In this Article
- यौन संचारित रोग (एसटीडी) क्या होते हैं?
- यौन संचारित रोग कितने आम हैं
- किन महिलाओं को एसटीडी होने का सबसे अधिक खतरा होता है
- यौन संचारित रोगों के प्रकार
- गर्भावस्था के दौरान एसटीडी होने के संकेत और लक्षण
- आम यौन संचारित रोग गर्भावस्था को कैसे प्रभावित करते हैं
- एसटीडी का निदान कैसे किया जाता है
- गर्भावस्था के दौरान एसटीडी का इलाज कैसे होता है
- आप एसटीडी से कैसे बच सकती हैं
वे महिलाएं जिन्हें गर्भावस्था के दौरान यौन संचारित रोग, जिसे अंग्रेजी में सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज यानी एसटीडी कहा जाता, होता है, उनके बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। प्रसव के दौरान एसटीडी की वजह से कई तरह की जटिलताएं सामने आ सकती हैं। सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज को सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन भी कहा जाता है। बहुत से लोग एसटीडी के बारे में नहीं जानते हैं और आम तौर पर इसके बारे में उनके मन में गलत धारणाएं हैं। तो चलिए, पता करें कि आखिर एसटीडी क्या है और गर्भावस्था के दौरान यह कैसे महिलाओं को प्रभावित करता है।
यौन संचारित रोग (एसटीडी) क्या होते हैं?
जैसा कि इसके नाम से पता चल रहा है, एसटीडी ऐसी बीमारी होती है जो यौन संबंध के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलती है। यह संक्रमित व्यक्ति के साथ किसी भी तरह के वेजाइनल, ओरल या एनल सेक्स करने से फैलती है।
यौन संचारित रोग कितने आम हैं
ये बीमारियां या इंफेक्शन काफी आम हैं और दुनिया भर में कई महिलाएं गर्भावस्था के दौरान इनकी चपेट में आ सकती हैं। हालांकि, उचित और किफायती डायग्नोस्टिक उपायों के अभाव में, इसके मामले विकसित देशों में अधिक दिखाई देते हैं।
किन महिलाओं को एसटीडी होने का सबसे अधिक खतरा होता है
नीचे बताई गई स्थितियों में महिलाओं को यौन संचारित रोग हो सकता है:
- यदि महिला एक से अधिक पार्टनर के साथ यौन संबंध बनाती है।
- अगर महिला के पार्टनर के एक से अधिक महिलाओं के साथ यौन संबंध हैं।
- यदि पहले भी महिला को एसटीडी हो चुका है।
- अगर उसने किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ दवा की सुई (आईवी) साझा की है।
यौन संचारित रोगों के प्रकार
यदि आप ऊपर बताए गए किसी भी खतरे की श्रेणी में आती हैं, तो आपको इस बारे में अपने डॉक्टर को तुरंत बताना चाहिए। नीचे गर्भावस्था के दौरान होने वाली कुछ यौन बीमारियों या इंफेक्शन के बारे में बताया गया है:
- हर्पीस
- गोनोरिया
- सिफलिस
- जेनिटल वार्ट्स
- हेपेटाइटिस बी
- क्लैमाइडिया
- ट्राइकोमोनिएसिस
- एचआईवी/एड्स
गर्भावस्था के दौरान एसटीडी होने के संकेत और लक्षण
गर्भावस्था के दौरान एसटीडी आपके बच्चे के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। इसलिए जरूरी होता है कि समय रहते इसका इलाज करने के लिए आपको इस इंफेक्शन के लक्षणों के बारे में पता होना चाहिए। यहां कुछ संकेत और लक्षण बताए गए हैं जो आपको यह पहचानने में मदद करेंगे कि कहीं आप गर्भावस्था के दौरान किसी यौन संचारित रोग की चपेट में तो नहीं हैं:
- सेक्स के दौरान या पेशाब करते समय दर्द महसूस होना।
- योनि या गुदा की जगह (एनल) में लाल होना, सूजन आना, बम्प्स या फिर दर्द होना।
- आपकी योनि में रैशेस पड़ना या खुजली होना।
- पीरियड के अलावा योनि से खून बहना या डिस्चार्ज होना।
- बुखार, ठंड लगना, दर्द या पीलिया होना।
- वजन घटना या लूज मोशन आना।
आम यौन संचारित रोग गर्भावस्था को कैसे प्रभावित करते हैं
यहां हम कुछ आम सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन के बारे में बात करेंगे और साथ ही यह भी बताएंगे कि उनका आपकी गर्भावस्था पर क्या प्रभाव पड़ता है:
1. एचआईवी/एड्स
एड्स या एक्वायर्ड इम्यूनोडिफिशिएंसी सिंड्रोम, ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस के कारण होता है और यदि आप अपनी गर्भावस्था के दौरान इस इंफेक्शन की चपेट में आती हैं, तो यह बेहद ही खतरनाक प्रभाव पैदा करता है। इंफेक्शन गर्भावस्था के दौरान शरीर की इम्युनिटी या डिफेन्स मैकेनिज्म यानी रक्षा तंत्र में रुकावटें पैदा करता है और आपके बच्चे को भी ट्रांसफर हो सकता है। यह वायरस आपसे बच्चे को गर्भ में, डिलीवरी के दौरान या स्तनपान के दौरान भी ट्रांसफर हो सकता है।
2. क्लैमाइडिया
क्लैमाइडिया एक तरह का बैक्टीरियल इंफेक्शन है जो क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस बैक्टीरिया के कारण होता है। यदि आप इस इंफेक्शन से पीड़ित हैं, तो आपको पेशाब करते समय गंभीर खुजली, बदबूदार वेजाइनल डिस्चार्ज और जलन का अनुभव होगा। जिन महिलाओं को यह इंफेक्शन होता है, उनमें समय से पहले या प्रीमैच्योर बच्चे पैदा होने का खतरा अधिक होता है। इस बीमारी से ग्रसित माताओं द्वारा पैदा होने वाले बच्चे को आंखों में या फेफड़ों में इंफेक्शन भी होता है।
3. सिफलिस
सिफलिस भी एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है, जो ट्रैपोनेमा पैलिडम के कारण होता है। यह इंफेक्शन त्वचा पर खुजली रहित छालों का कारण बनता है। यह समस्या आपके बच्चे के लिए घातक साबित हो सकती है। इस बीमारी के कारण महिलाओं की प्रीटर्म डिलीवरी, स्टिलबर्थ यानी मृत बच्चे का जन्म या जन्म के कुछ घंटों के अंदर बच्चे की मृत्यु जैसे खतरनाक प्रभावों का सामना करना पड़ सकता है। यह आपके बच्चे में हृदय, मस्तिष्क, त्वचा, हड्डियों या दांतों से जुड़े दोष भी पैदा कर सकता है।
4. हर्पीस
यदि गर्भवती महिला को हर्पीस की समस्या है, तो उसका बच्चा डिलीवरी होने तक सुरक्षित रहता है। प्राइवेट अंगों पर संपर्क अत्यधिक संक्रामक होता है, और बच्चा डिलीवरी के दौरान इससे संक्रमित हो सकता है। इसलिए, यदि आपको यह इंफेक्शन है तो ऐसे में डॉक्टर सी-सेक्शन कराने की सलाह देंगे।
5. हेपेटाइटिस बी
यदि गर्भवती महिला को हेपेटाइटिस बी (लिवर इंफेक्शन) है, तो इस बात की संभावना है कि प्लेसेंटा के जरिए उसके बच्चे में वायरस का इंफेक्शन हो सकता है। इस वायरस से संक्रमित बच्चा जीवन भर के लिए संक्रमित हो जाता है और उसे लिवर की गंभीर बीमारियां होती हैं। कुछ मामलों में, यह मौत का कारण भी बन जाता है।
6. जेनिटल वार्ट्स
इस इंफेक्शन में महिला के जननांगों की जगह पर मस्सों का पूरा गुच्छा दिखाई दे सकता है। ये मस्से गंभीर रूप से खुजली या जलन पैदा करते हैं और गर्भावस्था के दौरान बर्थ कैनाल को बाधित करते हैं। यदि आपके जननांगों पर मस्से हैं, तो डॉक्टर आपके बच्चे की सिजेरियन डिलीवरी कराने का सुझाव देंगे।
7. गोनोरिया
यदि गर्भवती महिला इस इंफेक्शन से पीड़ित है, तो उसे न केवल पेशाब करते समय दर्द का अनुभव होता है, बल्कि इससे उसके मिसकैरेज या समय से पहले बच्चे के जन्म की संभावना भी बढ़ जाती है। यदि प्रसव के समय भी माँ को यह इंफेक्शन रहता है, तो इससे बच्चे में गंभीर ब्लड इंफेक्शन या उसके अंधे होने की संभावना बढ़ जाती है।
8. ट्राइकोमोनिएसिस
इस इंफेक्शन से पीड़ित महिला को खुजली, बदबूदार वेजाइनल डिस्चार्ज या ब्लीडिंग का अनुभव होता है। यह बैक्टीरियल इंफेक्शन झिल्ली को तोड़ देता है जिससे समय से पहले डिलीवरी की संभावना बढ़ जाती है।
एसटीडी का निदान कैसे किया जाता है
जब आप प्रसव से पहले होने वाली जांचों के लिए अपने डॉक्टर के पास जाती हैं, तो वह ऐसे किसी भी एसटीडी के लक्षणों की जांच करते हैं। हालांकि, अगर आपको पहले एसटीडी हो चुका है या गर्भावस्था के दौरान आपका कोई नया यौन संबंध बनाने वाला पार्टनर है या ऐसे कोई अन्य लक्षण हैं, तो आपको अपने डॉक्टर को इसके बारे में बताना चाहिए। वह आपकी अच्छी तरह से जांच करेंगे और कई तरह के प्रेगनेंसी एसटीडी टेस्ट करेंगे ताकि यह पता लगाया जा सके कि आप किसी प्रकार के इंफेक्शन से पीड़ित हैं या नहीं।
गर्भावस्था के दौरान एसटीडी का इलाज कैसे होता है
एसटीडी आपके और बच्चे के लिए गंभीर साबित हो सकते हैं। इसलिए, ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि इंफेक्शन के लिए उचित इलाज शुरू किया जाए। गर्भावस्था के दौरान कई प्रकार के एसटीडी के इलाज के लिए यहां कुछ विकल्पों के बारे में बताया गया है:
1. एचआईवी/एड्स
बता दें कि यह एक लाइलाज वायरस है; हालांकि, गर्भवती महिला इस इंफेक्शन को उसके बच्चे में फैलने से रोकने के लिए कई दवाएं ले सकती है।
2. क्लैमाइडिया
इस इंफेक्शन का इलाज आमतौर पर एंटीबायोटिक दवाओं द्वारा किया जाता है। इसमें आंखों में होने वाली किसी भी तरह की समस्या पैदा करने से रोकने के लिए न्यूबॉर्न को दवाएं दी जाती हैं; हालांकि, इससे होने वाले निमोनिया के खतरे को रोका नहीं जा सकता है।
3. सिफलिस
इस इंफेक्शन को बच्चे में फैलने से रोकने के लिए और आगे भी फैलने से रोकने के लिए एंटीबायोटिक का एक कोर्स दिया जाता है।
4. हर्पीस
यदि आपको हर्पीस की समस्या है, तो डॉक्टर आपको एंटीवायरल दवाएं देंगे। इसके अलावा, आपको डिलीवरी के लिए सी-सेक्शन कराने की सलाह दी जाएगी ताकि आप अपने बच्चे को इंफेक्शन न फैला सकें।
5. हेपेटाइटिस बी
यदि आप हेपेटाइटिस बी से संक्रमित है, तो डॉक्टर आपके बच्चे को संक्रमित होने से बचाने के लिए उसको एंटीबॉडी इंजेक्शन देंगे।
6. जेनिटल वार्ट्स
ऐसे हालात में डॉक्टर आपकी डिलीवरी तक मस्सों के इलाज में देरी करने की सलाह देंगे।
7. गोनोरिया
इस इंफेक्शन का इलाज करने के लिए आपको एंटीबायोटिक दवा का एक कोर्स दिया जाता है। आपके बच्चे को आंखों में होने वाले इंफेक्शन से बचाने के लिए दवा दी जाएगी।
8. ट्राइकोमोनिएसिस
यदि आप इस वायरस से संक्रमित हैं, तो डॉक्टर इस समस्या को ठीक करने के लिए कई तरह की दवाएं दे सकते हैं।
आप एसटीडी से कैसे बच सकती हैं
सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज या एसटीडी गर्भावस्था को हानिकारक रूप से प्रभावित करते हैं और गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं; इसलिए ऐसे सभी इंफेक्शन से खुद को बचाना सबसे जरूरी माना जाता है। गर्भावस्था के दौरान एसटीडी को रोकने के कुछ प्रभावी तरीके यहां दिए गए हैं:
- संबंध बनाने के लिए कई पार्टनर न रखें क्योंकि इससे कई प्रकार के एसटीडी होने का खतरा बढ़ जाता है।
- असुरक्षित यौन संबंध बनाने से बचना चाहिए। यह सलाह दी जाती है कि जब भी संभोग करें तो लेटेक्स कंडोम का इस्तेमाल करें।
- ऐसे व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध न बनाएं जिसके एक से अधिक सेक्स पार्टनर हों।
- एक ही पार्टनर के साथ यौन संबंध रखने से एसटीडी होने की संभावना कम हो जाती है।
- विभिन्न एसटीडी के लक्षणों और संकेतों के बारे में अधिक जानकारी हासिल करें ताकि जैसे ही आपको कोई अनुभव हो, आप तुरंत मेडिकल मदद ले सकें।
- यदि आपको लगता है कि आपको ऐसे इंफेक्शन होने का खतरा है, तो नियमित रूप से एसटीडी के लिए अपनी जांच करवाएं। शुरुआत में पता चलने से आपको उन लक्षणों और कॉम्प्लिकेशन को नियंत्रित करने में मदद मिलती है जो उत्पन्न हो सकते हैं।
गर्भवती महिलाओं को किसी भी प्रकार का एसटीडी इंफेक्शन हो सकता है। आपकी डिलीवरी से पहले डॉक्टर से मिलने के दौरान इस तरह के इंफेक्शन की जांच की जाएगी। यदि डॉक्टर जांचते हैं कि आप किसी भी प्रकार के एसटीडी से पीड़ित हैं, तो वह इसका इलाज शुरू कर देंगे और आपकी गर्भावस्था की बारीकी से निगरानी भी करेंगे, तो ऐसे में चिंता न करें और अपने डॉक्टर पर विश्वास रखें।
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