गर्भावस्था

गर्भावस्था में डीप वेन थ्रोम्बोसिस की समस्या

In this Article

गर्भवती होने के दौरान, कई शारीरिक परिवर्तनों के साथ साथ महिलाओं को डीप वेन थ्रोम्बोसिस (डीवीटी) होने की आशंका भी होती है। नस एक ट्यूब की तरह होती है जो शरीर में खून पहुंचाती है और इन नसों में रुकावट को वेनस थ्रोम्बोसिस कहा जाता है। आम महिलाओं की तुलना में एक गर्भवती महिला की नसों में इस तरह के क्लॉट विकसित होने की संभावना छह गुना अधिक बढ़ जाती है। चलिए डीवीटी के विभिन्न तरीके, इसके कारण, लक्षण, उपचार और इससे बचाव के बारे में जानते हैं। 

डीप वेन थ्रोम्बोसिस (डीवीटी) क्या है?

डीप वेन थ्रोम्बोसिस की समस्या में पैर और पेल्विक हिस्से की नसों में खून का थक्का जम जाता है। आमतौर पर यह एक सामान्य फिजियोलॉजिकल प्रक्रिया है और यह तब होता है जब ब्लड वेसल में कोई कट या ओपनिंग होती है। डीवीटी के मामले में, यह नस के अंदर होता है और खून के प्रवाह को रोकता है, जिसका अगर सही समय पर इलाज न किया जाए तो कई बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। गर्भावस्था के दौरान थ्रोम्बोसिस इसलिए होता है क्योंकि इस समय शरीर की ब्लड क्लॉटिंग की क्षमता बढ़ जाती है, ताकि डिलीवरी के समय बहुत ज्यादा खून न बहे। इसकी वजह से कभी-कभी गर्भावस्था के दौरान पैर में ब्लड क्लॉट हो जाता है।

गर्भावस्था के दौरान डीवीटी की समस्या कितनी आम है?

गर्भावस्था के दौरान डीवीटी की समस्या होना आम नहीं है, यह हजार में से किसी एक महिला को होता है। एक गर्भवती महिला में डीवीटी होने के जोखिम की दर छह गुना ज्यादा होती है जो पहली तिमाही और बच्चे के जन्म के छह सप्ताह बाद देखी जा सकती है।

यह गर्भावस्था के समय ज्यादा आम क्यों है?

प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में कई परिवर्तन होते हैं। जिसके कारण अक्सर हार्मोन के स्तर में उतार-चढ़ाव होता है। बचाव के तौर पर, शरीर में क्लॉटिंग प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है और गर्भावस्था के समय एक महिला के शरीर में डिलीवरी के दौरान ज्यादा मात्रा में खून बहने से रोकने के लिए एंटी-क्लॉटिंग प्रोटीन नेचुरली कम हो जाते हैं। इसके अलावा ऐसा आकार में बढ़े हुए यूटरस द्वारा उन नसों पर दबाव पड़ने की वजह से भी होता है जो शरीर के निचले हिस्से से रक्त को हृदय तक ले जाते हैं।

गर्भावस्था के दौरान डीवीटी होने के कारण

डीवीटी आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान हार्मोन में होने वाले बदलाव की वजह से होता है। इसके अलावा कुछ और भी कारण है जो गर्भवती होने पर डीवीटी की समस्या पैदा करते हैं:

1. एस्ट्रोजन

प्रेगनेंसी के समय खून में एस्ट्रोजन हार्मोन का बहाव अधिक होता है, जिससे खून के थक्के बनने की संभावना बढ़ जाती है।

2. यूट्रीन ग्रोथ

बच्चे के बढ़ने के साथ यूटरस का आकार भी बढ़ जाता है जिसके कारण शरीर के निचले हिस्से से हृदय तक खून को वापस ले जाने वाली नसों पर दबाव पड़ता है। इसकी वजह से नसों के अंदर खून का थक्का जमने लगता है।

3. शरीर का वजन बढ़ना

बहुत ज्यादा वजन बढ़ने से पैरों और पेल्विक की नसों पर बहुत अधिक दबाव पड़ता है, जिससे डीवीटी की संभावना बढ़ जाती है।

4. एकाधिक गर्भावस्था

ऐसी महिलाएं जिनके गर्भ में एक से अधिक बच्चे होते हैं, उनमें डीवीटी होने की संभावना बहुत अधिक होती है।

5. उम्र और जेनेटिक्स

जिन महिलाओं के परिवार में पहले भी लोगों को डीवीटी की समस्या रह चुकी है या वो 35 वर्ष या उससे अधिक उम्र में गर्भवती हुई हैं, उन्हें गर्भावस्था के दौरान वेनस थ्रोम्बोसिस होने का खतरा होता है।

डीवीटी के संकेत और लक्षण

जिन महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान डीवीटी होता है उनमें आप नीचे बताए गए कोई न कोई लक्षण जरूर नोटिस करेंगी:

  • एक पैर में दर्द और सूजन
  • स्पष्ट रूप से बढ़ी हुई नसें
  • चलते हुए दर्द महसूस होना
  • जांघों और पिंडली की मांसपेशियों में संवेदनशीलता

गर्भावस्था के दौरान डीवीटी की पहचान

डीवीटी के लक्षणों और परिवार की मेडिकल हिस्ट्री के आधार पर, डॉक्टर आमतौर पर किसी भी वेनस ब्लॉक की जांच के लिए डॉपलर अल्ट्रासाउंड करते हैं। डॉपलर अल्ट्रासाउंड नसों में खून के प्रवाह की गति का पता लगाता है और उन जगहों को हाईलाइट करता है जहाँ फ्लो कम हो रहा हो। डीवीटी का इलाज बहुत मुश्किल हो सकता है और कुछ मामलों में, डॉक्टर डी-डाइमर टेस्ट भी लिख सकते हैं। यह टेस्ट ब्लड वेसल में किसी भी ब्लड क्लॉट का पता लगाता है।

डॉक्टर वेनोग्राम की प्रक्रिया भी करते हैं, जिसमें किसी भी तरह के ब्लॉकेज को स्पष्ट रूप से देखने के लिए नसों में एक डाई इंजेक्ट की जाती है। यह ब्लॉकेज को मापने और उन्हें पहचानने में मदद करती है।

गर्भावस्था के दौरान डीवीटी होने का खतरा किसे होता है?

ऐसी गर्भवती महिलाएं जिनमें नीचे बताए गए रिस्क फैक्टर देखे जाते हैं, उनमें डीवीटी विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है।

  • डीवीटी की समस्या का पारिवारिक इतिहास होना
  • महिला को पहले भी डीवीटी की समस्या रह चुकी हो
  • ऐसी महिलाएं जिनकी उम्र 35 से अधिक हो
  • मोटापा या वजन बढ़ना
  • महिलाएं जो प्रेगनेंसी के दौरान लंबी दूरी का सफर तय करती है
  • धूम्रपान
  • एक्टिव लाइफस्टाइल न होना
  • गर्भ में कई बच्चे होना
  • सी-सेक्शन डिलीवरी
  • गर्भावस्था में इन्फेक्शन के कारण क्लॉटिंग या सूजन

गर्भावस्था के दौरान डीवीटी का इलाज

एक बार प्रेग्नेंसी के दौरान डीवीटी का इलाज हो जाने के बाद, डॉक्टर आमतौर पर खून को पतला करने के लिए दवाएं देते हैं। डिलीवरी के बाद कम से कम छह सप्ताह तक यह दवा जारी रखी जाती है, क्योंकि बच्चे के जन्म के बाद भी खून के थक्के बनने की संभावना होती है।

क्या डीवीटी बच्चे को प्रभावित करता है?

आमतौर पर, डीवीटी महिलाओं के लिए परेशानी का कारण बनता है लेकिन बच्चे के विकास को प्रभावित नहीं करता है। कभी कभी जब ब्लॉक फेफड़ों तक चला जाता है और उन्हें प्रभावित करता है, तो फीटस तक पहुँचने वाली ऑक्सीजन सप्लाई को प्रभावित करता है। साथ ही, प्रसव के दौरान, जब खून को पतला करने के कारण माँ का बहुत ज्यादा खून बाह जाता है, तो यह बच्चे को भी प्रभावित कर सकता है।

गर्भावस्था के दौरान डीवीटी को संभालना

गर्भावस्था के दौरान डीवीटी को हेपरिन इंजेक्शन की मदद से मैनेज किया जा सकता है। हेपरिन एक एंटीकोगुलेंट है जो खून के थक्के को बनने से रोकता है। दवा के अलावा, लाइफस्टाइल में बदलाव जैसे कि एक्टिव रूटीन अपनाना, वजन कम करना और धूम्रपान छोड़ना भी काफी हद तक मदद कर सकता है।

पैरों में ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाने के लिए विशेष प्रकार के कंप्रेशन स्टॉकिंग्स पहने जा सकते हैं। इसके अलावा, पर्याप्त पानी पीने और व्यायाम करने से भी प्रेगनेंसी के दौरान डीवीटी को मैनेज करने में मदद मिलती है।

यात्रा के दौरान डीवीटी के खतरे को कैसे कम करें?

यात्रा के दौरान डीवीटी के लक्षण बढ़ने की संभावना अधिक होती है। ऐसे में जोखिम को कम करने के लिए पानी का सेवन बढ़ाएं, बैठने की पोजीशन को बदलती रहें या वाहन के अंदर चलती रहें ताकि शरीर के निचले भाग में निरंतर हलचल बनी रहे और यदि आप शराब का सेवन करती हैं, तो उसे पूरी तरह से बंद कर दें।

क्या डीप वेन थ्रोम्बोसिस लेबर को प्रभावित कर सकता है?

यदि आपको डीवीटी विकसित होने की संभावना है, तो डॉक्टर आपको प्रसव से पहले कुछ सावधानी बरतने की सलाह देंगे। प्रसव के दौरान थ्रोम्बोसिस के जोखिम को कम करने के लिए, आप लगातार चलते फिरते हुए कंप्रेशन स्टॉकिंग्स पहन सकती हैं और बच्चे को जन्म देने से पहले बहुत सारी लिक्विड चीजों का भी सेवन कर सकती हैं।

यदि आपका पहले इलाज किया जा चुका है और आप हेपरिन की दवाएं ले रही हैं, तो डॉक्टर आपको इसे बंद करने के लिए कह सकते हैं क्योंकि यह प्रसव के बाद खून के थक्के बनने में परेशानी खड़ी कर सकता है।

क्या सिजेरियन डिलीवरी से खून के थक्के बनने का खतरा बढ़ सकता है?

हाँ, वेजाइनल डिलीवरी के तुलना में सी-सेक्शन डिलीवरी में पोस्ट पार्टम ब्लड क्लॉट होने का खतरा ज्यादा रहता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि ऐसे में शरीर आवश्यक सावधानी बरतता है और इनवेसिव प्रक्रिया के लिए अपने हीलिंग मैकेनिज्म को जुटाता है, जिनमें से एक खून के थक्के बनने की प्रक्रिया को बढ़ावा देता है।

गर्भावस्था के दौरान डीवीटी से बचाव

कुछ ऐसे तरीके हैं जो गर्भावस्था के दौरान डीवीटी से बचने के लिए मददगार साबित हो सकते हैं:

1. ढेर सारा पानी पिएं

डीवीटी से बचने के लिए तरल पदार्थों का सेवन बहुत जरूरी है क्योंकि ये खून को पतला करते हैं और खून को ज्यादा गाढ़ा होने से रोकते हैं। प्रेगनेंसी के दौरान और प्रसव के बाद खून के थक्कों को बनने से रोकने के लिए ऐसा करना जरूरी है।

2. व्यायाम

यदि आपको प्रेगनेंसी के दौरान थ्रोम्बोसिस होने का खतरा है, तो नियमित रूप से आसान और सुरक्षित एक्सरसाइज करें, इससे शरीर के ब्लड सर्कुलेशन में सुधार लाने में काफी मदद मिल सकती है। ऐसे व्यायाम जो खासतौर पर निचले शरीर में खून के सर्कुलेशन को लाभ पहुंचाते हैं, डीवीटी को रोकने में मदद करते हैं।

3. लंबा सफर तय करते वक्त मूवमेंट करती रहें

यदि आपको डीवीटी है और आपको नियमित रूप से लंबी दूरी तय करनी पड़ती है, तो आप समय समय पर बस, फ्लाइट या ट्रेन के अंदर चलने की कोशिश करें। इससे सर्कुलेशन बना रहता है। यदि उठना और चलना संभव नहीं है, तो बैठे-बैठे ही शरीर में मूवमेंट करती रहें और कुछ ऐसे व्यायाम करने का प्रयास करें जिन्हें आप बैठ कर भी आराम से कर सकें।

4. कंप्रेशन स्टॉकिंग्स पहनें

पैर में ब्लड सर्कुलेशन को बनाए रखने वाले कंप्रेशन स्टॉकिंग्स गर्भावस्था और यहां तक कि लेबर के दौरान खून का थक्का बनने से बचने के लिए पहने जा सकते हैं।

डीवीटी एक आम स्थिति है जिसके बारे में कई महिलाओं को जानकारी ही नहीं होती है। इसे दवाओं की मदद से आसानी से ठीक किया जा सकता है और सही समय पर इसका पता लगने से एक सुरक्षित और स्वस्थ गर्भावस्था को पूरा किया जा सकता है।

यह भी पढ़ें:

गर्भावस्था के दौरान घुटनों में दर्द
क्या गर्भावस्था के दौरान पैरों की मालिश (फूट मसाज)
गर्भावस्था के दौरान जोड़ों में दर्द: कारण, घरेलु उपचार

समर नक़वी

Recent Posts

अ अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | A Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…

1 day ago

6 का पहाड़ा – 6 Ka Table In Hindi

बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…

1 day ago

गर्भावस्था में मिर्गी के दौरे – Pregnancy Mein Mirgi Ke Daure

गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…

1 day ago

9 का पहाड़ा – 9 Ka Table In Hindi

गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…

3 days ago

2 से 10 का पहाड़ा – 2-10 Ka Table In Hindi

गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…

3 days ago

10 का पहाड़ा – 10 Ka Table In Hindi

10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…

3 days ago