कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व व व्रत के लिए व्यंजन विधियां

कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व

भगवान विष्णु ने सदैव बुराई का अंत करने के लिए पृथ्वी पर अवतार लिया है, द्वापर युग में कृष्ण के रूप में उन्होंने न केवल कंस जैसे अत्याचारी राजा का वध किया बल्कि महाभारत के युद्ध में अर्जुन को गीता का उपदेश देकर कर्म का सिद्धांत भी बताया । भगवान कृष्ण का जीवन और इससे जुड़ी कहानियां इतनी मनोरम हैं कि आज भी लोग उनके जीवन के हर पहलू को याद करते हैं और उनके जन्म का उत्सव ‘जन्माष्टमी’ या ‘गोकुलाष्टमी’ हर साल मनाते हैं।

भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव बहुत शान से और पारंपरिक तौरतरीके से पूरे देश में मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन उपवास रखने से मनुष्य का शरीर पापों से मुक्त हो जाता है । इस दिन भक्ति गीत, श्लोक और मंत्र पढ़ने से हृदय शुद्ध विचारों और भावनाओं से भर जाता है। कुछ लोग पेड़ों पर झूले बाँधते हैं क्योंकि अपने बचपन में कृष्ण जी को झूला झूलना बेहद पसंद था । भगवान कृष्ण को अर्पित करने के लिए भक्त दूध से बनी मिठाइयाँ भी तैयार करते हैं। श्रीकृष्ण गोपियों के साथ रासलीला के लिए भी जाने जाते हैं, लोग जन्माष्टमी के दिन इसका भी नाट्य चित्रण प्रदर्शित करते हैं ।

जन्माष्टमी कब और क्यों मनाई जाती है?

भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाने वाले भगवान कृष्ण के जन्म दिवस को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। यह त्यौहार भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी यानि आठवें दिन आता है । श्री कृष्ण को एक नायक, मित्र, शिक्षक और रक्षक के रूप में देखा जाता है और इसलिए हजारों वर्षों बाद भी उनके जन्म दिवस को परम उत्साह व आनंद के साथ मनाने की परंपरा चली आ रही है।

जन्माष्टमी कब और क्यों मनाई जाती है?

भारत में कृष्ण जन्माष्टमी कैसे मनाई जाती है?

यह शुभ दिन बेहद उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। भले ही श्रीकृष्ण का संपूर्ण जीवन उनकी शिक्षाओं से भरा रहा हो लेकिन उनके जन्मोत्सव में उनकी बाल लीलाओं का रूप अधिक देखने को मिलता है। जन्माष्टमी के उत्सव से जुड़ी कुछ रस्में जैसे बाल कृष्ण के पालने को हिलाना, भक्ति भरे गीत गाना, नृत्य, पूजा, आरती आदि शामिल हैं। इसके अलावा कृष्ण और गोपिकाओं की रास लीला का नाटकीय रूपांतर प्रदर्शित किया जाता है। साथ ही दही हांडी का खेल, झाकियां निकालना आदि जन्माष्टमी मनाने के अन्य तरीकों में शामिल है । देश के विभिन्न भागों में जन्माष्टमी का उत्सव अलगअलग प्रकार से मनाया जाता है ।

उत्तर भारत में

उत्तर भारत में जन्माष्टमी के दिन लोग उपवास करते हैं, साथ ही अपने घरों और मंदिरों में सजावट भी करते हैं। शाम को भजन गाए जाते हैं। कृष्ण के जन्म और बाल लीलाओं से जुड़े स्थानों वृंदावन, गोकुल और मथुरा में जन्माष्टमी का उत्सव बेहद शानदार तरीके से मनाया जाता है। इस त्यौहार को मनाने के लिए यहाँ दूरदूर से लोग आते हैं। चारों ओर यह उत्साह देखने लायक होता है। वहीं जम्मू में, लोग इस दिन पतंग भी उड़ाते हैं।

दक्षिण भारत में

केरल में जन्माष्टमी का त्यौहार अष्टमी रोहिणी के रूप में मनाया जाता है। रात को रोहिणी नक्षत्र पर ध्यान केंद्रित किया जाता है जो आधी रात में निकलता है, ऐसा इसलिए, क्योंकि माना जाता है कि भगवान का जन्म भी आधी रात को हुआ था। इस त्यौहार को खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता है और साथ ही भागवत गीता के श्लोकों का भी पाठ किया जाता है। छोटे बच्चों को भगवान कृष्ण के रूप में सजाया जाता है। भगवान को मिठाइयाँ और फल चढ़ाए जाते हैं और सभी लोगों में उनका प्रसाद बाँटा जाता है।

पूर्व भारत में

जन्माष्टमी के उत्सव में लोग श्रीकृष्ण के प्रति अपनी भक्ति को व्यक्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। यह दिन ओडिशा और पश्चिम बंगाल राज्य में भगवान कृष्ण की पूजा करके मनाया जाता है। यहाँ जन्माष्टमी के अगले दिन नंद उत्सव मनाने का प्रचलन है। भगवद् गीता से श्लोकों का पाठ करने के लिए अलगअलग स्थानों पर प्रवचन का आयोजन किया जाता है।

पश्चिम भारत में

भारत के पश्चिमी भाग में, जन्माष्टमी बहुत धूमधाम से मनाई जाती है। लोग इस अवसर को एक भव्य आयोजन के रूप में मानते हैं। गुजरात की भूमि पर द्वारिका में भगवान कृष्ण ने अपना राज्य स्थापित किया था। इस दिन महिलाएं ताश खेलती हैं, क्योंकि यह एक पुरानी परंपरा है। यह त्यौहार मौजमस्ती के साथ इस दिन की पवित्रता को भी बनाए रखता है। महाराष्ट्र में जन्माष्टमी का उत्सव दहीहांडी के बिना अपूर्ण कहा जाता है। यहाँ भी मंदिरों में बेहद सुंदर सजावट की जाती है।

जन्माष्टमी में रखे जाने वाले व्रत के लिए व्यंजन विधियां

अधिकांश लोग जन्माष्टमी पर उपवास रखते हैं और आधी रात के बाद अपना उपवास तोड़ते हैं। भगवान को छप्पन प्रकार का प्रसाद चढ़ाया जाता है जिसे ‘छप्पनभोग’ कहा जाता है। हम यहाँ आपको कुछ ऐसी व्यंजन विधियां बताने जा रहे हैं जिन्हें आप अपने उपवास के दौरान बना सकती हैं ।

1. साबुदाना खिचड़ी

मूंगफली और आलू के साथ बनी साबुदाना खिचड़ी उपवास करने वालों के लिए एक बेहतरीन व्यंजन है।

साबुदाना खिचड़ी

सामग्री:

  • साबुदाना – 1 कप
  • आलू – 2
  • सेंधा नमक आवश्यकतानुसार
  • घी या मूंगफली का तेल – 3 बड़े चम्मच
  • नींबू का रस (वैकल्पिक) – ½चम्मच
  • चीनी – ½ चम्मच
  • कसा हुआ ताजा नारियल – ¼ कप
  • हरी मिर्च (कटी हुई) –
  • मूंगफली (भुनी हुई) – ½ कप

तरीका:

  • साबुदाने को अच्छे से धो कर इसे रात भर भिगो कर रख दें । अगले दिन इसमें से पानी निकाल लें और साबुदाने को कटोरे में रख दें। उबले हुए आलू को छील कर काट लें। मूंगफली भूनने के बाद उसे दानेदार पीस लें। फिर साबुदाना में इस पाउडर को मिलाएं।
  • एक कड़ाही में तेल या घी गरम करें। इसमें जीरा और मिर्च डालें, इसके बाद इसमें उबले हुए कटे आलू डालें। 4 से 6 मिनट तक इसे चलाएं। फिर नींबू का रस और कटा हुआ हरा धनिया ऊपर से छिड़कें। इसके बाद कसा हुआ नारियल छिड़कें, लीजिए हो गई आपकी खिचड़ी तैयार, आप इसे गर्मागर्म परोसें।

2. कद्दू की सब्जी

यह व्यंजन स्वादिष्ट तो है ही, इसके साथसाथ इसे बनाना भी बेहद आसान है।

कद्दू की सब्जी

सामग्री:

  • कद्दू – 1 छोटा
  • घी या मूंगफली का तेल – 3 बड़े चम्मच
  • जीरा – 1 चम्मच
  • सूखी लाल मिर्च – 1 या 2
  • सेंधा नमक आवश्यकतानुसार
  • धनिया कुछ कटी हुई पत्तियाँ
  • चीनी आवश्यकतानुसार
  • लाल मिर्च पाउडर – ½ चम्मच

तरीका:

सबसे पहले कद्दू को ठीक से धोएं इसे छीलें और काट लें। कड़ाही में घी या तेल गरम करें उसमें जीरा और सूखी लाल मिर्च डालें और कुछ सेकंड के लिए इसे भूनें। इसके बाद इसमें कटा हुआ कद्दू डालें और नमक व लाल मिर्च पाउडर डाल लें, आवश्यकतानुसार चीनी डालकर इसे अच्छे से मिलाएं और इसे ढंक दें । कद्दू के नरम होने पर धनिया पत्ती से गार्निश करें।

3. जीरा आलू

उपवास के लिए इस स्वादिष्ट व्यंजन को बनाना बहुत ही आसान है ।

जीरा आलू

सामग्री:

  • आलू मध्यम 3 से 4
  • घी या मूंगफली का तेल – 4 बड़े चम्मच
  • नमक आवश्यकतानुसार
  • नींबू का रस – ¼ चम्मच
  • जीरा – 1.5 चम्मच
  • घी या तेल – 1 बड़ा चम्मच
  • हरी मिर्च – 1-2

तरीका:

आलू को उबालें और छील कर काट लें। एक कड़ाही में तेल या घी गरम करें। हरी मिर्च और जीरा डालें और एक मिनट के लिए भूनें। आलू में नमक डालें, आप चाहें तो धनिया भी डाल सकती हैं। अंत में, आंच बंद कर दें और नींबू का रस मिलाएं। इसे राजगिरा या सिंघाड़े के आटे से बनी पूड़ी के साथ परोसें।

4. अरबी की सब्जी

स्वादिष्ट अरबी से बने इस उत्तर भारतीय व्यंजन को आप उपवास के दौरान खा सकती हैं।

अरबी की सब्जी

सामग्री:

  • अरबी – 10 -12
  • घी या मूंगफली का तेल – 4 बड़े चम्मच
  • लाल मिर्च पाउडर -1/2 चम्मच
  • मूंगफली का दानेदार पाउडर – 3 चम्मच
  • जीरा – 1 चम्मच
  • सेंधा नमक स्वादानुसार
  • सजाने के लिए पुदीना और धनिया

तरीका:

अरबी को अच्छे से धो कर इसे प्रेशर कुकर में पका लें । ठंडा होने पर इसे छीलकर काट लें। गरम घी या तेल में जीरा और उबली हुई अरबी डालें। फिर सेंधा नमक व लाल मिर्च पाउडर मिलाएं। भुनी हुई मूंगफली का दानेदार पाउडर डालें। पुदीना और धनिया से इसे सजाएं और गर्मागर्म परोसें।

5. व्रत की कढ़ी

यह उपवास के दिनों में एक स्वादिष्ट और जल्दी तैयार हो जाने वाले व्यंजनों में से एक है ।

व्रत की कढ़ी

सामग्री:

  • ताजा दही – 1 कप
  • अमरंथ (राजगिरा) का आटा – 3 बड़ा चम्मच
  • घी या मूंगफली का तेल – 2 बड़ा चम्मच
  • अदरक व हरी मिर्च का पेस्ट – 1 चम्मच
  • चीनी आवश्यकतानुसार
  • जीरा – ½ चम्मच
  • सेंधा नमक आवश्यकतानुसार

तरीका:

  • 1 कप दही को अच्छी तरह फेंटे इसमें 3 बड़ा चम्मच राजगिरा का आटा मिलाएं, यह ठीक तरह से मिले इसके लिए इसमें पानी डालकर अच्छी तरह से फेंट लें ताकि इसमें गांठ न रह जाएं।
  • एक पैन में घी या मूंगफली का तेल गरम करें। इसमें जीरा और अदरकमिर्च का पेस्ट मिलाएं। दही का मिश्रण डालें। उबाल आने के बाद कढ़ी को धीमी आंच पर गाढ़ा होने दें। आप इसे सजाने के लिए कटी हुई धनिया पत्ती का प्रयोग कर सकती हैं।

भगवान के सबसे शक्तिशाली अवतारों में से एक, श्रीकृष्ण ने हमें अपने जीवन से बहुत कुछ सिखाया है। भगवान कृष्ण का जन्म ही पृथ्वी से बुराई को दूर करने तथा कर्म की महत्ता बताने के लिए हुआ था। केवल भारत में ही, बल्कि दुनिया भर के कई अन्य देशों में जन्माष्टमी मनाई जाती है। यह उल्लासपूर्ण त्यौहार लोगों को कृष्ण के भक्तिभाव में सराबोर कर देता है।