गर्भावस्था

सर्जिकल अबॉर्शन – प्रकार, प्रक्रिया और खतरे

हर महिला को स्वेच्छा से मां बनने का अधिकार होता है। जब अबॉर्शन ही सही विकल्प नजर आए या मेडिकली इसकी जरूरत हो, तो आपको सर्जिकल अबॉर्शन से पहले इसके बारे में कुछ बेसिक बातें जानने की जरूरत होगी – इस लेख में सर्जिकल अबॉर्शन के प्रकार, प्रक्रिया और खतरों को आसान भाषा में बताया गया है। 

सर्जिकल अबॉर्शन क्या है?

फीटस या फर्टिलाइज्ड अंडा यूटरिन लाइनिंग में खुद को अटैच कर लेता है और स्थापित हो जाता है। जब सर्जिकल प्रक्रिया के द्वारा फीटस को वेजाइना के द्वारा बाहर निकाला जाता है, तब इसे अबॉर्शन कहते हैं। यह प्रक्रिया फीटस की आयु और कुछ अन्य बातों पर आधारित होती है। उदाहरण के लिए एक एक्टॉपिक गर्भावस्था को इस प्रकार से खत्म नहीं किया जा सकता है। 

हमेशा जानकारी हासिल करके, अपने डॉक्टर से बात करके और फिर सर्जिकल अबॉर्शन का फैसला लेने में ही समझदारी होती है। यहां पर कुछ जानकारी दी गई है, लेकिन ये किसी डॉक्टर की सलाह का विकल्प नहीं हैं और उनका स्थान नहीं ले सकते हैं। 

सर्जिकल अबॉर्शन के लिए तैयारी

सर्जिकल अबॉर्शन की प्रक्रिया फीटस की आयु और इस बात पर निर्भर करती है, कि क्या कोई फैक्टर अबॉर्शन को निष्फल कर सकते हैं। हालांकि यह प्रक्रिया सर्जिकल होती है, लेकिन अनैच्छिक गर्भावस्था को खत्म करने के लिए आपको मानसिक रूप से तैयार रहना और इसके बारे में जानकारी रखना जरूरी है। यहां पर कुछ पॉइंट्स दिए गए हैं, जो अबॉर्शन की प्रक्रिया में आपकी मदद कर सकते हैं। 

  • इस बात का ध्यान रखें, कि आपका अपॉइंटमेंट निश्चित हो और कोई आपके साथ रहे।
  • इस बात का भी ध्यान रखें, कि प्रक्रिया से कम से कम 3 घंटे पहले तक कुछ भी न खाएं।
  • इस बात का खयाल रखें, कि आप अपना एक आईडी कार्ड, हेल्थ इंश्योरेंस और अबॉर्शन और प्रिस्क्राइब किए गए एंटीबायोटिक्स के लिए अपने साथ पैसे या कार्ड रखें।
  • ध्यान रखें, कि आपके रेगुलर डॉक्टर के कांटेक्ट डिटेल्स और जरूरत पड़ने पर कॉल करने के लिए एक इमरजेंसी नंबर आपके पास लिखे हुए हों।
  • इस बात का ध्यान रखें, कि आपकी सभी मेडिकल रिपोर्ट्स साथ में हों।
  • यह भी ध्यान रखें, कि आपके पास साफ अंडरवियर और सेनेटरी पैड्स आदि मौजूद हों।

आप इस बात का भी ध्यान रख सकती हैं, कि एक सर्जिकल अबॉर्शन की प्रक्रिया में कितना समय लगता है, ताकि आप इस दिन को अच्छी तरह से प्लान कर सकें या फिर किसी विश्वसनीय मित्र या पारिवारिक सदस्य से सहयोग ले सकें। 

प्रक्रिया के दौरान दर्द को मैनेज करने के तरीके

क्या सर्जिकल अबॉर्शन की प्रक्रिया दर्दनाक होती है? हां होती है। लेकिन विभिन्न प्रकार के पेन मैनेजमेंट तरीके उपलब्ध होते हैं, ताकि इस प्रक्रिया में दर्द को कम किया जा सके। आप लोकल एनेस्थीसिया ले सकती हैं, जो आपके सर्विक्स को सुन्न कर देगा, लेकिन आप जगी हुई रहेंगी। डॉक्टर आपको दर्द निवारक दवाएं भी दे सकते हैं, जैसे आइबूप्रोफेन या सौम्य सेडेटिव, ताकि आप रिलैक्स रह सकें। आप एक अधिक स्ट्रांग सेडेटिव के चुनाव की संभावना के बारे में भी अपने डॉक्टर से बात कर सकती हैं, जिसे आईवी द्वारा दिया जा सकता है। 

एनेस्थेटिक विकल्प जिनका आप इस्तेमाल कर सकती हैं

हालांकि एनेस्थेटिक्स के लिए आपकी कोई पसंद हो सकती है, लेकिन डॉक्टर का फैसला अंतिम होता है! आपके मामले के मेडिकल मूल्यांकन के आधार पर निम्नलिखित में से किसी एक तरीके का इस्तेमाल किया जा सकता है: 

  • जनरल एनेस्थीसिया
  • एक हल्की सौम्य एनेस्थेटिक गैस
  • एक लोकल सर्वाइकल एनेस्थेटिक जिसे स्पाइनल टैप भी कहा जाता है
  • लोकल एनेस्थीसिया के साथ इंट्रावेनस सेडेशन

कुछ ऐसी बातें, जो डॉक्टर को एनेस्थेटिक प्रक्रिया के लिए सही विकल्प के चुनाव में मदद करती हैं, वे नीचे दी गई हैं: 

  • एलर्जी और स्वास्थ्य संबंधित कुछ समस्याएं जैसे अस्थमा, एपिलेप्सी, एनीमिया आदि
  • पेट खाली होने की निगरानी करना और बॉवेल इवेक्युएशन को पूरा करना
  • फीटस की आयु
  • आपका वजन और तनाव का स्तर इस बात का निर्धारण करते हैं, कि आप सर्जरी से किस प्रकार डील कर पाएंगी
  • सर्जरी और गाइनेकोलॉजिकल प्रक्रियाओं में पहले हो चुके कोई कॉम्प्लिकेशन

सर्जिकल अबॉर्शन प्रक्रियाओं के प्रकार

सर्जरी और इस्तेमाल की गई प्रक्रिया फीटस की आयु के ऊपर निर्भर करती है। भारतीय अस्पतालों में आमतौर पर जो तरीके प्रयोग किए जाते हैं, वे इस प्रकार हैं: 

  • पहली तिमाही: मेडिकेशनल अबॉर्शन, वैक्यूम एस्पिरेशन या डायलेशन एंड एक्सट्रैक्शन (डीएंडई)
  • दूसरी तिमाही: डायलेशन एंड एक्सट्रैक्शन (डीएंडई), डायलेशन एंड क्यूरेटेज (डीएंडसी)

1. एस्पिरेशन

12 सप्ताह में सर्जिकल अबॉर्शन को सक्शन एंड एस्पिरेशन तरीके के इस्तेमाल से किया जाता है। इस प्रक्रिया को सक्शन क्यूरेटेज, सक्शन एस्पिरेशन या वैक्यूम एस्पिरेशन भी कहा जाता है। इस प्रक्रिया का इस्तेमाल 6 से 16 सप्ताह के बीच किया जाता है। इस प्रक्रिया में लगभग 10 से 15 मिनट का समय लगता है। 

यह प्रक्रिया कैसे की जाती है?

  • महिला को दर्द निवारक दवाएं या सेडेशन दिए जाते हैं।
  • वेजाइना को खोलने के लिए एक स्पेक्युलम का इस्तेमाल किया जाता है और वह पीठ के बल लेटी होती है और उसके पैर स्ट्रिप्स में होते हैं।
  • लोकल एनेस्थीसिया देकर सर्विक्स को सुन्न किया जाता है।
  • टेनाक्युलम नामक एक सर्जिकल उपकरण के इस्तेमाल से सर्विक्स को फैलाया जाता है और अब्जॉर्प्शन रॉड्स को अंदर डालने के लिए किया जाता है।
  • जब सर्विक्स पर्याप्त खुल जाता है, तब एक सक्शन डिवाइस युक्त प्लास्टिक ट्यूब जिसे कैनुला कहते हैं, यूट्रस में डाली जाती है। प्लेसेंटा और फीटस इसके द्वारा खींच कर बाहर निकाले जाते हैं।
  • रिकवरी के लिए महिला को कुछ घंटों के लिए क्लीनिक में रहना पड़ सकता है। इस अवधि के दौरान उसे किसी तरह के इंफेक्शन से बचाव के लिए एंटीबायोटिक भी दिए जा सकते हैं।

सक्शन एस्पिरेशन के खतरे और साइड इफेक्ट्स

अंतिम चार साइड इफेक्ट दुर्लभ होते हैं और लगभग 97% मामलों में यह प्रक्रिया सुरक्षित रूप से पूरी हो जाती है। 

2. डायलेशन एंड इवैक्यूएशन (डीएंडई)

गर्भधारण के 16 सप्ताह के बाद डायलेशन और इवैक्यूएशन या डीएंडई की सर्जिकल अबॉर्शन प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रक्रिया में लगभग 15 से 30 मिनट का समय लगता है। 

यह प्रक्रिया कैसे की जाती है?

  • प्रक्रिया के 24 घंटे पहले एक सिंथेटिक डायलेटर को वेजाइना में डाला जाता है।
  • प्रक्रिया के दिन दवाओं के द्वारा सर्विक्स को सुन्न किया जाता है।
  • सर्विक्स और यूट्रस को जगह पर रखने के लिए टेनाक्युलम का इस्तेमाल किया जाता है।
  • सर्विक्स को और अधिक फैलाने के लिए कोण के आकार के रॉड इन्सर्ट किए जाते हैं।
  • कैनुला या सक्शन डिवाइस युक्त एक प्लास्टिक ट्यूब के इस्तेमाल से फीटल टिशू को बाहर निकाला जाता है।
  • क्यूरेट नामक एक सर्जिकल इंस्ट्रूमेंट के इस्तेमाल से यूट्रस की दीवार पर बचे हुए अवशेषों को खुरच कर बाहर निकाला जाता है।
  • अगर बड़े हिस्सों को बाहर निकालना हो, तो फोरसेप का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।
  • अंत में सक्शनिंग की जाती है, ताकि टिशू को पूरी तरह से बाहर निकाला जा सके।

डायलेशन और इवैक्युएशन के खतरे और साइड इफेक्ट्स

  • मतली
  • मरोड़
  • ब्लीडिंग
  • ब्लड क्लॉट्स
  • गर्भाशय में छेद
  • यूट्रस लाइनिंग में डैमेज
  • सर्विक्स में आघात
  • संक्रमण

अबॉर्शन के बाद क्या होता है?

किसी भी सर्जरी के बाद रिकवरी में हमेशा ही थोड़ा समय लगता है। एंटीबायोटिक्स प्रिसक्राइब किए जाते हैं और संक्रमण से बचने के लिए और किसी सर्जिकल अबॉर्शन के साइड इफेक्ट को मैनेज करने के लिए एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। सामान्यतः एक सप्ताह के बाद एक फॉलोअप के लिए बुलाया जाता है। किसी विशेष देखभाल की जरूरत नहीं पड़ती है। लेकिन प्रक्रिया के बाद 2 सप्ताह के लिए आम सावधानियां बरतनी चाहिए, जो कि इस प्रकार हैं:

  • टब में नहाने के बजाय शावर लें।
  • संभोग और वेजाइना में किसी बाहरी वस्तु को डालने से बचें।
  • साफ सैनिटरी पैड्स का इस्तेमाल करें और टेम्पोन से बचें।
  • स्विमिंग करने से बचें, ताकि यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के संपर्क में आने से बचाव हो सके।

गर्भावस्था के सर्जिकल अबॉर्शन के बाद अपनी देखभाल कैसे करें?

अबॉर्शन की प्रक्रिया के बाद थोड़ी ब्लीडिंग और पेट में मरोड़ होना सामान्य है और हर महिला में सर्जिकल अबॉर्शन से ठीक होने का समय अलग हो सकता है। रेगुलर दर्द निवारक (एस्पिरिन के अलावा) दर्द को कम कर सकते हैं और ब्लीडिंग को मैनेज करने के लिए सेनेटरी पैड का इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर आप निर्देशों को अपनाती हैं और दवाओं का सेवन करती हैं, तो कॉम्प्लिकेशंस दुर्लभ होते हैं। इस दौरान इंफेक्शन के खतरे से बचने के लिए आपको निम्नलिखित बातों से बचना चाहिए:

  • यौन संबंध बनाना
  • पानी के अंदर जाने से बचना (स्विमिंग या टब में नहाना)
  • भारी एक्सरसाइज
  • टेम्पोन्स का इस्तेमाल

निम्नलिखित स्थितियों में आपको अपने डॉक्टर या अस्पताल से संपर्क करना चाहिए:

  • इंफेक्शन होने पर
  • भारी ब्लीडिंग होने पर
  • बुखार होने पर
  • गंभीर क्रैंपिंग या पेट में दर्द होने पर
  • अबॉर्शन की प्रक्रिया के एक या दो सप्ताह के बाद, साइड इफेक्ट्स की जांच के लिए पोस्ट ऑपरेटिव चेकअप आपको जरूर कराना चाहिए।

अबॉर्शन की प्रक्रिया एक असमंजस की स्थिति होती है और हमेशा उचित विचार विमर्श और काउंसलिंग के बाद ही इसका निर्णय किया जाता है और यह प्रक्रिया की जाती है। यह मानसिक और शारीरिक दोनों ही तरह से दर्दनाक होता है और इसलिए इसे पेन किलर और एनेस्थेटिक्स के साथ मैनेज किया जाता है। बुखार, भारी ब्लीडिंग आदि जैसे किसी कॉम्प्लिकेशन या साइड इफेक्ट्स की स्थिति में आपको तुरंत अपने डॉक्टर या नजदीकी अस्पताल से संपर्क करना चाहिए।

यह भी पढ़ें: 

एबॉर्शन पिल्स के आम साइड इफेक्ट्स
अबॉर्शन के बाद पीरियड – लक्षण, बदलाव और देखभाल
प्रेगनेंसी एबॉर्शन पिल्स – काम का तरीका, साइड इफेक्ट्स और जोखिम

पूजा ठाकुर

Recent Posts

भूकंप पर निबंध (Essay On Earthquake In Hindi)

भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है, जिसमें धरती अचानक से हिलने लगती है। यह तब होता…

2 weeks ago

Raising Left-Handed Child in Right-Handed World – दाएं हाथ वाली दुनिया में बाएं हाथ वाला बच्चा बड़ा करना

जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होने लगता है, उसके व्यक्तित्व के विभिन्न पहलू उभरने लगते हैं। या…

2 weeks ago

माता पिता पर कविता l Poems For Parents In Hindi

भगवान के अलावा हमारे जीवन में किसी दूसरे वयक्ति को अगर सबसे ऊंचा दर्जा मिला…

3 weeks ago

पत्नी के लिए प्यार से बुलाने वाले नाम l Nicknames For Wife In Hindi

शादी के बाद प्यार बनाए रखना किसी भी रिश्ते की सबसे खूबसूरत बात होती है।…

3 weeks ago

पति के लिए प्यार से बुलाने वाले नाम l Nicknames For Husband In Hindi

शादी के बाद रिश्तों में प्यार और अपनापन बनाए रखना बहुत जरूरी होता है। पति-पत्नी…

3 weeks ago

करण नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Karan Name Meaning In Hindi

ऐसे कई माता-पिता होते हैं जो अपने बच्चे का नाम इतिहास के वीर महापुरुषों के…

3 weeks ago