बच्चे के जन्म की प्रक्रिया किसी भी महिला के जीवन का सबसे खूबसूरत अनुभव होता है। गर्भधारण करने से लेकर, बच्चे को गोद में लेने तक अपने आप में यह एक यात्रा होती है। लेकिन यह यात्रा आसान नहीं होती है और इसमें बहुत धैर्य और समझ की जरूरत होती है।
इस लंबी और जटिल प्रक्रिया में कई उतार-चढ़ाव होते हैं और किसी तरह की जटिलता होने पर उससे परिपक्वता से निपटना और प्रोफेशनल सहयोग लेना जरूरी है। इसलिए यह जरूरी है, कि न केवल मां बल्कि उसके करीब रहने वाले व्यक्ति को भी यह पता हो, कि गर्भावस्था में किस तरह की स्थितियां पैदा हो सकती हैं, इनसे कैसे निपटा जा सकता है और वे किस तरह से मां की मदद कर सकते हैं।
लेबर केवल एक सुगम यात्रा नहीं है, इसमें बच्चे को जन्म देने के कई पड़ाव होते हैं और इसे लेकर आपके मन में निश्चित रूप से कई सारे सवाल होंगे। अगर मां के पास उचित जानकारी हो, तो वह किसी भी स्थिति से निपटने के लिए हमेशा तैयार होती है और थोड़ी कठिनाई झेल कर पूरी प्रक्रिया का सामना कर सकती है।
इसलिए, यहां पर हम आपके लिए लेबर की प्रक्रिया के बारे में विस्तृत जानकारी लेकर आए हैं। इसे पढ़कर आप यह जान पाएंगी, कि लेबर के विभिन्न चरणों से आगे बढ़ते हुए किस प्रकार बच्चे का जन्म होता है और आप नॉर्मल डिलीवरी के विभिन्न पड़ावों से किस प्रकार निपट सकती हैं।
लेबर का पहला चरण
लेबर का पहला चरण इसका सबसे लंबा फेज होता है और इसमें कई छोटे पड़ाव भी होते हैं। इस दौरान डिलीवरी की प्रक्रिया की शुरुआत होती है और आपका शरीर विभिन्न शारीरिक बदलावों से गुजरना शुरू करता है।
1. अर्ली लेबर फेज
अर्ली लेबर या शुरुआती चरण वो अवस्था होती है, जिसमें आपका शरीर बच्चे के जन्म के लिए खुद को तैयार करता है। लेबर के शुरुआती चरण के संकेत काफी स्पष्ट होते हैं और यह जन्म की पहली अवस्था होती है। सर्विक्स फैलना शुरू हो जाता है और बच्चा बर्थिंग कैनाल की ओर आगे आना शुरू कर देता है।
2. लेटेंट फेज
लेटेंट अवस्था के दौरान कॉन्ट्रैक्शन आमतौर पर 15 से 20 मिनट के अंतराल पर होते हैं, जो कि हर व्यक्ति में अलग हो सकते हैं। सर्विक्स खुलना शुरू कर देता है और यह 3 सेंटीमीटर की चौड़ाई तक पहुंच जाता है। इस चरण के दौरान कॉन्ट्रैक्शन आमतौर पर आपके पीरियड के दौरान होने वाले क्रैम्प की तरह सौम्य होते हैं और इन्हें आसानी से सहा जा सकता है। इस दौरान हॉस्पिटल जाना या भागना जरूरी नहीं होता है, क्योंकि यह अवस्था डिलीवरी की शुरुआत नहीं होती है, बल्कि यह आने वाले लेबर की प्रक्रिया का एक संकेत होती है। इससे आसानी से डील किया जा सकता है। हालांकि यह इस बात का भी एक संकेत होता है, कि आपको मुश्किल पड़ावों के लिए तैयारी शुरू करने की जरूरत है।
क) लेटेंट फेज में क्या करें?
- शांत रहें, म्यूजिक सुनें या कोई किताब पढ़ें या ऐसा कोई भी काम करें जिससे आप का दिमाग रिलैक्स रह सके।
- घर के रोजमर्रा के कुछ काम करके खुद को एक्टिव रखें या कुछ हल्की एक्सरसाइज करें, ताकि आपकी मांसपेशियां टाइट न हों। आपके हाथ पैरों का फ्री मूवमेंट होना जरूरी है।
- आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए, कि आप अपनी सारी एनर्जी खर्च न करें, क्योंकि आपके अगले कुछ घंटे काफी महत्वपूर्ण होने वाले हैं।
- खुद को हाइड्रेटेड रखें और ढेर सारा पानी और मिनरल से भरपूर लिक्विड लें।
- अपने कॉन्ट्रैक्शन की टाइमिंग पर नजर रखें, ताकि आपको हर संकुचन के बीच के समय की जानकारी हो और आप उसे मॉनिटर कर सकें।
ख) क्या होगा और यह कितने समय तक रहेगा
इस अवस्था की सटीक समय अवधि बता पाना कठिन है, क्योंकि हर महिला में यह बड़े पैमाने पर अलग हो सकता है। यह आपके सर्विक्स के डायलेशन की मात्रा और हर कॉन्ट्रैक्शन के बीच के समय और इसकी तीव्रता पर निर्भर करता है। कुछ महिलाओं में यह पड़ाव लंबे समय तक नहीं चलता है और वह एक्टिव फेज में जल्द ही प्रवेश कर जाती है। वहीं दूसरी ओर कुछ महिलाओं में अगली अवस्था में जाने में कुछ अतिरिक्त घंटे लगते हैं और शुरुआत में हल्के कॉन्ट्रैक्शन का अनुभव होता है। औसतन अर्ली लेबर लगभग 8 से 12 घंटे तक चलता है।
क्या हो सकता है:
- सर्विक्स 3 सेंटीमीटर तक फैल जाता है।
- कॉन्ट्रैक्शन के बीच का अंतराल 5 मिनट से लेकर 30 मिनट तक कुछ भी हो सकता है और कॉन्ट्रैक्शन की तीव्रता समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ती जाती है।
- हर कॉन्ट्रैक्शन लगभग 30 से 45 सेकंड तक चलता है।
- आपको क्रैम्प (पीरियड के जैसे क्रैम्प) का अनुभव होता है, कमर में दर्द होता है और साथ ही आपकी पेल्विक मांसपेशियां टाइट महसूस होती हैं।
- आपकी पानी की थैली फटने की थोड़ी संभावना होती है। अगर ऐसा हो तो इससे चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है।
ग) कॉन्ट्रैक्शन का अनुभव होने पर इन संकेतों को नोटिस करें
- हर कॉन्ट्रैक्शन पिछले कॉन्ट्रैक्शन से अधिक स्ट्रांग होता है।
- कॉन्ट्रैक्शन की अवधि भी बढ़ती जाती है।
- उनके बीच का समय कम होता जाता है।
- पैटर्न कुछ-कुछ रेगुलर या यूनिफॉर्म हो जाता है।
घ) पानी की थैली फटने पर निम्नलिखित संकेतों को नोटिस करें
- इसके फटने का समय
- तरल पदार्थ की गंध
- तरल पदार्थ का रंग
च) अर्ली लेबर से निपटने के लिए कुछ टिप्स
पूरी कोशिश करें, कि इस अवस्था के दौरान आप अकेली न हों और आपके साथ एक भरोसेमंद व्यक्ति हो, जो इस दौरान आपको सहयोग कर सके।
- उन्हें कॉन्ट्रैक्शन के समय को मॉनिटर करना सिखाएं।
- यह सुनिश्चित करें, कि वह आपको शांत कर सके।
- यह कोई ऐसा भरोसेमंद व्यक्ति होना चाहिए, जो आपको सपोर्ट कर सके और सही तरह से आपकी मदद सके।
- उनसे कहें, कि वह बातचीत करके या कुछ हल्की एक्टिविटीज के द्वारा आपका ध्यान भटकाए रखें।
3. एक्टिव लेबर फेज
यह अर्ली लेबर का अगला पड़ाव है। इस दौरान लेबर की प्रक्रिया पूरी तरह से शुरू होती है और आपका शरीर डिलीवरी के लिए खुद को तैयार करता है। कॉन्ट्रैक्शन से लेकर दर्द और डायलेशन तक हर चीज की गति बढ़ जाती है। इस चरण के दौरान आपको बहुत ही जागरूक और सावधान रहना चाहिए।
क) एक्टिव लेबर फेज में क्या करें
- अब आपको अपने घर के कंफर्ट जोन से बाहर निकल कर हॉस्पिटल जाने की जरूरत होती है, क्योंकि आप डिलीवरी की स्टेज के करीब आ चुकी हैं।
- इस बात का ध्यान रखें, कि आपके साथ कोई ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जो आपका ध्यान रख सके और डिलीवरी के लिए जरूरी चीजें अपने साथ रख सके।
- घबराएं नहीं और अपने दिमाग को शांत रखने की कोशिश करें। इससे दर्द और शारीरिक लक्षणों से निपटने में आपको बहुत मदद मिलेगी।
- किसी भी तरह के नर्वस टेंशन से बचने के लिए और अपने सेंसेस को अलर्ट रखने के लिए रिलैक्सिंग ब्रीदिंग टेक्निक अपनाएं।
- इस दौरान आपको हाइड्रेटेड रहना चाहिए, इससे आपकी मांसपेशियां लुब्रिकेटेड रहेंगी।
- एपिड्यूरल के लिए साइन अप करें और अपने शरीर को अगले कुछ घंटों में अनुभव किए जाने वाले दर्द भरे कॉन्ट्रैक्शन के लिए तैयार करें।
- शारीरिक रूप से जितना हो सके एक्टिव रहने की कोशिश करें, लेकिन खुद पर इतना दबाव न डालें कि आपको थकान होने लगे।
ख) क्या होगा और यह कितने समय तक रहेगा
लेबर का यह चरण अधिक दर्दनाक होता है, लेकिन इसकी अवधि भी थोड़ी कम होती है। एक्टिव लेबर आमतौर पर 3 से 6 घंटों के बीच किसी भी समय तक रह सकता है, जो कि आपकी शारीरिक अवस्था और कई अन्य बातों पर निर्भर करता है। अगर एक्टिव चरण अधिक समय तक रहता है, तो आपको आपके डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए और मदद लेनी चाहिए, क्योंकि हो सकता है कि आप स्लो लेबर से गुजर रही हों।
- डायलेशन धीरे-धीरे 3 सेंटीमीटर से बढ़कर 10 सेंटीमीटर तक हो जाता है।
- कॉन्ट्रैक्शन की अवधि भी लंबी हो जाती है और कॉन्ट्रैक्शन के बीच का समय कम हो जाता है।
- दर्द बढ़ जाता है और उसे सहना कठिन हो जाता है, इसलिए इसे झेलने के लिए एपिड्यूरल की सलाह दी जाती है।
- आपको घबराहट हो सकती है और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है, इसलिए शांत रहना और ब्रीदिंग एक्सरसाइज करना आपके लिए बेहद लाभदायक है।
ग) एक्टिव लेबर से निपटने के लिए कुछ टिप्स
आपके साथ रहने वाले व्यक्ति को जरूरत है कि वह
- आपसे बात करे और जितना संभव हो सके आपको शांत रखे।
- आपको पानी, आइस चिप्स या जरूरत पड़ने वाली कोई भी चीज उपलब्ध कराए।
- आपको प्रोत्साहन और मोरल सपोर्ट दे।
- कॉन्ट्रैक्शन के दौरान आपको एक कंबल, मुलायम तकिया और शारीरिक सपोर्ट दे।
- डॉक्टर और नर्स के संपर्क में बने रहे और उन्हें अपडेट करते रहे।
4. लेबर का ट्रांजिशन फेज
यह लेबर के पहले और दूसरे चरण के बीच का चरण होता है। शरीर बच्चे को जन्म देने के लिए लगभग पूरी तरह से तैयार हो चुका होता है और डायलेशन बड़े पैमाने पर बढ़ता है। यह चरण बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि मां को मानसिक रूप से तैयार रहने की जरूरत होती है और उसे बेहद कष्टदायक शारीरिक दर्द से जूझना होता है।
क) ट्रांजिशन फेज में क्या करें
- एपिड्यूरल से आप का दर्द थोड़ा कम हो जाता है और आपके कॉन्ट्रैक्शन आपको अधिक परेशान नहीं करते हैं। लेकिन अगर आप एपिड्यूरल के बिना जन्म देने का चुनाव करती हैं, तो आपको कॉन्ट्रैक्शन से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार रहना चाहिए।
- आपकी प्राथमिकता के अनुसार आप दर्द को कम करने के लिए अपनी पीठ और सिर पर ठंडी या गर्म सिंकाई कर सकती हैं।
- अगर आप अपने शरीर के किसी हिस्से पर अत्यधिक दबाव महसूस कर रही हैं, तो अपनी पोजीशन बदलें। आपके लिए कौन सी पोजीशन सही है, इसके लिए डॉक्टर आपको गाइड कर सकते हैं।
- एक हल्की मालिश से भी आपको तनाव कम करने में मदद मिलेगी और आप शांत रह सकेंगी।
- अपने साथ रहने वाले व्यक्ति को अपने पास रहने को कहें। आप को जितना सहयोग मिल सके उतना ही आपके लिए अच्छा होगा।
ख) क्या होगा और यह कितने समय तक रहेगा
- यह चरण कुछ मिनटों से लेकर कुछ घंटों तक भी रह सकता है, जो कि मां की शारीरिक अवस्था पर निर्भर करता है। इस अवधि के बारे में कुछ भी कहा नहीं जा सकता है और यह हर व्यक्ति में अलग होती है।
- आपका सर्विक्स 8 से 10 सेंटीमीटर तक फैल जाता है और आप बच्चे को जन्म देने के लिए तैयार हो जाते हैं।
- हो सकता है, कि इस दौरान कॉन्ट्रैक्शन के बीच बहुत ही कम अंतर हो या फिर कोई भी अंतर न हो। इसी कारण दर्द बढ़ता है और आपको जितना संभव हो सके शांत रहने की जरूरत होती है।
- इस दौरान उल्टी आना, असुविधा होना, गैस बाहर आना या सिर दर्द होना बिल्कुल सामान्य है और आपको इसके इसके लिए तैयार रहना चाहिए।
ग) ट्रांजिशन फेज से निपटने के लिए कुछ टिप्स
याद रखें, यह सबसे अधिक दर्दनाक चरण हो सकता है, लेकिन साथ ही यह आमतौर पर सबसे छोटा भी होता है। इसलिए अपना धैर्य बनाए रखें, शांत रहें, अच्छी तरह से सांस लें और अपने साथ मौजूद व्यक्ति का सहयोग लें।
लेबर का दूसरा चरण
यह लेबर के सामान्य चरणों का सबसे महत्वपूर्ण स्तर है, क्योंकि आपका सर्विक्स पूरी तरह से खुल जाता है और बच्चे के जन्म की प्रक्रिया शुरू होती है। डॉक्टर आपको बच्चे को बाहर निकालने के लिए पुश करने को कहते हैं। एक बार में एक सावधान पुश करना होता है और इस दर्द को झेलना कठिन होता है।
आपका गर्भाशय कॉन्ट्रैक्ट करना शुरू कर देता है और क्राउनिंग यानी बच्चे का सिर बाहर आना भी हो सकता है। यह पड़ाव एक्टिव लेबर की तुलना में कम दर्दनाक होता है, क्योंकि कॉन्ट्रैक्शन की फ्रीक्वेंसी कम हो जाती है और शरीर अच्छी तरह से लुब्रिकेटेड हो जाता है। इस दौरान खून और तरल पदार्थ का बहाव हो सकता है, लेकिन इसे लेकर आपको चिंतित नहीं होना चाहिए और अपनी ताकत को अपने पेल्विस की ओर केंद्रित करने की कोशिश करनी चाहिए।
1. दूसरा चरण कितने लंबे समय तक चलता है?
लेबर की दूसरी स्टेज कुछ मिनटों से लेकर कुछ घंटों तक कुछ भी हो सकती है। अगर यह आपकी पहली डिलीवरी है, तो आपको इस प्रक्रिया में अधिक समय लग सकता है। लेकिन अगर आप पहले भी बच्चे को नॉर्मल डिलीवरी के द्वारा जन्म दे चुकी हैं, तो आपका शरीर इस अवस्था के साथ जल्दी एडजस्ट कर लेता है और लुब्रिकेशन भी अधिक होता है। आपको डॉक्टर और नर्स की मदद लेनी चाहिए और एक आरामदायक पोजीशन का चुनाव करना चाहिए, जिससे बच्चे को पुश करना आपके लिए आसान हो और यह जल्दी भी हो जाए। यह चाहे कितना भी कठिन क्यों ना हो, आपको खुद को यह समझाने की जरूरत है, कि आपको हार नहीं माननी है और पुश करते रहना है, क्योंकि आपका बच्चा लगभग बाहर आ ही चुका है।
लेबर का तीसरा चरण
इस पड़ाव पर आप सफलतापूर्वक अपने बच्चे को जन्म दे चुकी होती हैं और इस पूरी यात्रा का सबसे कठिन चरण गुजर चुका होता है। आपकी सांसें सामान्य होने लगती है और आपके शरीर की कंपकपी भी एक हद तक कम हो जाती है। लेकिन आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए, कि यह प्रक्रिया अभी भी पूरी नहीं हुई है और प्लेसेंटा नामक मेंब्रेन का एक हिस्सा आपके शरीर से बाहर आना अभी भी बाकी है। इसके साथ ही आपके शरीर से बहुत सारा खून भी निकलता है, लेकिन यह एक अच्छी चीज है और इसे देखकर आपको चिंतित नहीं होना चाहिए या घबराना नहीं चाहिए। लेबर के इस तीसरे चरण को एक प्रोफेशनल द्वारा मैनेज किया जाना जरूरी है।
1. तीसरा चरण कब तक चलता है?
लेबर का तीसरा चरण बच्चे के जन्म के बाद 5 से 15 मिनट तक चलता है और यह संभवतः डिलीवरी के सभी पड़ावों में से सबसे छोटा होता है। आपका गर्भाशय फिर कॉन्ट्रैक्ट करना शुरू होता है और आपका प्लेसेंटा बाहर आ जाता है। इस प्रक्रिया को “आफ्टरबर्थ” कहा जाता है।
डॉक्टर इस बात का ध्यान रखते हैं, कि मेंब्रेन का कोई भी हिस्सा अंदर न रह जाए और प्लेसेंटा से रिलीज होने वाला खून भी बाहर आए और अंदर शेष न रहे। हालांकि इस प्रक्रिया को आर्टिफिशियल तरीके से इंड्यूस करने का एक विकल्प उपलब्ध होता है, जिससे इसे जल्दी किया जा सकता है। लेकिन अगर शरीर को इसकी जरूरत न हो, तो कुछ मांएं इसके लिए प्राकृतिक तरीके को ही प्राथमिकता देती हैं।
लेबर का चौथा चरण
जब आप अपने बच्चे को गोद में लेती हैं और आपकी त्वचा से उसकी त्वचा का महत्वपूर्ण संपर्क हो जाता है, तब आपके बच्चे की सफाई की जाती है और उसे निगरानी में रखा जाता है। इस दौरान आपको एक महत्वपूर्ण चरण पर फोकस करना होता है: रिकवरी। यह गर्भावस्था और डिलीवरी का अंतिम पड़ाव होता है।
आपको यह याद रखना जरूरी है, कि आपका शरीर अभी-अभी एक बहुत ही थकाने वाली दर्द भरी प्रक्रिया से गुजरा है और उसे जितना ज्यादा संभव हो सके आराम करने की जरूरत है। आपके डॉक्टर इस बात का ध्यान रखते हैं, कि आपकी खून की कमी की आपूर्ति हो सके और साथ ही आपको आपके शरीर के तरल पदार्थों की आपूर्ति के लिए हॉर्मोन और ग्लूकोज ड्रिप भी दिए जाएंगे। इससे आपको तेज रिकवरी में मदद मिलेगी।
अगर आप अत्यधिक थकान और कमजोरी महसूस कर रही हैं, तो यह बिल्कुल सामान्य है। अब जबकि इस यात्रा का सबसे कठिन पड़ाव निकल चुका है, तो अब आपको अपने स्वास्थ्य और शारीरिक शक्ति को बेहतर बनाने पर ध्यान देने की जरूरत है, ताकि आप अपने नवजात शिशु की देखभाल कर सकें।
1. बच्चे के जन्म के बाद क्या होता है
बच्चे के जन्म के बाद एक मां की ड्यूटी शुरू होती है। आपकी नर्स पहले इस बात पर ध्यान देती है, कि आपका गर्भाशय ठीक होना शुरू हो चुका हो और किसी भी तरह की चिंताजनक जटिलता मौजूद न हो। गर्भाशय को फिर से अपने सही आकार में आने की जरूरत है, वरना ब्लीडिंग की स्थिति बिगड़ने और अन्य जटिलताएं पैदा होने की संभावना हो सकती है।
अगला सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव होता है ब्रेस्टफीडिंग। यह बच्चे के लिए बेहद जरूरी होता है, क्योंकि मां का दूध ऐसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जिनके द्वारा नवजात शिशु को शक्ति मिल सकती है। याद रखें, आपका बच्चा भी अपने सुरक्षित स्थान से एक बाहरी वातावरण में आया है, इसलिए अपने बच्चे को अपनी त्वचा के संपर्क में रखने से उसे बहुत आराम महसूस होता है और इससे आप दोनों के बीच के रिश्ते में मिठास लाने में भी मदद मिलती है। जहां कुछ मांएं अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग के बजाय फॉर्मूला दूध देना पसंद करती हैं, वहीं ऐसे तथ्य उपलब्ध हैं, जिनसे यह साबित होता है, कि मां का दूध सबसे अधिक सुरक्षित और सबसे अधिक पौष्टिक होता है।
बच्चे के जन्म के बाद एक या दो दिनों तक हल्के कॉन्ट्रैक्शन का अनुभव होना बिल्कुल सामान्य है, क्योंकि आपका शरीर अभी भी एडजस्ट कर रहा होता है और अपनी सामान्य स्थिति में वापस आने की कोशिश कर रहा होता है। लेकिन यह दर्द सौम्य होता है और इसे सहा जा सकता है और आपका फोकस बच्चे के करीब आने पर होना चाहिए। यह सुनिश्चित करें, कि आपके डॉक्टर आपको नियमित रूप से चेक करें, कि आपके शरीर में कोई भी अंदरूनी चोटें न हों और कोई भी चिंताजनक स्थिति मौजूद न हो।
बच्चे को जन्म देने की प्रक्रिया काफी लंबी लग सकती है, लेकिन साथ ही यह एक अनोखी प्रक्रिया होती है। एक महिला का शरीर एक नई जिंदगी को इस दुनिया में लाने के लिए केवल कुछ घंटों में ही कई बदलावों से गुजरता है। शुरुआत में महिला बच्चे को जन्म देने के लिए जिन संघर्षों का सामना करती है, उसे वह बहुत जल्दी ही भूल जाती है, क्योंकि जब वह अपने बच्चे की ओर पहली बार देखती है, तो उसे यह सारा कष्ट योग्य लगता है।
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