गर्भावस्था के दौरान मसूड़ों से खून आना- कारण, लक्षण और उपचार

प्रेगनेंसी के दौरान मसूड़ों में खून

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वजन बढ़ना, फूड क्रेविंग, बार-बार वॉशरूम जाना आदि गर्भावस्था के कुछ लक्षण हैं जिनके बारे में अक्सर बात की जाती है। हालांकि, कुछ अन्य लक्षण भी हैं जिनके बारे में ज्यादा बात नहीं की जाती है। गर्भावस्था के दौरान मसूड़ों से खून आना भी गर्भावस्था के लक्षणों में से एक है। लगभग आधे से ज्यादा गर्भवती महिलाओं में मसूड़ों का लाल पड़ जाना, सूजन या टेंडर हो जाने की समस्या होती है, खासकर जब वो ब्रश करती हैं तो मसूड़ों से खून आता है। गर्भावस्था के दौरान ऐसे क्यों होता है यह जानने के लिए आइए यह लेख पढ़ते हैं।

क्या मसूड़ों से ब्लीडिंग होना गर्भवती महिलाओं के मामले में आम है?

गर्भावस्था के दौरान आपका शरीर बदलाव से गुजर रहा होता है जिसमें हार्मोन चेंजेस और पेट बड़ा होने लगता है। गर्भावस्था के दौरान मसूड़ों से खून आना एक कॉमन कंडीशन है जिसका ज्यादातर गर्भवती महिलाओं को सामना करना पड़ता है। हालांकि, यह एक चिंता का विषय है। गर्भावस्था के दौरान मसूड़ों से खून आना या इनमें सूजन होना मसूड़ों से संबंधित बीमारी का एक हल्का रूप है। लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि इस बारे में बहुत ज्यादा चिंतित हो जाएं, लेकिन ओरल हाइजीन को बनाए रखने के लिए कुछ एंटीबायोटिक्स लिए जा सकते हैं।

गर्भावस्था के दौरान मसूड़ों से खून आने के कारण

गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल चेजेंस के कारण आपके शरीर के टिश्यू प्रभावित होते हैं और इसमें आपके मसूड़े भी शामिल हैं। हालांकि, यह उन सूजे हुए, लाल, दर्दनाक मसूड़ों का एकमात्र कारण नहीं है। आपको नीचे कुछ और कारण बताए गए हैं जिनसे आप मसूड़ों से खून आने की समस्या से पीड़ित हो सकती हैं:

  • शरीर में होने वाले हार्मोनल चेंजेस के कारण मसूड़ों से खून आना एक आम समस्या है।
  • गर्भावस्था के दौरान, शरीर में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन में वृद्धि होने से आपका शरीर प्लाक बैक्टीरिया से लड़ने में सक्षम नहीं होता है, जिससे मसूड़ों से खून आने लगता है।
  • इसके अलावा, गर्भवती महिला के शरीर में ब्लड सप्लाई 30 से 50 प्रतिशत बढ़ जाती है जिसके कारण उन्हें मसूड़ों में सूजन का सामना करना पड़ता है।
  • कैल्शियम की कमी और शर्करा युक्त भोजन का सेवन करने से दाँत कमजोर हो जाते हैं और इससे आपको दाँतों में दर्द का अनुभव  होता है।

गर्भावस्था के दौरान मसूड़े से खून आने के संकेत और लक्षण 

आप अपने मसूड़ों में होने वाली समस्या को सिर्फ एक तरह ही नहीं समझ सकती हैं हैं, बल्कि इसके कई संकेत और लक्षण जिनसे आप अपने मसूड़ों में होने वाली समस्या को पहचान सकती हैं:

  • लाल या सूजे हुए मसूड़े
  • मसूड़ों में दर्द  
  • दाँतों में सेंसिटिविटी होना 
  • दाँतों का ढीला पड़ना 
  • चबाने में परेशानी होना चबाने में परेशानी होना

गर्भावस्था के दौरान मसूड़े से खून आने के कारण होने वाले कॉम्प्लिकेशन

हालांकि गर्भावस्था के दौरान सूजन, मसूड़ों में दर्द कॉमन है, लेकिन कई बार मसूड़ों में होने वाली सूजन काफी खतरनाक हो सकती है। पीरियडोंटाइटिस, मसूड़ों में होने वाली सूजन और खून आने की एक गंभीर कंडीशन है और इसका तुरंत इलाज करना चाहिए। नासूर या प्रेगनेंसी ट्यूमर आपके मसूड़ों के आसपास विकसित हो सकते हैं। सूजन और लाल पड़ने के कारण यह बहुत अजीब भी दिखते हैं। मसूड़ों में होने वाली गांठ बड़ी हो सकती है और फटने पर आपको इन्फेक्शन हो सकता है।

क्या गर्भावस्था में मसूड़ों से खून आना या उससे संबंधित कोई बीमारी होने से आपके बच्चे को नुकसान पहुँचता है?

वैसे मसूड़ों से आने वाले खून के कारण बच्चे को कोई नुकसान नहीं होता है। लेकिन कुछ स्टडीज से पता चलता है कि गंभीर रूप से मसूड़ों की समस्या होने पर यह प्रीटर्म लेबर, लो बर्थ वेट और प्री-एक्लेमप्सिया का कारण बन सकती है, मगर मसूड़ों से संबंधित समस्या से बच्चे की हेल्थ पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव के बीच का सबूत नहीं मिलता है ।

गर्भावस्था के दौरान मसूड़ों से खून आने की समस्या को दूर करने के लिए उपचार

अगर आप चाहती हैं कि आपके मसूड़ों से खून न आए तो आपको अपनी ओरल हेल्थ का बहुत खयाल रखना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान मसूड़े की सूजन का इलाज करने के लिए आपको रोजाना ओरल हाइजीन का ध्यान रखना होगा और अपने डेंटिस्ट के पास रेगुलर जाना होगा। यहाँ आपको कुछ ट्रीटमेंट मेथड दिए गए हैं:

1) ओरल एंटीबायोटिक्स:

एंटीबायोटिक्स बैक्टीरिया को मारते हैं और प्लाक को कम करते हैं जिससे गम डिजीज को ठीक होने में मदद मिलती है। डेंटिस्ट एंटीबायोटिक्स को कैप्सूल या पिल्स के रूप में आपको लिख सकते हैं। इन्हें सीधे मसूड़ों पर जेल के रूप में भी लगाया जा सकता है या माउथवॉश के रूप में उपयोग किया जा सकता है।

2) प्रिस्क्रिप्शन माउथ रिंस:

रोजाना ठीक से ब्रश करने के अलावा, अपने मुँह को अच्छी तरह से धोएं जिससे बैक्टीरिया दूर रहते हैं। इस बात का खयाल रखें की माउथवॉश अल्कोहल फ्री होना चाहिए, वरना आपका मुँह इससे ड्राई हो सकता है। माउथवॉश का इस्तेमाल पूरे दिन कभी भी किया जा सकता है। आपके लिए कौन सा माउथवॉश बेहतर रहेगा इसके लिए अपने डेंटिस्ट से बात करें।सर्जरी

3) सर्जरी:

सिर्फ ब्रश करने से टार्टर और प्लाक की समस्या दूर नहीं होती है, इससे छुटकारा पाने के लिए आपको डेंटिस्ट के पास जाना होगा जिसे वह माइनर सर्जिकल प्रक्रिया के माध्यम से खत्म करेंगे। फ्लैप सर्जरी में मसूड़ों को उठाकर गहराई में स्थित टार्टर्स को निकाला जाता  है। मसूड़ों को फिर दाँतों के चारों ओर टांका लगाकर सेट किया जाता है।

कॉमन एंटीबायोटिक्स जिसे प्रैक्टिशनर द्वारा लेने की सलाह दी जाती है

हालांकि गर्भावस्था के दौरान किसी भी दवा को लेने से पहले अपने डॉक्टर का प्रिस्क्रिप्शन बहुत जरूरी है, लेकिन यहाँ आपको कुछ ऐसे एंटीबायोटिक्स के बारे में बताया गया हैं, जिन्हें गर्भावस्था में मसूड़े में होने वाली  सूजन को कम करने के लिए डेंटिस्ट द्वारा निर्धारित किया जा सकता है।

हालांकि, आपको एक बार फिर यह सुझाव दिया जाता है कि कोई दवा लेने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।

  • एमोक्सिसिलिन।
  • एम्पीसिलीन
  • क्लिंडामाइसिन
  • एरिथ्रोमाइसिन
  • पेनिसिलिन
  • नाइट्रोफ्यूरन्टाइन

गर्भवस्था के दौरान मसूड़ों से खून आने की समस्या को कैसे रोकें

कहा जाता है बचाव करना इलाज करने से कहीं बेहतर होता है, इसलिए आपको हमेशा अपनी ओरल हाइजीन का खयाल रखना चाहिए ताकि आपको प्रेगनेंसी के दौरान मसूड़ों से संबंधित किसी भी समस्या का सामना न करना पड़े। नीचे कुछ स्टेप्स बताए गए हैं जिन्हें आपको अपने रूटीन में शामिल करना चाहिए:

  • अपने दाँतों को दिन में कम से कम दो बार (सुबह और बिस्तर पर जाने से पहले) ब्रश करें।
  • इलेक्ट्रिक टूथब्रश प्लाक को हटाने में प्रभावी रूप से काम करते हैं। यदि आप धूम्रपान करती हैं तो इसे तुरंत छोड़ दें।
  • डायबिटिक मरीजों के लिए, यह बहुत जरूरी है कि वो शुगर लेवल को चेक करती रहे। रोजाना किसी अच्छे माउथवॉश से अपने मुँह को साफ करें।

गर्भावस्था के दौरान मसूड़ों में सूजन और ब्लीडिंग की समस्या के लिए घरेलू उपचार

प्रकृति के पास हर चीज का इलाज है, जिसकी हमें जरूरत है। मसूड़ों से खून आने की समस्या को लेकर यहाँ आपको कुछ घरेलू उपचार बताए गए हैं:

1. ग्रीन टी 

ग्रीन टी पीने से मसूड़ों की सूजन को कम करने में मदद मिलती है और यह प्लाक और बैक्टीरिया के निर्माण को रोकने में भी मदद करती है।

2. ऑलिव ऑयल 

सलाद में ऑलिव ऑयल मिलाने से आपके दाँतों को मजबूती मिलती है। साथ ही इसमें एंटी-बैक्टीरियल गुण भी पाए जाते हैं।

3. शहद

शहद के मीठा होने के बावजूद इसमें प्राकृतिक एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। जो  मसूड़ों को मजबूत करने के लिए जरूरी मिनरल प्रदान करता है।शहद

4. लौंग का तेल

लौंग का तेल मसूड़ों और दाँतों को हेल्दी बनाए रखने के लिए जाना जाता है। यह एक एंटीसेप्टिक भी होता है। आप लौंग के तेल को मसूड़ों पर हल्के हाथों से रगड़ सकती हैं या फिर एक लौंग चबा सकती हैं।

5. एलोवेरा

इसमें शांत करने वाले गुण होते हैं जो दर्द को कम करने में मदद करते हैं या सूजन को कम कर सकते हैं। इसका टूथपेस्ट, माउथवॉश या जेल जैसे विभिन्न रूपों में लाभ उठाया जा सकता है।

6. बेकिंग सोडा

यह मुँह में एसिड को बेअसर करने में मदद करता है जिससे कैविटी होती है। इसे सीधे टूथब्रश पर छिड़का सकती हैं या टूथपेस्ट में मिला कर भी इसका इस्तेमाल कर सकती हैं।

7. सेज टी  

ग्रीन टी की तरह, इसमें भी एंटीबैक्टीरियल और एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं। 2-3 मिनट के लिए पत्तियों को उबालें और फिर पानी को छान लें। फिर इस पानी का उपयोग कुल्ला करने के लिए करें।

8. टी ट्री ऑयल 

टी ट्री ऑयल और पानी के मिक्सचर से मुँह धोने से हानिकारक माइक्रोऑर्गेनिज्म मर जाते हैं और सूजन वाले मसूड़ों को तुरंत राहत प्रदान करता है।

आपको किस डेंटल ट्रीटमेंट से बचना चाहिए?

इस बात का खयाल रखें कि आपके डेंटिस्ट को आपकी प्रेगनेंसी के बारे में पता होना चाहिए क्योंकि इस दौरान किए जाने वाले डेंटल एक्स-रे से फीटस के लिए खतरा पैदा हो सकता है। स्वास्थ्य विभाग यह सलाह देता है कि गर्भावस्था के दौरान अमाल्गम फिलिंग को हटाया नहीं जाना चाहिए।

डेंटिस्ट से कब परामर्श करना चाहिए?

आपका डेंटिस्ट आपकी डेंटल कंडीशन को ज्यादा बेहतर तरीके से बता सकता है। अगर आपको बहुत ज्यादा समस्या हो रही हो जैसे दाँत में तेज दर्द, मसूड़ों से खून आना, सांस में बदबू महसूस होना, दाँतों का ढीला पड़ना आदि तो तुरंत अपने डेंटिस्ट के पास जाएं।

गर्भावस्था के दौरान मसूड़ों से खून आना एक कॉमन प्रॉब्लम है, जिसका ध्यान रखा जाना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान ओरल हेल्थ बनाए रखना बहुत जरूरी है। अपने डेंटिस्ट के पास नियमित रूप से चेकअप के लिए जाएं और कोई भी समस्या होने पर उन्हें जानकारी दें।

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