गर्भावस्था के दौरान मसालेदार भोजन का सेवन करना

प्रेगनेंसी के दौरान मसालेदार भोजन का सेवन करना

गर्भावस्था के दौरान लिया जाने वाला आहार बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह न केवल माँ को, बल्कि बच्चे को भी पोषण प्रदान करता है। बच्चे को केवल माँ के जरिए ही पोषण प्रदान होता है इसलिए आपका अपनी डाइट को बैलेंस करना बहुत जरूरी है। एक गर्भवती महिला के आहार को अच्छी तरह से संतुलित करने की आवश्यकता होती है। केवल उन चीजों को छोड़कर जो माँ और बच्चे के लिए नुकसानदायक नहीं होती हैं, उनके अलावा सभी चीजों को लेकर बहुत सावधानी बरतनी चाहिए।

गर्भावस्था के दौरान क्या मसालेदार भोजन का सेवन करना सुरक्षित है?

मसालेदार भोजन खाने से आपकी प्रेगनेंसी या बच्चे पर प्रभाव नहीं पड़ता है। हालांकि, अगर आप हद से ज्यादा मसालेदार खाना खाती हैं तो आपको पाचन, एसिडिटी और सीने में जलन जैसी समस्या हो सकती है।

पहली तिमाही के दौरान मसालेदार भोजन का सेवन करना

पहली तिमाही के दौरान मसालेदार भोजन का सेवन सुरक्षित होता है और इससे बच्चे के विकास पर असर नहीं पड़ता। गर्भावस्था की पहली तिमाही की शुरुआत में नुकसान होने का खतरा अधिक होता है, जिसकी वजह से अक्सर गर्भवती महिलाएं मसालेदार खाने से होने वाले साइड इफेक्ट्स को लेकर चिंतित हो जाती हैं।

दूसरी और तीसरी तिमाही के दौरान मसालेदार भोजन का सेवन करना

दूसरी और तीसरी तिमाही के दौरान मसालेदार भोजन का सेवन करने से सीने में जलन और एसिड रिफ्लक्स होने की संभावना बढ़ जाती है। तीसरी तिमाही में, फीटस का आकार बढ़ने और यूटरस के फैलने के कारण पेट में बना एसिड कई बार इसोफैगस (भोजन नलिका) में वापस जाने लगता है, मसालेदार भोजन खाने से यह स्थिति और भी खराब हो सकती है।

खाने में कितना मसाला डालना सही होता है

जब तक आपका शरीर मसालेदार भोजन को पचा सकता है, तब तक सीमित मात्रा में इसका सेवन करना सुरक्षित माना जाता है। आपको यह सलाह दी जाती है कि आप बाहर का मसालेदार खाना खाने से बचें। इसके बजाय, घर में ही ताजा मसाले ला कर उन्हें पीस कर खाना तैयार करें।

मसालेदार भोजन खाने के साइड इफेक्ट और जोखिम क्या हैं?

मसालेदार भोजन खाने से आपको पाचन की समस्या हो सकती है जिससे गर्भावस्था के दौरान आपको काफी परेशानी हो सकती है। गर्भावस्था के दौरान मसालेदार भोजन खाने के कुछ साइड इफेक्ट और जोखिम आपको नीचे दिए गए हैं:

  • मॉर्निंग सिकनेस: हार्मोनल लेवल में हो रहे उतार चढ़ाव के कारण गर्भावस्था के शुरुआती चरण में मॉर्निंग सिकनेस होना बेहद आम है। मसालेदार भोजन का सेवन करने से मॉर्निंग सिकनेस की समस्या और भी बढ़ सकती है।
  • हार्टबर्न: प्रेगनेंसी के दौरान मसालेदार भोजन का सेवन करने से आपको सीने में जलन की समस्या पैदा हो सकती है और इसके अलावा अन्य पाचन संबंधी समस्याएं भी बढ़ सकती हैं। मसालेदार भोजन से एसिड रिफ्लक्स की परेशानी होने लगती है और इससे भी आपको सीने में जलन हो सकती है, विशेष रूप से गर्भावस्था के आखिरी महीनों में।

यदि इसके बावजूद भी आप मसालेदार भोजन का सेवन करती हैं तो सीने में जलन को कम करने के लिए आप एक गिलास दूध का सेवन करें। आप मसालेदार भोजन खाने के बाद शहद भी ले सकती हैं, इससे आपको सीने की जलन को दूर करने में मदद मिलती है।

गर्भावस्था के दौरान मसालेदार खाने से जुड़े मिथ

गर्भावस्था के दौरान मसालेदार भोजन खाने से जुड़े कुछ मिथ हैं, जिनके बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए। यहाँ आपको कुछ ऐसे मिथ के बारे में बताया गया है जिसका कोई साइंटिफिक लॉजिक नहीं है और आप ऐसी अफवाहों से खुद को दूर रखें:

  • मसालेदार भोजन आपके बच्चे पर बुरा असर डाल सकता है।
  • मसालेदार भोजन खाने से आपको लेबर पहले हो सकता है।
  • गर्भावस्था के दौरान मसालेदार भोजन का सेवन करने से मिसकैरज हो सकता है या बच्चे में जन्मजात विकलांगता हो सकती है।

इन बातों का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, इसलिए आप इन बातों पर विश्वास न करें।

सही तरीके से मसालेदार भोजन का सेवन करने के टिप्स

आपके ऊपर मसालेदार भोजन करने का कोई बुरा प्रभाव न पड़े इसके लिए आप इसका सेवन सीमित मात्रा में करें।

  • ब्रांडेड मासलों का इस्तेमाल करें जो फूड सर्टिफिकेशन अथॉरिटी से प्रमाणित हो।
  • खुले बिकने वाले मसालों का सेवन बिलकुल न करें, क्योंकि इनमें ब्रिक पाउडर जैसे खराब तत्व मिले होते हैं।
  • यदि आप नए मसालों का सेवन कर रही हैं, तो शुरुआत में उन्हें कम मात्रा में खाएं। ताजा मसाले खरीदना और उन्हें घर पर पीसना सबसे अच्छा है।
  • बाहर से मसाले खरीदने से पहले पैकेजिंग और एक्सपायरी डेट की जांच कर लें।
  • मसालेदार डिशेज का सेवन सीमित मात्रा में करें और अगर आपको इससे सीने में जलन महसूस होती है तो खाना बदल लें।
  • घर पर बने हुए भोजन को ज्यादा अहमियत दें, क्योंकि इससे आप भोजन में उपयोग किए जाने वाले मसालों की मात्रा को नियंत्रित कर सकती हैं।

आप अपने आहार में मसालेदार भोजन को कैसे शामिल कर सकती हैं

गर्भावस्था के दौरान मसालेदार भोजन का सेवन करते समय आपको सतर्क रहना चाहिए। आपके भोजन में शामिल किए जाने वाले कुछ मसालेदार खाद्य पदार्थ इस प्रकार हैं:

  • वसाबी मटर: ये गर्म और क्रंची मटर होती है जिसे सुरक्षित रूप से खाया जा सकता है और इससे कोई नुकसान नहीं पहुँचाता है।
  • करी सॉस: प्याज, लहसुन, मिर्च और सभी कॉमन मसालों को मिलाकर बनाया जाता है, करी सॉस भारतीय व्यंजनों में व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है और इसका सुरक्षित रूप से सेवन किया जा सकता है।
  • पिरी-पिरी सॉस: यह प्याज, लहसुन, टमाटर को मिलाकर तैयार किया जाता है और इसका मुख्य इंग्रीडिएंट अफ्रीकन बर्ड्स आई नामक मिर्च होती है।
  • मिडिल ईस्टर्न कुकिंग सॉस: यह स्वीट सॉस काली प्याज के बीज, हरी मिर्च, टमाटर और धनिया से तैयार किया जाता है।
  • मसालेदार अचार: यह किसी भी स्टोर पर आपको आसानी से मिल जाएगा, आप थोड़ी मात्रा में भोजन के साथ इसका सेवन कर सकती हैं, यह बिलकुल सुरक्षित है और इससे आप अपनी मसालेदार भोजन खाने की क्रेविंग को भी शांत कर सकती है।
  • काली मिर्च: जब भी आपको लो इम्युनिटी के कारण सर्दी हो जाए तो आप काली मिर्च डालकर सूप बना सकती हैं। काली मिर्च के एंटीबैक्टीरियल गुण और स्पाइसी स्वाद इसे गर्भावस्था के दौरान खाने के लिए एक बेहतरीन मसाला बनाता है।

मसालेदार भोजन के कारण इरिटेबल यूटरस

हालांकि मसालेदार भोजन का सेवन करना आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान सुरक्षित होता है, लेकिन बहुत अधिक मसाले का सेवन करने से या सेंसेटिव पाचन तंत्र होने के कारण गर्भवती महिलाओं पर इसका बुरा असर पड़ सकता है। कुछ महिलाओं में, मसालेदार भोजन से गर्भाशय में जलन या आंतों में जलन की समस्या पैदा हो जाती है। मसालेदार भोजन आमतौर पर बिना मसालेदार भोजन की तुलना में गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल ट्रैक्ट से गुजरता है, जिसकी वजह से दस्त, एसिडिटी या गैस की समस्या हो सकती है। इन सबसे आपको आंतों में क्रैम्प हो सकती है, जिसकी वजह से आपको गर्भाशय में असहज महसूस होने लगता है। गर्भाशय में असहज महसूस होने का सबसे बड़ा लक्षण है गर्भाशय की मांसपेशियों में चुभन महसूस होना या फिर पेट के निचले हिस्से में क्रैम्प होना, ऐसा दुर्लभ मामलों में होता है और इसके कारण आपको संकुचन का अनुभव हो सकता है और सर्विक्स फैल सकता है। जिन महिलाओं की गर्भावस्था 37 सप्ताह से कम की हो और ऐसे किसी भी लक्षण का अनुभव होता है, उन्हें तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। यदि गर्भावस्था के दौरान मसालेदार भोजन का सेवन करने से आप, एसिडिटी , गैस, या क्रैम्प का अनुभव करती हैं, तो आपको यह सुझाव दिया जाता है कि मसालेदार भोजन का सेवन करने से बचें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

गर्भावस्था के दौरान मसालेदार भोजन का सेवन करने से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न नीचे दिए गए हैं:

1. क्या मसालेदार भोजन का सेवन मेरे बच्चे के लिए सुरक्षित है?

मसालेदार भोजन के सेवन से आपके बच्चे को कोई नुकसान नहीं पहुँचता है और इसका सेवन पूरी तरह से आप और आपके बच्चे के लिए सुरक्षित है।

2. क्या मसालेदार भोजन का सेवन करने से कोई साइड इफेक्ट होता है?

यदि मसालेदार भोजन का सेवन बहुत ज्यादा मात्रा में किया जाए तो आपको इससे सीने में जलन की समस्या हो सकती है और साथ ही पाचन संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं, जो गर्भावस्था के दौरान आपके लिए बिलकुल भी अच्छा नहीं है।

3. क्या गर्भावस्था में मिर्च खाना अच्छा होता है?

मिर्च एक केमिकल कंपाउंड रिलीज करती है जिसे कैप्साइसिन कहा जाता है, यह कैंसर सेल्स को बनने से रोकने में मदद करती है।

4. क्या मसालेदार भोजन का सेवन करने से यह मेरे बच्चे को प्रभावित कर सकता है?

गर्भवती महिला के द्वारा पूछे जाने वाला सबसे कॉमन सवाल यह है कि क्या मसालेदार भोजन का सेवन गर्भावस्था के दौरान करना खराब होता है? तो आपको यह जानकर राहत होगी कि मसालेदार भोजन का सेवन करने से आपकी गर्भावस्था पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है और न ही यह आपके बच्चे को कोई नुकसान पहुँचाता है। आपको इसका सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए ताकि आगे कोई परेशानी न हो।

हालांकि गर्भावस्था के दौरान मसालेदार भोजन का सेवन करना सुरक्षित है, लेकिन सीने में जलन और अपच के कारण आपको बेचैनी हो सकती है इसलिए आपको यह सलाह दी जाती है कि जितना हो सके आप कम मात्रा में ही इसका सेवन करें, ताकि आपकी क्रेविंग भी शांत हो जाए और आपको कोई परेशानी भी न हो । गर्भावस्था के दौरान हेल्दी डाइट पर ज्यादा ध्यान दें यह आप और आपके बच्चे के लिए बहुत जरूरी है, अलग-अलग खानों का स्वाद लें और अपनी क्रेविंग को शांत करें। इस बात का हमेशा खयाल रखें आप जो भी खाती हैं उसका प्रभाव आपके बच्चे पर भी पड़ता है, इसलिए किसी भी जोखिम में पड़ने से बचने के लिए हमेशा सावधानी बरतें।

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