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गर्भावस्था महिलाओं के जीवन जीने के तरीके में एक नया नजरिया लाती है। इसमें कोई शक नहीं है कि महिलाएं इस खुशी को सुनकर उत्साहित होती हैं, लेकिन इस खुशी के साथ प्रेगनेंसी से जुड़े लक्षण और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी आती हैं। गर्भावस्था के दौरान होने वाले कुछ लक्षण काफी सामान्य होते हैं और इन्हें सरल उपायों से आसानी से ठीक किया जा सकता है, जबकि कुछ में मेडिकल मदद की जरूरत होती है। इसी तरह, अच्छे इलाज के लिए गर्भावस्था से जुड़ी मेडिकल समस्या का जल्दी निदान किया जाता है। एक स्थिति, जो गर्भवती महिलाओं के लिए कष्टदायक हो सकती है, वह है यूरिन यानी पेशाब में कीटोन्स का पाया जाना है। इस आर्टिकल में हम कीटोन क्या है, इसके कारण, इलाज और इसे कैसे रोकें, उसके बारे में बात करेंगे। तो आइए बिना कोई समय बर्बाद करे हम आपको बताते हैं कि आखिर यूरिन में कीटोन पाया जाना क्या होता है।
कीटोन क्या हैं?
हम जो खाना खाते हैं उससे हमारे शरीर को एनर्जी और ग्लूकोज मिलता है। वहीं गर्भावस्था के समय महिलाओं के बदलते हार्मोन शरीर में मौजूद कोशिकाओं को ग्लूकोज का उपयोग करने से रोक सकते हैं, जिससे ग्लूकोज की कमी हो जाती है। इसकी कमी की वजह से शरीर जरूरतमंद एनर्जी हासिल करने के लिए जमे हुए फैट का उपयोग करना शुरू कर देता है। यह स्थिति कीटोन्स के उत्पादन बढ़ा देती है।
गर्भावस्था के दौरान पेशाब में कीटोन होने का क्या कारण है?
यूरिन में कीटोन की उपस्थिति होने के कुछ कारण ये हैं:
- डिहाइड्रेशन
- वह डाइट जिसमें पोषण और कार्ब की कमी हो
- गर्भावस्था के दौरान खाना नहीं खाना
- समय पर खाना नहीं खाना या खाने के बीच में लंबा गैप रखना
- गर्भावस्था के लक्षण जैसे गंभीर तरीके से उलटी आना
- मेटाबॉलिक डिसऑर्डर
- गर्भावस्था में उपवास रखना
- गर्भावस्था के दौरान इंसुलिन रेजिस्टेंस
एक बार कारण पता चलने के बाद, निदान करने के लिए कीटोन्स के लेवल को जानने के लिए टेस्ट किया जाता है।
निदान और टेस्ट
इसमें गायनेकोलॉजिस्ट यूरिन और ब्लड टेस्ट के जरिए मूत्र में कीटोन के लेवल की जांच करते हैं। यदि कीटोन का स्तर अधिक है, तो जेस्टेशनल डायबिटीज का भी पता लगाने के लिए और जांचें करवाने के लिए कहा जाता है।
अब, आप शायद सोच रही होंगी कि कीटोन टेस्ट किसे करवाना चाहिए। अधिक जानने के लिए आगे पढ़ें।
कीटोन टेस्ट किसे करवाना चाहिए?
ज्यादातर, स्त्री रोग विशेषज्ञ होने वाली मांओं को यह सुझाव देंगे कि यदि वे ऊपर दिए गए लक्षणों में से कोई भी लक्षण महिलाएं देखते हैं, तो वे कीटोन टेस्ट कराएं, लेकिन टाइप 1 डायबिटीज वाली महिलाओं में टाइप 2 ब्लड शुगर वाली महिलाओं की तुलना में कीटोन्स विकसित होने की संभावना अधिक होती है। इसलिए, यदि आप गर्भवती हैं तो आपको टेस्ट जरूर करवाना चाहिए या फिर:
- आपका ब्लड शुगर लेवल लगातार दो दिनों तक 250 मिग्रा/डेसीलीटर पर स्थिर हो।
- आप बीमार या घायल हैं।
- आप व्यायाम शुरू करना चाहती हैं।
घर पर कीटोन टेस्ट कैसे करें
जी हां, आपको बता दें कि घर पर भी कीटोन के लेवल की जांच करना संभव है! इसके लिए आपको किसी फार्मेसी से टेस्टिंग स्ट्रिप खरीदनी होगी। सुबह उठते ही अपने पेशाब को एक साफ कंटेनर में इकट्ठा करें और उस पट्टी को उसमें डुबो दें। पट्टी को बाहर निकालें और इसे कुछ मिनटों के लिए बिना धुले छोड़ दें। पट्टी के रंग की तुलना टेस्ट किट पर दिए गए रंग निर्देशों से करें। इसका परिणाम नेगेटिव से लेकर बढ़ा हुआ लेवल तक दिखा सकता है।
क्या पेशाब में कीटोन की मौजूदगी आपके बच्चे को नुकसान पहुंचा सकती है?
यदि यह कम मात्रा में मौजूद है, तो कीटोन्स गर्भावस्था के लिए जोखिम पैदा नहीं करते हैं। लेकिन कीटोन्स का हाई लेवल केटोन्यूरिया जैसे गर्भावस्था के कॉम्प्लिकेशन को जन्म दे सकता है। पेशाब में कीटोन्स का बढ़ा हुआ स्तर डायबिटिक केटोएसिडोसिस (डीकेए) का संकेत होता है।
कुछ स्टडीज में ऐसा लिखा गया है कि जिन महिलाओं को प्रेगनेंसी के समय कीटोन का लेवल हाई होता है, उनके बच्चों को लर्निंग डिसेबिलिटी (सीखने में दिक्कतें) होती हैं।
कीटोन के उत्पादन को कैसे रोका जा सकता है?
आप गर्भावस्था के दौरान संतुलित और पौष्टिक डाइट लेकर कीटोन्स के उत्पादन को रोक सकती हैं। ऐसे में उपवास रखने से बचें और समय पर खाना खाएं। खाना खाने के बीच लंबा गैप लेने से बचें बल्कि आप हेल्दी स्नैक्स से अपनी भूख को शांत कर सकती हैं।
जब आप गर्भवती हों, तो खूब पानी पीकर खुद को हाइड्रेट रखना जरूरी है और साथ ही पर्याप्त आराम भी करें। यदि आपको अपनी डाइट के बारे में कोई चिंता है, तो अच्छी गाइडेंस के लिए किसी नूट्रिशनिस्ट से सलाह ले सकती हैं। अपने पास एक फूड जर्नल या डायरी रखें ताकि आप अपनी कैलोरी पर नियंत्रण रख सकें।
गर्भावस्था के दौरान यूरिन में कीटोन्स का पाया जाना कोई गंभीर समस्या नहीं है। हालांकि, अगर कीटोन्स मात्रा अधिक है तो किसी भी तरह के कॉम्प्लिकेशन को रोकने के लिए उचित निदान और जरूरी इलाज करवाने की आवश्यकता होती है।
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