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छोटे बच्चों को चेरी देना – स्वास्थ्य संबंधी फायदे और रेसिपीज

क्या आप बच्चे की डायट में चेरी शामिल करने का प्लान कर रही हैं? चेरी बहुत स्वादिष्ट व मीठी होती है और यह बच्चों को पसंद भी आती है। इसके अलावा चेरी खाने के बहुत सारे फायदे हैं। इसलिए आपको जानना चाहिए कि बच्चों को चेरी कब और कैसे खिलाना शुरू करें ताकि वे इसे सुरक्षित तरीके से कैसे खा सकें। इस आर्टिकल में चेरी के स्वास्थ्य संबंधी फायदे और रेसिपीज बताई गई हैं, आइए जानें। 

बच्चे को चेरी देना कब शुरू करें

अक्सर यह सवाल पूछा जाता है कि बच्चों को चेरी देना कब शुरू करें? 8 महीने के बच्चे को चेरी खिलाना शुरू करना सही है। हालंकि 6 महीने के बच्चों को चेरी या कोई भी सेमी सॉलिड फूड खिलाने से पहले पेडिअट्रिशन से सलाह जरूर लें। क्योंकि इसमें साइट्रिक एसिड होता है जिससे संभावित रिएक्शन भी हो सकते हैं। 

चेरी की न्यूट्रिशनल वैल्यू

चेरी में बीटा-कैरोटीन, विटामिन ‘सी’ काफी मात्रा में होता है और यह फैट, कोलेस्ट्रॉल व सोडियम से पूरी तरह से मुक्त है। एक पकी हुई चेरी में 82% पानी होता है। एक कप में लगभग 150 ग्राम चेरी होती है जिसमें 85-90 कैलोरी होगी। इतने में लगभग 3 ग्राम फाइबर, 36 मिलीग्राम कैल्शियम, 1.65 ग्राम प्रोटीन और 0.85 मिलीग्राम आयरन है। इसमें 260 मिलीग्राम पोटैशियम भी है और इस फल में सबसे ज्यादा एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं। यह मेलाटोनिन नामक हॉर्मोन को नियंत्रित रखता है जिससे अच्छी नींद आती है। 

छोटे बच्चों के लिए चेरी के फायदे

चेरी को सुपर फूड भी कहा जा सकता है क्योंकि इसमें बहुत सारे न्यूट्रिएंट्स हैं। बच्चों के लिए चेरी में क्या-क्या फायदे हैं, आइए जानें;

  • चेरी में ब्लूबेरी और स्ट्रॉबेरी से ज्यादा बीटा कैरोटीन होता है। इसलिए इससे बच्चों की इम्युनिटी बढ़ती है, त्वचा में चमक आती है और आँखें भी स्वस्थ रहती हैं।
  • इसमें फाइबर अच्छी मात्रा में होता है जो कब्ज को ठीक करने में मदद करता है और पेट साफ करने में मदद करता है।
  • इस फल में एंटी-ऑक्सीडेंट्स बहुत ज्यादा होते हैं जो दिमाग के फंक्शन को बनाए रखने में मदद करते हैं।
  • चेरी में आयरन भी भरपूर होता है इसलिए इसे खाने से एनीमिया की समस्या भी नहीं होती है।
  • यह फल मेलाटोनिन नामक हॉर्मोन को नियंत्रित करता है जिससे कम सोने वाले बच्चों को अच्छी नींद आती है।
  • चेरी जूसी होती है और इसमें दो-तिहाई पानी होता है इसलिए यह फल खाने से बेबी हाइड्रेटेड रहता है।
  • इसमें मौजूद कैल्शियम बच्चे की हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है।
  • चेरी में मौजूद एंथोसायनिन सूजन को दूर करता है जिससे शरीर का दर्द ठीक हो जाता है।

छोटे बच्चों के लिए चेरी कैसे चुनें और स्टोर करें

आप अपने बच्चे के लिए हमेशा पकी हुई लाल रंग की व कड़क छिलके वाली चेरी ही खरीदें जिसे प्रेस करने पर वह दबती न हो। यदि चेरी कटी हुई है, उसमें दाग है या स्टेम सूखी हुई है तो इसे न खरीदें। आप गहरे रंग की चेरी ही खरीदें क्योंकि यह ज्यादा मीठी होती है। 

फ्रेश चेरी को बिना धोए प्लास्टिक के बैग में बांध कर फ्रिज में स्टोर करें। इसे खाने से तुरंत पहले धोएं। हालांकि इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि खाने से कुछ घंटे पहले इसे फ्रिज से निकाल लें और सामान्य तापमान में खाएं। 

चेरी का बेबी फूड कैसे तैयार करें

सबसे पहले आप चेरी की स्टेम हटाकर इसे अच्छी तरह से साफ करें। यदि इसमें बहुत ज्यादा दाग हैं या यह खराब है तो उसे हटा दें। फिर इसे आधा काटकर बीज निकालें। इसके बाद सारी चेरी को ब्लेंडर में डालें और प्यूरी बनाएं। आप इसे पूरी तरह ब्लेंड करके प्यूरी बनाएं या फिर इसमें थोड़े बहुत छोटे-छोटे टुकड़े भी रहने दें। आप इसे जितना ज्यादा ब्लेंड करेंगी यह उतनी ज्यादा पतली होगी। इसे बच्चे को चम्मच से खिलाएं या फिर इसे एप्पल सॉस या नाशपाती के सॉस में, चिकन या पॉरिज में मिलाकर बच्चे को दें। 

क्या बच्चे को चेरी से एलर्जी हो सकती है?

चेरी से एलर्जी होना बहुत दुर्लभ है पर फिर भी ऐसा हो सकता है। विशेषकर यदि बच्चे को पॉलन एलर्जी है तो उसे चेरी से भी एलर्जी हो सकती है। चेरी खाने से पॉलन फूड एलर्जी सिंड्रोम भी हो सकता है जिसमें मुँह में खुजली होने से शुरूआत होती है और साथ ही होंठ, जीभ, पैलेट, गले में सूजन, नाक बहने व आँखों से पानी आने की समस्या हो भी सकती है और नहीं भी। बहुत दुर्लभ मामलों में बच्चे को अनफिलॉक्सिक्स, पित्ती और गैस की समस्याएं भी हो सकती हैं जिसमें उल्टी, डायरिया और पेट में क्रैंप होने के लक्षण दिखाई देते हैं। 

बच्चों को चेरी देने से पहले सावधानी बरतें

यदि आपको शंका है कि चेरी में न्यूट्रिशन है या नहीं तो बच्चे को यह फल खिलाने से पहले निम्नलिखित कुछ सावधानियां जरूर बरतें, आइए जानें;

  • बेबी में पॉलन एलर्जी की जांच कराना जरूरी है। यदि है तो उसे चेरी बिलकुल भी न दें।
  • आप चाहें तो एलर्जिस्ट से बात करें और बच्चे में एलर्जी होने की जांच कराएं।
  • यदि बच्चे को चेरी से एलर्जी नहीं है तो आप उसे चेरी खिला सकती हैं पर इसे छील कर खिलाएं क्योंकि चेरी का छिलका काफी मोटा होता है और इसे चबा पाना बच्चे के लिए कठिन है।
  • जिन बच्चों ने हाल ही में सेमी सॉलिड फूड खाना शुरू किया है उन्हें चेरी की प्यूरी देना सबसे सही है। आप उसे यह पतला-पतला काट कर फिंगर फूड की तरह भी दे सकती हैं।
  • बेबी को चेरी देने से पहले इसके बीज जरूर निकाल लें।

छोटे बच्चों के लिए चेरी की रेसिपीज

क्या आप चेरी की कोई एक रेसिपी तैयार करना चाहती हैं? यहाँ पर 3 रेसिपीज दी गई हैं, आइए जानें;

1. चेरी और केले का मिक्स

क्या आप जानती हैं कि आप बच्चे के लिए चेरी की प्यूरी कैसे बना सकती हैं? यहाँ पर चेरी और केले की प्यूरी बनाने का तरीका दिया हुआ है, आइए जानें;

सामग्री

  • केला – 1
  • चेरी – 2
  • राइस सीरियल – 1/4 छोटा कटोरा

विधि 

  • चेरी की स्टेम निकाल कर इसे अच्छी तरह से धोएं।
  • इसे आधा काटकर बीज निकालें।
  • अब केला और चेरी को एक साथ ब्लेंड करके प्यूरी बना लें।
  • इसमें राइस सीरियल मिलाकर फिर से ब्लेंड करें और प्यूरी बनाएं।

2. दही के साथ चेरी और सेब की प्यूरी

यह चेरी, सेब और दही का एक टेस्टी मिश्रण है। जिन बच्चों का हाल ही में ब्रेस्टफीड या बोतल से दूध पीना छुड़वाया गया है उनके लिए यह सेब की एक बेहतरीन प्यूरी है। 

सामग्री

  • सेब – 1
  • चेरी – 2
  • दही – 4 -5 बड़े चम्मच

विधि 

  • सबसे पहले सेब को धोएं, छीलें और छोटा-छोटा काट लें।
  • चेरी की स्टेम हटाएं, इसे धो लें, बीज निकालें और छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें।
  • इन्हें एक साथ ब्लेंड करें।
  • दही को फेटें और इसे फलों की प्यूरी में डालकर अच्छी तरह से मिलाएं।

3. चेरी और ओट्स की खीर

यह भारतीय टेस्ट के साथ एक पौष्टिक रेसिपी है। 

सामग्री

  • चेरी – 2
  • ओट्स – 2 – 3 बड़े चम्मच
  • दूध – 1 गिलास
  • शहद – स्वादानुसार (वैकल्पिक)

विधि

  • सबसे पहले चेरी की स्टेम हटाकर इसे अच्छी तरह से साफ करें।
  • इसे आधा काटें और बीज निकाल दें।
  • चेरी को टुकड़ों में काटकर ब्लेंड करें।
  • अब आप दूध उबालें और इसमें ओट्स मिलाएं।
  • पकने और ठंडा होने के बाद इसे चेरी की प्यूरी, शहद (वैकल्पिक) डालकर अच्छी तरह से मिलाएं।

बच्चे की डायट में चेरी शामिल करने से आप उसे ज्यादा न्यूट्रिशन दे सकती हैं। यह सिर्फ बच्चे का पूरे डेवलपमेंट और हेल्थ बनाए रखने में ही मदद नहीं करती है बल्कि इससे बेबी को रोजाना के खाने में एक बेहतर स्वाद भी मिलता है। 

यह भी पढ़ें:  

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सुरक्षा कटियार

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