ब्रेस्टफीडिंग बंद करने पर मां और बेबी को होने वाले साइड इफेक्ट

ब्रेस्टफीडिंग बंद करने पर मां और बेबी को होने वाले साइड इफेक्ट

ज्यादातर मांएं ब्रेस्टफीडिंग के अनोखे अनुभव का आनंद उठाती हैं। हालांकि इसके लिए बहुत मेहनत भी करनी पड़ती है, पर इस खूबसूरत अनुभव के लिए यह मेहनत वाजिब लगती है। वीनिंग एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें मां धीरे-धीरे बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग से हटाकर खाने के दूसरे स्रोतों की ओर ले जाती है। अक्सर चाइल्ड-लेड वीनिंग में मां बच्चे को तब तक अपना दूध पिलाती है, जब तक बच्चे की इच्छा खत्म ना हो जाए। यह समय 24 महीनों से अधिक का भी हो सकता है, जो कि बच्चे के ऊपर निर्भर करता है। कुछ मांएं कई कारणों से बच्चे की वीनिंग जल्द ही शुरू कर देती हैं। 

क्या ब्रेस्टफीडिंग रोकने के कोई साइड इफेक्ट भी होते हैं?

वाजिब कारण होने के बावजूद, वीनिंग से मां और बच्चे दोनों पर कुछ साइड इफेक्ट दिख सकते हैं। सभी मांओं को ब्रेस्टफीडिंग रोकने के बाद असुविधा के साथ-साथ अन्य कई प्रभाव दिखते हैं। प्रोलैक्टिन और ऑक्सीटोसिन का स्तर घटने से हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिससे शरीर में दर्द भी हो सकता है। यहां पर हम ब्रेस्टफीडिंग रोकने के कुछ प्रभावों के बारे में चर्चा कर रहे हैं। 

मां पर असर

मां पर वीनिंग से संबंधित कई साइड इफेक्ट दिखते हैं। उनमें से कुछ नीचे दिए गए हैं:

1. मैस्टाइटिस और क्लॉग्ड डक्ट 

डक्ट में ब्लॉकेज होने से ब्रेस्ट में अत्यधिक टेंडरनेस आ जाती है। अगर इसका इलाज न किया जाए, तो इससे मैस्टाइटिस हो सकता है। यह ब्रेस्ट का एक संक्रमण है, जिसके कारण अत्यधिक दर्द, बुखार और लालीपन जैसी समस्याएं होती हैं। ब्रेस्ट को छूने से गर्माहट और नरमी का एहसास होता है। वार्मिंग पैड, मिल्क एक्सप्रेशन और एंटीबायोटिक की खुराक से मैस्टाइटिस का इलाज किया जा सकता है। 

2. ब्रेस्ट का भारीपन

वीनिंग के कारण ब्रेस्ट भरे हुए लग सकते हैं। दूध के इकट्ठा होने के कारण, ब्रेस्ट में बहुत दर्द होता है और भारीपन लगता है। दूध एक्सप्रेस करने से इस एहसास को कम किया जा सकता है। 

3. शारीरिक तकलीफ

ब्रेस्टफीडिंग रोकने के बाद सिरदर्द, मतली और मूड स्विंग जैसी समस्याएं दिख सकती हैं। ये सभी ब्रेस्टफीडिंग रोकने के कारण होने वाले हार्मोनल बदलाव का प्रभाव हो सकते हैं। कभी-कभी ये समस्याएं शुरुआती गर्भावस्था के लक्षणों की तरह दिखती हैं। बच्चे की वीनिंग शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श लें। 

शारीरिक तकलीफ

4. फर्टिलिटी में बढ़ोतरी

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान शरीर से निकलने वाले हार्मोन, ओवुलेशन की संभावना को कम कर देते हैं। वहीं जब मां ब्रेस्टफीडिंग करना बंद करती है, तो इन हार्मोन में बदलाव आता है। वीनिंग शुरू करने पर 6 सप्ताह के अंदर पीरियड्स आने शुरू हो सकते हैं, जिसका मतलब है कि आपका ओवुलेशन फिर से शुरू हो गया है। 

5. पोस्ट वीनिंग डिप्रेशन

मां पर वीनिंग के प्रभाव के रूप में, हल्का से गंभीर डिप्रेशन दिख सकता है। यह शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव से संबंधित होता है, जब शिशु चूसना बंद कर देता है या दूध बाहर नहीं निकाला जाता है। लैक्टेशन के लिए जिम्मेदार हार्मोन प्रोलैक्टिन ही मां के लिए खुशी और शांति के एहसास को पैदा करता है। प्रोलैक्टिन के स्तर में कमी होने पर, मां उदासी महसूस कर सकती है और इस उदासी को अपने और अपने बच्चे के बीच के संबंध के खत्म होने से जोड़ती है। हर मां को डिप्रेशन का अनुभव नहीं होता है, लेकिन अगर आपको डिप्रेशन महसूस हो, तो आपको डॉक्टर से मदद लेनी चाहिए। 

6. अत्यधिक थकावट

वीनिंग के बाद मां के शरीर में प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन फिर से संतुलन बनाने की कोशिश करते हैं और इसके कारण अत्यधिक थकान महसूस होती है। ब्रेस्टफीडिंग बंद करने से सोने के पैटर्न में भी बदलाव होता है, जिसके कारण मां को और भी अधिक थकावट महसूस होती है। 

अत्यधिक थकावट

7. खाने को लेकर शर्मिंदगी होना

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान मांओं को ब्रेस्टफीडिंग जारी रखने के लिए पर्याप्त कैलोरी लेने की सलाह दी जाती है। महिलाएं आमतौर पर स्तनपान के दौरान बहुत सारा खाना खाती हैं और उनका वजन भी नहीं बढ़ता है। वहीं, जब  वे बच्चे को ठोस आहार देने का निर्णय लेती हैं, तो उन्हें खाने की मात्रा को कम करने में कठिनाई महसूस होती है, क्योंकि उन्हें उसकी आदत पड़ चुकी होती है। इससे कुछ मांओं को अपने खाने को लेकर अपराध बोध महसूस होता है। हार्मोनल बदलावों के कारण होने वाला डिप्रेशन कुछ मांओं में इस एहसास को और भी बढ़ा देता है। 

8. शिशु के साथ अटैचमेंट में परेशानी

ऑक्सीटोसिन का स्तर घटने से अपने बेबी के साथ थोड़ा मनमुटाव महसूस हो सकता है। ब्रेस्टफीडिंग के बिना, बच्चे को शांत करने में मां को दिक्कतें आती हैं। ऐसे में, बच्चे के साथ संबंध को मजबूत बनाने के अन्य तरीके, जैसे एक साथ खेलना, सोने के समय बच्चे को गले लगाना, आदि से, मां और बच्चे की बॉन्डिंग को मजबूत बनाने में मदद मिल सकती है। 

9. एंग्जाइटी

एंग्जाइटी कई तरह से दिख सकती है, जैसे मां का जल्दी-जल्दी बोलना, चिंता करना, जरूरत से ज्यादा सोचना, छोटी-छोटी बातों पर परेशान होना आदि। एंग्जाइटी के इन एहसासों के साथ धड़कन का तेज होना भी दिख सकता है। 

एंग्जाइटी

10. इनसोम्निया

वीनिंग शुरू करने के बाद, रात भर ब्रेस्टफीड कराने की जरूरत नहीं होती है। फिर भी, मांओं को पूरी रात अच्छी नींद सोने में कठिनाई महसूस होती है। 

11. त्वचा में बदलाव

बच्चे को वीनिंग शुरू करने के बाद हार्मोन में बदलाव होता है, जिसके कारण त्वचा में बहुत से बदलाव दिखते हैं। इसलिए ब्रेस्टफीडिंग बंद करने के बाद, त्वचा में रूखापन, मुंहासे, स्ट्रेच मार्क्स और अन्य कई समस्याएं आम होती हैं। 

12. मां के लिए बढ़ने वाला तनाव

बच्चे को शांत कराने में अक्षमता या एंग्जाइटी, ब्रेस्ट में दर्द, सिर में दर्द आदि से कुछ मांओं में तनाव का स्तर बढ़ सकता है। 

मां के लिए बढ़ने वाला तनाव

बेबी पर प्रभाव

ब्रेस्टफीडिंग बंद करने के बाद शिशु को भी कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, इनमें से कुछ समस्याएं नीचे दी गई हैं:

  • इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाना। क्योंकि, ब्रेस्ट मिल्क में इंफेक्शन से लड़ने वाली एंटीबॉडीज मौजूद होती हैं, जो कि बच्चा अब नहीं ले रहा होता है। 
  • ब्रेस्ट मिल्क से मिलने वाला न्यूट्रिशनल फायदा अब बंद हो चुका होता है और ऐसे में बाहरी पोषण पर निर्भरता बढ़ जाती है। ऐसे में अगर बच्चा आसानी से फार्मूला या ठोस आहार न ले, तो यह एक समस्या बन सकती है। 

बेबी पर प्रभाव

ब्रेस्टफीडिंग बंद करने के लिए कुछ टिप्स: 

  • ब्रेस्टफीडिंग को अचानक रोकने के बजाय, मां धीरे-धीरे इसे बंद कर सकती है। इसके लिए, कुछ सप्ताहों के अंतराल में ब्रेस्टफीडिंग की संख्या को घटाया जा सकता है। 
  • दूसरी उपयोगी टिप है, ब्रेस्टफीडिंग की अवधि को कम कर देना। उदाहरण के लिए, अगर आपका बच्चा 15 मिनट के लिए ब्रेस्टफीडिंग करता है, तो उसे घटाकर 10 मिनट कर दें। 
  • मांएं ब्रेस्टफीडिंग के साथ, फॉर्मूला मिल्क देना शुरू कर सकती हैं। इसके लिए ब्रेस्टफीडिंग के एक सेशन को घटाकर उसकी जगह पर फार्मूला दूध की एक बोतल दी जा सकती है। 

आपके बेबी को वीनिंग शुरू करने से पहले, एक लैक्टेशन कंसलटेंट से बात करें। इससे आपको वीनिंग के प्रभाव से लड़ने में मदद मिलेगी। आइस पैक, वार्मिंग पैड, सेज टी और एक अच्छी ब्रा, इंगोर्जमेंट और मैस्टाइटिस से बचने में बहुत उपयोगी साबित होते हैं। वीनिंग का कारण चाहे जो भी हो, अपने शरीर की सुनें और किसी भी अनचाही सलाह के दबाव में न आएं। शिशु की मां होने के नाते, आपके बच्चे के लिए सबसे बेहतर क्या है, यह तय करने का पूरा अधिकार आपको ही है। 

स्रोत 1: MedicalNewsToday
स्रोत 2: Babycentre

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