In this Article
जन्म के बाद बच्चे के शुरुआती 12 महीनों में, उसकी जिंदगी में विकास के कई पड़ाव आते हैं, जैसे बोलना, चलना, सामाजिक जागरूकता और भी बहुत कुछ। अगर शिशुओं के पोषण, आराम और भावनात्मक जुड़ाव की जरूरतें अच्छी तरह से पूरी होती रहें, तो वे प्राकृतिक रूप से एक स्वस्थ और संतुलित वयस्क के रूप में बढ़ते हैं। आगे चलकर, आप बच्चे को मानसिक और शारीरिक रूप से स्टिमुलेट करके उसके विकास को बढ़ावा दे सकती हैं, जिससे उसे अपने वातावरण को समझने और बेहतर तरीके से जानने में मदद मिलेगी।
रिसर्च यह दर्शाती हैं, कि इस प्रक्रिया में प्रमुख तत्व माता-पिता होते हैं, जो कि अलग-अलग तरीकों से बच्चों से इंटरैक्ट करने में अपना समय लगाते हैं। इस लेख में ऐसी कई मजेदार एक्टिविटीज बताई गई हैं, जो कि बच्चों के विकास में मदद कर सकती हैं।
बच्चे के साथ पहला साल थोड़ा मुश्किल होता है। जिसके पीछे कई तरह के कारण होते हैं, जैसे कि असमय सोना-जागना, चिड़चिड़ापन, रोना, लगातार ध्यान देना और भी न जाने क्या क्या। जैसे-जैसे एक नवजात शिशु बड़ा होता जाता है, वह अपने वातावरण के संदर्भ में अपने शरीर को लेकर और भी जागरूक होता जाता है। अपने नए वातावरण को जानने के तरीकों में, जो एक सबसे आम तरीका है, वह है उसका मुंह ! बच्चे हर चीज को अपने मुंह में लेना चाहते हैं। इस दौरान हाथ और उंगलियां भी विकसित हो रही होती हैं, जिससे वे चीजों को मुट्ठी में भरने, चुटकी में पकड़ने, थामने और चीजों को उठाने में सक्षम होते जाते हैं। ऐसे कई खेल होते हैं, जो आप अपने बच्चे के साथ खेल सकती हैं, जिनसे उसे दुनिया का अनुभव लेने में मदद मिलती है। इसमें विजुअल कॉम्पोनेंट, सोशल बॉन्डिंग, हाथ और आंख का तालमेल, मोटर-स्किल और याददाश्त शामिल हैं।
एक साल से कम उम्र के शिशु, एक चीज पर अधिक समय तक ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं। उनकी आयु, पर्सनालिटी और स्वभाव के कारण किसी एक चीज पर ध्यान को केंद्रित रखना उनके लिए मुश्किल हो सकता है। यही कारण है, कि एक ही खेल को बार-बार खेलने से उन्हें मदद मिलती है और वह उनके दिमाग में अच्छी तरह से बैठ जाता है। अगर आपका बच्चा इस एक्टिविटी को एंजॉय कर रहा है, तो वह हंसेगा या मुस्कुराएगा। वहीं, अगर वह इसमें दिलचस्पी लेता हुआ ना दिखे, तो खेल को बदल दें।
नवजात शिशु को अपने आसपास की ज्यादातर चीजों के बारे में जानकारी नहीं होती है, इसलिए उसे व्यस्त रखना आपको नामुमकिन या मुश्किल लग सकता है। पर असल में, एक छोटे से बच्चे के सेंसेस भी काम कर रहे होते हैं, जिन्हें स्टिमुलेट या शार्प किया जा सकता है।
चीजों को ढूंढने से नजर का विकास होने में मदद मिलती है। इस एक्टिविटी के लिए आप चमकीले रंगों वाली चीजों का इस्तेमाल कर सकते हैं। जब आपका बच्चा अपनी पीठ के बल लेटा हो, तो किसी वस्तु को उसके चेहरे के सामने रखें, फिर धीरे से बाएं से दाएं तब तक घुमाएं, जब तक बच्चा अपनी आंखों से उसे फॉलो न करने लगे।
आप संगीत और मूवमेंट से उसका परिचय करा सकती हैं। एक रिलैक्स करने वाला गाना प्ले करें और बच्चे को अच्छी तरह से थाम कर गाने के साथ साथ कमरे में इधर-उधर घूमते हुए डांस करें।
अपने बच्चे को आईने के सामने पकड़ें और उसकी छवि को दिखाएं। आप उससे पूछ सकती हैं, “यह कौन है?” इसी तरह अपनी, उसके भाई-बहन या किसी खिलौने आदि के रिफ्लेक्शन के साथ भी इस प्रक्रिया को दोहराएं।
इस उम्र के बच्चे शारीरिक रूप से पहले से अधिक एक्टिव हो जाते हैं। वे करवट लेना, बैठना, अपने हाथों और मुंह में चीजों को पकड़ना शुरू कर देते हैं। अब आप कुछ और फिजिकल गेम्स उनके साथ खेल सकती हैं।
बुलबुलों के साथ खेलना काफी मजेदार होता है और अगर बच्चा चिड़चिड़ा हो रहा हो या रो रहा हो, तो उसके ध्यान को भटकाने के लिए यह एक मजेदार तरीका हो सकता है। आप पार्क में, नहाने के दौरान या फिर बच्चे को सुलाने के समय, कभी भी कहीं भी बुलबुले बना सकती हैं।
चूंकि, अब आपका बेबी अपने सिर को उठा सकता है, आप उसे अपनी बाहों में उठा सकती हैं और उसे इस तरह से घुमा सकती हैं, जैसे कि वो उड़ रहा हो।
घर में मौजूद तरह-तरह की खुशबुओं से उसका परिचय कराएं। यह एक्टिविटी उसके ध्यान को भटकाने के साथ-साथ अलग-अलग तरह की महक को जानना भी सिखाती है। इसके लिए आप दालचीनी, लौंग, जीरा जैसे हल्की खुशबू वाले मसालों के साथ-साथ, लोशन, क्रीम, साबुन और ऐसी ही अन्य चीजों का इस्तेमाल भी कर सकती हैं।
आपका बच्चा चीजों को पकड़ने और उन्हें एक हाथ से दूसरे हाथ में लेने के काबिल हो चुका होगा और उसने सारे घर में रेंगने की शुरुआत भी कर दी होगी।
इसके लिए आप बच्चे के रेंगने के रास्ते में तकिए और रजाई जैसे बड़ी लेकिन मुलायम चीजों का इस्तेमाल कर सकती हैं, ताकि वह इनसे निपटना सीख सके। बच्चे की मोटर स्किल्स को बढ़ावा देने के लिए यह एक्टिविटी बहुत ही उपयोगी है।
बच्चे बहुत शोर मचाते हैं, खासकर जब वे चीजों को उठाते हैं और फर्श या टेबल पर पटकते हैं। ऐसा वे आपको परेशान करने के लिए नहीं करते हैं, बल्कि वे इससे निकलने वाली आवाज को लेकर उत्सुक होते हैं। उन्हें चम्मच और घंटियों जैसी चीजें दें, जिससे अनोखी आवाजें आती हों। आप उन्हें एंब्रॉयडरी किया हुआ कपड़ा या दूसरी जटिल लेकिन नाजुक चीजें भी दे सकते हैं, ताकि महसूस करने की उनकी क्षमता और बेहतर हो सके।
लुकाछुपी या पीक-अ-बू एक ऐसा खेल है, जिसके माध्यम से बच्चे को किसी वस्तु के स्थायित्व के कांसेप्ट को समझने में मदद मिलती है। यानी कि, अगर कोई वस्तु नजर से ओझल हो जाए, तो भी वह कहीं ना कहीं मौजूद होती है। आप किसी दरवाजे या पर्दे के पीछे छुप सकते हैं और बच्चा आपको ढूंढ सकता है। आप एक कपड़े से अपना चेहरा ढक भी सकते हैं और जब बच्चा आप को पुकारने लगे तो अपना चेहरा बाहर निकाल सकते हैं।
इस उम्र में आपका बच्चा खड़ा होना, खुद को सीधा रखना, चढ़ना और ऐसी ही चीजें सीख रहा होता है। इस उम्र तक पन्ने पलटने जैसे फाइन मोटर स्किल्स का विकास भी होने लगता है।
जब बच्चा चलना सीखने लगता है, तो आप उसके पसंदीदा खिलौने को अलग-अलग जगह पर रख सकती हैं। वह उन्हें लेने के लिए जाएगा और इस तरह उसके चलने को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही उसे कमरे में चीजों को धकेलना भी सिखाएं, इससे उसमें संतुलन की एक भावना स्थापित होने में मदद मिलेगी।
एक साल के बच्चे आवाज और हाव-भाव की नकल करना पसंद करते हैं। आप अजीब-अजीब आवाजें निकालकर और अजीब चेहरे बनाकर उन्हें प्रोत्साहित कर सकती हैं। बच्चा आपकी नकल करना शुरू कर देगा या अपनी तरह से आपको प्रतिक्रिया देगा।
आपका बेबी इस उम्र तक यह सीखना शुरू कर चुका होता है, कि उसके आसपास की दुनिया एक व्यवस्था से चलती है। इस व्यवस्था को मेंटेन कैसे करना है, यह सिखाने के लिए, आप उसे कुछ खिलौने और दूसरी चीजें दे सकती हैं और उन्हें आकार रंग और आकृति के अनुसार कैसे व्यवस्थित रखना है, यह दिखा सकती हैं। इससे वह यह भी समझ पाएगा, कि इस व्यवस्था को स्थापित करने का कोई एक सख्त तरीका नहीं है, बल्कि ऐसा कई तरह से किया जा सकता है।
बच्चों के शुरुआती विकास में एक्टिविटीज और खेल बहुत जरूरी होते हैं। शिशु के साथ खेलने के लिए यहां पर माता-पिता के लिए कुछ टिप्स दिए गए हैं, जिनकी मदद से यह अनुभव आपके बच्चे के लिए मजेदार के साथ-साथ शिक्षाप्रद भी बन जाएगा।
बढ़त और विकास एक बायोलॉजिकल शेड्यूल के अनुसार होते हैं। थोड़ा-बहुत अंतर होने के बावजूद, ज्यादातर बच्चे एक ही पैटर्न को फॉलो करते हैं, जिसमें करवट बदलने से लेने से लेकर बैठना, रेंगना, खड़े होना, चलना और इसके बाद बाकी की चीजें शामिल हैं। इस बात का भी ध्यान रखें, कि हर बच्चा अलग होता है और दूसरे बच्चों के साथ उसकी तुलना करने का कोई अर्थ नहीं है। कुछ बच्चों को चीजों को सीखने में अधिक समय लगता है, वहीं कुछ इसे जल्दी से सीख सकते हैं। पर अंत में वयस्क होने पर, इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता है। लेकिन अगर आपका बच्चा विकास के हर पड़ाव तक पहुंचने में बहुत अधिक समय लगाता है, तो इसके पीछे का कारण कोई छिपी हुई समस्या हो सकती है। ऐसे मामले में अपने पीडियाट्रिशियन से संपर्क करें।
यह भी पढ़ें:
क्या बहुत ज्यादा खिलौनों से बच्चे के विकास को नुकसान होता है?
बेबी एक्टिविटीज – बच्चों के लिए मनोरंजक खेल
शिशुओं के खेलने और मूवमेंट करने का महत्व
हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…
बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…
गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…
गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…
गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…
10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…