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नए माता-पिता को अपने बच्चे का पालन पोषण कैसे करना है, उसका ध्यान कैसे रखना है, क्या वो सब सही कर रहे हैं, ऐसे प्रश्न हमेशा से परेशान करते हैं और ऐसे में हर व्यक्ति अपने अनुभव के अनुसार आपको राय देता है जिनमें से कुछ आपके और बच्चे के लिए कारगर साबित होती हैं और कुछ नहीं। इन सबसे ऊपर बात यह है कि हम आजकल हर छोटी से छोटी चीज के लिए भी किसी पेशेवर की सलाह लेना पसंद करते हैं, लेकिन, आपके बच्चे के लिए क्या सही होगा क्या नहीं यह हम बड़े बुजुर्गों के अनुभव के अनुसार तय करते हैं। हर गर्भावस्था अलग होती इसलिए आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं इसके लिए भी पेशेवर की सलाह लेना समझदारी का फैसला होगा।
खुद को प्रसव के लिए कैसे तैयार करना है? बच्चे के जन्म के बाद खुद की और बच्चे की देखभाल कैसे करनी है? शुरूआती दौर में आप और आपके पति बच्चे का पालन पोषण कैसे करें यह सब जानकारी अब आपको प्रसवपूर्व कक्षाएं जिसे एंटीनेटल या प्रीनेटल क्लासेज भी कहा जाता है उसके जरिए दी जाती है। इस प्रसवपूर्व कक्षा के माध्यम से आप खुद को इस स्थिति के लिए ज्यादा बेहतर तैयार कर सकेंगे। ये कक्षाएं प्रसव के समय और बच्चा होने के बाद आपके सामने आने वाली हर बड़ी-छोटी चुनौतियों का कैसे सामना करना है उसमें आपकी मदद करती हैं और आपके मन में उठने वाले हर सवाल – जैसे रीढ़ की हड्डी में दिया जाने वाला एपिड्यूरल एनेस्थीसिया ज्यादा दर्दनाक तो नहीं होता है या बच्चे को स्तनपान कराने की सही प्रक्रिया क्या है? आदि का समाधान देते हैं। अच्छी बात यह है कि ये प्रसवपूर्व कक्षाएं केवल होने वाली माँ को ही नहीं बल्कि पिता को भी प्रशिक्षित करती हैं। बच्चे का पिता होने के नाते आपको अपनी पत्नी को गर्भावस्था के दौरान कैसे संभालना है, समय से आहार, व्यायाम और होने वाली माँ को पर्याप्त नींद मिले यह आपको सुनिश्चित करना होगा। गर्भावस्था के ये 9 महीने हर माता-पिता के जीवन के बहुत खास पल होते हैं, इसलिए इन दिनों को चिंताओं से मुक्त रखें।
प्रसवपूर्व कक्षाएं माता-पिता दोनों के लिए ही आवश्यक है, लेकिन यह खासकर माँ के लिए बहुत मददगार साबित होती है, क्योंकि 9 महीने गर्भ में बच्चे को रखना बहुत सारी चुनौती लेकर आता है। यह क्लास आपको स्वस्थ रहने में और गर्भावस्था और उसके बाद बच्चे के पालन-पोषण से जुड़ी हर चीज के बारे शिक्षित करती है। आप एक-एक कर के उन सब चरणों के बारे में जानेंगे जो आप आने वाले अगले कुछ महीनों में पार करने वाले हैं। आप इसमें जान सकेंगे कि आप प्रसव के लिए कौन-कौन से विकल्प चुन सकते हैं, इसके अलावा इन क्लासेज में आपको प्रसव के दौरान काम आने वाली सांस लेने की तकनीक और व्यायाम भी बताए जाएंगे। प्रसवपूर्व कक्षाएं न सिर्फ आपको गर्भावस्था और उसके बाद होने वाले बदलाव व उससे कैसे उबरना है इसके बारे में बताती है, बल्कि आपके दोस्त जो नए माता-पिता बने हैं या बनने वाले हैं उनकी भी सहायता कर सकती है। जब आप पर्याप्त जानकारी के साथ अपने अनुभवों को दूसरे नए माता पिता के साथ साझा करते हैं, तो आपको ऐसा नहीं महसूस होगा कि आप अकेले ही इन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। आपको उनसे बात कर के पता चलेगा कि हर नए माता-पिता को इन सब से गुजरना पड़ता है।
प्रसवपूर्व कक्षाओं में हिस्सा लेना गर्भवती महिलाओं और उनके साथी दोनों के लिए बहुत जरूरी होता है। ये प्रसवपूर्व कक्षाएं गर्भवती महिलाओं को मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार करती हैं, जिससे वे प्रसव के लिए खुद को बेहतर रूप से तैयार कर सकें और माता-पिता बनने की अपनी इस यात्रा को सुखद और खुशहाल बना सकें। इन कक्षाओं में आपको निम्नलिखित चीजों की जानकारी दी जाती है:
आइए जानते हैं इन सत्रों में बताई जाने वाली कुछ जरूरी बातों के बारे में:
बच्चे के जन्म के बाद की जानकरी वाली कक्षाएं विशेषज्ञों द्वारा चलाई जाती हैं, जो माता-पिता को पोषण, स्तनपान, बच्चे की देखभाल और पेरेंटिंग के बारे में जानकारी देते हैं और उनके सभी सवालों के जवाब देते हैं। पहली बार माता-पिता बनने वालों के लिए नींद की कमी, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और घर में रहने की चुनौतियां मुश्किल हो सकता है। ये कक्षाएं माता-पिता को इन समस्याओं को हल करने मदद करती हैं और पति-पत्नी के बीच आपसी सहयोग बढ़ाने पर जोर देती हैं। इन कक्षाओं में बच्चे के जन्म के बाद उसकी देखभाल कैसे करनी यह बताया जाता है जिसमें ये कुछ बातें शामिल होती हैं:
यदि आपको लगता है कि इन कक्षाओं में जुड़ने से आपको वास्तव में लाभ होगा और यहां आपको गर्भावस्था, प्रसव और बच्चे के जन्म के बाद कैसे सब संभालना है उससे जुड़े सभी सवालों के जवाब मिल सकते हैं तो हमारा सुझाव है कि आपको इन प्रसवपूर्व कक्षाओं का हिस्सा बनना चाहिए। जो भी जोड़े माता-पिता बनने वाले हैं और उन्हें बच्चे के जन्म या एक नए परिवार के सदस्य को घर लाने के विचार से डर लगता है, तो उन्हें प्रसवपूर्व कक्षाओं में जरूर जाना चाहिए। ये कक्षाएं उनके डर और उन्हें मिली सभी गलत सूचनाओं को दूर करने में मदद करती हैं, सही जानकारी होने पर आप हालातों का बिना डरे और समझदारी से सामना कर सकेंगे।
पहली बार माता-पिता बनने वाले लोग या जिनका पेशा ऐसा है कि वे दिनभर बहुत व्यस्त रहते हैं या फिर जो एकल परिवार में रहते हैं उन्हें बच्चे के जन्म और पालन-पोषण को लेकर काफी चिंता रहती है और ढ़ेरों सवाल भी होते हैं। इसलिए ऐसे हालातों में यह बहुत जरूरी है कि आप पति-पत्नी दोनों ही प्रसवपूर्व कक्षाओं में हिस्सा लें। इन कक्षाओं की जरूरत इसलिए है क्योंकि ये सही जानकारी, योजना और समर्थन देकर आपके डर को दूर करती हैं।
28वें से 30वें सप्ताह की गर्भवती महिलाएं, उनके साथी जो उनके साथ रहकर मदद करना चाहते हैं, वे माता-पिता जिनके पास पहले से अनुभव है लेकिन फिर भी वो खुद को आजकल के अनुसार अपडेट करना चाहते हैं और नई तकनीक व अन्य नई जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, और वो महिलाएं जो गर्भावस्था की शुरुआत में सभी जरूरी जानकारी प्राप्त करना चाहती हैं – ये सभी लोग इन कक्षाओं में भाग लेकर काफी फायदा उठा सकते हैं। इन कक्षाओं में गर्भावस्था, प्रसव और नवजात शिशु की देखभाल के बारे में सब कुछ विस्तार से बताया जाता है और आपको शिक्षित किया जाता है।
गर्भावस्था के दौरान खुद को चिंता मुक्त रखना और धैर्य बनाए रखना माँ और बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी होता है। और एक माँ के मन में पहले ही अपनी गर्भावस्था और और बच्चे के पालन पोषण से जुड़े इतने सवाल होते हैं कि वो खुद ही बहुत तनाव में होती है। ये कक्षाएं सबसे पहले आपको तनाव मुक्त रखने का प्रयास करती हैं और होने वाली माँ के हर सवाल का जवाब देती हैं, उनकी हर परेशानी का हल यहां बताया जाता है जिससे उनके ऊपर पड़ने वाला मानसिक तनाव काफी हद तक कम होता है।
जैसे कि पहले भी बताया गया कि इन प्रसवपूर्व कक्षाओं का उद्देश्य आपके बच्चे के भविष्य से जुड़े तनाव को कम करना है। ये कक्षाएं पति पत्नी दोनों को बच्चे के साथ आने वाले सभी नए बदलावों के लिए तैयार करती हैं। आप यूं समझ सकते हैं कि गर्भावस्था और बच्चे से जुड़े मुद्दों को अलग-अलग विषय में बांट दिया जाता है और प्रत्येक विषय के अंदर अन्य कई सारी जरूरी बिंदु पर विस्तार से बात की जाती है। इन कक्षाओं में किस तरह के विषयों पर बात की जाती है यह आपको नीचे बताया गया है:
ये कक्षाएं विभिन्न वर्गों के लोगों की अलग-अलग जरूरतों के अनुसार आयोजित की जाती हैं। जिसमें पति पत्नी दोनों का होना जरूरी है ताकि दोनों की साझेदारी से आप इस स्थिति से बेहतर रूप निपट सकें। वहीं कुछ क्लास सिर्फ गर्भवती महिला के लिए होती हैं। जिसमें उन्हें गर्भावस्था के पहले चरण, प्रसव, स्तनपान, के साथ साथ मानसिक और शारीरिक रूप से खुद शांत रखना सिखाया जाता है। इसके अलावा बच्चे की देखभाल कैसे करनी है और किन बातों का खास ध्यान रखना है, ये इन क्लास से जानने को मिलता है। कुछ कक्षाओं में ये सभी विषय विस्तार में बताए जाते हैं तो वहीं कुछ क्लास किसी खास विषय को लेकर बात करते हैं। इसलिए बेहतर यही है कि आप इन कक्षाओं में भाग लेने से पहले यह जान लें कि आपकी जरूरत के हिसाब से क्या चुनना सही रहेगा।
यदि आप प्रसवपूर्व कक्षाओं में भाग लेने की सोच रहे हैं पर आपको यह नहीं समझ आ रहा कि आपको यह क्लास कब से शुरू करनी चाहिए तो हम आपको बता दें कि जब गर्भावस्था का 30 से 32वां सप्ताह चल रहा हो और डिलीवरी की तारीख में लगभग 8 से 10 हफ्ते बचे हों, तो आप प्रसवपूर्व कक्षाओं से जुड़ सकते हैं। इससे यह फायदा होगा कि जब प्रसव का समय आएगा तो वहां बताई गई सभी बातें याद रहेंगी।
आप खुद या अपने पार्टनर या करीबी दोस्त के साथ इन क्लास में हिस्सा ले सकते हैं, जिसके बाद आप अपने बच्चे का स्वागत करने के लिए खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत पाएंगे।
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