In this Article
- वैरिकोज वेन्स क्या हैं?
- गर्भवती महिलाओं को वैरिकोज वेन्स की समस्या क्यों होती है?
- गर्भावस्था में वैरिकोज वेन्स की समस्या के लक्षण
- गर्भावस्था के दौरान वैरिकोज वेन्स क्यों होती हैं?
- गर्भावस्था में वैरिकोज वेन्स से बचाव के तरीके
- क्या वैरिकोज वेन्स गर्भवती महिलाओं के लिए समस्याएं पैदा कर सकती हैं?
- क्या नवजात शिशु इससे प्रभावित होगा?
- क्या वैरिकोज वेन्स प्रसव के बाद ठीक हो जाती हैं?
- गर्भावस्था में वैरिकोज वेन्स का इलाज
- गर्भावस्था के दौरान वैरिकोज वेन्स के घरेलू उपचार
महिलाओं के लिए गर्भावस्था का समय बहुत ही खास होता है। इस दौरान उनमें मानसिक और शारीरिक दोनों ही रूप से बदलाव हो रहे होते हैं। गर्भावस्था में महिलाओं को स्वास्थ्य से जुड़ी कई परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। कभी-कभी कुछ समस्याएं आम होती हैं वहीं कुछ गंभीर, इसलिए इस समय शरीर में होने वाले किसी भी बदलाव पर ध्यान देना जरूरी है। कई समस्याओं में से एक समस्या है जिसके बारे में आज हम बात करने वाले हैं वो है ‘वैरिकोज वेन्स।’ यह समस्या सामान्य और गंभीर दोनों हो सकती हैं। यदि आप गर्भवती हैं और आपको भी इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है, तो आपको इसके बारे में पूरी जानकारी होना जरूरी है। क्या है वैरिकोज वेन्स, यह क्यों और कब होता है? इसके लक्षण और बचने के उपाय क्या है यह जानने के लिए लेख पूरा पढ़ें।
वैरिकोज वेन्स क्या हैं?
वैरिकोज नसें वो स्वास्थ्य समस्या है, जिसे अंग्रेजी में वैरिकोसिटीज या वैरिकोज भी कहा जाता है। इसमें आपकी नसें फूल जाती हैं और काफी दर्द भी होता है। ये नसें आपकी त्वचा में उभरी हुई दिखाई देती हैं। ये समस्या खासतौर पर पैर के निचले हिस्से में महसूस होती है। अक्सर महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान ये समस्या हो जाती है। लेकिन कभी-कभी ये मासिक धर्म के बंद होने पर यानी मेनोपॉज के समय, बुढ़ापे में, ज्यादा देर तक खड़े रहने, मोटापे और जेनेटिक कारणों से भी उत्पन्न हो सकती है। हमारी नसों में वाल्व होते हैं जो खून को एक दिशा में बहने में मदद करते हैं। लेकिन जब ये वाल्व कमजोर या क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, तो खून पीछे की तरफ जाने लगता और दिल तक नहीं पहुंचकर नसों में जमने लगता है। ये हमेशा पैरों और शरीर के नीचे के हिस्सों में उत्पन्न होती है।
गर्भवती महिलाओं को वैरिकोज वेन्स की समस्या क्यों होती है?
जब एक महिला गर्भवती होती है, तो उसके शरीर में कई परिवर्तन होते हैं। गर्भावस्था के दौरान प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर बढ़ता है जो नसों की वॉल्व को ढीला कर देता है, जिससे नसें कमजोर हो जाती हैं और उनका लचीलापन भी कम होने लगता है। इससे नसों में खून का प्रवाह धीमा हो जाता है और खून जमने लगता है, जिससे वैरिकोज वेन्स की समस्या पैदा होती हैं।
खून का प्रवाह बढ़ने से, गर्भनाल और बच्चा शरीर के निचले हिस्से में चले जाते हैं। इससे पैरों पर और जननांग पर अधिक भार पड़ने लगता है जिससे वैरिकोज वेन्स की समस्या होती है। खासतौर पर शरीर के दाहिने हिस्से में मौजूद वेना कावा वेन्स पर अधिक जोर पड़ता है।
गर्भावस्था में वैरिकोज वेन्स की समस्या के लक्षण
गर्भावस्था के दौरान होने वाली वैरिकोज वेन्स की समस्या आमतौर पर होने वाली वैरिकोज वेन्स की समस्या से अलग होती है। हालांकि हल्की सूजन, नसों में खून दिखना इसके आम लक्षण होते हैं, लेकिन इसके अलावा भी कुछ लक्षण हैं जिन पर ध्यान देने चाहिए। गर्भावस्था में वैरिकोज वेन्स की समस्या के मुख्य लक्षण इस प्रकार है:
- पैरों की त्वचा के ऊपर नीली और बैंगनी रंग की फूली हुई नसें दिखाई देना।
- प्रभावित नसों के पास दर्द, खुजली या जलन महसूस होना।
- पैरों में दर्द और थकन महसूस करना।
- योनि के सभी भागों में जैसे वल्वा, लैबिया, रेक्टम और पेरिनियम में असहजता महसूस होना।
- पैरों में फ्लूइड के जमाव के कारन सूजन हो जाना।
- मांसपेशियों में खिंचाव या दर्द महसूस होना।
- त्वचा रोग जैसे एक्जिमा और अल्सर होना (ये गंभीर मामलों में होता है)।
- स्पाइडर वेन्स होना। स्पाइडर वेन्स त्वचा की सतह पर छोटे-छोटे मकड़ी के जाल के तरह नसों के गुच्छे जैसे होते हैं। हालांकि स्पाइडर वेन्स और वैरिकोज वेन्स दोनों ही गर्भावस्था के दौरान दिखाई दे सकते हैं, लेकिन वे अलग-अलग समस्याओं का संकेत हो सकते हैं।
- नसों में खून के थक्के होना, जो गर्भावस्था के दौरान वैरिकोज वेन्स से जुड़े हो सकते हैं। हालांकि, ये डीप वेन थ्रॉम्बोसिस (डीवीटी) या पल्मोनरी एम्बोलिज्म से अलग होते हैं, जो इससे कहीं अधिक खतरनाक होते हैं।
गर्भावस्था के दौरान वैरिकोज वेन्स क्यों होती हैं?
जरूरी नहीं कि हर गर्भवती महिला को वैरिकोज वेन्स की समस्या हो, लेकिन कुछ कारणों से यह गर्भवती महिलाओं को अधिक प्रभावित कर सकते हैं। और हर महिलाओं में इसके होने के अलग-अलग कारण हो सकते हैं।
गर्भवती महिलाओं में वैरिकोज वेन्स का मुख्य कारण है गर्भाशय का भार पड़ना, जो उनकी पेल्विक और निचले अंगों पर दबाव डालता है। इस दौरान शरीर में नसों को आराम देने वाले हार्मोन भी स्थिति को और खराब कर देते हैं। हालांकि, ये सभी बदलाव हर गर्भवती महिला के शरीर में होते हैं, लेकिन कुछ महिलाओं में यह समस्या पैदा होती है क्योंकि उनकी नसों की वाल्व ज्यादा कमजोर हो जाती है जिससे उन्हें वैरिकोज वेन्स की समस्या का सामना करना पड़ता है।
अगर आपको पिछली गर्भावस्था में भी वैरिकोज वेन्स की समस्या हुई थी, तो इस बार भी यह समस्या होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा, अगर आपको जुड़वा या उससे अधिक बच्चों की गर्भधारण हुई है, मोटापा हुआ है, या आप लंबे समय तक खड़ी रहती हैं, तो आपके निचले शरीर पर दबाव ज्यादा पड़ता है, इससे वैरिकोज वेन्स होने की संभावना बढ़ जाती है।
अगर आपके परिवार में किसी को पहले से वैरिकोज वेन्स की समस्या रही है, तो गर्भावस्था के दौरान आपको भी यह समस्या हो सकती है। जितनी बार आप गर्भवती होंगी इसके होनी की संभावना और भी बढ़ सकती है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ नसें कमजोर हो जाती हैं और शरीर के निचले हिस्से में पहले से पड़ रहे दबाव के कारण वैरिकोज वेन्स की समस्या पैदा होने लगती है।
गर्भावस्था में वैरिकोज वेन्स से बचाव के तरीके
वैरिकोज वेन्स से होने वाली समस्या से बचने के लिए आप नीचे दिए इन उपाय को आजमाएं, इससे आपको काफी राहत मिलेगी।
1. बाईं ओर करवट लेकर सोना
आपके शरीर के दाहिनी तरफ एक नस होती है जिसे इनफीरियर वेना कावा कहते हैं, यह शरीर की सबसे बड़ी नस होती है, जो रक्त को शरीर के निचले हिस्से से वापस हृदय तक ले जाती है। अगर आप बाईं करवट पर सोती हैं, तो इस नस पर कम दबाव पड़ता है और खून का बहाव सही रहता है। इसके अलावा, सोते समय कुछ कुछ देर में अपनी स्थिति बदलते रहना भी आपके लिए अच्छा रहेगा।
2. हल्के-फुल्के व्यायाम करना
व्यायाम करने से खून का प्रवाह बढ़ता है और नसों में खून जमता नहीं है। गर्भावस्था के दौरान हल्का व्यायाम करना महिलाओं के लिए सुरक्षित होता है और विशेषज्ञ इसे करने की सलाह भी देते हैं। अमेरिकन कॉलेज ऑफ ऑब्स्टेट्रिशियंस एंड गायनेकोलॉजिस्ट्स के विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि रोजाना 30 मिनट या उससे अधिक समय तक हल्का व्यायाम करने से खून का प्रवाह सही रहता है। पेल्विक फ्लोर व्यायाम से वैरिकोज वेन्स की समस्या को दूर करने में काफी सहायता करता है, हालांकि आप चाहे तो सिर्फ कुछ देर टहल लें इससे भी रक्त का प्रवाह बेहतर होता है।
3. पैरों को ऊपर रखकर बैठना
जब भी बैठे ये लेटें पैरों को ऊंचा रखें और हर दो-तीन घंटे में बैठ जाएं और पैरों को आराम दें इससे आपके शरीर के निचले हिस्से में खून का प्रवाह बेहतर होगा। ध्यान दें कि कभी भी पैर पर पैर रख कर न बैठें और जब खड़े रहें तब भी अपने शरीर का वजन किसी एक पैर पर न डालें बल्कि दोनों पैरों पर बराबर खड़े रहें।
4. शरीर के भार को संतुलित करना
गर्भावस्था के दौरान आपका वजन भी बढ़ने लगता है, वजन बढ़ने की वजह से नसों पर भी अधिक दबाव पढ़ने लगता है। इस बारे में अपने डॉक्टर से बात करें और उनसे जाने कि आप और आपके बच्चे के लिए कितना वजन बढ़ाना सही रहेगा। शरीर में पानी की मात्रा ज्यादा होने के कारण भी वजन बढ़ता है और वजन बढ़ने से दबाव पड़ता है, इसलिए आपको इसे रोकने के लिए नमक का सेवन कम करना होगा।
5. कब्ज का ध्यान रखें
कब्ज की समस्या भी वैरिकोज वेन्स के खतरे को बढ़ा सकता है और बवासीर का कारण बन सकता है। इसलिए आपको ज्यादा पानी पीना चाहिए, कम नमक वाला भोजन खाना चाहिए और फाइबर युक्त खाने का सेवन बढ़ाना चाहिए, ताकि कब्ज होने से बचा जा सके।
6. वैरिकोज वेन्स के लिए खास बने संपीड़न मोजें पहनें
गर्भावस्था में वैरिकोज वेन्स के लिए खास मोजे पहनने की सलाह दी जाती है जिसे कम्प्रेशन स्टॉकिंग्स या संपीड़न मोजे कहते हैं। ये मोजे नीचे के पैरों में कसे होते हैं और ऊपर खुले होते हैं, जिससे खून का संचार ऊपर की ओर बना रहता है। ये वैरिकोज वेन्स को रोकने और दर्द से राहत पाने में मदद करते हैं।
लेकिन आपके लिए यह सुझाव है कि संपीड़न मोजे का उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें, क्योंकि ये ज्यादा वजन वाले लोगों में खून के प्रवाह को पूरी तरह से रोक सकता है। ध्यान रखें कि ये मोजे आरामदायक हों और आपके पैरों में सही ढंग से फिट होते हों।
संपीड़न मोजे न मिलें तो टाइट लेग्गिंग्स या टाइट्स भी आप पहन सकती हैं। जननांगों में वैरिकोज वेन्स के लिए, अच्छी फिटिंग वाले शॉर्ट्स फायदेमंद साबित होते हैं। हालांकि, कमर पर से चुस्त कपड़े ना पहने। गंभीर वैरिकोज वेन्स के मामले में, जरूरी नहीं है कि संपीड़न मोजे पूरी तरह से आपको राहत दे पाएं, हाँ लेकिन यह जरूर है कि यह स्थिति को और बिगड़ने से रोक सकते हैं।
क्या वैरिकोज वेन्स गर्भवती महिलाओं के लिए समस्याएं पैदा कर सकती हैं?
गर्भावस्था में वैरिकोज वेन्स की वजह से महिलाओं को काफी दर्द सहना पड़ सकता है, लेकिन इससे प्रसव में कोई समस्या नहीं होती है। अगर महिला की योनि तक वैरिकोज वेन्स हो जाएं, तो यह सूज सकती है और इसमें दर्द भी महसूस हो सकता है, लेकिन यह प्रसव में कोई असर नहीं डालती।
गर्भावस्था के दौरान कुछ महिलाओं में डीप वेन थ्रॉम्बोसिस (डीवीटी) के मामले भी देखे गए हैं, यह एक गंभीर समस्या होती है जिसमें शरीर की नस में खून का थक्का जम जाता है। लेकिन इसकी संभावना बहुत कम होती है। लेकिन डीवीटी वैरिकोज वेन्स के कारण नहीं होता। अगर आपको डीवीटी हो जाए, तो तुरंत इलाज की जरूरत होती है क्योंकि यह जानलेवा भी हो सकता है।
इसके अलावा, कुछ महिलाओं में प्रसव के बाद भी वैरिकोज वेन्स की समस्या कम नहीं होती बल्कि यह आगे भी बनी रह सकती हैं।
क्या नवजात शिशु इससे प्रभावित होगा?
नहीं, वैरिकोज वेन्स से नवजात शिशु को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है और न ही प्रसव के समय कोई समस्या होती है। हां लेकिन इससे आपको काफी असुविधाजनक महसूस हो सकता है।
क्या वैरिकोज वेन्स प्रसव के बाद ठीक हो जाती हैं?
हां, आमतौर पर वैरिकोज वेन्स प्रसव के बाद से धीरे-धीरे गायब होने लगती हैं। इसे ठीक होने में तीन से चार महीनों का समय लगता है, लेकिन कुछ मामलों में इसे ठीक होने में लंबा समय भी लग सकता है। अगर आपको गंभीर रूप से वैरिकोज वेन्स की समस्या हुई है या एक से अधिक प्रेगनेंसी थी या फिर जब गर्भवस्था के दौरान इस समस्या पर ध्यान न दिया गया हो तो ऐसे में हो सकता है आपकी यह समस्या बनी रहेगी।
प्रसव के बाद भी, अगर वैरिकोज वेन्स ठीक हो जाती हैं, तो यह संभावना है कि वे अगली गर्भावस्था के दौरान फिर से हो सकती है।
कुछ मामलों में, ये समस्या हमेशा के लिए भी हो सकती है और प्रसव के बाद भी बनी रह सकती हैं। वैसे इससे कोई हानि नहीं पहुंचती लेकिन दिखने में खराब लगती है, इसलिए महिलाएं इसे हटाना चाहती हैं, ताकि वो अच्छी दिख सकें।
गर्भावस्था में वैरिकोज वेन्स का इलाज
गर्भावस्था में होने वाली वैरिकोज वेन्स का उपचार करने के लिए कुछ सरल उपाय हैं। इस समस्या से राहत पाने के लिए आप संपीड़न मोजे पहन सकती हैं या ऐसे व्यायाम करें जिससे आपका खून का बहाव बेहतर हो। पैरों को ऊंचा रखना, अपनी डाइट में सुधार करना जैसी सरल चीजें करने से भी आपको काफी राहत महसूस होगी।
गर्भावस्था के दौरान किसी भी सर्जरी या इंजेक्शन के जरिए किसी भी प्रकार का इलाज नहीं कराना चाहिए। यदि आपको इसका उपचार कराना ही है तो प्रसव हो जाने तक का इंतजार करें। यह सलाह आपको इसलिए दी जाती है, क्योंकि उसका उपचार के बावजूद भी दूसरी गर्भावस्था में यह समस्या फिर से उत्पन्न हो सकती हैं।
इससे हमेशा के लिए छुटकारा पाने के लिए, एंडोवेनस थेरेपी, माइक्रो फ्लेबेक्टोमी और स्क्लेरोथेरेपी जैसे उपचारों का सहारा लिया जाता है। यह इलाज करने के लिए नसों में एक छोटा सा चीरा लगाया जाता है और वे या तो लेजर, हीट थेरेपी या इंजेक्शन के जरिए केमिकल डाल कर किए जाते हैं।
यह इलाज महंगे होते हैं और इसमें किसी पेशेवर विशेषज्ञ की आवश्यकता होती है। इनके दुष्प्रभाव अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन आमतौर पर इसमें एलर्जी, सूजन, थकान आदि शामिल होते हैं।
गर्भावस्था के दौरान वैरिकोज वेन्स के घरेलू उपचार
वैरिकोज वेन्स का इलाज महंगा होता है, लेकिन इसे घरेलू उपचार से भी ठीक किया जा सकता है, जो आमतौर पर सस्ते होते हैं और इनसे राहत भी मिल जाती है। यह उपचार गर्भावस्था के दौरान और उसके बाद दोनों में ही किया जा सकता है, लेकिन यह कारगर होगा इसका कोई प्रमाण नहीं है, इसलिए कोई भी घरेलू उपचार करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
1. सेब का सिरका
प्रभावित जगह पर सेब का सिरका यानी एप्पल साइडर विनेगर लगाएं और हल्के हल्के हाथ से मालिश करें। नियमित रूप हर सुबह और सोने से पहले अपनी पैरों की मालिश करें। सेब के सिरके से मालिश करने से यह आपके खून को शुद्ध करता है और साथ ही इसके प्रवाह को बेहतर करता है। यह आपके नसों में होने वाले दर्द और सूजन को कम करने में मदद करता है और रक्त प्रवाह को बेहतर करता है। ध्यान रखें, गर्भावस्था के दौरान अगर वैरिकोज वेन्स हो जाएं और आप सेब के सिरका उपयोग करना चाहती हैं, तो इसे केवल मालिश के लिए ही उपयोग करें। सेब के सिरके को त्वचा पर लगाना ठीक है, लेकिन डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही इसका उपयोग करें।
2. जैतून का तेल
पैरों में ऑलिव ऑइल से मालिश करने से रक्त संचार बेहतर होता है। गुनगुने तेल से मालिश करना बहुत फायदेमंद होता है और आपके पैरों को इससे आराम भी महसूस होगा। जैतून के तेल से त्वचा के कालेपन को भी कम करने में मदद मिलती है। बेहतर परिणाम के लिए विटामिन ई तेल और जैतून के तेल को बराबर मात्रा में मिलाकर लगाएं तो त्वचा भी अच्छी होगी।
3. लहसुन
लहसुन रक्त संचार को बढ़ाने और सूजन को कम करने में मदद करता है। यह शरीर की गंदे खून को हटाने में मदद करता है और जमे हुए रक्त को बेहतर रूप से संचार करने में मदद करता है। लहसुन को गर्भावस्था के दौरान मालिश के लिए उपयोग किया जा सकता है। लेकिन बेहतर यही कि आप डॉक्टर की सलाह लेने के बाद ही इसका प्रयोग करें।
वैरिकोज वेन्स की समस्या को लहसुन से कैसे ठीक करें आइए जानें:
- आपको चाहिए, छह लहसुन की कलियां
- एक साफ कांच का बर्तन
- तीन संतरे का जूस
- दो बड़े चमच्च जैतून का तेल
क्या करें:
- लहसुन की कलियां काट लें और उन्हें कांच के बर्तन में डाल दें। उसमें संतरे का जूस और जैतून का तेल डालें और अच्छे से मिला लें। मिश्रण को 12 घंटे तक बर्तन में रहने दें।
- अब इसे इससे अच्छे से मिला लें और अपनी नसों की मालिश करें।
- इसके बाद प्रभावित जगह को कपड़े से ढंक लें और रात भर उसे लगा रहने दें।
- राहत पाने के लिए इसे दिन में एक बार रोजाना लगाएं।
4. आंवला
आंवला में विटामिन सी होता है जो एक एंटीऑक्सिडेंट भी है और कोलेजन का उत्पादन बढ़ाता है, जिससे त्वचा अच्छी होती है।
- प्रभावित क्षेत्रों पर मालिश करने के लिए आंवले को पानी में पांच मिनट तक उबालें।
- उसे ठंडा होने दें और पानी को छान लें।
- इसमें एक बूंद गुलाब और मैरीगोल्ड एसेंशियल ऑयल डालें।
- जब यह ठंडा हो जाए तो मालिश करें।
वेरिकोज वेन्स गर्भावस्था में बहुत सारी महिलाओं को होने वाली एक आम समस्या है। इसलिए आपको इससे जुड़ी हर एक चीज की जानकारी होना जरूरी है, ताकि आप अपनी और आपके बच्चे के स्वास्थ्य की देखभाल सही तरीके से कर सकें।
अगर आपको वैरिकोज वेन्स की समस्या हो जाती हैं, तो चिंता की कोई बात नहीं है। हालांकि, अगर यह आपके लिए ज्यादा परेशानी का कारण बन रही हैं, तो अब आपको इस लेख को पढ़ने के बाद पता होगा कि क्या करना है। गर्भावस्था के दौरान सबसे ज्यादा जरूरी है आप और आपके बच्चे सुरक्षा इसलिए अब आप अपने और बच्चे के लिए सही निर्णय ले सकती हैं और उचित उपाय कर सकती हैं।
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