पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) आजकल महिलाओं में पाई जाने वाली आम समस्या है। यह बीमारी मुख्य रूप से हार्मोन के असंतुलन के कारण होती है, खासकर तब जब शरीर में एंड्रोजन का स्टार बढ़ा हुआ होता है, जो एक पुरुष हार्मोन है, और यह महिलाओं में विकसित होने लगता है।
पीसीओएस के प्रमुख लक्षणों में अनियमित पीरियड साइकिल, शरीर पर अत्यधिक बाल, फैट, पेल्विक दर्द, पीरियड्स के दौरान भारी ब्लीडिंग और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि गर्भवती होने में कठिनाई होती है। पीसीओएस फर्टिलिटी पर असर डाल सकता है, लेकिन उम्मीद मत खोइए। ऐसे कई आहार विकल्प हैं जो पीसीओएस होने के बावजूद आपको गर्भवती होने में मदद कर सकते हैं और स्वस्थ बच्चे को जन्म देने में भी।
फर्टिलिटी डाइट जो पीसीओएस के दौरान आपको गर्भवती होने में मदद करती है
यदि आप पीसीओएस से पीड़ित हैं तो गर्भवती होने के लिए निम्नलिखित भारतीय डाइट टिप्स का पालन करने का प्रयास करें:
1. कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाला आहार लें
हाई ग्लाइसेमिक वाले खाद्य पदार्थ आपके इंसुलिन के लेवल को बढ़ा सकते हैं। वजन बढ़ने और टाइप-2 डायबिटीज जैसी अन्य बीमारियों से बचने के लिए जरूरी है कि ऐसा खाना खाएं जिसमें ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम हो।
क्या न खाएं:
- आलू
- चावल
- मैदा
- डोनट
- तरबूज
- कॉर्नफ्लैक्स
क्या खाएं:
- सोया मिल्क
- ओटमील
- फलियां
- कम फैट वाला दही
- गाजर का जूस
- पूर्ण अनाज का दलिया
2. भूखी न रहें
खाना न खाना किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। समय-समय पर नियमित भोजन करना चाहिए। हालांकि जंक फूड या बासी खाना खाने से बचें। स्वस्थ और ताजा भोजन खाने से अच्छा स्वास्थ्य और हेल्दी लाइफस्टाइल बनती है, जो बदले में अधिक फैट कम करने में मदद करता है।
खाने के लिए स्वस्थ भोजन:
- दालें
- फल
- हरी सब्जियां
3. चीनी के सेवन से बचें
जब भी आप चीनी का सेवन करती हैं, तो आप बढ़े हुए ब्लड शुगर लेवल को और बढ़ावा देती हैं। चाहे वह चॉकलेट हो, आइसक्रीम हो, चाय हो या कोल्ड ड्रिंक्स, आपको इन सभी को छोड़ना होगा। यह सलाह दी जाती है कि उन पदार्थों का सेवन करें जिनमें चीनी का इस्तेमाल न किया गया हो।
चीनी के विकल्प:
4. प्रोसेस्ड फूड खाने से बचें
यदि आप प्रेग्नेंट होना चाहती हैं और पीसीओएस को कंट्रोल में रखना चाहती हैं, तो प्रोसेस्ड फूड खाने से बचें। इसमें फैट, छिपी हुई चीनी, प्रिजर्वेटिव और अत्यधिक मात्रा में सोडियम होता है। इस तरह का खाना खाने से इन्फ्लेमेशन की समस्या हो जाती है। इसके बजाय, ताजा बना हुआ और स्वस्थ खाना खाएं।
5. एंटी-इंफ्लेमेटरी पदार्थ खाएं
इंसुलिन के बढ़ने से न केवल वजन बढ़ता है और सूजन होती है बल्कि थकान और कमजोरी भी होती है। एंटी-इंफ्लेमेटरी पदार्थ खाने से इंसुलिन के लेवल को कम करने में मदद मिलती है।
एंटी-इंफ्लेमेटरी पदार्थ:
6. डेयरी प्रोडक्ट्स का कम सेवन करें
यह अजीब लग सकता है, लेकिन हां, पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं के लिए डेयरी उत्पादों के इस्तेमाल को माना किया जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि डेयरी उत्पादों में इंसुलिन-ग्रोथ-फैक्टर 1 होता है। हालांकि यह कारक बच्चे के विकास में सहायता करता है, पर यह पीसीओएस वाली महिलाओं के लिए अच्छा नहीं है।
यह बहुत स्पष्ट है कि डेयरी उत्पादों को छोड़ना पूरी तरह से संभव नहीं है, लेकिन बस उन्हें सीमित मात्रा में लेना याद रखें। मक्खन एक डेयरी उत्पाद है जिसे आप नियंत्रित सीमा में ले सकती हैं, क्योंकि इसमें फैट और विटामिन का सही संतुलन होता है।
डेयरी प्रोडक्ट्स जिन्हें आप खा सकते हैं:
- बादाम का दूध
- ओट मिल्क
- नारियल का दूध
- राइस मिल्क
7. सही दवाओं के लिए डॉक्टर सलाह लें
बाजार में कई दवाएं उपलब्ध हैं, जो पीसीओएस के इलाज के लिए फायदेमंद साबित हुई हैं। हालांकि, याद रखें कि बिना अपने स्त्री रोग विशेषज्ञ की सलाह के इन दवाओं का सेवन न करें।
- क्लोमिड: यह फर्टिलिटी की एक दवा है जो ओवुलेशन प्रक्रिया को उत्तेजित करने में मदद करती है। क्लोमिड में क्लोमीफीन नामक एक एक्टिव केमिकल होता है जिससे मस्तिष्क को लगता है कि एस्ट्रोजन का स्तर कम हो गया है। जब ऐसा होता है, फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन (एफएसएच) का बनना और रिलीज होना अपने आप शुरू हो जाता है। इसके अलावा, एफएसएच का उत्पादन ओवरी की एक्टिविटी को बढ़ा देता है।
स्वाभाविक रूप से गर्भवती होने के लिए पीसीओएस डाइट के लिए ये कुछ काम के टिप्स हैं। इन टिप्स का पालन करने का प्रयास करें और एक उचित डाइट प्लान के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें। साथ ही एक्सरसाइज भी करना जरूरी है। रोजाना व्यायाम करना न भूलें, क्योंकि यह फिट रहने और साथ ही पीसीओएस को नियंत्रित करने का सबसे अच्छा उपाय है।
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