना बहुत जरूरी है।
इसके कुछ संभावित कारण नीचे दिए गए हैं:
रेस्पिरेट्री डिस्ट्रेस के सही संकेतों को पहचानना समस्या को सुलझाने का पहला कदम होता है:
बच्चे की सांस संबंधी समस्या का इलाज इस बात पर निर्भर करता है, कि वह किस समस्या से ग्रस्त है। इसके कुछ आम इलाज इस प्रकार हैं:
आमतौर पर फेफड़ों की बीमारी के लिए इलाज के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली यह थेरेपी बच्चे के फेफड़ों में सर्फेक्टेंट को रिप्लेस करने में मदद करती है। सर्फेक्टेंट एक तरल पदार्थ होता है, जो फेफड़ों के अंदर एक परत बनाता है। इससे इन्हें खुले रहने में और सामान्य रूप से सांस लेने में मदद मिलती है। डॉक्टर बच्चे के फेफड़ों को तब तक सर्फेक्टेंट उपलब्ध कराते रहते हैं, जब तक यह इसका उत्पादन खुद शुरू न कर दे।
अगर आपका बच्चा अन्य इलाज के बावजूद अच्छी तरह से सांस नहीं ले पाता है, तब डॉक्टर उसे ब्रीदिंग सपोर्ट पर रखने की सलाह दे सकते हैं। हाई प्रेशर एयर ऑक्सीजन मिक्सचर युक्त एक ट्यूब बच्चे की नाक में जोड़कर उसके सांस लेने की मेहनत को कम कर देती है या एक ब्रीदिंग ट्यूब इंस्टॉल की जा सकती है, जो सीधे बच्चे के फेफड़ों से जुड़ी हो और उसे ठीक तरह से सांस लेने में मदद कर सके। यह कंबाइंड थेरेपी तेज गति से रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस से निपटने में मदद करती है और बच्चे के श्वसन को सामान्य स्तर पर लाती है।
आपके बच्चे के श्वसन को सामान्य स्तर पर लाने में मदद के लिए कई तरह की दवाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है। इनमें नेजल स्प्रे से लेकर एसिटामिनोफेन तक, बच्चे में खांसी जुकाम को कम करने वाली दवाएं, पेनिसिलिन, डीकन्जेस्टेंट, फेफड़ों को अच्छी तरह से सांस लेने में मदद के लिए जिंक, कॉर्टिकोस्टेरॉइड, रिसेप्टर ब्लॉकर्स, ल्यूकोटरीन, एलर्जिक रिएक्शन ट्रिगर होने से बचाव के लिए एंटीहिस्टामाइन और ऑप्थल्मिक दवाइयां तक शामिल हैं।
जब सांसे छोटी और अपर्याप्त हों, तब आपके बच्चे को ऑक्सीजन थेरेपी दी जा सकती है। यह शरीर पर तनाव के बिना ऑक्सीजन की जरूरी मात्रा उपलब्ध कराने में मदद करती है, ताकि फेफड़े अपने समय पर विकसित हो सकें और शरीर को जरूरी ऑक्सीजन मिलती रहे।
जिन बच्चों को पहले एलर्जी हो चुकी होती है, उनमें एलर्जेन की मौजूदगी के कारण ज्यादातर रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस ट्रिगर हो जाते हैं। इसके लिए इलाज के दौरान ऐसे किसी भी एलर्जेन के संपर्क में आने से बचना जरूरी है। आपके बच्चे को किसी भी घरेलू पालतू जानवर से दूर रहना, आस-पास मौजूद धूल कणों से दूर रहना, बाहर हवा में तैर रहे पोलेन या स्मोक या एरोसोल जैसे किसी अन्य पोल्यूटेंट से दूर रहना जरूरी है।
बच्चे को सांस की किसी समस्या से बचाने की शुरुआत आपकी गर्भावस्था से ही हो जाती है और यह उसके विकास तक जारी रहती है। गर्भावस्था के शुरुआती चरण में डॉक्टर से नियमित रूप से मिलना और किसी संभावित समस्या की मौजूदगी की जांच करते रहना सबसे अच्छा होता है। अच्छा खानपान और स्वस्थ गर्भावस्था मेंटेन करने से बच्चे में किसी बायोलॉजिकल स्थिति या समस्या के विकास से बचाव होता है, जो कि डिलीवरी के पहले या डिलीवरी के दौरान सांस लेने में रुकावट बन सकती है। प्रेगनेंसी के दौरान शराब और सिगरेट का सेवन हमेशा से ही हानिकारक रहा है।
जब आपका बच्चा बढ़ रहा होता है, तब आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए, कि वह एक उचित आहार ले और नियमित रूप से खाना खाए। अगर बच्चे में कुछ खास एलर्जिक स्थितियों का संदेह है, तो ट्रिगर युक्त खास जगहों से उसे दूर रखें। किसी इमरजेंसी की स्थिति में उसे मास्क का इस्तेमाल करने और आपको बुलाने का निर्देश दें। इस बात का ध्यान रखें, कि बच्चा डस्ट माइट्स और बाहरी पोल्यूटेंट से दूर रहे, ताकि जितना ज्यादा संभव हो सके श्वसन के संकट के ट्रिगर होने की संभावना कम हो सके।
बच्चे को सांस की समस्याओं से ग्रस्त देखना आपके लिए बेहद तकलीफदेह हो सकता है, लेकिन आपको तनाव और चिंता में देखकर बच्चा भी चिंता और घबराहट का शिकार हो सकता है, जिससे उसकी स्थिति और भी बिगड़ सकती है। ऐसे में सबसे अच्छा यही होगा, कि आप तुरंत किए जा सकने वाले उपायों के बारे में जानकारी रखें और अपने बच्चे को यह आश्वासन दें, कि वह बहुत जल्द ही ठीक हो जाएगा।
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