बच्चे को जन्म देने के बारे में सोचते समय, ज्यादातर महिलाएं यही चाहती हैं कि वो नॉर्मल प्रक्रिया से अपने बच्चे को जन्म दें, लेकिन ऐसा सभी महिलाओं के लिए संभव नहीं होता है। प्रेगनेंसी में किसी भी तरह की परेशानी के समय, डॉक्टर सिजेरियन सेक्शन का सुझाव दे सकते हैं और कई बार महिलाएं भी इसे चुनती हैं। सी-सेक्शन को चुनने में वैसे तो कुछ गलत नहीं होता है क्योंकि यह गर्भवती महिला की सहमति या सुझाव से होता है, लेकिन अगर एक महिला नेचुरल डिलीवरी अपना बच्चा पैदा करना चाहती है तो कुछ ऐसे तरीके हैं, जिनसे सी-सेक्शन की संभावना को कम किया जा सकता है।
आप सी-सेक्शन से पूरी तरह हमेशा बच तो नहीं सकतीं, मगर इसकी संभावना को कम जरूर कर सकती हैं।
सी-सेक्शन की संभावना कम करने के 9 तरीके
सिजेरियन डिलीवरी आमतौर पर मेडिकल परेशानी के समय की जाती है। जब डिलीवरी से संबंधित कोई भी कॉम्प्लिकेशन पैदा होते हैं, तो ऐसे में सी-सेक्शन कई शिशुओं और माताओं की जान बचा सकता है। हालांकि, सिजेरियन डिलीवरी से जुड़े जोखिम नॉर्मल डिलीवरी के मुकाबले बहुत ज्यादा होते हैं, इसलिए बहुत से लोग सी-सेक्शन डिलीवरी के बजाय नॉर्मल डिलीवरी पसंद करते हैं।
1. अपने डॉक्टर का चुनाव सावधानी से करें
गर्भवती होने पर, जिस जगह आप अपने बच्चे को जन्म देने का सोच रही हैं, उस अस्पताल के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर लें और एक ऐसे डॉक्टर को चुनें जिन पर आपको पूरा भरोसा हो। अपने डॉक्टर और अस्पताल से बच्चे को पैदा करने को लेकर अपनी राय प्रेगनेंसी के शुरुआती दौर में ही बता दें और उनसे समय समय पर परामर्श भी करें। अस्पताल में सी-सेक्शन का शुल्क और आमतौर पर बच्चा पैदा करते समय इस्तेमाल की जाने वाली प्रक्रिया के बारे में भी पूछें। अगर आप फिर भी ये तय नहीं कर पा रही हैं कि कौन सा अस्पताल या डॉक्टर चुनना चाहिए तो अपने रिश्तेदार, दोस्त या ऐसी महिलाओं से पूछे जिनकी पहले नॉर्मल डिलीवरी हो चुकी हो। सी-सेक्शन या अनावश्यक मेडिकल इंटरवेंशन से बचने के लिए अपने गाइनेकोलॉजिस्ट का चुनाव सही तरह से करें।
2. सर्टिफाइड दाई/मिडवाइफ चुनें
एक अच्छी दाई को चुनना बहुत ही फायदेमंद हो सकता है। एक अनुभवी दाई प्रसव के दौरान महिलाओं को बेहतर रूप से गाइड कर सकती है। सर्टिफाइड दाई को मेडिकल इंटरवेंशन जैसे सी-सेक्शन या एपिड्यूरल के बिना वेजाइनल बर्थ करवाने के लिए अच्छे से ट्रेनिंग दी जाती है। यहाँ तक कि ये लोग महिलाओं को घर पर प्रसव कराने में भी मदद करने में सक्षम होती हैं। हालांकि, ज्यादा जोखिम वाली गर्भावस्था के मामले में, दाई के साथ, डॉक्टर से भी परामर्श करना चाहिए।
3. डिलीवरी से पहले की क्लासेस लें
गर्भावस्था के दौरान एंटीनेटल क्लास जॉइन करने से बहुत मदद मिलती है। इसके दौरान आपको कुछ योग मुद्राएं भी सिखाई जाती है जिससे नॉर्मल डिलीवरी में मदद मिल सकती है। यह ब्रीदिंग एक्सरसाइज के बारे में भी बताते है जिससे प्रसव के दौरान होने वाले दर्द को कम करने में मदद मिलती है। सिजेरियन डिलीवरी से बचने में मदद के लिए कई टिप्स दिए जाते हैं। इन क्लास में आपको बच्चा पैदा करने के अलग अलग तरीकों के बारे में विस्तार से बताया जाता है ताकि आप कौन सी प्रक्रिया को चुनना है ये तय कर सकें। सी-सेक्शन की संभावनाओं को कम करने के तरीके के बारे में सभी सवालों का जवाब देने के लिए क्लास में डॉक्टर और देखभाल करने वाले अन्य लोग भी मौजूद होते हैं।
4. पौष्टिक और संतुलित आहार लें
प्रसव पीड़ा से गुजरना और बच्चे को जन्म देना कोई आसान बात नहीं है। ऐसा करने के लिए बहुत ताकत की जरूरत होती है। इसलिए समय-समय पर स्वस्थ और संतुलित भोजन करना जरूरी होता है। लेकिन यह बात कि एक गर्भवती महिला को दो लोगों के हिसाब से भोजन करना चाहिए मात्र एक अफवाह है। ऐसा करने से इंसान बहुत मोटा हो जाता है जिससे सी-सेक्शन करवाने का खतरा बढ़ सकता है। आहार को संतुलित करने का सबसे अच्छा तरीका होता है कि भोजन में चारों खाद्य समूह जैसे फल और सब्जियां, प्रोटीन, डेयरी और अनाज शामिल होने चाहिए। भोजन के बारे में उचित सलाह पाने के लिए दाई या चिकित्सक से परामर्श करें। अगर आपको जेस्टेशनल डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या कोई और बीमारी है, तो आप एक डायटिशियन से भी परामर्श कर सकती हैं जो आपको सही भोजन के बारे में बताएंगे।
5. व्यायाम
जब तक डॉक्टर या दाई आपको मना नहीं करते, तब तक आपको खुद को फिट रखने के लिए थोड़ा बहुत व्यायाम कर सकती हैं। एक्सरसाइज का सबसे अच्छा रूप जो गर्भावस्था के दौरान किया जा सकता है, वह है वाकिंग, स्विमिंग और प्रसव पूर्व योग का अभ्यास करना जो बच्चे के जन्म के दौरान बहुत फायदेमंद होता है। आमतौर पर प्रीनेटल क्लासेस में सिखाई जाने वाली लैमेज तकनीक (पैटर्न ब्रीदिंग एक्सरसाइज) भी प्रसव से दौरान बहुत मददगार होती है। हालांकि, गर्भवती महिलाओं को वेट ट्रेनिंग जैसी हैवी एक्सरसाइज नहीं करनी चाहिए।
6. इंड्यूस्ड होने से बचें
लेबर इंडक्शन भी कभी-कभी आवश्यक हो सकता है, जो कि दवाओं के माध्यम से लेबर में लाने की एक प्रक्रिया है। हालांकि, अगर बच्चा और माँ अच्छे स्थिति में है तो इससे बचना चाहिए। ऐसा देखा गया है कि लेबर इंडक्शन से सिजेरियन होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए जब तक बहुत ज्यादा जरूरी न हो, तब तक इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
7. तीसरी तिमाही के दौरान भरपूर आराम करें
गर्भावस्था के दौरान भरपूर आराम करना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि एक्टिव रहना। ऐसी महिलाएं जिन्होंने ज्यादा आराम नहीं किया है, उनकी तुलना में ऐसी महिलाएं जिन्हें भरपूर आराम मिला हो, प्रसव के वक्त होने वाली परेशानियों को ज्यादा अच्छे तरीके से पार कर सकती है। लेबर के दौरान और डिलीवरी के समय एक महिला को बहुत अधिक ताकत की आवश्यकता होती है। उनके पास इतनी ताकत तभी होगी जब वह गर्भावस्था के दौरान अच्छी तरह से आराम करेंगी। एक गर्भवती महिला के लिए दिन में कम से कम 7-8 घंटे सोना जरूरी है। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान सोने के लिए आरामदायक स्थिति प्राप्त करना आसान नहीं होता है इसलिए पैरों को मोड़कर लेटते समय बाईं ओर मुड़ने की सलाह दी जाती है। तकिए को दोनों पैरों और पीठ के निचले हिस्से के बीच में रखने से भी ज्यादा आराम मिलता है।
8. यह तीन सवाल पूछें
अगर आपके डॉक्टर आपको सी-सेक्शन की सलाह दे रहे हों तो उनसे ये तीन सवाल पूछें:
- क्या बच्चा ठीक है या कोई गंभीर परेशानी है?
- क्या मैं ठीक हूँ या मेरे साथ कुछ समस्या है?
- क्या सी-सेक्शन करने से पहले हम कुछ समय प्रतीक्षा कर सकते हैं?
अगर डॉक्टर कुछ समय रुकने के लिए तैयार होते हैं, तो उनसे पूछें कि आप बच्चे के जीवन को खतरे में डाले बिना कब तक रुक सकती हैं और क्या रुकना ठीक रहेगा। यदि डॉक्टर कहते हैं कि प्रतीक्षा करने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा, तो इसका मतलब है कि 2-3 घंटे तक प्रतीक्षा करने से प्रसव में प्रगति नहीं होगी, लेकिन यह बच्चे की स्थिति को बदल सकता है, इसलिए समझदारी से और समय रहते सही फैसला करें। आपका बच्चा लगातार फीटल हार्ट मॉनिटरिंग के जरिए लगातार मॉनिटर किया जाएगा इसलिए जल्द से जल्द फैसला करना बच्चे के लिए सही होगा।
9. गर्भावस्था और प्रसव के दौरान तनाव से बचें
गर्भावस्था के दौरान तनाव होना आम बात है, खासकर जब आप प्रसव पीड़ा से गुजर रही होती हैं। मगर ऐसे वक्त में शांत रहने का प्रयास करना चाहिए, घबराने से आपके बच्चे पर गलत असर पड़ सकता है जिसकी वजह से प्रसव समय से पहले होने की संभावना होती है और आपको सिजेरियन डिलीवरी के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। 7वें महीने के बाद नियमित रूप से पेरिनियल मालिश करने से आपको आराम मिल सकता है। ऐसी महिलाओं से दूर रहने की भी सलाह दी जाती है, जो अपनी कठिन गर्भावस्था के करण बहुत पैनिक होती हैं। तनाव दूर करने के लिए आप संगीत सुन सकती है, योग कर सकती है, सैर पर जा सकती है, ध्यान लगा सकती है, खुशी भरे माहौल में रह सकती है, आदि। यहां तक कि डिलीवरी के दौरान भी, यदि आप चाहें, तो डॉक्टर से अपनी पसंद का कोई म्यूजिक बजाने के लिए कह सकती हैं और अपने आस-पास किसी करीबी इंसान जैसे की अपने पति को सपोर्ट के लिए अपने साथ रहने के लिए कह सकती है।
सी-सेक्शन के साथ-साथ नॉर्मल डिलीवरी के फायदे-नुकसान के बारे में अच्छे से पता करें। अगर आपको लगता है कि नॉर्मल डिलीवरी के फायदे सी-सेक्शन से ज्यादा हैं, तो आप नॉर्मल डिलीवरी चुन सकती हैं। अगर आपको अपने फैसले पर विश्वास है तो इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता है, क्योंकि आपके बारे में आपसे बेहतर और कोई नहीं जान सकता है। लेकिन अगर आपकी गर्भावस्था में किसी भी तरह की जटिलता है और डॉक्टर सी-सेक्शन का सुझाव देते हैं, तो आप सी-सेक्शन को चुन सकती हैं। जब आप एक स्वस्थ बच्चे को जन्म देती हैं, तो आपको पता होता है कि सब कुछ ठीक हो जाएगा।
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