मिस्ड मिसकैरेज – कारण, संकेत और प्रभाव

मिस्ड मिसकैरेज - कारण, संकेत और प्रभाव

गर्भावस्था एक अनिश्चित यात्रा होती है। मां बनने वाली कई महिलाएं ऐसी चुनौतियों का अनुभव करती हैं, जिनका उन्हें अनुमान भी नहीं होता है। मिस्ड मिसकैरेज एक ऐसा अनुभव है, जिससे कई मांओं को गुजरना पड़ता है। यह गर्भावस्था की एक जटिलता होती है। इसलिए यह बहुत जरूरी है, कि हर गर्भवती महिला को इसके बारे में उचित जानकारी हो। इससे जरूरत पड़ने पर उन्हें इसके लिए जल्द से जल्द उचित इलाज शुरू करने में मदद मिलेगी। मिस्ड मिसकैरेज, इसके कारण, लक्षण और इस नुकसान से डील करने के लिए कुछ टिप्स के बारे में अधिक जानने के लिए आगे पढ़ें। 

मिस्ड अबॉर्शन क्या है?

मिस्ड मिसकैरेज एक बहुत ही दुविधापूर्ण शब्द है, क्योंकि इसमें मरोड़ या ब्लीडिंग का कोई लक्षण नहीं दिखता है। इसी कारण से मिस्ड मिसकैरेज को साइलेंट मिसकैरेज भी कहा जाता है। इस दौरान महिला को केवल ब्रेस्ट में संवेदनशीलता या मतली जैसे सौम्य लक्षणों का एहसास होता है। केवल जब आप अल्ट्रासाउंड स्कैन के दौरान गर्भस्थ शिशु के दिल की धड़कनों को नहीं सुन पाती हैं, तब ही मिस्ड मिसकैरेज का पता चलता है और इसकी पुष्टि होती है। 

मिस्ड मिसकैरेज कितने आम होते हैं?

मिस्ड मिसकैरेज कितने आम होते हैं?

दुर्भाग्य से सभी गर्भावस्थाओं में से लगभग 20% मामलों में मिसकैरेज की संभावना होती है और गर्भावस्था के शुरुआती 3 महीनों के दौरान ऐसा हो सकता है। इस प्रकार मिस्ड मिसकैरेज की संभावना पूरी तरह से असामान्य नहीं होती है। मिस्ड मिसकैरेज के आंकड़ों के अनुसार सभी मिसकैरेज में से लगभग 50 से 75% मामलों में केमिकल प्रेगनेंसी (गर्भधारण के पांचवे सप्ताह के अंदर होने वाला मिसकैरेज) देखी जाती है। 

मिस्ड अबॉर्शन के कारण

मिस्ड अबॉर्शन के ज्यादातर मामलों में यह क्रोमोसोमल असामान्यताओं के कारण होता है, जिसके कारण प्रेगनेंसी विकसित नहीं हो पाती है। 7 सप्ताह में होने वाले मिस्ड अबॉर्शन के पीछे भी ऐसे ही कारण होते हैं और इसे एंब्रियो में विकास संबंधी असामान्यताओं से जोड़ा जा सकता है। 

मिस्ड मिसकैरेज के संकेत

जैसा कि पहले बताया गया है, मिस्ड मिसकैरेज के कोई खास लक्षण नहीं होते हैं। वेजाइनल ब्लीडिंग, गंभीर मरोड़ या फीटल टिशू के डिस्चार्ज जैसे मिसकैरेज के सामान्य लक्षण भी ऐसे मामलों में नहीं देखे जाते हैं। मिस्ड मिसकैरेज के दौरान प्रेगनेंसी के संकेत जारी रह सकते हैं, क्योंकि प्लेसेंटा या कॉर्पस लुटियम हॉर्मोन्स रिलीज करना बंद नहीं करते हैं। कुछ गर्भवती महिलाएं थकावट, ब्रेस्ट में दर्द या मतली जैसे लक्षणों में कमी आती हुई नोटिस करती हैं। गर्भस्थ शिशु की हार्टबीट की अनुपस्थिति के द्वारा डॉक्टर मिस्ड मिसकैरेज का डायग्नोसिस करते हैं। मिस्ड मिसकैरेज की स्थिति हो, तो रेगुलर चेकअप के दौरान अल्ट्रासाउंड में अविकसित भ्रूण नजर आता है। 

मिस्ड मिसकैरेज की जानकारी होने के बाद आप क्या कर सकती हैं?

मिस्ड मिसकैरेज की पहचान होने के बाद आपको भ्रूण के अवशेषों को बाहर निकालने के लिए उपचार करवाना पड़ सकती है। आपके गाइनेकोलॉजिस्ट आपको निम्नलिखित में से किसी एक तरीके की सलाह दे सकते हैं: 

1. प्राकृतिक प्रक्रिया

जब आपको मिस्ड मिसकैरेज के बारे में पता चलता है, तब आपके पास इलाज के लिए कुछ विकल्प होते हैं। लेकिन आप प्रकृति को इसकी जिम्मेदारी उठाने दे सकती हैं और टिशू के प्राकृतिक रूप से बाहर निकलने का इंतजार कर सकती हैं। 

2. दवाएं

दवाओं के द्वारा शरीर में कॉन्ट्रैक्शन पैदा किया जा सकता है, ताकि बचे हुए टिशू बाहर निकल सकें। इसका परिणाम भारी ब्लीडिंग से काफी मिलता-जुलता होता है। आपके डॉक्टर आपको कॉन्ट्रैक्शन को मैनेज करने में मदद के लिए दर्द निवारक दवाएं प्रिस्क्राइब करेंगे। 

3. डायलेशन एंड क्यूरेटेज (डी एंड सी) प्रक्रिया

जब आपकी प्रेगनेंसी 89 सप्ताह से अधिक हो जाती है, तब गर्भ से टिशू को बाहर निकालने के लिए डी एंड सी प्रक्रिया की सलाह दी जाती है। इस प्रक्रिया के दौरान, आपको जनरल एनेस्थीसिया दिया जाता है। इस प्रक्रिया में टिशू पूरी तरह से बाहर आ जाते हैं और इस प्रकार इन्फेक्शन से बचने में मदद मिलती है। यह प्रक्रिया अबॉर्शन की प्रक्रिया से मिलती-जुलती होती है, लेकिन इस मामले में ऐसे भ्रूण को बाहर निकाला जाता है, जो कि पहले से ही मृत होता है। 

मिसकैरेज की प्रक्रिया के बाद पति-पत्नी को दोबारा गर्भधारण का प्रयास करने से पहले एक से तीन मासिक धर्म आने तक इंतजार करना चाहिए, ताकि गर्भ पूरी तरह से स्वस्थ हो सके और अगली गर्भावस्था के लिए अच्छी तरह से तैयार रह सके।

भविष्य की गर्भावस्थाओं पर साइलेंट मिसकैरेज के प्रभाव

मिस्ड अबॉर्शन के बाद आपके डॉक्टर भविष्य की आपकी प्रेगनेंसी को अर्ली स्कैन और किसी भी जरूरी ट्रीटमेंट के साथ फॉलोअप के द्वारा ट्रैक करेंगे। अधिकतर मामलों में भविष्य की गर्भावस्थाएं बिल्कुल सफल होती हैं। इसलिए आपको एक पॉजिटिव सोच रखने की सलाह दी जाती है और मिस्ड मिसकैरेज के कारण होने वाले मानसिक तनाव से बचने के लिए काउंसलिंग लेने की सलाह दी जाती है। 

इस हानि से निपटने के लिए कुछ टिप्स

मिस्ड मिसकैरेज किसी भी व्यक्ति के लिए निराशाजनक हो सकता है। बच्चे को खोने का एहसास अत्यधिक उदासी और डिप्रेशन का कारण बन सकता है। लेकिन अगर आप दूसरी गर्भावस्था प्लान करने की इच्छा रखती हैं, तो आपका इस निराशा से बाहर निकलना जरूरी है। इस नुकसान के घाव से खुद को उबारने के लिए और पॉजिटिव बने रहने के लिए आप नीचे दी गई टिप्स आजमा सकती हैं:

  • एक अच्छे थैरेपिस्ट से परामर्श लें और अपने भय, घबराहट और चिंता को उनके साथ शेयर करें। 
  • रिलैक्स रहने के लिए हर दिन मेडिटेशन करें और अपने दिमाग को शांत रखें। 
  • अपनी शारीरिक फिटनेस पर फोकस करें। डॉक्टर की अनुमति मिलने पर एक्सरसाइज रूटीन को शुरू करें और एक स्वस्थ और पौष्टिक आहार लें। 
  • बीती हुई बातों को बार-बार याद करने से बचें और एक बेहतर भविष्य पर ध्यान दें। 

मिस्ड मिसकैरेज माता-पिता के लिए कठिन समय हो सकता है। आपको यह समझना जरूरी है, कि इसका यह मतलब नहीं है, कि आप कभी भी पेरेंट्स नहीं बन सकते। थोड़े सहयोग और स्वस्थ जीवन शैली के साथ आप इस आघात से उबार सकते हैं और साथ ही भविष्य में स्वस्थ गर्भधारण की संभावना को भी बढ़ा सकते हैं। 

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