गर्भावस्था के दौरान आनुवांशिक परीक्षण – उद्देश्य, प्रकार और सटीकता

प्रेगनेंसी के दौरान जेनेटिक टेस्टिंग

आपका बच्चा हर मायने में स्वस्थ है ये जानने के लिए आपको गर्भावस्था के दौरान विभिन्न परीक्षण और जांच करवानी पड़ती हैं । कभी-कभी डॉक्टर आपको गर्भावस्था के दौरान आनुवांशिक परीक्षण करवाने की सलाह देते हैं, यह अजन्मे शिशु में किसी भी आनुवांशिक असामान्यताओं का पता लगाने के लिए करवाया जाता है। निम्नलिखित लेख में, हम आनुवांशिक परीक्षण के उद्देश्य, प्रकार और विभिन्न अन्य पहलुओं पर चर्चा करेंगे।

आनुवांशिक परीक्षण क्या होता है

आनुवांशिक परीक्षण में होने वाले माता पिता दोनों का रक्त परीक्षण किया जाता है जिसमें असामान्य जीन का पता लगाया जाता है, जो माता-पिता से शिशु में होने का खतरा होता है। यदि माता-पिता में से किसी एक में असामान्य जीन पाया जाता है, तो बच्चे को आनुवांशिक समस्या होने का खतरा नहीं होता है। यदि माता-पिता दोनों में जीन असामान्यता पाई जाती है, तब भी केवल पच्चीस प्रतिशत संभावना है कि आपके शिशु में असामान्य जीन की समस्या पाई जाए।

गर्भावस्था में आनुवांशिक परीक्षण आदर्शतः कब किया जाता है

यह अनुशंसा की जाती है कि यदि आप गर्भधारण की योजना बना रही हैं तो उससे पहले आनुवांशिक परीक्षण करा लेना ज्यादा बेहतर है, लेकिन अगर आपकी गर्भावस्था अनियोजित हो, तो अच्छा होगा कि आप जल्द से जल्द आनुवांशिक परामर्श का विकल्प चुनें।

इस परीक्षण की अनुशंसा क्यों की जाती है

आपको निम्न कारणों की वजह से चिकित्सक द्वारा आनुवांशिक भ्रूण परीक्षण की सलाह दी जा सकती है:

  • यदि आपके दो या उससे अधिक गर्भपात पहले हो चुके हैं। कभी-कभी, भ्रूण में कुछ क्रोमोसोम विकृतियां आपके गर्भपात का कारण बन सकती हैं।
  • यदि आप, आपके साथी या किसी करीबी रिश्तेदार को किसी प्रकार का आनुवांशिक विकार है।
  • यदि आपका पहला शिशु भी जन्मजात दोषों (आनुवांशिक कारणों से) से पीड़ित है।
  • यदि आपने 35 वर्ष या उससे अधिक आयु में गर्भधारण किया हो, तो आपको आनुवांशिक परीक्षण की सलाह दी जा सकती है।
  • यदि आपको मृत प्रसव हुआ है जिसमें शिशु में आनुवांशिक बीमारी के सुस्पष्ट शारीरिक लक्षण थे।
  • यदि प्रसव पूर्व जांच परिणाम असामान्य थे।

ये कुछ कारण हैं जिनके लिए आपका डॉक्टर आपको आनुवांशिक परीक्षण करवाने की सलाह दे सकता है।

सामान्य आनुवांशिक रोग कौन से हैं

यहाँ कुछ सामान्य आनुवांशिक रोग बताए गए हैं जो दोषपूर्ण या विकृत जीन (वंशाणुओं) के कारण हो सकते हैं:

1. थैलीसीमिया

थैलीसीमिया एक रक्त विकार है जिससे रक्त की कमी, यकृत से जुड़ी बीमारी या हड्डियों के विकास में समस्या उत्पन्न हो सकती है। कुछ मामलों में, यदि शिशु को यह आनुवांशिक विकार है, तो वह शायद जीवित भी न रहे।

थैलीसीमिया

2. सिस्टिक फाइब्रोसिस

श्वास अवयव में संक्रमण एक घातक आनुवांशिक समस्या है ,जो आपके शिशु के लिए बहुत खतरनाक होती है। इससे पाचन संबंधी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं या फेफड़ों को क्षति भी पहुँच सकती है।

3. सिकल सेल रोग

यह आनुवांशिक समस्या विभिन्न स्वास्थ्य जटिलताओं जैसे रक्त की कमी, इम्यून सिस्टम की क्षमता को कमजोर कर देती है।

4. फ्रेजाइल एक्स सिंड्रोम

इस कारण से शिशु में मानसिक विकलांगता, लर्निंग डिसेबिलिटी (अधिगम अक्षमता) और विकासात्मक जटिलताएं  हो सकती हैं।

5. टे-सैक्स रोग

यह आनुवांशिक विकार आपके शिशु के तंत्रिका तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है, खासकर जब वो छोटे होते हैं उस दौरान उनमें तंत्रिका तंत्र से जुड़ी विभिन्न समस्याओं के होने का खतरा रहता है ।

6. ड्यूशेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी

आपके शिशु के स्कूल जाने की आयु के आसपास, लगभग 6 वर्ष तक, यह आनुवांशिक विकार प्रकट हो जाता है। इससे मांसपेशियां कमजोर होती हैं और इससे थकान का कारण भी हो सकता है; यह पैरों से शरीर के ऊपरी हिस्से तक विकसित हो सकता है।

गर्भावस्था के दौरान प्रसव पूर्व किए जाने वाले परीक्षणों के प्रमुख प्रकार

आप ये जानना चाहेंगी कि कि गर्भावस्था के दौरान कौन से आनुवांशिक परीक्षण किए जाते हैं?  तो आपको बता दें कि इसके दो मुख्य परीक्षण होते हैं जिसे आपके डॉक्टर कराने की सलाह दे सकते हैं, वो है स्क्रीनिंग टेस्ट और डायग्नोस्टिक टेस्ट। गर्भावस्था के दौरान किसी भी आनुवांशिक कमी की जांच करने के लिए ये प्रसवपूर्व आनुवांशिक परीक्षण कैसे किए जाते हैं, इसके बारे में विस्तार से नीचे बताया गया है:

1. स्क्रीनिंग परीक्षण

स्क्रीनिंग टेस्ट ये जानने में मदद करता है कि क्या आपका शिशु आनुवांशिक बीमारी से ग्रस्त है।

अ. प्रथम तिमाही का संयुक्त स्क्रीनिंग टेस्ट 

गर्भावस्था की प्रथम तिमाही के दौरान आनुवांशिक परीक्षण गर्भावस्था के दसवें से बारहवें सप्ताह के दौरान रक्त परीक्षण के माध्यम से किया जाता है जिसमें गर्भावस्था के लगभग ग्यारहवें से तेरहवें सप्ताह में एक अल्ट्रासाउंड भी शामिल होता है। इन दोनों परीक्षणों के परिणाम ट्राइसोमी 21 (डाउन सिंड्रोम) या ट्राइसोमी 18 के जोखिम का पता लगाने में मदद करते हैं। हालांकि, परीक्षण यह नहीं बताते हैं कि आपके शिशु को समस्या है या नहीं ।

ब. मैटरनल सीरम स्क्रीनिंग 

गर्भावस्था की द्वितीय तिमाही के दौरान आनुवांशिक परीक्षण के लिए, स्नायु संबंधी जन्मजात दोषों न्यूरल बर्थ डिफेक्ट (स्पाइना बिफिडा), डाउन सिंड्रोम या ट्राइसोमी 18 के जोखिम की जांच करने के लिए गर्भावस्था के लगभग पन्द्रहवें से बीसवें सप्ताह के आसपास रक्त परीक्षण किया जाता है। यदि परीक्षण में जोखिम पाए जाते हैं, तो आपको आगे के परीक्षणों को कराने की सलाह दी जा सकती है।

मैटरनल सीरम स्क्रीनिंग 

2. डायग्नोस्टिक टेस्ट

डायग्नोस्टिक टेस्ट आपको उन दोषों के बारे में बता सकते हैं जो आपके शिशु को होने की संभावना है।

अ. कॉरियोनिक विलस सैम्पलिंग (सीवीएस) (ग्यारह से बारह सप्ताह)

इस परीक्षण में गर्भनाल का नमूना लेना और किसी भी आनुवांशिक रोगों जैसे श्वास अवयव में संक्रमण, मंगोलता आदि अन्य विकारों की जांच करने के लिए ये परीक्षण शामिल किया जाता है। कुछ दुर्लभ मामलों में, इस परीक्षण के कारण एक गर्भवती महिला का गर्भपात हो सकता है, हालांकि संभावना सौ में केवल एक ही होती है।

ब. एम्नियोसेंटेसिस (पंद्रह से अठारह सप्ताह)

इस परीक्षण में आनुवांशिक विकारों जैसे डाउन सिंड्रोम का पता लगाने के लिए एमनियोटिक फ्लूड की जांच की जाती है। कुछ मामलों में यह परीक्षण गर्भपात का कारण बन सकता है, हालांकि ये संभावना बहुत कम होती है (200 में से 1)।

स. अल्ट्रासाउंड स्कैन (अठारह से बीस सप्ताह)

यह परीक्षण गर्भावस्था के बाद के चरणों में किया जाता है, जिसमें संरचनात्मक और शारीरिक असामान्यताओं, अंग दोष, हृदय की असामान्यताओं और स्पाइना बिफिडा की पहचान करने में मदद मिलती है।

प्रसव पूर्व आनुवांशिक परीक्षण के परिणामों का क्या अर्थ होता है

प्रसवपूर्व आनुवांशिक परीक्षण के परिणाम सकारात्मक या नकारात्मक हो सकते हैं। यदि परीक्षण के परिणाम सकारात्मक हैं, तो इसका अर्थ है कि आपके शिशु को विभिन्न आनुवांशिक असामान्यताएं होने का अधिक खतरा हो सकता है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि आपके शिशु में निश्चित रूप से यह आनुवांशिक रोग होगा ही। दूसरी ओर, यदि परीक्षण के परिणाम नकारात्मक आते हैं, तो इसका अर्थ है कि आपके शिशु को आनुवांशिक रोग होने की संभावना कम है; लेकिन, यह पूरी तरह से इसकी संभावना को खारिज नहीं करता है।

आनुवांशिक परीक्षण जिसमें एम्नियोसेंटेसिस या कॉरियोनिक विलस सैम्पलिंग शामिल है, आपको अन्य परीक्षण विधियों की तुलना में अधिक व्यापक और निश्चित परिणाम देते हैं। आपके परीक्षण के परिणामों के बाद, आपके चिकित्सक आपको बताएंगे की आपको क्या करना चाहिए ।

आनुवांशिक परीक्षण कितना सटीक होता है

जिस प्रकार किसी भी परीक्षण परिणाम के गलत होने की संभावना हो सकती है, उसी प्रकार आनुवांशिक परीक्षण के परिणाम भी गलत आने की संभावना हो सकती है। यदि परीक्षण के परिणाम सकारात्मक हैं, परन्तु कोई समस्या नहीं है, तो इसे भ्रामक सकारात्मक परीक्षण परिणाम कहा जा सकता है। जबकि, यदि परीक्षण के परिणाम नकारात्मक हैं, परन्तु कोई समस्या है, तो इसे भ्रामक नकारात्मक परीक्षण परिणाम कहा जा सकता है। अपने परीक्षण के परिणामों और उनकी प्रामाणिकता के बारे में अधिक जानने के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकती हैं।

आनुवांशिक परीक्षण कितना सटीक होता है

क्या गर्भावस्था के दौरान आनुवांशिक परीक्षण के कोई जोखिम हैं?

आपकी गर्भावस्था आपको असमंजस में डाल सकती है, क्योंकि आपके द्वारा किए जाने वाले हर कार्य का प्रभाव आपके शिशु पर भी पड़ता है। तो, इसलिए हो सकता है कि आप आनुवांशिक परीक्षणों से जुड़े फायदे और नुकसान के बारे में जानना चाहें । सबसे पहले ये बात समझना महत्वपूर्ण है कि आनुवांशिक परीक्षण कराना आपका अपना फैसला है। इसलिए, यदि आप सोच रही हैं कि आनुवांशिक परामर्श से क्या कोई जोखिम होता है या नहीं, तो आपको बता दें कि इससे शारीरिक तनाव के मुकाबले भावनात्मक तनाव अधिक होता है। क्योंकि बच्चे में किसी आनुवांशिक रोग का पाया जाना आपके लिए बेहद निराशाजनक और मुश्किल हो सकता है, जो आपके शिशु के जीवन को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकता है।

इसके अलावा, स्क्रीनिंग टेस्ट आपको केवल यह बताता है कि क्या आपके शिशु में आनुवंशिक विकार होने का खतरा है और उनमें पाए जाने वाले दोषों को जानने के लिए आपको डायग्नोस्टिक टेस्ट करवाना होगा। जहाँ कुछ माता-पिता आनुवंशिक विकार के बारे में जानकर अपने शिशु के लिए बेहतर कदम उठाने की तैयारी करते हैं, वहीं दूसरी ओर, अन्य माता-पिता गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए इसके बारे में जानना चाहते हैं। हालांकि, कुछ माता-पिता ऐसे भी हैं जो यह जानना ही नहीं चाहते हैं कि उनके शिशु को कोई आनुवांशिक विकार है या नहीं। आनुवांशिक परामर्श के लिए जाना है या नहीं, ये बात पूरी तरह से माता-पिता पर निर्भर करती है।

आपको आनुवांशिक परीक्षण के लिए जाना है या नहीं, यह पूरी तरह से आपका निर्णय है। हालांकि, यदि आपको लगता है कि आपको या आपके साथी को, किसी भी प्रकार का कोई आनुवांशिक विकार हो सकता है, तो इसकी बेहतर जानकारी प्राप्त करने और अपने शिशु को जटिलताओं से बचाने के लिए आप अपने डॉक्टर से बात करें।

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