गर्भावस्था

शुरुआती मिसकैरेज: कारण और लक्षण

गर्भपात प्रेगनेंसी का एक ऐसा पहलू है, जिसके बारे में शायद ही कभी बात की जाती है। हालांकि ज्यादातर लोगों को इसके बारे में जानकारी होती है, लेकिन कुछ लोग मिसकैरेज को लेकर अनजान होते हैं। गर्भावस्था के शुरुआती 24 सप्ताह के अंदर यदि गर्भ अपने आप अनियोजित रूप से गिर जाए, तो उसे मिसकैरेज कहते हैं। इसे अर्ली  मिसकैरेज और लेट मिसकैरेज में विभाजित किया गया है। जब गर्भावस्था के शुरुआती 12 सप्ताह के अंदर मिसकैरेज हो जाए, तो उसे अर्ली मिसकैरेज या शुरुआती मिसकैरेज कहा जाता है और जब ऐसा गर्भावस्था के 12वें और 24वें सप्ताह के बीच होता है, तब इसे लेट मिसकैरेज कहा जाता है। 

शुरुआती मिसकैरेज क्या होता है?

शुरुआती मिसकैरेज गर्भावस्था की पहली तिमाही के दौरान होता है, आमतौर पर प्रेगनेंसी कंफर्म होने के बाद पहले 12 सप्ताहों के बीच। 

क्या शुरुआती मिसकैरेज आम है? हां, लेकिन लोग इसे मानना नहीं चाहते हैं। ऐसा अनुमान है, कि लगभग 10 से 20% गर्भावस्थाओं में अपने आप गर्भपात हो जाता है। 

मिसकैरेज कितनी जल्दी हो सकता है? ऐसा माना जाता है, कि लगभग 50% गर्भावस्थाएं शुरुआती 2 सप्ताह से पहले खत्म हो जाती हैं। इतनी जल्दी होने वाले मिसकैरेज का अनुभव करने वाली कई महिलाओं को इस बात का एहसास नहीं होता है, कि उनका गर्भपात हुआ है। यानी कि कई शुरुआती मिसकैरेजेस अक्सर रिपोर्ट नहीं किए जाते हैं और इसका सही आंकलन करना मुश्किल है। 

क्या इससे बचाव संभव है? एक्सपर्ट्स के अनुसार लाइफस्टाइल में बदलाव एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वहीं कई मामलों में मिसकैरेज पर किसी का नियंत्रण नहीं होता है। 

शुरुआती मिसकैरेज के संकेत और लक्षण

2 सप्ताह की प्रेग्नेंसी में, शुरुआती मिसकैरेज के लक्षणों को समझ पाना मुश्किल हो सकता है। कई बार ऐसा भी होता है, कि महिला में प्रेगनेंसी का एहसास खत्म हो जाता है और फिर उसे पता चलता है, कि उसका गर्भपात हो चुका है और कई बार महिला ऐसे लक्षणों का अनुभव कर सकती है, जिनसे जल्द ही होने वाले मिसकैरेज का संकेत मिल सकता है। पर इस बात का ध्यान रखना चाहिए, कि हर बार ऐसा होना जरूरी नहीं है। नीचे दिए गए लक्षणों में से कई लक्षण गर्भावस्था के अनुभवों का एक हिस्सा होते हैं। इसके अन्य लक्षण इस प्रकार हैं: 

  • क्रैंपिंग: जहां यह चिंता का एक कारण हो सकता है, वहीं यह गर्भ में पल रहे शिशु के बढ़ने के कारण भी होता है।
  • स्पॉटिंग: स्पॉटिंग देखकर थोड़ा डर पैदा हो सकता है, लेकिन इसके पीछे का कारण शारीरिक संबंध बनाना और इरिटेशन जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।

चूंकि प्रेगनेंसी के दौरान क्रैंपिंग और स्पॉटिंग सामान्य बात है, इसलिए इन लक्षणों को मिसकैरेज का संकेत नहीं माना जा सकता है। यदि क्रैम्पिंग और स्पॉटिंग के साथ हल्के से भारी ब्लड क्लॉट्स भी दिखें, तो स्थिति चिंताजनक हो सकती है। ऐसी स्थितियों में यह कहना बहुत ही कठिन है, कि शुरुआती गर्भपात हुआ है या नहीं। कई बार ऐसी स्थितियां भी देखी जाती हैं, जिसके लक्षण मिसकैरेज जैसे ही होते हैं और इसे ‘थ्रेटेंड मिसकैरेज’ कहा जाता है। कुछ समय के बाद ये लक्षण बंद हो जाते हैं और गर्भावस्था जारी रहती है। ऐसे में डॉक्टर  से सलाह लेना सबसे अच्छा कदम होता है। 

आप सोच रही होंगी, कि क्या कमर में दर्द मिसकैरेज का एक शुरुआती संकेत है? गंभीर कमर दर्द को अक्सर ही एक संभावित मिसकैरेज से जोड़ा जाता है। हालांकि अगर किसी को कमर दर्द का अनुभव हो रहा है, तो इसका कारण गर्भाशय के फैलने से शरीर में आने वाले बदलाव भी हो सकता है। इससे पीठ पर जोर पड़ता है, जिसके कारण कमर का दर्द होता है। 

शुरुआती मिसकैरेज के मुख्य कारण

कई एक्सपर्ट्स का यह मानना है, कि क्रोमोसोमल अब्नोर्मलिटी शुरुआती मिसकैरेज के लिए सबसे प्रमुख कारणों में से एक है। जब माता और पिता के डीएनए के बीच फ्यूजन होता है, तो दोनों ही पेरेंट्स से बराबर मात्रा में क्रोमोसोम लिए जाते हैं और 46 क्रोमोसोम इकट्ठे होते हैं। लेकिन कई बार ऐसा नहीं हो पाता है। कुछ मामलों में असामान्यताएं देखी जाती हैं। जिनके कारण आगे चलकर भ्रूण यानी एंब्रियो का विकास नहीं हो पाता है। जब आगे चलकर एंब्रियो के विकास की प्रक्रिया रुक जाती है, तो अंत में उसकी मृत्यु हो जाती है और मिसकैरेज हो जाता है। इस तरह का गर्भपात माता या पिता के जेनेटिक्स में किसी असमानता के कारण नहीं होता है और यह किसी के नियंत्रण से भी परे होता है। 

1. मां का स्वास्थ्य

चूंकि मां एक प्राकृतिक इनक्यूबेटर होती है, जिसके शरीर में गर्भस्थ शिशु का विकास होता है। ऐसे में यदि मां के स्वास्थ्य में किसी तरह की समस्या हो, तो इसका असर बच्चे के विकास पर भी होता है। अनियंत्रित डायबिटीज, इंट्रायूटरिन इनफेक्शन, कंजेनिटल हार्ट डिजीज और थायरॉइड जैसी बीमारियां शुरुआती मिसकैरेज की संभावना से जुड़ी होती हैं।

2. हॉर्मोनल समस्याएं

जो महिलाएं किसी प्रकार के हॉर्मोनल असंतुलन से जूझती हैं, जैसे ल्यूटियल फेज डिफेक्ट, वे पर्याप्त मात्रा में प्रोजेस्टेरोन के उत्पादन में सक्षम नहीं होती हैं। चूंकि पेट में पल रहे बच्चे के लिए सहयोगात्मक वातावरण बनाए रखने के लिए प्रोजेस्टेरोन की जरूरत होती है। ऐसे में इसका प्रोडक्शन कम होने से शुरुआती मिसकैरेज हो सकता है।

3. खराब लाइफस्टाइल

जो महिलाएं गर्भावस्था के दौरान शराब, सिगरेट या ड्रग्स का सेवन करती हैं, उन्हें मिसकैरेज का खतरा अधिक होता है और गर्भस्थ शिशु की जान को खतरा होता है।

4. तनाव

जो महिलाएं बहुत तनाव से गुजरती हैं, उनमें शुरुआती मिसकैरेज होने का खतरा ज्यादा होता है। एक अध्ययन से यह पता चला है, कि एक गर्भपात का सामना करने वाली महिला की तुलना में, एक से अधिक गर्भपात का सामना करने वाली महिलाओं में तनाव से पैदा होने वाले हॉर्मोन सीआरएच और यूरोकोर्टिन भारी मात्रा में पाए गए। 

मिसकैरेज होने पर कैसे पता चलेगा?

चूंकि शुरुआती मिसकैरेज के लक्षण स्पष्ट नहीं होते हैं, इसलिए गर्भपात का पता लगाने के लिए मेडिकल टेस्ट और/ या डायग्नोस्टिक प्रक्रिया को अपनाना अच्छा होता है। 

मिसकैरेज की पहचान

  • क्वांटिटेटिव एचसीजी ब्लड टेस्ट: इस टेस्ट में ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (एचसीजी) नामक हॉर्मोन को मापा जाता है। गर्भावस्था के दौरान महिला का शरीर इसका उत्पादन करता है। ओवुलेशन के 1 सप्ताह के बाद इसकी पहचान की जा सकती है। गर्भावस्था के शुरुआती कुछ सप्ताहों के दौरान खून में एचसीजी की मात्रा बड़े पैमाने पर बढ़ जाती है। चूंकि हर कुछ दिनों के बाद इसकी मात्रा बढ़ जाती है, ऐसे में अलग-अलग तारीखों पर दो या दो से अधिक टेस्ट करने से इसकी पहचान हो सकती है। अगर खून में एचसीजी हॉर्मोन की मात्रा में गिरावट आती है, तो यह इस समस्या का एक संकेत हो सकता है। गर्भावस्था के शुरुआती चरण के दौरान यह टेस्ट करना सबसे अच्छा होता है।
  • ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड: शुरुआती मिसकैरेज का पता लगाने के लिए पारंपरिक अल्ट्रासाउंड की तुलना में इस टेस्ट को अधिक महत्व दिया जाता है। प्राथमिक रूप से गर्भावस्था के आठवें सप्ताह से पहले लिए जाने वाले इस टेस्ट में एक प्रोब का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे वेजाइना में कुछ इंच अंदर तक डाला जाता है। चूंकि यह गर्भाशय के नजदीक होता है, इसलिए गर्भावस्था के शुरुआती चरण के दौरान इससे सबसे बेहतर तस्वीरें मिल सकती है। इसके नतीजे को प्रोसेस होने में 24 घंटे तक का समय लग सकता है।

मिसकैरेज के बाद क्या होता है?

डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दी जाती है, विशेषकर अर्ली मिसकैरिज ब्लीडिंग का अनुभव हो रहा हो तो। डॉक्टर इस टिशू को पास करने के लिए बेहतर से बेहतर प्रयास करेंगे और अगर ऐसा न हुआ हो, तो कॉम्प्लीकेशंस से बचने के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे। टिशू को पास होने में मदद करने के लिए, या तो दवाएं दी जाएंगी या फिर डॉक्टर सक्शन क्यूरेटेज के साथ इसे फिजिकली निकालने की कोशिश करेंगे। टिशू के पास होने के बाद, आराम करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इसके बाद मेंस्ट्रुअल क्रैंप्स और ब्लीडिंग होती है। जब तक ब्लीडिंग बंद नहीं हो जाती, तब तक स्विमिंग और यौन संबंध बनाने जैसी एक्टिविटीज से बचने की सलाह दी जाती है। 

मिसकैरेज भावनात्मक रूप से व्यथित करने वाला होता है। यही कारण है, कि अपनी भावनाओं के बारे में बात करना जरूरी है। आप कैसा महसूस करती हैं, इसे लेकर अपने साथी से बात करें। कुछ समय बाद जब आप बेहतर महसूस करने लगें, तो यदि आप फिर से गर्भवती होना चाहती हैं, तो भविष्य के अपने कदम के बारे में बात कर सकते हैं। 

मिसकैरेज के खतरे को कम करने के लिए आप क्या कर सकती हैं?

मिसकैरेज के सटीक कारण की जानकारी दे पाना बहुत कठिन है, खासकर शुरुआती मिसकैरेज के मामलों में। इन घटनाओं के बाद महिला अपने प्रति काफी कठोर हो जाती हैं, जो कि गलत है। सच्चाई यह है, कि कई बार ऐसा भी देखा जाता है, कि स्वस्थ महिलाएं भी सभी सावधानियां बरतने के बावजूद गर्भपात का शिकार हो जाती हैं। गर्भपात के खतरे को कम करने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखा जा सकता है, जो कि नीचे दिए गए हैं: 

  • आयु: 30 साल से कम उम्र की महिलाओं की तुलना में 30 से 40 साल के बीच की उम्र की महिलाओं में गर्भपात की संभावना बहुत अधिक होती है। क्योंकि जैसे-जैसे महिला की उम्र बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे असामान्य क्रोमोसोमल अंडों के उत्पादन की संभावना बहुत बढ़ जाती है।
  • लाइफस्टाइल: जैसा कि कोई भी डॉक्टर आपसे कहेगा, आपका स्वास्थ्य कैसा होगा यह आपकी जीवनशैली से तय होता है। गर्भवती महिला के साथ भी ऐसा ही है। शराब, ड्रग्स और कैफीन से दूरी के अलावा महिला को डॉक्टर की सलाह के बिना कोई भी दवा लेने से बचने की सलाह दी जाती है।
  • पेट की सुरक्षा: पेट पर किसी तरह का आघात होने पर गर्भपात होने का खतरा हो सकता है। यही कारण है, कि जो महिलाएं गर्भवती हैं, उन्हें किसी भी तरह के खेल या अन्य गतिविधियों से दूर रहने की सलाह दी जाती है। क्योंकि इनसे पेट में पल रहे बच्चे को नुकसान हो सकता है।
  • मोटापा: जो महिलाएं संतुलित आहार नहीं लेती हैं, उनमें मिसकैरेज की संभावना बढ़ जाती है। कई साइंटिफिक स्टडीज से यह बात तय हो चुकी है।

हालांकि मिसकैरेज पेरेंट्स पर भावनात्मक असर डालता है। लेकिन कभी-कभी इससे बच पाना संभव नहीं होता है। जो पति-पत्नी अपना परिवार शुरू करना चाहते हैं, उनके लिए यह एक बड़ा आघात हो सकता है। लेकिन इसे लाइलाज समस्या नहीं समझना चाहिए। मिसकैरेज के बाद भरपूर आराम, देखभाल और शरीर की ताकत वापस आने के लिए कुछ महीनों का इंतजार, सफल गर्भावस्था के लिए आपका रास्ता निश्चित रूप से तैयार कर सकता है। 

यह भी पढ़ें: 

मिसकैरेज के बाद ब्लीडिंग होना
मिसकैरेज के आघात से कैसे उबरें
मिसकैरेज (गर्भस्राव) – कारण, लक्षण और रोकथाम

पूजा ठाकुर

Recent Posts

रबीन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध (Rabindranath Tagore Essay In Hindi)

भारत के इतिहास में कई प्रसिद्ध और महान कवि और लेखक रहे हैं, जिनमें रबीन्द्रनाथ…

1 day ago

मदर्स डे पर 30 फनी व मजेदार लाइन्स जो ला दे आपकी माँ के चेहरे पर मुस्कान

माँ एक परिवार के दिल की धड़कन होती है। यह वो प्राकृतिक ताकत है जो…

1 day ago

अक्षय तृतीया पर क्या करने से मिलेगा ज्यादा से ज्यादा लाभ

अक्षय तृतीया एक लोकप्रिय हिंदू त्योहार है, जो आमतौर पर वैशाख के महीने में शुक्ल…

2 days ago

मातृ दिवस पर निबंध (Essay on Mother’s Day in Hindi)

माँ अपने में ही एक संपूर्ण शब्द है। इस संसार में माँ से ज्यादा बच्चे…

2 days ago

इस साल मदर्स डे सेलिब्रेट कैसे करें?

मदर्स डे पर हर बार वही ग्रीटिंग कार्ड और फूल गिफ्ट करना बहुत कॉमन हो…

2 days ago

30 सबसे अलग माँ के लिए गिफ्ट आइडियाज

माएं हमेशा अपने बच्चों की इच्छाओं और जरूरतों को समझ जाती हैं, और इसलिए यह…

2 days ago