आईवीएफ या इन विट्रो फर्टिलाइजेशन, गर्भधारण की एक बहुत ही विशेष प्रक्रिया है जिसमें महिला के एग या ओवा को महिला के रिप्रोडक्टिव सिस्टम से निकाला जाता है और फिर लेबोरेटरी नियंत्रित स्थिति के अंतर्गत अंडे को स्पर्म द्वारा एक कल्चर डिश में फर्टिलाइज्ड किया जाता है। इस प्रक्रिया को इन विट्रो फर्टिलाइजेशन इसलिए कहते है क्योंकि निषेचन (फर्टिलाइजेशन) एक डिश में होता है, न कि किसी महिला के शरीर के अंदर।
आईवीएफ उपचार से जुड़े साइड इफेक्ट्स और रिस्क
आईवीएफ से जुड़े कई दुष्प्रभाव और जोखिम हैं। इनमें से कुछ के बारे में नीचे विस्तार में बताया गया है:
1. एक से अधिक गर्भधारण
यदि गर्भाशय की दीवार में एक से अधिक भ्रूण को इम्प्लांट किया जाता है, तो आईवीएफ आपके एक से अधिक गर्भधारण की संभावना को बढ़ा देता है। इसके परिणामस्वरूप आपकी समय से पहले डिलीवरी, प्री-टर्म लेबर और बच्चे का वजन कम हो सकता है। एकाधिक गर्भधारण से बचने के लिए तीन से अधिक भ्रूणों को गर्भाशय में प्रत्यारोपित नहीं करना चाहिए।
2. प्रेगनेंसी-इंड्यूस्ड हाइपरटेंशन (पीआईएच)
जो महिलाएं आईवीएफ की प्रक्रिया से गुजरती हैं, उन्हें अक्सर हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत रहती है (आमतौर पर 130/90 से ऊपर)।
3. फर्टिलिटी दवाओं का रिएक्शन
कई बार फर्टिलिटी दवाओं के सेवन से महिलाएं मतली, अचानक से गर्मी लगना, ब्रेस्ट का टेंडर होना, नींद न आना, मूड स्विंग और चिड़चिड़ी होने की शिकायत करती हैं। आईवीएफ दवा के कुछ अन्य साइड इफेक्ट्स भी हैं जैसे कि पेट में परेशानी होना, उल्टी आना और सूजन। ऐसे में आपको मदद के लिए अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए। पेरासिटामोल जैसी पेन किलर भी सूजन और दर्द को कम करने के लिए ली जा सकती हैं।
4. भारी ब्लीडिंग
आईवीएफ भ्रूण के अटैचमेंट के बाद माँ के गर्भाशय से भारी मात्रा में ब्लीडिंग भी होती है।
5. डिलीवरी के लिए सी-सेक्शन
नॉर्मल डिलीवरी के समय होने वाले किसी भी तरह के जोखिम से माँ को बचाने के लिए आमतौर पर गर्भावस्था का समय पूरा होने के बाद सी-सेक्शन किया जाता है।
6. एनीमिया
इस स्थिति में होने वाली माँ भारी यूटरिन ब्लीडिंग के कारण एनीमिया का शिकार हो सकती है। इस गंभीर स्थिति में महिला को नया जीवन देने के लिए खून चढ़ाना बेहद जरूरी है।
7. प्रीटर्म डिलीवरी और जन्म के समय कम वजन होना
ऐसा कई स्टडी में देखा गया है कि, आईवीएफ की प्रक्रिया से समय से पहले बच्चे का जन्म और जन्म के समय बच्चे का वजन कम होने की संभावना अधिक होती है।
8. मिसकैरेज
आईवीएफ की प्रक्रिया में मिसकैरेज बहुत बार होता है क्योंकि जैसे कि सबको पता है भ्रूण को नियंत्रित स्थिति में एक लैब में फर्टिलाइज किया जाता है और यह सामान्य प्रक्रिया की तरह नहीं होता, ऐसे में यूटरस अक्सर भ्रूण को इम्प्लांट करने से इनकार कर देता है। फ्रीक्वेंसी और गर्भपात का रेट, माँ की बढ़ती उम्र और फ्रोजेन भ्रूण के उपयोग के साथ बढ़ता जाता है।
9. ओवेरियन हाइपरस्टिम्यूलेशन सिंड्रोम
आईवीएफ में, फर्टिलिटी क्षमता बढ़ाने वाली दवाएं जैसे इंजेक्टेबल एचसीजी (ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन) का उपयोग ओवुलेशन में सुधार लाने के लिए किया जाता है। बता दें कि आईवीएफ इंजेक्शन के कुछ साइड इफेक्ट होते हैं। ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन की वजह से आपकी ओवरी में सूजन और दर्द हो सकता है, जिसको ओवरियन हाइपरस्टिम्यूलेशन सिंड्रोम भी कहा जाता है। हाइपरस्टिम्यूलेशन सिंड्रोम के लक्षण जैसे सूजन, मतली, पेट दर्द, घबराहट और दस्त होते हैं। ओवेरियन हाइपरस्टिम्यूलेशन सिंड्रोम के गंभीर मामलों में अचानक वजन बढ़ना और सांस लेने में तकलीफ की समस्या होती है।
10. अंडे को रिट्रीव करने की प्रक्रिया से जुड़े कॉम्प्लिकेशन
ओवम या रिप्रोडक्टिव अंडे, एस्पिरेशन सुई की मदद से ओवरी से निकाले किए जाते हैं, जिसकी वजह से आपको ब्लीडिंग या इंफेक्शन जैसी समस्या हो सकती है। साथ ही यह आपके बॉवेल, यूरिनरी ब्लैडर और ब्लड वेसल को भी डैमेज कर सकता है।
11. बर्थ डिफेक्ट
कुछ आईवीएफ प्रक्रियाएं बच्चे के लिए जोखिम का कारण बन सकती हैं। वहीं कुछ विशेषज्ञों के मुताबिक आईवीएफ प्रक्रिया से पैदा होने वाले बच्चों में सामान्य बच्चों के मुकाबले बर्थ डिफेक्ट्स को विकसित करने की संभावना अधिक होती है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि माँ की उम्र इसके लिए प्राथमिक कारण बनती है, न कि आईवीएफ की प्रक्रिया।
12. एक्टोपिक प्रेगनेंसी
यह एक गंभीर स्थिति है जिसमें भ्रूण यूट्रस के बजाय फैलोपियन ट्यूब के अंदर विकसित होने लगता है। भले ही आईवीएफ प्रक्रिया भ्रूण को गर्भाशय की दीवार में इम्प्लांट कर देती है, लेकिन कुछ मामलों में अस्थानिक गर्भावस्था (एक्टोपिक प्रेगनेंसी) अभी भी हो सकती है। एक्टोपिक गर्भावस्था वास्तव में कैसे होती है, यह अच्छी तरह से किसी को नहीं पता है, लेकिन यह उन महिलाओं में अधिक आम है जिनकी फैलोपियन ट्यूब डैमेज हुई होती है। यह एक गंभीर समस्या है। एक्टोपिक गर्भावस्था में आपको पेट में दर्द, गर्भावस्था के हार्मोन में असामान्य वृद्धि और योनि से ब्लीडिंग हो सकती है।
13. दस्त और जी मचलना
आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान योनि के अंदर सम्मिलित हार्मोनल टैबलेट की वजह से आपको दस्त और मतली हो सकती है। हार्मोनल इंजेक्शन बहुत दर्दनाक होते हैं, इसलिए आपको उससे चोट भी लग सकती है। ऐसे में सूजन और दर्द को कम करने के लिए आप इंजेक्शन वाली जगह पर ठंडी सिकाई कर सकती हैं।
14. ओवरी का कैंसर
यह मांओं में आईवीएफ के सबसे खतरनाक साइड इफेक्ट्स में से एक माना जाता है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि आईवीएफ में अंडे को उत्तेजित करने के लिए उपयोग की जाने वाली दवाओं के बीच और अंडाशय में कुछ विशेष प्रकार के ट्यूमर के विकास होने में कुछ संबंध हो सकता है। लेकिन यह बात अभी भी किसी रिसर्च से सिद्ध नहीं हुई है।
15. मानसिक तकलीफ
आईवीएफ प्रक्रिया से गुजरना काफी इमोशनल, तनाव से भरा और शारीरिक रूप से कठिन अनुभव है। आपकी भावनाओं में उतार-चढ़ाव होना, क्लिनिक में कभी-कभार आना, हार्मोन के लेवल में बदलाव आना और कई आक्रामक प्रक्रियाओं से गुजरना और दवा का ध्यान रखने का सारा दबाव; यह सब आपको भावनात्मक रूप से तोड़ सकता है। फर्टिलिटी के इलाज के समय मांओं को उनकी क्षमता सीमा तक धकेला जा सकता है और यह प्रक्रिया आसानी से रिश्तों में समस्या पैदा कर सकती है, विशेष रूप से तब जब आपको इमोशनल सपोर्ट की बेहद जरूरत होती है। ऐसे में अपने रिश्तेदारों, दोस्तों और प्रोफेशनल्स से पर्याप्त सपोर्ट पाना बेहद आवश्यक है।
16. तनाव
आमतौर पर आईवीएफ एक महंगी प्रक्रिया है। यह आपको शारीरिक ही नहीं बल्कि भावनात्मक रूप से भी प्रभावित करती है। इस समय अपने पार्टनर, सलाहकारों और दोस्तों से मेंटल सपोर्ट मिलने की वजह से आपकी आशंकाओं और तनाव को कम किया जा सकता है।
17. हॉट फ्लैशेस
हार्मोन को मानव शरीर के केमिकल मैसेंजर के रूप में जाना जाता है। ये सिग्नल को शरीर के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक पहुंचाता है। जैसे ही आपके हार्मोन के लेवल में बदलाव आता है, आपके शरीर के उस तापमान को समझने का तरीका बदल सकता है, जिसके कारण अचानक हॉट फ्लैशेस जैसी परेशानी का सामना आप कर सकती है। आप यह भी समझ सकती हैं कि आपके शरीर में आसानी से बढ़ती हुई गर्मी के प्रति आप कितनी अधिक संवेदनशील हैं।
18. सिरदर्द
कुछ महिलाओं को आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान लगने वाले दवा के इंजेक्शन से गंभीर सिरदर्द का अनुभव होता है, विशेष रूप से इंजेक्शन के तुरंत बाद की ऐसा होता है। यदि आपका सिरदर्द पीरियड साइकिल से जुड़ा है, तो इसका मतलब यह हो सकता है कि आप हार्मोनल बदलाव के लिए अधिक प्रवृत्त हैं और इसलिए आपको आईवीएफ की प्रक्रिया के दौरान अधिक सिरदर्द होना आम है।
19. एंग्जायटी
जैसा कि हम पहले से ही जानते हैं कि एक महिला के लिए इनफर्टाइल होना, काफी ज्यादा चिंता पैदा कर सकता है। वैसे ही आईवीएफ की प्रक्रिया से भी आपको एंग्जायटी हो सकती है, क्योंकि नियमित डॉक्टर के पास जाना और लगातार इंजेक्शन लगना आपके दिमाग को आपकी फर्टिलिटी समस्या की ओर ध्यान देने में और मजबूर करता है। आप गर्भवती होने में अपनी असमर्थता या उसके उपचार के प्रभावों के बारे में सोचकर बेहद चिंतित होती हैं।
20. मूड स्विंग
आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान ली जाने वाली दवाएं आपकी ओवरी को कई अंडे बनाने के लिए स्टिम्युलेट करती हैं, इसलिए हर एक साइकिल के साथ आपके गर्भवती होने की संभावना बढ़ जाती है। हालांकि आपके द्वारा सेवन की जाने वाली कई दवाएं आपकी फर्टिलिटी क्षमता के मुद्दों पर निर्भर करती हैं, एस्ट्रोजन ज्यादातर दवाओं का एक हिस्सा होता है। एस्ट्रोजन की ज्यादा खुराक लेने के कारण आपके मूड में कई तरह के बदलाव आ सकते हैं। यदि आप एक से अधिक आईवीएफ साइकिल से गुजरती हैं, तो आप यह जरूर महसूस करेगी कि दूसरी साइकिल के बाद आप में मूड स्विंग कुछ कम हो गए हैं।
आईवीएफ उन पेरेंट्स के लिए एक वरदान की तरह है, जिन्हें कई तरह की फर्टिलिटी समस्याओं की वजह से गर्भधारण करने में परेशानी होती है। यह प्रक्रिया उनके बच्चे होने और परिवार को करने वाले सपने को साकार करने का एक मौका देती है। आमतौर पर आईवीएफ की प्रक्रिया सुरक्षित है और विशेषज्ञों द्वारा भी इसको रिकमेंड किया जाता है, लेकिन यह कुछ चेतावनियों के साथ भी आती है जिन पर ध्यान देना जरूरी है। इस प्रक्रिया को करने से पहले आप अपने डॉक्टर के साथ इन विट्रो फर्टिलिटी के साइड इफेक्ट्स और उससे जुड़े जोखिमों के बारें में चर्चा जरूर करें और अच्छे से समझ लें। आईवीएफ प्रक्रिया के जोखिमों और दुष्प्रभावों के बारे में जानना आपके लिए एक सही निर्णय लेना जैसा होगा। यह आपको किसी भी तरह के कॉम्प्लिकेशन को रोकने में मदद कर सकता है और बिना किसी चिंता के आप सफल प्रक्रिया कर सकती हैं।
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