In this Article
क्या आपने गर्भधारण किया है? हो सकता है कि गर्भावस्था के दौरान होने वाले कई शुरूआती लक्षणों को आप समझ न पाती हों। गर्भावस्था के दौरान अनेक समस्याओं में एक समस्या दस्त भी है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि गर्भावधि में दस्त या डायरिया कैसे प्रभावित कर सकता है। गर्भावस्था के दौरान आंत से जुड़ी समस्याओं, लक्षण और रोकथाम के बारे में इस लेख में चर्चा की गई है, आइए जानते हैं।
गर्भावस्था के दौरान पाचन संबंधी समस्याएं काफी सामान्य हैं। क्या दस्त भी गर्भावस्था का एक लक्षण है? हाँ, कभी-कभी गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को दस्त या डायरिया की समस्या भी हो सकती है। गर्भावस्था के किसी न किसी चरण में महिलाओं को कब्ज या दस्त होना आम है।
दस्त एक ऐसी समस्या है, जिसमें 24 घंटे में लगभग 2 या 2 से अधिक बार पतला मलत्याग होता है। यदि आपको दस्त है तो अधिक से अधिक मात्रा में पानी पिएं क्योंकि इससे शरीर से ज्यादातर तरल पदार्थ निकल जाते हैं और गर्भावस्था के दौरान डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है।गर्भावधि में बार-बार मल त्याग करने से शरीर में पानी की कमी हो सकती है, जो गंभीर रूप से डिहाइड्रेशन का कारण बनती है परंतु गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु के लिए शायद ही जानलेवा हो सकती है। खासकर यदि आप अपनी गर्भावस्था में पेचिश (डीसेंट्री) का अनुभव कर रही हैं तो इस तरह के लक्षणों को नजरअंदाज न करें।
गर्भावस्था में अधिकांश समस्याएं हॉर्मोनल परिवर्तन के परिणामस्वरूप होती हैं। गर्भवती महिलाओं के लिए हॉर्मोन कई समस्याएं लाते हैं किंतु यह गर्भस्थ शिशु के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाते हैं। जिन अधिकांश महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान शुरूआती लक्षण, जैसे मॉर्निंग सिकनेस, उबकाई या उल्टी होती है उन्हें दस्त की समस्या होना भी संभव है। गर्भावस्था से संबंधित परिवर्तन या सामान्य स्थितियों के कारण हरा दस्त भी हो सकता है। एस्ट्रोजेन, प्रोजेस्टेरोन और ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (एच.सी.जी.) जैसे हॉर्मोन आमतौर पर जठरांत्र प्रणाली को प्रभावित करते हैं। हालांकि ज्यादातर महिलाएं, हॉर्मोनल परिवर्तन का अनुभव करती हैं, लेकिन केवल कुछ को ही गर्भावस्था के शुरुआती महीनों में दस्त होता है।
गर्भावधि में डायरिया होने के कई कारण हैं जिनके बारे में निम्नलिखित बताया गया है आइए जानते हैं;
गर्भावस्था के दौरान शरीर में उत्तेजित होते हॉर्मोन पाचन क्रिया को हल्का कर देते हैं। यह आपके भोजन से पोषक तत्वों को अधिक कुशलता से निकालकर आपके गर्भ में विकसित होते भ्रूण की मदद करता है। हालांकि, धीमी पाचन क्रिया से कब्ज जैसी समस्याएं हो सकती हैं। दूसरी ओर, यदि हॉर्मोन पाचन क्रिया को तेज करते हैं तो वह गर्भावस्था के दौरान दस्त का कारण बन सकते हैं।
प्रसव से पूर्व विटामिन सप्लीमेंट का सेवन शिशु के बेहतर स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। यह सप्लीमेंट कभी-कभी पेट की परेशानी और दस्त का कारण बनते हैं। यदि विटामिन के यह सप्लीमेंट आपके पेट के अनुकूल नहीं हैं तो डॉक्टर बताएं और इनके प्रभावों को देखने के लिए कुछ दिनों तक इसका सेवन न करें।
गर्भधारण करते ही आप अपने भोजन की आदतों के लिए अधिक सचेत हो जाती हैं ताकि आप इस दौरान अधिक से अधिक पौष्टिक आहार का सेवन कर सकें। आहार में अचानक आए बदलाव से आपके पेट पर असर पड़ सकता है जिससे आपको दस्त की समस्या हो सकती है।
यदि आप कुछ खाद्य पदार्थों के प्रति संवेदनशील हैं तो गर्भावस्था के दौरान इन्हें खाने से आपका पाचन तंत्र प्रभावित हो सकता है। कुछ प्रकार के खाद्य पदार्थों के कारण आप पेट खराब होने और पेट फूलने का अनुभव कर सकती हैं।
ज्यादातर डॉक्टर उन बच्चों को दूध न देने की सलाह देते हैं जिनका पेट खराब होता है क्योंकि यह एक प्राकृतिक लैक्सेटिव होता है। यही चीज आप पर भी लागू हो सकती है, अपने नियमित आहार में दूध शामिल करना एक महत्वपूर्ण परिवर्तन है जिससे गर्भावस्था के दौरान आपको दस्त की समस्या हो सकती है।
गर्भावस्था का पता चलते ही ज्यादातर महिलाएं अधिक दूध पीना शुरू कर देती हैं। हालांकि यदि आपके लिए लैक्टोज असहनीय (लैक्टोज इन्टोलेरेंस संबंधी समस्या) है तो दूध पीने से आपको दस्त हो सकते हैं। कुछ दिनों के लिए नियमित दूध न पीने से इस समस्या के लक्षण को कम किया जा सकता है। हालांकि, यह सुनिश्चित करें कि आप कैल्शियम की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपने आहार में चीज़ और दही जैसे डेयरी उत्पादों को शामिल करें।
यदि आपको दस्त होता है तो जरूरी नहीं है कि यह गर्भावस्था से संबंधित समस्याओं के कारण ही है। आप बैक्टीरिया, वायरस, आंतों के परजीवी, पेट में फ्लू या फूड पॉइजनिंग के कारण आप दस्त से पीड़ित हो सकती हैं। यदि आपको क्रोन रोग है या पेट से संबंधित समस्याए (इरीटेबल बोवेल सिंड्रोम), अल्सरेटिव कोलाइटिस, या सीलिएक रोग की शिकायत है, तो दस्त एक हमेशा बनी रहने वाली समस्या हो सकती है।
यदि आप दस्त से पीड़ित हैं, तो समस्या से निजात पाना चाहती हैं तो अपने आहार में निम्नलिखित बदलाव करें, आइए जानते हैं;
आप अपने आहार में बदलाव करके कुछ राहत पा सकती हैं क्योंकि कुछ खाद्य पदार्थ से दस्त और गंभीर रूप ले सकता है। आपको मसालेदार, तले हुए, उच्च वसा वाले और उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थों के साथ-साथ डेयरी और दूध उत्पादों का सेवन नहीं करना चाहिए।
अगर आपको लैक्टोस इनटॉलेरेंस है तो अपने आहार में अन्य कैल्शियम-युक्त खाद्य पदार्थ, जैसे फल और पत्तेदार साग, शामिल करके अपने शरीर में कैल्शियम की कमी को पूरा करना सुनिश्चित करें।
कॉफी, चाय और अंगूर के रस को न पीने की सलाह दी जाती है क्योंकि इससे डायरिया की समस्या में और बिगाड़ सकते हैं। कैफीन-युक्त और कार्बोनेटेड पेय, सूखे मेवे, रेड मीट, मसाले, कैंडीज और चॉकलेट जैसे शर्करा-युक्त खाद्य पदार्थों से भी बचें।
ज्यादातर, डॉक्टर पाचन तंत्र को ठीक करने के लिए बीआरएटी आहार लेने की सलाह देते हैं। इस आहार में केला, चावल, सेब और टोस्ट शामिल हैं। चूंकि यह खाद्य पदार्थ आपके और आपके बढ़ते शिशु के लिए पर्याप्त पोषक तत्व प्रदान नहीं कर सकते हैं इसलिए डॉक्टर आपके भोजन में निम्नलिखित चीजों को भी शामिल करने का सुझाव देते हैं:
अपने आहार में दही (जिसमें लैक्टोबैसिलस एसिडोफिलस होता है) को शामिल करना भी एक अच्छा विचार है क्योंकि यह संक्रमण को दूर रखने में मदद करता है।
सीआरएएम आहार वैकल्पिक आहार है जिसे आप आजमा सकती हैं और इसमें अनाज, चावल, सेब और दूध शामिल हैं। यह खाद्य पदार्थ बीआरएटी आहार की तुलना में बेहतर होते हैं क्योंकि इसमें मौजूद गुण शरीर में प्रोटीन की मात्रा को पूर्ण करता है और गर्भस्थ शिशु को बढ़ने में मदद करता है।
यदि आप दस्त से पीड़ित हैं, तो आपको शरीर इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी को पूरा करने के लिए अधिक से अधिक पानी, सूप और जूस पीने की आवश्यकता है। पानी से तरल पदार्थों की कमी पूरी होती है और रस व सूप से आपके शरीर में पोटेशियम और सोडियम के स्तर को बनाए रखने में मदद मिलती है। आपको ओरल रिहाइड्रेशन उपचार लेने की सलाह दी जाती है क्योंकि यह दस्त को नियंत्रित करने के सबसे अधिक प्रभावी उपायों में से एक है। यह उपाय हमेशा से आजमाया जाता रहा है, इसके लिए आप पर्याप्त पानी में नमक, चीनी और जिंक के सप्लीमेंट भी मिला सकती हैं और इस मिश्रण को लगभग 2 सप्ताह तक पिएं। यह जठरांत्र संबंधी मार्ग से पानी को अवशोषित करने में मदद करता है क्योंकि दस्त के कारण शरीर का अधिक से अधिक पानी कम हो जाता है।
दवाओं का सेवन दस्त के अनेक कारणों में से एक हो सकता है लेकिन आमतौर पर शरीर कुछ समय बाद दवाओं समायोजित कर लेता है। यदि प्रसव से पहले विटामिन के सप्लीमेंट लेने से आपको दस्त होता है, तो डॉक्टर आपकी निर्धारित खुराक को बदल सकते हैं या अन्य तरीकों से दस्त का इलाज कर सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर की सलाह के बिना एंटी-डायरिया दवाएं न लें, क्योंकि इससे बच्चे पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
गर्भावस्था के दौरान असुविधाओं या समस्याओं को कम करने के लिए घरेलू उपचार अधिक प्रभावी होते हैं। गर्भावस्था के दौरान किसी भी मेडिकल से या बिना डॉक्टर से चर्चा किए दवा लेने की सलाह नहीं दी जाती है। इसलिए अपनी गर्भावधि में आप दस्त की समस्या के लिए निम्नलिखित घरेलू उपचारों को आजमा सकती हैं, आइए जानते हैं;
आप कुछ सरल आदतों से अपने पेट को संक्रमित होने से रोक सकती हैं, वे इस प्रकार हैं;
यद्यपि गर्भावस्था के दौरान दस्त होना एक आम समस्या है और इससे आपको घबराने की आवश्यकता नहीं है। शरीर में किसी भी असामान्यता का तुरंत इलाज करने के लिए इसके लक्षणों पर नजर रखना सुनिश्चित करें। गर्भावस्था के दौरान दस्त के निम्नलिखित लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।
यदि दस्त बिना ठीक हुए 3-4 दिनों से अधिक समय तक लगातार रहता है तो डॉक्टर से सलाह लेना सुनिश्चित करें। लंबे समय तक दस्त होने से आपको डिहाइड्रेशन होने का खतरा हो सकता है। इसके उपचार के लिए डॉक्टर से सलाह लेना ही बेहतर विकल्प है क्योंकि वह सही तरीके से आपका इलाज कर सकते हैं।
गर्भावस्था के दौरान कम पानी पीना या पानी की कमी एक गंभीर समस्या को उत्पन्न कर सकती है। इसलिए यदि गर्भावस्था के दौरान आपको शरीर में पानी की कमी का कोई भी लक्षण दिखते हैं, जैसे पीले रंग का मूत्र, लगातार प्यास लगना, मूत्र में कमी, चक्कर आना, थकान, सिर में दर्द या शुष्क मुंह तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
गर्भावस्था के दौरान यदि आपको अन्य लक्षण भी दिखाई देते हैं जिससे कोई गंभीर समस्या हो सकती है तो जल्द से जल्द जांच करवाएं। इस प्रकार से किसी भी जटिल रोग को समय पर ठीक किया जा सकता है।
क्लिरोफिल से भरपूर सब्जियों का सेवन करने से मल का रंग बदल कर हरा हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थों तथा क्लोरोफिल से भरपूर आहार के सेवन करने से भी मल का रंग हरा हो सकता है। मलत्याग की प्रक्रिया कुछ इस प्रकार है, छोटी आंत से पित्त का स्राव होता है जो हरे रंग का होता है और जब पचा हुआ भोजन व पानी बड़ी आंतों से गुजरता है तो इसका रंग बदल जाता है। कभी-कभी पाचन की प्रक्रिया के दौरान अपशिष्ट पदार्थ सीधे बड़ी आंतों से गुजरते हैं जिसके परिणामस्वररूप मल का रंग नहीं बदलता है। इसे तीव्रता से परिवर्तन की प्रक्रिया (रैपिड ट्रांजिट) भी कहा जाता है जो मल के ट्रांजिट समय को कम करता है और हरे रंग के मल का कारण बनता है। गर्भावस्था के दौरान आयरन सप्लीमेंट का सेवन करने से मल का रंग काला भी हो सकता है।
आंतों के विकार, संक्रमण और जियार्डिया या साल्मोनेला विषाक्तता के कारण भी दस्त के दौरान मल का रंग हरा हो सकता है। यदि आपको लगता है कि आहार के कारण मल का रंग हरा नहीं हो रहा है तो डॉक्टर से सलाह लेना एक उचित विकल्प है क्योंकि यह किसी गंभीर समस्या का लक्षण भी हो सकता है।
दस्त की समस्या आपको यात्रा के दौरान या फिर यात्रा के एक सप्ताह के भीतर हो सकती है। यह दूषित पानी व भोजन के सेवन के कारण होता है। गर्भावस्था के दौरान यात्रा में दस्त से बचने के लिए बाहर का खाना खाने से बचें क्योंकि उनमें कीटाणु हो सकते हैं। बुनियादी स्वच्छता बनाए रखें और ऊपर बताए गए सुझावों का पालन करें।
यह माना जाता है कि प्रसव की नियत तारीख पास आते-आते दस्त की आवृति भी बढ़ जाती है क्योंकि आपका शरीर बच्चे को जन्म देने के लिए तैयार हो रहा है। इसका मतलब यह नहीं है कि बच्चे का जन्म होने में कुछ ही दिन बाकी हैं। गर्भावस्था के अन्य लक्षणों की तरह, यह भी प्रत्येक महिला में भिन्न होता है। कुछ महिलाओं को अंतिम त्रैमासिक में लगातार दस्त का अनुभव हो सकता है, जबकि कुछ को इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव नहीं भी हो सकता है। गर्भावस्था में हल्के दस्त अक्सर कम समय तक रहते हैं और जिनसे आपके शिशु को कोई भी नुकसान नहीं होता है।
गर्भावस्था के शुरूआती लक्षणों में ‘दस्त’ भी एक आम समस्या है जो उबकाई व उल्टी और अरुचि व भोजन के प्रति तीव्र इच्छा के साथ ही होता है। यह हार्मोन के स्तर में बदलाव या ऊपर दिए अन्य कारणों से भी हो सकता है।
यदि दस्त की समस्या गंभीर नहीं है तो यह आपके गर्भ में पल रहे शिशु को कोई भी नुकसान नहीं पहुँचाते हैं। यदि एक महिला को गंभीर रूप से डायरिया हो जाता है तो यह महिला के शरीर में पानी की कमी के कारण होता है और भ्रूण के रक्त प्रवाह को बाधित कर सकता है। हालांकि, दूसरी या तीसरी तिमाही के दौरान गर्भाशय और पेट में संक्रमण जैसी जटिलताओं के कारण दस्त होने से भ्रूण के लिए खतरा हो सकता है।
दस्त सामान्य रूप से दूसरी तिमाही में नहीं होता है लेकिन यदि दस्त के बाद बुखार या शरीर में दर्द जैसे अन्य लक्षण दिखाई देते हैं, तो सावधानियों व उपायों के लिए डॉक्टर से सलाह लेना सुनिश्चित करें।
यदि लक्षण दो दिनों से अधिक समय तक बने रहते हैं, तो डॉक्टर से मिलना एक सही विचार है। गर्भावस्था में दस्त के अलावा ऐंठन, पेट में दर्द, बलगम या मल में रक्त, गंभीर सिरदर्द या उल्टी जैसे लक्षणों पर नजर रखें। इसके अतिरिक्त, बुखार, पेशाब में कमी और तेजी से दिल की धड़कन पर भी ध्यान दें। यदि गर्भावस्था के दौरान आपको ऐंठन जैसे अन्य लक्षण दिखाई देते हैं तो किसी भी तरह की परेशानी से बचने के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
अब आप अपनी दस्त की समस्या के कारण, लक्षण और रोकथाम के बारे में जानती हैं तो आप गर्भावस्था के दौरान किसी भी स्तर पर पेट से संबंधित समस्याओं से बच सकती हैं। जल्दी राहत पाने के लिए आप ऊपर बताए गए घरेलू उपचारों पर भी विचार कर सकती हैं। स्वस्थ खाएं और गर्भावस्था में पेट की समस्या से निजात पाएं व स्वस्थ रहें।
यह भी पढ़ें:
गर्भावस्था के दौरान मलाशय से रक्तस्राव – कारण, लक्षण और उपचार
गर्भावस्था के दौरान योनि में दर्द
बच्चों को कोई भी भाषा सिखाते समय शुरुआत उसके अक्षरों यानी स्वर और व्यंजन की…
बच्चों का बुरा व्यवहार करना किसी न किसी कारण से होता है। ये कारण बच्चे…
हिंदी देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है, अंग्रेजी का उपयोग आज लगभग हर क्षेत्र…
हिंदी भाषा में हर अक्षर से कई महत्वपूर्ण और उपयोगी शब्द बनते हैं। ऐ अक्षर…
हिंदी भाषा में प्रत्येक अक्षर से कई प्रकार के शब्द बनते हैं, जो हमारे दैनिक…
हिंदी की वर्णमाला में "ऊ" अक्षर का अपना एक अनोखा महत्व है। यह अक्षर न…