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प्रीमैच्योर बच्चे को घर लाना – तैयारियां और प्लानिंग

प्रीमैच्योर बच्चे को पहली बार घर ले जाना माता-पिता के लिए एक भावुक दिन होता है। आप अपने बच्चे को घर दिखाने के लिए उत्सुक होंगी मगर साथ ही, आप अपने बच्चे को हॉस्पिटल की सुरक्षा और देखभाल से दूर ले जाने से घबरा भी रही होंगी। यदि आप अपने बच्चे की घर पर संभालने और उसकी केयर के बारे में चिंतित हैं, तो याद रखें कि डॉक्टर जब तक खुद इस बात की पुष्टि नहीं कर लेते कि बच्चे को घर भेजना ठीक रहेगा, तब तक वो खुद आपको और बच्चे को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज नहीं देते हैं। सही तैयारी और प्लानिंग के साथ आप स्थिति को अच्छी तरह से संभाल सकती हैं।

प्रीमैच्योर बच्चा घर कब जा सकता है

कई पेरेंट्स इस बारे में पूछ सकते हैं कि प्रीमैच्योर बच्चे को लेकर घर कब जाया का सकता है। समय से पहले जन्मे बच्चे का हॉस्पिटल से डिस्चार्ज एक तय समय सीमा को पूरा करने के बजाय कुछ माइलस्टोन पूरा करने पर निर्भर हो सकता है। चूंकि इस बात के कोई तयशुदा नियम नहीं हैं कि प्रीमैच्योर बच्चे को एनआईसीयू (नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट) में कितने समय तक रखा जाता है। कई समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों को उनकी मूल ड्यू डेट के करीब छुट्टी मिल सकती है। लेकिन कुछ शिशुओं को अपनी नियत तारीख के बाद भी हॉस्पिटल में रहना पड़ सकता है, खासकर अगर उन्हें सांस लेने के लिए सपोर्ट की जरूरत पड़ रही हो या उनकी सर्जरी हुई हो।

प्रीमैच्योर बच्चे को घर ले जाने से पहले ध्यान देने योग्य बातें

प्रीमैच्योर बच्चे को हॉस्पिटल से घर ले जाते समय घबराहट महसूस होना आम बात है। मगर कुछ बातों का खास खयाल रखने से यह काम आसान हो सकता है।

1. डिस्चार्ज के लिए आवश्यकताएं

डॉक्टर तब तक बच्चे को हॉस्पिटल से छुट्टी नहीं देते जब तक उनको पूरी तरह से यह नहीं लगता कि आप और आपका बच्चा डिस्चार्ज होने के लिए तैयार हैं। इसका मतलब है कि आपके बच्चे को अब हॉस्पिटल के एक्सपर्ट और मेडिकल देखभाल की जरूरत नहीं है। जब बच्चा बिना किसी दिक्कत के सांस ले पाए, ठीक से दूध पी पाए और उसका वजन ठीक से बढ़ रहा हो, खुले पालने में रखने पर उसके शरीर का तापमान भी स्थिर रहता हो आदि, तब डॉक्टर बच्चे को डिस्चार्ज करने के बारे में सोच सकते है।

2. डिस्चार्ज के बाद मेडिकल जरूरतें

हॉस्पिटल से आपको समय समय पर डॉक्टर और बाकी के स्पेशलिस्ट से मिल कर बच्चे के जांच के बारे में बताया जाएगा। डॉक्टर और एनआईसीयू (नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट) में मौजूद लोगों का फोन नंबर या संपर्क का कोई दूसरा तरीका पता करके रखें ताकि बाद में कुछ भी जानने-करने में आसानी हो। आप बाद के चेकअप के लिए किसी स्पेशलिस्ट को निजी तौर पर चुन सकती हैं। यदि बच्चे को देखभाल के लिए ऑक्सीजन टैंक या एपनिया मॉनिटर की आवश्यकता होती है, तो डॉक्टर आमतौर पर इसके लिए निर्देश और जरूरी टेस्ट भी लिख सकते हैं। मेडिकल गियर के बारे में अच्छे से जानने के लिए आप सभी प्रश्नों को एक जगह लिख सकती हैं और अपने डॉक्टर से उसके बारे में अच्छे से जानकारी ले सकती हैं कि वो कैसे काम करता है। आप एक सपोर्ट नेटवर्क भी बना सकती हैं जो आपके बच्चे को घर लाने के शुरुआती दिनों में आपकी सहायता करने के लिए पहले से ही तैयार हो।

3. प्रीमैच्योर बच्चे के डिस्चार्ज की तैयारी

बच्चे को डिस्चार्ज करने के पहले हॉस्पिटल के लोग आपको बच्चे के देखभाल की कुछ चीजें सिखाएंगे, जैसे कि दूध पिलाना, नैपी बदलना, नहलाना और कपड़े पहनाना। साथ ही, बच्चे से पहचान बनाने के लिए आपको उसके साथ कुछ वक्त बिताने भी दिया जाएगा। कुछ अस्पतालों में स्पेशल कमरे होते हैं जिसमे बच्चे की मां उसे घर ले जाने से पहले उसके साथ कुछ वक्त बिता सकती है। ऐसा करने से उसे बच्चे की देखभाल करने की आदत पड़ती है और बाद में बच्चे को बिना किसी की मदद के संभालना आ जाता है। कुछ हॉस्पिटल मांओं को अपने बच्चे को हॉस्पिटल के अंदर प्रैम में टहलाने के लिए ले जाने की अनुमति देते हैं ताकि वे हॉस्पिटल के कर्मचारियों के बिना बच्चे के साथ रह सकें। यह सब बच्चे के साथ उसकी मां के संबंध को मजबूत करने के लिए किया जाता है।

4. बच्चे का मेडिकल रिकॉर्ड और इंश्योरेंस देखें

अपनी स्वास्थ्य हेल्थ इंश्योरेंस फर्म से संपर्क करके अपने बच्चे का नाम उसके जन्म के ठीक बाद ही बीमा पॉलिसी में शामिल कर देना चाहिए। यह बच्चे के जन्म के कुछ दिनों के अंदर ही करना होता है। कुछ इंश्योरेंस एस्टेब्लिशमेंट कॉम्प्लेक्स मेडिकल समस्या वाले बच्चों के लिए होम नर्सिंग विजिट या यहाँ तक कि वाइड रेंज नर्सिंग केयर प्रदान करते हैं। डॉक्टर आपको यह तय करने में मदद कर सकते हैं कि आपकी स्थिति के लिए कौन सा बीमा करवाना सबसे अच्छा होगा। साथ ही, सभी मेडिकल रिकॉर्ड, हॉस्पिटल के कॉरेस्पोंडेंस और फाइनेंशियल स्टेटमेंट को सुरक्षित रखने के लिए एक फाइल भी दी जाती है।

5. पीडियाट्रिशियन चुनना और अपॉइंटमेंट लेना

बच्चे के घर आने के पहले ही एक अच्छे पीडियाट्रिशियन के बारे में पता लगा के रखें। डॉक्टर के बारे में थोड़ा रिसर्च कर लें जैसे अनुभव के बारे में जरूर पता करें और यह भी देखें कि क्या वो जरूरत पड़ने पर देर रात या फोन पर उपलब्ध हो सकते हैं। यदि आपके बच्चे की देखभाल में ट्यूब फीड या वेंटिलेटर शामिल है, तो ऐसे मामलों के इलाज में पीडियाट्रिशियन से उनकी स्पेशिलिटी के बारे में पूछें। आप एक अच्छे पीडियाट्रिशियन के बारे में पता करने के लिए एनआईसीयू स्टाफ से भी संपर्क कर सकती हैं।

अपने बच्चे के घर आने से पहले ही पीडियाट्रिशियन से मिलने का समय निर्धारित करें। अपॉइंटमेंट के सही समय के बारे में जानने के लिए एनआईसीयू के कर्मचारियों से बात करें। आमतौर पर, यह हॉस्पिटल से निकलने के 2 से 3 दिनों के अंदर होता है। इसके अलावा, एनआईसीयू के कर्मचारियों से पूछें कि क्या आपके बच्चे को पीडियाट्रिशियन के पास जाने के अलावा अन्य एक्सपर्ट (नेत्र रोग विशेषज्ञ, न्यूरोलॉजिस्ट, अर्ली इंटरवेंशन स्पेशलिस्ट, फिजिकल थेरेपिस्ट) से मिलने की आवश्यकता भी है। यदि ऐसा है, तो उनका रेफरल, फोन नंबर, आदि मांगें। कुछ बच्चों को नियमित रूप से टेस्ट की आवश्यकता हो सकती है जैसे सुनने और देखने का टेस्ट और ब्लड टेस्ट। यह सुनिश्चित करें कि आप डिस्चार्ज के बाद कराए जाने वाले सभी टेस्ट को अच्छे से समझती हैं।

6. सीपीआर सीखें और उसकी स्पेशल ट्रेनिंग भी लें

बच्चे के हॉस्पिटल से घर आने के पहले इन्फेंट सीपीआर की ट्रेनिंग लेना बच्चे के डिस्चार्ज होने के बाद बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। अपने साथ साथ अपने साथी को भी यह सीखने के लिए शामिल करना अच्छा होता है। बाकी के घरवाले भी इसे सीख सकते है, जैसे कि दादा, दादी और अन्य देखभाल करने वाले लोग। एक अच्छे ट्रेनिंग प्रोग्राम के बारे में पता करने के लिए आप एनआईसीयू स्टाफ की सलाह ले सकती हैं।

7. सर्कमसिजन के बारे में फैसला करें

अगर आपका प्रीमैच्योर बच्चा एक लड़का है, तो आपको सर्कमसिजन के बारे में फैसला लेना पड़ेगा। एक स्वस्थ फुल टर्म इन्फेंट लड़के का हॉस्पिटल छोड़ने से पहले खतना / सर्कमसिजन किया जा सकता है। आम तौर पर, एक हेल्दी प्रीटर्म लड़के पर भी यह लागू हो सकता है।

8. अपनी गाड़ी में बच्चे के लिए इन्फेंट फ्रेंडली कार सीट लगाएं

आपके बच्चे को हॉस्पिटल से घर जाने के लिए कार सीट की जरूरत हो सकती है। आप बच्चे के लिए तीन या पाँच-प्वाइंट हार्नेस वाला कार सीट चुन सकते हैं। आप पाँच-प्वाइंट हार्नेस कन्वर्टिबल कार सेफ्टी सीट भी चुन सकती हैं। बच्चे के सिर को सीधा रखने के लिए और यह सुनिश्चित करने के लिए कि उसे सांस लेने में कोई परेशानी नहीं हो, आपको कार की सीटों को हेड सपोर्ट और एक्स्ट्रा पैडिंग के साथ मोडिफाई करना पड़ सकता है। सुरक्षा के तौर पर, सेफ्टी टेस्ट के लिए कार की सीट को हॉस्पिटल भी ले जाया सकता है।

ऐसे बच्चे जिन्हे सांस लेने में दिक्कत होती है, वे कन्वेंशनल इन्फेंट कार सीट पर सफर नहीं कर पाते हैं। ऐसे में, बच्चे को सुरक्षित घर ले जाने के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें।

9. बच्चे के डिस्चार्ज डिब्रीफिंग का हिस्सा बनें

हॉस्पिटल से बच्चे की डिस्चार्ज के समय मेडिकल केयर, फॉलो अप अपॉइंटमेंट, आदि के साथ ही डिस्चार्ज डिब्रीफिंग की जाती है ताकि आप बच्चे से जुड़े सभी सवालों का जवाब अच्छे से पा सकें। सुनिश्चित करें कि आप हॉस्पिटल से निकलने से पहले सभी चीजों के बारे में अच्छे से जानकारी प्राप्त कर लें और सभी निर्देशों को अच्छे से समझ लें।

घर पर प्रीमैच्योर बच्चे की देखभाल करते समय ध्यान रखने वाले टिप्स

प्रीमैच्योर बच्चे के साथ घर पर रहते समय ध्यान रखने वाले कुछ टिप्स इस प्रकार हैं:

  • आपके बच्चे को एमेच्योर इम्यून सिस्टम के वजह से इन्फेक्शन का खतरा ज्यादा होगा। इसलिए, आपको सावधानी बरतने और उसका बाहर जाना सीमित करना होगा। इसके अलावा दूसरों के साथ उसका संपर्क भी सीमित करना होगा। उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर ले जाने से बचें और अपने घर में कम से कम लोगों को बुलाएं।
  • आपका बच्चा थोड़े समय के लिए ही सोएगा, मगर एक फुल टर्म बच्चे से ज्यादा सोएगा, तो इसके लिए पहले से ही तैयार रहें। एसआईडीएस (सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम) के जोखिम को कम करने के लिए बच्चे को उसकी पीठ के बल सुलाएं।
  • अपने बच्चे के साथ स्किन टू स्किन कनेक्शन बनाने के लिए उसके साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं। ऐसे कॉन्टैक्ट को कंगारू केयर भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि कंगारू केयर से माता पिता और उनके बच्चों का संबंध अच्छा होता है और स्तनपान कराने में आसानी होती है, साथ ही बच्चे का स्वास्थ्य भी सुधरता है।
  • प्रीमैच्योर बच्चे की देखभाल शारीरिक और मानसिक रूप से इंसान को थका सकती है। इसलिए दूसरों से मदद लेने में बिल्कुल भी हिचकिचाए नहीं। खुद भी पर्याप्त आराम लें, अच्छा खाना खाएं और तनाव से दूर रहें।

हॉस्पिटल की मदद के बिना प्रीमैच्योर बच्चे का घर पर खयाल रखना खतरनाक साबित हो सकता है। ऐसे में आशंकित होना आम बात है, खासकर जब आपके बच्चे को खास देखभाल की जरूरत हो। हालांकि, माता-पिता आमतौर पर अपने बच्चों की देखभाल करने के आदी हो ही जाते हैं। अपने प्रीमैच्योर बच्चे को घर ले जाना कई मायनों में फायदेमंद साबित हो सकता है। यह आपके और बच्चे के संबंध को गहरा करने और फीडिंग पैटर्न बनाने में मदद करता है। हो सकता है कि शुरुआत में चीजें सही न लगें लेकिन जल्द ही समय और प्रैक्टिस के साथ, आप अपने बच्चे की सही देखभाल करना सीख जाएंगी।

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समर नक़वी

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