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दूसरी बार गर्भवती होना किसी भी महिला के जीवन का एक रोचक समय होता है। आप अपनी पहली गर्भावस्था का अनुभव और आनंद उठा चुकी हैं और अब अपने दूसरे बच्चे के स्वागत की तैयारी के समय आपके मन में इसे लेकर बहुत कौतूहल होगा।
सच तो यह है, कि आपकी दूसरी प्रेगनेंसी बिल्कुल आप की पहली प्रेगनेंसी की तरह ही हो सकती है या फिर इससे काफी अलग भी हो सकती है। इसके बारे में कुछ भी निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता है। लेकिन ज्यादातर मामलों में, कुछ संकेत पहली बार गर्भवती होने की तुलना में दूसरी बार के दौरान अधिक तीव्र हो सकते हैं। हालांकि गर्भावस्था के शुरुआती संकेत पहली बार की तरह ही होते हैं और इन्हें देख कर आप अपने प्रेग्नेंट होने की पुष्टि कर सकती हैं।
जहां दूसरी बार गर्भवती होने पर ज्यादातर संकेत पहली बार की गर्भावस्था की तरह ही होते हैं, वहीं आपको इनमें छोटे-मोटे फर्क का अनुभव हो सकता है।
ज्यादातर महिलाओं का वजन गर्भधारण करने के शुरुआती कुछ सप्ताहों में नहीं बढ़ता है। लेकिन इसके बीच के हिस्से में आपका वजन बढ़ता है। पहली गर्भावस्था के दौरान आपका वजन बढ़ना जब शुरू हुआ था, दूसरी प्रेगनेंसी के दौरान वजन बढ़ने की शुरुआत उसके पहले हो सकती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि पेट की मसल्स (मांसपेशियों) में पहले से ही खिंचाव आ चुका होता है और प्रेगनेंसी के दौरान इनके लिए रिलैक्स करना आसान हो जाता है।
दूसरी प्रेगनेंसी के दौरान आप अपने पेट को पहले की तुलना में जल्दी बाहर आता हुआ महसूस कर सकती हैं। यह आपके बच्चे की तेज बढ़ोतरी के कारण नहीं होता है, बल्कि पहली गर्भावस्था के बाद ढीली पड़ चुकी मांसपेशियों के कारण ऐसा होता है। इस बार आप पहले की तुलना में जल्दी ही बड़ी लगने लगती हैं, क्योंकि आपका रैक्टस एब्डोमिनल मसल्स पहली प्रेगनेंसी के दौरान स्ट्रेच हो चुका होता है। ‘मेयो क्लिनिक्स गाइड टू प्रेगनेंसी’ के अनुसार आपका शरीर एक बलून की तरह काम करता है, जिसे दूसरी बार फुलाना पहले की तुलना में आसान हो जाता है। वहीं इसका दूसरा पहलू यह है, कि आपका शरीर भले ही जल्दी फैलना शुरू हो जाए, लेकिन गर्भावस्था का समय आगे बढ़ने पर यह विकास संतुलित हो जाता है।
दूसरी बार गर्भवती होने के कुछ लक्षण आपकी पहली प्रेगनेंसी के दौरान किए गए अनुभव से थोड़े अलग हो सकते हैं। यहां पर एक लिस्ट दी गई है, जिसमें दूसरी बार प्रेग्नेंट होने पर कुछ ऐसे लक्षण दिए गए हैं, जो पहली बार से अलग होते हैं-
अगर आपने अपनी पहली गर्भावस्था में कमर दर्द का अनुभव किया है, तो आपको दूसरी प्रेगनेंसी के दौरान कमर के गंभीर दर्द का अनुभव हो सकता है। अगर आपकी पेट की मांसपेशियां अभी भी आकार में नहीं आई हों, तब ऐसा होता है। ऐसा कहा जाता है, कि ‘रिलैक्सिन’ नामक हॉर्मोन (जो कि आमतौर पर प्रेगनेंसी के शुरुआती 14 सप्ताह में बढ़ता है और फिर 24 सप्ताह के करीब कम हो जाता है) दूसरी प्रेगनेंसी के दौरान अधिक प्रभावी हो जाता है। इसका एक दूसरा कारण यह हो सकता है, कि पेट के पहले से ही खिंचे होने के कारण बच्चा पेट के निचले हिस्से में आ गया हो। आमतौर पर डिलीवरी के बाद यह ठीक हो जाता है।
हो सकता है, कि ये लक्षण आपकी पहली प्रेगनेंसी में भी दिखे हों। अगर ऐसा है, तो दुर्भाग्य से ये इस बार अधिक गंभीर हो सकते हैं और जल्दी दिख सकते हैं। पाइल्स या बवासीर से बचने का सबसे बेहतर तरीका है – कब्ज से बचाव। कब्ज से बचने के कुछ सिंपल टिप्स में: फाइबर से भरपूर फलों और सब्जियों का सेवन, पर्याप्त पानी पीना, वॉशरूम जाने में देर न करना और लंबे समय तक बैठने या खड़े होने से बचना शामिल है।
यह हर किसी के साथ तो नहीं होता है, लेकिन कुछ महिलाएं दूसरी बार की गर्भावस्था के दौरान पहली बार की तुलना में अधिक पेल्विक दर्द का अनुभव करती हैं। केवल एक कहावत को याद करें ‘नो पेन नो गेन’ या ‘कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी पड़ता है’ और आपके अंदर जो नया जीवन है, उसके लिए इस दर्द को सहन करें।
अब चूंकि आप एक बच्चे की मां होने के सुखद एहसास का अनुभव ले चुकी हैं, तो ऐसे में आप दूसरे बच्चे के लिए मानसिक रूप से पहले से भी अधिक तैयार होती हैं। यह एक और संकेत है, जो आपकी तैयारी को व्यक्त करता है।
यहां पर दूसरी प्रेगनेंसी के पहले सप्ताह से चौथे सप्ताह तक शुरुआती लक्षणों की सूची दी गई है:
पहला सप्ताह |
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दूसरा सप्ताह |
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तीसरा सप्ताह |
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चौथा सप्ताह |
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यहां पर एक तुलना दी गई है, जो कि आपको यह बताती है, कि दो गर्भावस्थाओं के लक्षण किस प्रकार भिन्न हो सकते हैं। याद रखें, कि यह अंतर केवल संकेत के लिए है। आपको अपने लक्षणों में ये अंतर दिख भी सकते हैं और नहीं भी दिख सकते हैं।
लक्षण | पहली गर्भावस्था | दूसरी गर्भावस्था |
पेट का बड़ा होना | धीरे धीरे बढ़ता है | पेट जल्दी-जल्दी बड़ा होता है क्योंकि पहली गर्भावस्था के कारण गर्भाशय पहले ही फैल चुका होता है। जैसे ही आप प्रेग्नेंट होती हैं, वैसे ही आपका पेट बड़ा होना शुरू हो जाता है। पहली बार में पेट की मांसपेशियां सख्त होती हैं। लेकिन अब यह ढीली पड़ चुकी होती है और प्रभावी ढंग से होल्ड नहीं कर पाती है। |
कॉन्ट्रैक्शन | कम कॉन्ट्रैक्शन | ब्रेक्सटन हिक्स कॉन्ट्रैक्शन भी अधिक देखे जा सकते हैं। ये जल्दी-जल्दी भी आ सकते हैं और तीव्र भी हो सकते हैं। ब्रेक्सटन हिक्स कॉन्ट्रैक्शन इंटरमिटेंट गर्भाशय के संकुचन होते हैं। चूंकि आपके यूटरस की दीवारें पहली गर्भावस्था के कारण पहले से ही फैल चुकी होती हैं, ऐसे में आपको कॉन्ट्रैक्शन का अनुभव अधिक महसूस होता है। चूंकि आप इनका अनुभव पहले भी कर चुकी होती हैं। इसलिए इस बार आप इन्हें जल्दी पहचान पाती हैं। |
पेल्विक दर्द और दबाव | कम दर्द | ज्यादातर महिलाएं दूसरी बार गर्भवती होने पर अधिक पेल्विक दर्द का अनुभव करती हैं। कमर पर भी अधिक दबाव महसूस होता है। अगर आपको पहली प्रेगनेंसी में कमर का दर्द हुआ हो, तो आपको इस बार अधिक दर्द के लिए तैयार रहना चाहिए। अगर आपके पेट की मांसपेशियां पहली गर्भावस्था के बाद अपने सामान्य आकार में वापस नहीं आई हैं, तो आपको कमर के दर्द का अधिक अनुभव हो सकता है। |
लेबर | आपको पहले से पता नहीं होता है कि आपको लेबर कब शुरू होंगे | आपको पहले से ही लेबर की शुरुआत की जानकारी नहीं होती है, लेकिन आपका सर्विक्स दूसरी प्रेगनेंसी में थोड़ा अधिक फैलता है। लेबर भी पहले की तुलना में इस बार जल्दी होता है। पुश करने का स्टेज भी पहले की तुलना में आसान होता है और टांके भी आपको पहले की तुलना में इस बार कम लगते हैं। |
डिलीवरी के बाद रिकवरी | डिलीवरी के बाद दर्द कम समय के लिए होते हैं और सौम्य होते हैं, क्योंकि गर्भाशय की मांसपेशियां पहली गर्भावस्था के समय अधिक सुडौल होती हैं, जिसके कारण वे मांसपेशियां तनी हुई रहती हैं। | डिलीवरी के बाद दर्द अधिक तीव्र होते हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि गर्भाशय अपने पहले के आकार में आने के लिए सिकुड़ता है और अधिक कॉन्ट्रैक्ट करता है। ये दर्द काफी कठिनाई भरे हो सकते हैं। गर्भाशय की मांसपेशियां कम सुडौल होती हैं जिससे बार-बार कॉन्ट्रैक्ट और रिलैक्स होता रहता है। |
अगर आपकी पहली गर्भावस्था स्वस्थ थी और उसमें कोई जटिलताएं नहीं थी, तो आपकी दूसरी गर्भावस्था भी आरामदायक होने की संभावना होती है।
लेकिन, अगर आपको पहली बार गर्भवती होने पर में प्री-एक्लेमप्सिया, प्लेसेंटल अब्रप्शन, प्रीमैच्योर डिलीवरी या पोस्टपार्टम हैमरेज जैसी समस्याएं हुई थीं, तो इनके दोबारा होने की संभावना बहुत अधिक होती है। अगर आप मोटापे, डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर से ग्रस्त हैं, तो भी आपको दूसरी प्रेगनेंसी में जटिलताएं हो सकती हैं।
आपकी मेडिकल हिस्ट्री भी बहुत जरूरी है, क्योंकि यह आपकी दूसरी डिलीवरी को प्रभावित करती है। आपको पहले हो चुकी सभी जटिलताओं और ली जा रही दवाओं के बारे में अपने डॉक्टर को बताना चाहिए। साथ ही आपके पहले शिशु के साथ किसी समस्या के बारे में भी डॉक्टर को बताना चाहिए। अगर डॉक्टर को आपकी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में विस्तार से जानकारी होती है, तो वे दूसरी प्रेगनेंसी को अच्छी तरह से मैनेज कर सकते हैं।
यहां पर ऐसे कुछ विशेष नियम दिए गए हैं, जिन्हें अपनाकर आप हेल्दी प्रेगनेंसी का आनंद उठा सकती हैं। हां, आपको इनके बारे में पहले से ही जानकारी होगी, लेकिन अगर आपकी पहली गर्भावस्था को कुछ साल हो चुके हैं, तो यहां पर दी गई बातें आपको याद रखनी चाहिए:
पहले से ही प्रेगनेंसी का अनुभव हो चुका होने से मांओं को लक्षणों के बारे में पहले से ही जानकारी होती है। यही कारण है कि ज्यादातर मांएं बहुत आसानी से अपनी दूसरी प्रेगनेंसी के संकेतों को पहचान लेती हैं। इसके अलावा चूंकि आपके शरीर की मांसपेशियां ढीली पड़ चुकी होती हैं, ऐसे में लक्षण पहली बार की तुलना में जल्द ही दिखने शुरू हो जाते हैं।
आपके गर्भावस्था की जांच और डॉक्टर से मुलाकात इस बात पर निर्भर करती हैं, कि पहली बार गर्भवती होने पर आपको किसी तरह की जटिलता हुई थी या नहीं और क्या आपने पहले बच्चे के जन्म के बाद किसी तरह की मेडिकल समस्या का सामना किया था।
यह इस बात पर भी निर्भर करता है, कि पहले बेबी को जन्म देकर कितने साल बीत चुके हैं। अगर यह समय लंबा है, तो आपके कुछ अलग प्रकार के टेस्ट हो सकते हैं।
अगर आपने पहली गर्भावस्था के दौरान कॉम्प्लिकेशंस का सामना किया था, तो अपनी दूसरी प्रेगनेंसी को परेशानियों से बचाने के लिए आप कुछ बदलाव करने की कोशिश करना चाहेंगी। आपको इस बारे में अपने गाइनेकोलॉजिस्ट से बात करनी चाहिए, जो दूसरी बार गर्भवती होने के अनुभव को बेहतर बनाने के संभव तरीके आपको बता सकते हैं।
उदाहरण के लिए, अगर आपको पिछली बार कब्ज या पाइल्स की परेशानी हुई थी, तो आप इस बार फाइबर ज्यादा ले सकती हैं और प्रेगनेंसी के शुरुआती स्टेज में फाइबर सप्लीमेंट ले सकती हैं। दूसरी बार गर्भवती होने की जानकारी मिलने पर जल्द से जल्द भरपूर पानी पीना और नियमित एक्सरसाइज करना शुरू किया जा सकता है।
अगर आपको पिछली प्रेगनेंसी के दौरान बहुत सारे स्ट्रेच मार्क्स हुए थे, तो इस बार भी आपको इनकी संभावना हो सकती है। इसलिए आप अपने वजन पर नजर रख सकती हैं। एक स्वस्थ और एक्टिव लाइफस्टाइल अपनाकर और अपने खानपान पर ध्यान देकर यह संभव हो सकता है। एक स्वस्थ आहार यह सुनिश्चित करता है, कि आपको और आपके बच्चे को जरूरी पोषण मिलेगा और बिना वजह आपका वजन भी नहीं बढ़ेगा।
दूसरी गर्भावस्था भी पहली बार की तरह ही रोमांचक होती है। इस समय आपको थोड़ा ज्यादा और तीव्र दर्द हो सकता है, पर अच्छी बात यह है, कि चूंकि आप इन सबसे गुजर चुकी हैं, इसलिए इन्हें आसानी से हैंडल कर पाती हैं।
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