7 और 8 महीने के छोटे बच्चे का रोजाना का रूटीन

7 और 8 महीने के छोटे बच्चे का रोजाना का रूटीन

यह जरूरी है, कि शिशु जितना जल्दी हो सके एक निश्चित डेली रूटीन में आ जाए। इससे आपके और आपके बच्चे, दोनों की जिंदगी आसान हो जाती है। बच्चा जरूरत से ज्यादा न थके, भूखा न रहे ,ओवर एक्साइटेड न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए एक रूटीन बेहद जरूरी है, क्योंकि इसके कारण ही बच्चों में गुस्सा, शैतानी और विद्रोह जैसे रिएक्शन दिखते हैं। एक शेड्यूल को अपनाने से आपका बच्चा सुरक्षित महसूस करने लगता है। इससे आपका तनाव और एंग्जायटी भी कम हो जाती है। जब आप अपने बच्चे के साथ समय बिताती हैं, तो आपको उसके खाने और सोने का पैटर्न और खेलने की प्राथमिकताओं का भी आभास होता है। इसके आधार पर आप एक ऐसी दिनचर्या बना सकते हैं, जो कि आप दोनों के लिए ही उचित हो। 

सात और आठ महीने के छोटे बच्चों की जरूरतें 

इस उम्र के दौरान, बच्चे अपने आसपास की चीजों और लोगों के प्रति उत्सुक होते हैं। वे अपने मोटर स्किल्स को टेस्ट करते हैं और अधिक घूमते फिरते हैं। चीजों को उठाना, क्रॉलिंग यानी हाथ पैरों का सहारा लेकर घुटनों पर चलना, रोल करना और बड़बड़ाना ऐसी कुछ चीजें हैं, जिनकी शुरुआत बच्चे इस उम्र में करने की कोशिश करते हैं। 7 और 8 महीने के बच्चे को खेलना और आपके साथ समय बिताना पसंद होता है। वे अपनी भावनाएं व्यक्त करने में भी सक्षम होते हैं और अलग होने पर या अजनबी को देखने पर घबराहट के संकेत भी दिखा सकते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि आप एक शेड्यूल बनाएं, ताकि आपके बच्चे के संपूर्ण विकास को प्रोत्साहन मिले। यहां पर इस उम्र में आपके बच्चे की कुछ जरूरतें दी गई हैं: 

1. सोना

नवजात शिशु की तुलना में इस उम्र के बच्चों में नींद की जररत को पहचानना आसान होता है, पर वे अभी भी काफी अनिश्चित हो सकते हैं। आंखें मलना, जम्हाई लेना और गतिविधियों का धीमा पड़ जाना नींद आने के कुछ संकेत हैं। सोने के समय के साथ कुछ खास गतिविधियों को जोड़ें, जैसे डायपर बदलना या कहानी पढ़कर सुनाना। इससे आपके बच्चे को यह समझने में मदद मिलेगी कि यह सोने का समय है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें, कि सोने के समय को मिस न करें, क्योंकि बच्चे तेज विकास के एक चरण में हैं और उन्हें दिन के समय 7 घंटों तक की नींद की जरूरत हो सकती है।

2. खाना

बच्चे को दिन भर में कई बार खिलाने की जरूरत होती है – शायद हर दो या तीन घंटों के बाद। 6 महीने की उम्र के बाद जब आपका बच्चा ठोस आहार लेना शुरू कर देता है, तब आप अपने खाने के साथ बच्चे के खाने को को-ओर्डिनेट कर सकते हैं। लेकिन भोजन के अलावा आपके बच्चे को अभी भी हर दिन 5 से 7 बार फार्मूला या ब्रेस्ट मिल्क देने की जरूरत होगी। इसके छोटे नियम बनाने से आपके बच्चे को यह समझने में मदद मिलेगी यह खाने का समय है। 

3. खेलना

एक्टिव रूप से और शांत रूप से खेलने के लिए सबसे अच्छे समय को समझने में थोड़ी कोशिश करनी पड़ेगी। कुछ बच्चे नींद से जागने के तुरंत बाद खेलना पसंद करते हैं। ऐसे संकेतों को पहचानना सीखें, जिससे आपको यह पता चले कि बच्चा बोर हो रहा है। जैसे फसी हो जाना या आप पर या हाथ में खिलौना लेकर फ्रस्टेशन दिखाना। 

4. रात की अच्छी नींद

बेड टाइम रूटीन बेहद जरूरी है, क्योंकि जब बच्चा बड़ा हो जाता है या स्कूल जाने लगता है, तब उसे सही समय पर सोना जरूरी है। इस उम्र के बच्चों को लगभग 12 घंटों की रात की नींद की जरूरत होती है, ताकि उनका उचित विकास हो सके और वे स्वस्थ रहें। मालिश करना, मधुर संगीत बजाना और नहाना आपके बच्चे को यह समझने में मदद करेगा कि यह रात को सोने का समय है। हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है, कि सोने का एक नियमित पैटर्न हो, ताकि आपका बच्चा आसानी से बिस्तर पर जाए, सोए और सुबह खुश हो कर जागे। 

7 से 8 महीने के ब्रेस्टफीडिंग करने वाले छोटे बच्चे की मां के लिए सैंपल बेबी शेड्यूल 

इस उम्र के बच्चों के लिए एक शेड्यूल बनाने के दौरान आपको यह याद रखना चाहिए, कि उन्हें हर दिन कम से कम दो से तीन बार ठोस आहार की जरूरत होगी और हर दिन कम से कम पांच से सात बार फार्मूला या ब्रेस्ट मिल्क की जरूरत होगी। 

यहां पर कुछ सैंपल शेड्यूल दिए गए हैं, जिनके द्वारा आपको अपने शेड्यूल और बच्चे की जरूरतों के आधार पर खुद का शेड्यूल बनाने का एक अनुमान मिलेगा:

शेड्यूल 1 – घर पर रहने वाली मां के लिए

  • सुबह 7:00 बजे: बच्चा जागता है और लगभग 20 मिनट के लिए दूध पीता है। 
  • सुबह 7:30 बजे: खिलौनों से खेलता है और मां नाश्ता बनाती है। 
  • सुबह 8:00 बजे: बच्चा नाश्ता करता है, जो कि अक्सर राइस सीरियल या ओटमील और मैश या प्यूरी किया हुआ फल होता है। 
  • सुबह 8:30 बजे: फिर से खेलता है। 
  • सुबह 9:00 से 9:30 के बीच: सोने से पहले लगभग 15 मिनट के लिए मां का दूध पीता है। 
  • सुबह 11:00 बजे: उठता है और खेलता है। 
  • दोपहर 12:00: दोपहर के खाने में बच्चा मैश किए हुए फल और सब्जियां खाता है। 
  • दोपहर 12:30: बच्चा बाहर खेलता है। 
  • दोपहर 1:30: बच्चा 15 मिनट के लिए दूध पीता है और फिर सो जाता है। 
  • दोपहर 3:30: बच्चा उठता है और बाहर खेलता है। 
  • शाम 4:00 बजे: बच्चा फिर से दूध पीता है। 
  • शाम 5:00 बजे: बच्चा रात के खाने में थोड़ा मैश किया हुआ खाना खाता है। 
  • शाम 5:30 बजे: बच्चा खेलता है या पार्क में घूमने जाता है। 
  • शाम 6:30 बजे: बच्चा नहाता है। 
  • शाम 7:00 बजे: बच्चा रात को सोने से पहले थोड़ी देर के लिए दूध पीता है। 

बच्चा आधी रात में उठ सकता है और लगभग 15 मिनट के लिए दूध पीकर दोबारा सो सकता है। कुछ बच्चे रात में बार-बार भी उठ सकते हैं। 

शेड्यूल 1 - घर पर रहने वाली मां के लिए

शेड्यूल 2 – ब्रेस्ट पंपिंग करने वाली कामकाजी मांओं के लिए

  • सुबह 5:00 बजे: बच्चे को दूध पिलाएं, उसके कपड़े और डायपर बदलें और जब तक आप काम पर जाने के लिए तैयार हो रही हों, उसे थोड़ी देर के लिए लिटा दें। 
  • सुबह 6:45 बजे: दोबारा दूध पिलाएं और बच्चे को डे केयर में ले जाएं। 
  • सुबह 7:30 बजे: बच्चा डे केयर में ब्रेकफास्ट में थोड़े सीरियल और मैश या प्यूरी किए हुए फल और सब्जियां खाता है। 
  • सुबह 9:00 से 10:00: बच्चा सो जाता है। 
  • सुबह 11:00 बजे: बच्चा दोपहर का खाना खाता है जिसमें पंप किया हुआ ब्रेस्ट मिल्क और बेबी फूड होता है। 
  • दोपहर 1:00 से 2:30: बच्चे के दोपहर में सोने का समय। 
  • दोपहर 3:00: कुछ फिंगर फूड और फलों के साथ बच्चा एक हेल्दी स्नैक लेता है। 
  • दोपहर 3:30 बजे: आप बच्चे को डे केयर से पिक करती हैं और उसके बाद उसे दूध पिलाती हैं और उसे लेकर घर जाती हैं, जहां वह थोड़ी देर खेलता है। 
  • शाम 5:45 बजे: बच्चे के साथ रात का खाना इंजॉय करने का समय। बच्चा फल, मैश की हुई सब्जियां और सीरियल खाता है। 
  • शाम 7:00 बजे: बच्चे की मालिश करें, उसे नहलाएं, कहानी सुनाएं और बेड टाइम रूटीन की शुरुआत करें। बच्चा दूध पीते पीते सो जाता है। 

बच्चा रात में एक बार थोड़ी देर के लिए जाग सकता है और दूध पी सकता है और दोबारा सो सकता है। कुछ बच्चों को रात में अधिक बार ब्रेस्टफीडिंग की जरूरत पड़ती है। 

शेड्यूल 2 - ब्रेस्ट पंपिंग करने वाली कामकाजी मांओं के लिए

7 से 8 महीने के फार्मूला दूध पीने वाले छोटे बच्चे की मां के लिए सैंपल बेबी शेड्यूल

हर बच्चे की भूख अलग हो सकती है और चूंकि वे अपनी जरूरतों के बारे में सही तरह से कम्युनिकेट करने के लिए काफी छोटे होते हैं, ऐसे में सबसे अच्छा यही है कि आपको इस बात का अनुमान हो, कि बच्चे को एक दिन में कितने फार्मूला की जरूरत होगी। ऐसा अनुमान लगाया जाता है, कि 6 महीने से अधिक उम्र के बच्चों को हर दिन 450 ग्राम शारीरिक वजन के लिए लगभग 75 मिलीलीटर फार्मूला की जरूरत होती है। यह जानना जरूरी है, कि बच्चे को 24 घंटों में 960 मिलीलीटर फार्मूला से अधिक नहीं पीना चाहिए। यहां पर फार्मूला दूध पीने वाले बच्चे के लिए कुछ सैंपल शेड्यूल दिए गए हैं। 

शेड्यूल 1 – घर पर रहने वाली मां के लिए

  • सुबह 6:00 बजे: बच्चा उठ जाता है। 
  • सुबह 6:20 पर: बच्चा बोतल से दूध पीते हुए थोड़ी देर के लिए खेलता है। 
  • सुबह 7:30 बजे: यह परिवार के साथ नाश्ता करने का समय होता है और बच्चा फिंगर फूड के साथ-साथ फल और सीरियल खाता है। 
  • सुबह 8:30 बजे: बच्चा खिलौनों से खेलता है या बाउंस चेयर पर बैठता है और मां घर के काम खत्म करके तैयार होती है, फिर बच्चा सो जाता है। 
  • सुबह 10:15 बजे: उठने पर बच्चे को फार्मूला की दूसरी बोतल मिलती है। फिर मां और बच्चा थोड़ी देर के लिए बाहर जाते हैं। 
  • सुबह 11:30 बजे से दोपहर 12:00 तक: घर वापस आना और दोपहर का खाना खाना। 
  • दोपहर 12:45 से 2:30 तक: बच्चा फिर से सो जाता है और उठने के बाद फिर से बोतल में दूध पीता है। 
  • दोपहर 3:00: पालतू जानवर या भाई बहनों के साथ बाहर खेलता है। 
  • शाम 5:15 बजे: थोड़ी देर खेलता है और उसके बाद रात का खाना खाता है। 
  • शाम 6:00 बजे: फिर से फार्मूला पीता है और नहाने और कहानी सुनने के साथ बेड टाइम रूटीन शुरू होता है। 
  • शाम 7:00 बजे: बच्चा सो जाता है रात में नहीं जागता है। 

2 से 4 महीने की उम्र के बीच कभी-कभी फॉर्मूला दूध पीने वाले बच्चों में आधी रात में दूध पीने की जरूरत महसूस होना बंद हो जाती है। लेकिन हर बच्चा अलग होता है और अगर आपके बच्चे को बार बार फीडिंग की जरूरत पड़ती है, तो आप अपने डॉक्टर से बात कर सकती हैं। 

शेड्यूल 2 – घर पर रहने वाली जुड़वां बच्चों की मां के लिए

जुड़वां बच्चों को मैनेज करना बहुत कठिन लग सकता है, खासकर अगर आपके पास कोई मदद मौजूद न हो, तो। यहां पर एक सैंपल रूटीन दिया गया है, जिस पर आप विचार कर सकते हैं:

  • सुबह 7:00 बजे: सुबह उठना और दोनों बच्चों को फार्मूला दूध की बोतल देना। 
  • सुबह 8:15 बजे: खेलना और घर के फर्श पर घुटनों के बल घूमना। 
  • सुबह 9:00 बजे: सुबह का नाश्ता, जिसमें दोनों बच्चों को बेबी फूड, सीरियल और फिंगर फूड दिया जा सकता है। 
  • सुबह 10:00 से 11:30 के बीच: दोनों दोनों बच्चे सो जाते हैं। 
  • दोपहर 12:30: बच्चे सो कर उठ जाते हैं, उन्हें बाहर खेलने को लेकर जाएं या किताब पढ़कर सुनाएं। 
  • दोपहर 1:00 से 1:30 के बीच: दोपहर के खाने में बच्चों को मैश की हुई या पिसी हुई सब्जियां, दही, फिंगर फूड दें। खाना खत्म करने के बाद दोनों बच्चों को फार्मूला दूध की बोतल दें। 
  • दोपहर 2:30 से 3:00 के बीच: दादा-दादी के साथ बाउंसिंग कुर्सी में खेलने का समय। 
  • शाम 4:00 बजे: फिर से सोने का समय। 
  • शाम 5:00 बजे: बच्चे सो कर उठ चुके हैं, बच्चे फर्श पर खिलौनों से खेलते हैं। 
  • शाम 5:45 बजे: फॉर्मूला की बोतल दें। 
  • शाम 6:30 बजे: नहाने से पहले मालिश और कहानी पढ़ने के साथ बेड टाइम रूटीन शुरू होता है। 
  • शाम 7:30 बजे: दोनों बच्चों को फार्मूला दूध की बोतल देना। 
  • रात 8:45 बजे: सोने का समय और वे पूरी रात सोते हैं। 

शेड्यूल 3 – कामकाजी मां के लिए

इस सैंपल शेड्यूल में मां फुल टाइम काम करती है और उसे नियमित रूप से ट्रैवल भी करना होता है। वह फुल टाइम नैनी से मदद लेती है, जो उसके साथ नहीं रहती है। 

  • सुबह 6:00 बजे: बच्चे के जागने का समय। 
  • सुबह 6:30 बजे: फार्मूला की बोतल और रिफ्लक्स मेडिसिन की डेली खुराक। 
  • सुबह 6:45 बजे: बच्चा दिन के लिए तैयार हो जाता है। 
  • सुबह 7:15 बजे: बच्चे के नाश्ते का समय, जिसमें वह एक चौथाई कप ओटमील सीरियल और होममेड प्यूरी किया हुआ फल लेता है। हर दूसरे दिन सीरियल में एक अंडे की जर्दी मिली होती है। 
  • सुबह 7:45 बजे: मां के साथ समय बिताना। 
  • सुबह 8:30 बजे: नैनी के आने का समय और वह सोने का रूटीन शुरू करती है – डायपर बदलना, किताब पढ़ना, लोरी सुनाना और फिर उसे क्रिब में डालना। 
  • सुबह 9:00 से 10:00 बजे तक: बच्चा सो जाता है। 
  • सुबह 10:00 बजे: बच्चा जाग जाता है और उसका डायपर बदला जाता है। यह घर में और घर के बाहर छांव में खेलने का समय है। 
  • सुबह 10:30 बजे: फार्मूला की बोतल का समय। 
  • सुबह 10:45 बजे: फिर से खेलने का समय। 
  • सुबह 11:30 बजे: दोपहर के खाने में बच्चा दही के साथ आधा छोटा चम्मच पिसे हुए अलसी के बीज और घर की बनी हुई प्यूरी की हुई सब्जियां खाता है। 
  • सुबह 11:50 से दोपहर 12:00 बजे तक: सोने का रूटीन और सोना। 
  • दोपहर 1:30 बजे: बच्चा उठता है, डायपर बदला जाता है और खेलता है। 
  • दोपहर 2:00: फॉर्मूला की बोतल का समय और फिर खेलना। 
  • दोपहर 3:00: सोने का रूटीन और फिर सोना। 
  • शाम 4:15 बजे: बच्चा उठ जाता है, डायपर बदला जाता है और थोड़ी देर खेलता है। 
  • शाम 5:15 बजे: मां घर वापस आ जाती है और बच्चे को बोतल देती है और नैनी जाने की तैयारी करती है। 
  • शाम 5:30 बजे: नैनी चली जाती है और माँ रात के खाने की तैयारी करती है। पिता घर आ जाते हैं। यह मां और पिता के साथ खेलने का समय है। 
  • शाम 6:00 बजे: रात के खाने का समय और बच्चा माता-पिता के साथ रात का खाना खाता है। बच्चा सीरियल, घर की बनी प्यूरी की हुई सब्जियां और फल खाता है। 
  • शाम 7:00 बजे: माँ और पिता के साथ वॉक का समय। 
  • शाम 7:30 बजे: बच्चे की मालिश होती है, वह नहाता है और रात के कपड़े पहनता है। 
  • रात 8:00: फार्मूला की बोतल और रिफ्लक्स दवा का समय। 
  • रात 8:15: मां बेड टाइम रूटीन शुरू करती है, जिसमें बच्चे के दांत साफ करना, कुछ किताबें पढ़ना, लोरी सुनाना और फिर क्रिब में डालना शामिल है। 
  • रात 9:00: आमतौर पर बच्चा सो जाता है और पूरी रात सोया रहता है। 

शेड्यूल 3 - कामकाजी मां के लिए

ब्रेस्टफीडिंग और फॉर्मूला फीडिंग कराने वाली घर पर रहने वाली मां

कुछ बच्चों को उनके भोजन के साथ सप्लीमेंट के रूप में फार्मूला की जरूरत होती है, जिसके पीछे कई तरह के कारण होते हैं, जिनमें वजन बढ़ने में समस्याओं से लेकर और पर्याप्त ब्रेस्ट मिल्क उत्पादन और पंपिंग में समस्याएं तक शामिल हैं। यहां पर ऐसे बच्चे के लिए सैंपल शेड्यूल दिया गया है, जो ब्रेस्टफीडिंग के साथ-साथ फार्मूला दूध पीता है। 

  • सुबह 7:00 से 7:30 बजे तक: बच्चा अपने भाई-बहनों के साथ उठ जाता है और माँ का दूध पीता है। 
  • सुबह 8:00 बजे: सभी बच्चे नाश्ता करते हैं और बच्चा सीरियल, प्यूरी की हुआ फल खाता है और फार्मूला की बोतल पीता है। 
  • सुबह 8:30 बजे: कभी-कभी नाश्ते के दौरान गंदगी होने से बच्चे को नहलाना पड़ता है, वरना इस समय बच्चा अपने भाई-बहनों के साथ खेलता है और मां नाश्ता करती है। 
  • सुबह 9:30 से 10:00 के बीच: बच्चा दूध पीता है और सो जाता है। मां घर के काम करते हुए दूसरे बच्चों को व्यस्त रखने की कोशिश करते हैं। 
  • सुबह 11:30 से दोपहर 12:00 बजे तक: बच्चा सो कर उठ जाता है और यह उसके खाने का समय है। बच्चा मीट, सब्जियां, पिसे हुए फल के साथ-साथ कुछ फिंगर फूड और सिप्पी कप से पानी पीता है। 
  • दोपहर 1:00: घूमने या तैरने का समय। 
  • दोपहर 2:00 से 2:30 के बीच: दूध पीने के बाद दोबारा सोने का समय। 
  • शाम 4:00 बजे: बच्चा उठ जाता है और माँ का दूध पीना चाहता है। 
  • शाम 5:30 बजे: रात के खाने में बच्चा मीट, सब्जियां, बेबी फूड और पिसे फल खाता है और साथ ही फार्मूला दूध का बोतल पीता है। 
  • शाम 6:00 से 7:00: थोड़ा खेलने का समय। 
  • शाम 7:00 से 7:30: नहाने का समय। 
  • रात 8:00 बजे: सभी बच्चे नाईट ड्रेस पहनकर सोने के लिए तैयार हो जाते हैं। 
  • रात 9:00: बच्चा मां का दूध पीते पीते सो जाता है। 
  • सुबह 3:00 बजे: बच्चा दोबारा मां का दूध पीता है और पूरी रात सोता है। 

7 से 8 महीने के छोटे बच्चे के लिए रूटीन तय करने के दौरान विचार करने वाली बातें 

बच्चे के लिए रूटीन तय करने के लिए आपको उसके 7 महीने पूरे होने का इंतजार करने की जरूरत नहीं है। आप इसकी शुरुआत काफी पहले भी कर सकती हैं और बच्चा जितनी जल्दी एक रूटीन का आदी हो जाता है, आप दोनों के लिए यह उतना ही अच्छा होता है। पर्याप्त आराम, पर्याप्त भोजन और खेलने-सीखने के लिए पर्याप्त समय कुछ ऐसी चीजें हैं, जो इस उम्र के बच्चों के लिए जरूरी होती हैं। 7 महीने के बच्चे के लिए सोने का समय तय करना आपको जल्दबाजी लग सकती है, लेकिन जब आपका बच्चा बड़ा होने लगता है, तब आपको एहसास होता है कि यह बिल्कुल सही है। 8 महीने के बच्चे के लिए खाने का शेड्यूल तय करने में भी ऐसा ही होता है। इस उम्र में खाने का शेड्यूल बनाना बिल्कुल सही है और बड़े होने पर यह काफी फायदेमंद महसूस होता है। 

निष्कर्ष

जहां एक जनरल रूटीन आपको अपना दिन प्लान करने में मदद कर सकता है, वहीं आपको यह याद रखना जरूरी है, कि बच्चे का फीडिंग शेड्यूल तय करने में उसकी जरूरतें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इस प्रकार आप निश्चित रूप से समय के साथ एक बेहतरीन रूटीन ढूंढ लेंगी, जो आपके और आपके बच्चे के लिए सबसे अच्छा होगा। 

डिस्क्लेमर: यह जानकारी केवल एक गाइड है और यह किसी क्वालिफाइड प्रोफेशनल की मेडिकल सलाह का विकल्प नहीं है। 

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