गर्भावस्था

क्या गर्भावस्था और ब्रेस्टफीडिंग के दौरान त्रिफला का सेवन करना चाहिए?

भारत में विभिन्न रोगों को ठीक करने के लिए सैकड़ों सालों से औषधीय हर्ब्स का उपयोग किया जाता रहा है। इन सभी हर्ब्स में एक त्रिफला भी है जिसके स्वास्थ्य संबंधी कई फायदे हैं। पर क्या एक गर्भवती महिला या ब्रेस्टफीड कराने वाली महिला इस हर्ब का उपयोग कर सकती है? गर्भावस्था या ब्रेस्टफीडिंग के दौरान महिलाओं को हर्ब्स लेने से पहले डॉक्टर या लैक्टेशन स्पेशलिस्ट से इस बारे में सलाह जरूर ले लेनी चाहिए। गर्भावस्था या ब्रेस्टफीडिंग के दौरान त्रिफला खाना सुरक्षित है या नहीं, यह जानने के लिए इस लेख को पूरा पढ़ें। 

त्रिफला क्या है और इससे क्या फायदे होते हैं?

त्रिफला एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसका उपयोग लोग पुराने समय से करते आ रहे हैं और ऐसा कहा जाता है कि दाँतों की समस्या से लेकर पेट की समस्याओं को ठीक करने तक इसके कई फायदे हैं। नाम के अनुसार इसका अर्थ है, ‘तीन फल’ जिसे तीन पौधों के सूखे हुए फलों को मिलाकर बनाया जाता है। इसमें पहला फल आंवला, दूसरा बिभीतकी और तीसरा फल हरीतकी है। इसका उपयोग कई रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता है और यह सूजन व कब्ज के लक्षणों को भी ठीक कर सकता है। इससे स्वास्थ्य संबंधी निम्नलिखित फायदे होते हैं, आइए जानें;

  • त्रिफला खाने से पेट साफ होता है।
  • यह खून को फिल्टर और साफ करने में मदद करता है।
  • त्रिफला लिवर में मौजूद टॉक्सिन्स को खत्म करता है।
  • इसमें मौजूद विटामिन ‘सी’ की अधिक मात्रा इन्फेक्शन से लड़ने में मदद करती है।
  • इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं।
  • त्रिफला वजन कम होने की समस्या को खत्म करता है।
  • ऐसा माना जाता है कि त्रिफला कैंसर मरीजों के लिए भी फायदेमंद है।

क्या गर्भावस्था में आप त्रिफला ले सकती हैं?

इसका जवाब है ‘नहीं’, गर्भवती महिलाओं को त्रिफला लेने की सलाह नहीं दी जाती है। इसका कारण यह है कि गर्भावस्था के दौरान त्रिफला खाने से ‘नीचे की ओर फ्लो’ या ‘डाउनवर्ड फ्लो’ मूवमेंट होने की वजह से मिसकैरेज की संभावना बढ़ सकती है। यहाँ तक कि बच्चे को दूध पिलानेवाली महिलाओं को भी इसका सेवन करने की सलाह नहीं दी जाती है। हाल ही में बनी माँ को लैक्टेशन बढ़ाने के लिए आंवला खाने की सलाह दी जाती है। हालांकि आंवला, त्रिफला में पाए जानेवाले तीन फलों में से एक है जो गर्भवती महिलाओं के लिए अच्छा होता है पर त्रिफला में मौजूद दो अन्य फल, ‘बिभीतकी और हरीतकी’ महिलाओं के लिए हानिकारक होते हैं। इसलिए शरीर में एंटीऑक्सीडेंट के स्तर को बनाए रखने के लिए गर्भवती महिलाओं को सिर्फ आंवला खाना चाहिए। 

गर्भावस्था में त्रिफला का सेवन करने के जोखिम

गर्भावस्था के दौरान त्रिफला का सेवन करने से महिला को कई संभावित जोखिम हो सकते हैं, आइए जानें;

  • यदि एक गर्भवती महिला त्रिफला का सेवन करती है तो उसे डायरिया और पेट में दर्द हो सकता है जिसकी वजह से गर्भावस्था की समस्याएं बढ़ सकती हैं।
  • गर्भावस्था के दौरान इससे महिला के पेट में नीचे की ओर मूवमेंट होता है जिसकी वजह से मिसकैरेज का खतरा बढ़ सकता है।
  • इससे गर्भाशय की मांसपेशियों में संकुचन होता है जिसके परिणामस्वरूप भी मिसकैरेज हो सकता है।
  • यदि आप त्रिफला को खून पतला करने की दवाइयों के साथ लेती हैं तो यह दवाओं के प्रभाव को अधिक बढ़ा सकता है।
  • गर्भावस्था के दौरान त्रिफला का चूर्ण लेने से आपको एलर्जिक रिएक्शन हो सकते हैं, जैसे मुँह या गले में सूजन, त्वचा में खुजली व रेडनेस और सांस कम आना।
  • गर्भावस्था में त्रिफला खाने से मतली, सिर में दर्द, थकान और पेट दर्द जैसी समस्याएं को ठीक होने के मुश्किल आती है।
  • यह गर्भ में पल रहे बच्चे के दिल की धड़कन बढ़ा सकता है जो संभावित रूप से हानिकारक है।

क्या आप ब्रेस्टफीडिंग के दौरान त्रिफला ले सकती हैं?

यदि आप बच्चे को दूध पिलाती हैं तो आपको त्रिफला का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इस हर्ब के गुण ब्रेस्टमिल्क के माध्यम से आपके बच्चे तक पहुँच सकते हैं। यदि फिर भी ब्रेस्टफीडिंग के दौरान आप त्रिफला चूर्ण का सेवन करना ही चाहती हैं तो पहले डॉक्टर से इसके बारे में चर्चा जरूर करें और इससे होने वाले खतरों व फायदों को जानें। 

त्रिफला के बहुत सारे फायदे हैं। यह एक हर्बल रेमेडी है जो सूजन, कब्ज और दाँतों की समस्याएं, जैसे मसूड़ों में सूजन या प्लाक जमने जैसी कई समस्याओं को ठीक करने में मदद करती है। पर गर्भावस्था या ब्रेस्टफीडिंग के दौरान इसे लेना महिलाओं के लिए बिलकुल भी सुरक्षित नहीं है और इससे कई जोखिम भी हो सकते हैं। यदि एक गर्भवती महिला या बच्चे को दूध पिलानेवाली महिला इसका सेवन कर लेती है तो उसे और उसके बच्चे के स्वास्थ्य को समस्याएं पैदा हो सकती हैं इसलिए इस समय इसका सेवन न करना ही बेहतर है। 

यह भी पढ़ें: 

प्रेगनेंसी के दौरान आपको मुलैठी का सेवन करने से क्यों बचना चाहिए?
ब्रेस्टफीडिंग के लिए शतावरी

सुरक्षा कटियार

Recent Posts

जादुई हथौड़े की कहानी | Magical Hammer Story In Hindi

ये कहानी एक लोहार और जादुई हथौड़े की है। इसमें ये बताया गया है कि…

2 days ago

श्री कृष्ण और अरिष्टासुर वध की कहानी l The Story Of Shri Krishna And Arishtasura Vadh In Hindi

भगवान कृष्ण ने जन्म के बाद ही अपने अवतार के चमत्कार दिखाने शुरू कर दिए…

2 days ago

शेर और भालू की कहानी | Lion And Bear Story In Hindi

शेर और भालू की ये एक बहुत ही मजेदार कहानी है। इसमें बताया गया है…

2 days ago

भूखा राजा और गरीब किसान की कहानी | The Hungry King And Poor Farmer Story In Hindi

भूखा राजा और गरीब किसान की इस कहानी में बताया गया कि कैसे एक राजा…

2 days ago

मातृ दिवस पर भाषण (Mother’s Day Speech in Hindi)

मदर्स डे वो दिन है जो हर बच्चे के लिए खास होता है। यह आपको…

2 days ago

मोगली की कहानी | Mowgli Story In Hindi

मोगली की कहानी सालों से बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय रही है। सभी ने इस…

2 days ago