शिशु

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान कितनी कैलोरी कम होती है

बच्चे को शुरुआती 6 महीने तक पूरा न्यूट्रिशन माँ के दूध से मिलता है और ये आवश्यक विटामिन्स, फैट्स और मिनरल्स भी देता है जिससे उसका विकास और वृद्धि होती है। यह बच्चे का इम्यून सिस्टम मजबूत बनाता है। यदि आप हाल ही में माँ बनी हैं तो आपको पता होना चाहिए कि ब्रेस्टफीडिंग से बच्चे को बहुत सारे फायदे मिलते हैं पर क्या आप जानती हैं कि इससे माँ को भी अनेक फायदे मिलते हैं? शिशु को ब्रेस्टफीडिंग कराने से आपको कैलोरीज बर्न करने में मदद मिल सकती है। यदि आप डिलीवरी के बाद अपना वजन कम करने की सोच रही हैं तो आपको इसके बारे में पूरी जानकारी लेनी चाहिए। ब्रेस्टफीडिंग से कितनी कैलोरीज कम होती हैं और यह वजन कम करने में कैसे मदद करता है जानने के लिए पूरा पढ़ें। 

स्तनपान के दौरान कितनी कैलोरी कम होती है?

यदि ब्रेस्टफीडिंग के बाद आपकी एनर्जी खत्म हो गई है तो इसका यही अर्थ है कि ब्रेस्टफीडिंग के दौरान शरीर से काफी ज्यादा कैलोरीज कम हो गई हैं। ब्रेस्टफीडिंग से एक दिन में लगभग 300 से 700 कैलोरीज कम होती है। बच्चे के जन्म के तुरंत बाद से ही एक दिन में आपके शरीर से लगभग 300 कैलोरीज कम होने लगेंगी क्योंकि बच्चा थोड़ा बहुत ही दूध पिएगा पर जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होगा ब्रेस्ट में दूध की आपूर्ति भी बढ़ेगी और एक दिन में आपके शरीर से 700 कैलोरीज कम होंगी। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो नर्सिंग स्टेज के अनुसार ही कैलोरीज की मात्रा कम होगी। आपका शरीर उतना ही दूध उत्पन्न करेगा जितना बच्चे के लिए आवश्यक होगा। शरीर में दूध बढ़ाने के लिए कैलोरीज बर्न होंगी और यदि बच्चा बार-बार दूध पीता है तो आपकी कैलोरीज उस माँ की तुलना में ज्यादा कम होंगी जिसका समान आयु का बच्चा अपनी माँ का कम दूध पीता है। 

स्तनपान से कैलोरी कम क्यों होती है?

गर्भावस्था के बाद वजन कम करने का सबसे अच्छा तरीका ब्रेस्टफीडिंग ही है। पर यदि आप सोचती हैं कि सिर्फ ब्रेस्टफीडिंग से ही वजन कम होगा तो यह सच नहीं है क्योंकि यह दूध की आपूर्ति पूरी करने का एक प्रोसेस है जिसमें बहुत ज्यादा काम करने की जरूरत है। 30 मिलीलीटर दूध बढ़ाने में शरीर से लगभग 20 कैलोरीज बर्न हो जाती हैं और यदि आप बच्चे को एक दिन में 590 से 890 मिली लीटर दूध पिलाती हैं तो आपकी लगभग 400 से 600 कैलोरीज कम होंगी और वजन कम करने के लिए इतना पर्याप्त है। इसलिए यदि शरीर से बहुत ज्यादा कैलोरीज कम हो जाती हैं तो आपको एक्स्ट्रा कैलोरीज लेने की जरूरत पड़ सकती है। 

ब्रेस्टफीडिंग से मांओं की सिर्फ कैलोरीज ही कम नहीं होंगी बल्कि उन्हें स्वास्थ्य से संबंधित कई फायदे भी होंगे। यह देखा गया है कि जो मांएं अपने बच्चे के 6 महीने से ज्यादा दिनों तक दूध पिलाती हैं उन्हें बाद में कैंसर होने का खतरा कम है। यदि माँ जन्म के तुरंत बाद से ही बच्चे को दूध पिलाना शुरू कर देती हैं तो जेस्टेशनल डायबिटीज होने के बाद भी बाद में टाइप 2 डायबिटीज होने के संभावनाएं बहुत कम हैं।

स्तनपान कराने वाली माँ को कितनी एक्स्ट्रा कैलोरीज लेनी चाहिए?

एक ब्रेस्टफीडिंग माँ को बहुत सारी कैलोरीज की जरूरत होती है क्योंकि शरीर में बच्चे के लिए दूध उत्पन्न हो रहा है और इससे शरीर से काफी हद तक एनर्जी खत्म हो जाती है। तो सवाल यह उठता है कि ब्रेस्टफीड कराने वाली महिला को एक दिन में कितनी कैलोरीज की जरूरत है? ऊपर बताई हुई जानकारी से पता चलता है कि ब्रेस्टफीडिंग मांओं के शरीर से एक दिन में लगभग 300 से 700 कैलोरीज बर्न होती हैं। इसका यह मतलब है कि खत्म हुई कैलोरीज को बढ़ाने के लिए उन्हें ज्यादा कैलोरीज की जरूरत है। एक महिला जो न ही बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराती है और न ही गर्भवती है उसे एक दिन में लगभग 1800 से 2000 कैलोरीज की जरूरत है पर यह महिला की हाइट, वजन, एक्टिवनेस और उम्र पर भी निर्भर करता है। हालांकि जैसे ही महिला गर्भवती होती है वैसे ही डॉक्टर उसे डायट में रोजाना 300 कैलोरीज लेने की सलाह देते हैं और यह बाद में जब महिला बच्चे को दूध पिलाना शुरू करती है तब बढ़कर रोजाना 500 कैलोरीज में बदल जाता है। इसलिए जब आप बच्चे को दूध पिलाना शुरू करती हैं तो आपको लगभग 2200 से 3000 कैलोरीज लेनी चाहिए। यदि आप न्यूबॉर्न बच्चे को एक दिन में 8 से 10 बार दूध पिला रही हैं तो आपके शरीर को ज्यादा कैलोरीज लेने की जरूरत होगी और जब बच्चा बड़ा होगा व सॉलिड फूड या फॉर्मूला दूध का सेवन करेगा तो आप कैलोरीज लेना कम कर सकती हैं। 

क्या ब्रेस्टफीडिंग से वजन कम होगा?

ब्रेस्टफीडिंग से माँ को भी स्वास्थ्य से संबंधित कई फायदे मिलते हैं क्योंकि यह सिर्फ डिलीवरी के बाद के डिप्रेशन को ही कम नहीं करता है बल्कि डायबिटीज, ब्रेस्ट कैंसर, कार्डियोवस्कुलर रोग और अन्य कैंसर के खतरे को भी कम करता है। 

इसके अलावा बच्चे को ब्रेस्टफीड कराने से प्रेगनेंसी के बाद माँ का वजन प्राकृतिक रूप से कम होता है और वो अपने शेप में वापिस आ जाती है पर पर्याप्त वैज्ञानिक प्रमाण इसकी पुष्टि नहीं करते हैं। ब्रेस्टफीडिंग मांओं पर हुई एक स्टडी के अनुसार यह देखा गया है कि एक्सक्लूसिव ब्रेस्टफीड और पार्शियल ब्रेस्टफीड कराने वाली मांओं का वजन उनकी तुलना में ज्यादा कम होता है जो बच्चे को सिर्फ फॉर्मूला दूध पिलाती हैं। इसके अलावा यदि आप सिर्फ बच्चे को माँ का दूध पिलाती हैं और कुछ भी खाती हैं या बिलकुल भी एक्सरसाइज नहीं करती हैं तो इससे भी आपका वजन कम नहीं होगा। इसलिए गर्भावस्था के बाद वजन कम करने के लिए आपको सिर्फ हेल्दी डायट ही नहीं लेनी चाहिए बल्कि हेल्दी तरीके से वजन कम करने के लिए एक्सरसाइज भी करनी चाहिए। वहीं दूसरी तरफ यदि आपका वजन बढ़ता है तो यह ब्रेस्टफीडिंग की वजह से नहीं बढ़ रहा है बल्कि इसका यह मतलब है कि आपको डायट में कम कैलोरीज लेनी चाहिए। 

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान हेल्दी डाइट की आवश्यकता

डायट में कैलोरीज शामिल करने के लिए ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मांओं को हेल्दी फूड चुनना चाहिए। आपको नर्सिंग के दौरान अनहेल्दी फूड नहीं खाना चाहिए क्योंकि इससे बच्चे को विकास व वृद्धि के लिए पर्याप्त न्यूट्रिशन नहीं मिलेगा। आपको एनर्जी के लिए कुछ-कुछ घंटों में 300 से 400 कैलोरीज हेल्दी स्नैक्स खाना चाहिए। भोजन करने के बीच में आप सादा दही, एक गिलास दूध, फल व मुट्ठी भर नट्स ले सकती हैं और साथ ही आप खुद को हाइड्रेटेड रखें। यदि आप पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीती हैं तो इससे दूध की आपूर्ति में कमी होगी और साथ ही डिहाइड्रेशन भी होगा। थोड़ी-थोड़ी देर में पानी पिएं या फ्लुइड्स लें। इसके अलावा आप अपनी पेशाब का रंग चेक करती रहें क्योंकि यदि इसका रंग गहरा पीला है तो आपको डिहाइड्रेशन हो सकता है। ज्यादा न्यूट्रिशन की आवश्यकता के लिए डॉक्टर आपको मल्टी विटामिन्स लेने की सलाह दे सकते हैं। 

ब्रेस्टफीडिंग माँ और बच्चे, दोनों के लिए फायदेमंद है। इससे आपकी कैलोरीज कम होने में मदद मिलती है पर आपमें एनर्जी रहती है और साथ ही आपको हेल्दी फूड खाने और बहुत सारा पानी पीने की जरूरत है। यदि ब्रेस्टफीडिंग के दौरान आप अपना वजन कम करना चाहती हैं तो डॉक्टर और न्यूट्रिशनिस्ट से मिलें व हेल्दी तरीके से वजन कम करने के बारे में पूरी जानकारी लें। 

यह भी पढ़ें:

ब्रेस्टमिल्क की आपूर्ति कम होने के कारण
बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराने के फायदे और टिप्स
छोटे ब्रेस्ट के साथ ब्रेस्टफीडिंग: जरूरी जानकारी और टिप्स

सुरक्षा कटियार

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