आमतौर पर महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान बहुत सारे शारीरिक और मानसिक बदलावों और समस्याओं का सामना करना पड़ता है इसलिए डॉक्टर हों या घर के बड़े-बुजुर्ग सभी, गर्भवती महिला का खास खयाल रखने की सलाह देते हैं। ऐसे में जब बात जुड़वां गर्भावस्था की हो तो यह देखभाल के स्तर को भी दोगुना कर देती है इसलिए आज हम जुड़वां गर्भावस्था में गर्भवती महिला की सेहत का ध्यान रखने के 10 सबसे बेस्ट तरीके लेकर आए हैं, जिन्हें अपनाकर केवल होने वाली माँ का बल्कि गर्भ में पल रही दो जिंदगियों का भी खयाल रखने में मदद मिलेगी।
जुड़वां गर्भावस्था में देखभाल कैसे करें – 10 बेस्ट टिप्स
ट्विन प्रेगनेंसी की खबर जहाँ घर में दो जुड़वां बच्चों के आने की खुशियां लाती है वहीं माँ और बच्चे की सेहत पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव या कॉम्प्लिकेशन गर्भावस्था का खतरा बढ़ा देती है। ऐसे में अगर गर्भावस्था के शुरूआती दिनों से ही कुछ विशेष बातों या नियमों को माना जाए तो जुड़वां गर्भावास्था या हाई रिस्क जुड़वां गर्भावस्था को भी नॉर्मल बनाया जा सकता है। चलिए जानते हैं जुड़वां गर्भावस्था की देखभाल करने के 10 बेस्ट आइडिया:
1. हेल्दी खाएं और तीन लोगों के हिसाब से खाएं
आमतौर पर महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान दो लोगों के बराबर खाना खाने की सलाह दी जाती है। दो लोगों के लिए खाने का विचार एकल गर्भधारण के लिए अच्छा है और एक स्वस्थ बच्चे के लिए प्रतिदिन केवल 300 कैलोरी की आवश्यकता होती है। लेकिन, जब आप जुड़वां बच्चों के साथ गर्भवती होती हैं, तो आपकी कैलोरी की जरूरत प्रतिदिन 600 कैलोरी तक होती है। इसका मतलब जंक फूड खाना नहीं है, इसके लिए आपको हेल्दी डाइट यानी दिन में 5 से 7 बार फल और सब्जियां खाने की आदत, एक्सरसाइज करने की आदत और समय से आयरन, जिंक, फोलिक एसिड और प्रीनेटल विटामिन का सेवन करना प्रमुख है। सामान्य बीएमआई वाली माँ के लिए 16 से 26 किलो वजन बढ़ना सामान्य होता है।
2. जानें कि हाई रिस्क गर्भावस्था क्या होती है
अक्सर आपने हाई रिस्क प्रेगनेंसी के बारे में सुना होगा। खासकर जुड़वां गर्भावस्था के मामलों में, लेकिन आखिर क्या होती है ये हाई रिस्क गर्भावस्था। डॉक्टरों के मुताबिक हाई रिस्क गर्भावस्था में डरने वाली कोई बात नहीं होती है बस कुछ ज्यादा सावधानी बरतने और देखभाल की जरूरत होती है। हाई रिस्क गर्भावस्था में आमतौर पर महिलाओं को बेड रेस्ट, प्रीमैच्योर डिलीवरी या सिजेरियन डिलीवरी की स्थिति का सामना करना पड़ता है, क्योंकि गर्भ में दो बच्चे होने की वजह से शारीरिक रूप से बहुत ज्यादा तनाव और हार्मोन में तेजी से होने वाले बदलाव, कमजोरी, मानसिक रूप से चिड़चिड़ाहट और तेज गुस्सा आने की स्थिति उत्पन्न होती है। अगर आप हाई रिस्क गर्भावस्था में होने वाली समस्याओं को महसूस कर रही हैं तो ऐसे में जल्द से जल्द हाई रिस्क प्रेगनेंसी स्पेशलिस्ट से संपर्क करना चाहिए।
3. जितना हो सके एक्टिव रहें
गर्भावस्था के दौरान एक्टिव रहने से शरीर को अच्छी तरह काम करने और पीठ और जोड़ों के दर्द से बचने में मदद मिलती है। आपकी मांसपेशियों को टोन करने और उन्हें प्रसव के लिए तैयार रखने में मदद के लिए योग जैसे हल्के व्यायाम करने की भी सलाह दी जाती है। सक्रिय रहने से आपके जेस्टेशनल डायबिटीज (गर्भावास्था के दौरान होने वाली डायबिटीज) का खतरा भी कम हो जाता है जो आपके प्लेसेंटा से रिलीज हार्मोन के कारण होता है जो इंसुलिन प्रतिरोध का कारण बनता है। इसके अलावा अगर आंशिक बेड रेस्ट के कारण कॉम्प्लिकेशन होते हैं, तो ऐसे में भी शरीर में होने वाले दर्द से बचने और मसल्स को टोन्ड रखने के लिए आप अपने डॉक्टर से योगा और पिलेट्स एक्सरसाइज के बारे में पूछें।
4. जितनी संभव हो मदद लें
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अपने रोजाना के कामों को करने में भी कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में अगर कोई आपकी मदद के लिए पूछे तो उसे जरूर हाँ कहें। उन सभी कामों की लिस्ट बनाएं जिन्हें आप दूसरों से करवा सकती हैं, जैसे खाना बनाना, मशीन में कपड़े लगाना, बर्तन धोना आदि। अगर आपकी माँ गर्भावस्था के दौरान आपकी देखभाल के लिए आई हैं, तो ये बहुत अच्छा है इससे आपको उनसे फिजीकली सपोर्ट के साथ इमोशनली सपोर्ट भी मिल सकेगा। यदि आप खर्च उठा सकें, तो कुछ महीनों के लिए एक मेड या नौकर रख लें, ताकि आप डिलीवरी के बाद भी अपने बच्चों के लिए ज्यादा समय मिल सके।
5. सपोर्ट ग्रुप ज्वॉइन करें
गर्भावस्था के समय महिलाओं को खुद को खुश और बच्चों से जुड़ी जानकारियों, परेशानियों को समझने के लिए। घर-पड़ोस की महिलाओं से बात करने के अलावा सोशल साइट्स पर भी कुछ सपोर्ट और एक्सपर्ट्स यानी पेरेंटिंग से संबंधित और गर्भवती महिलाओं के ग्रुप आदि को ज्वाइन कर लेना चाहिए। इससे आप गर्भावस्था, बच्चों की सेहत संंबंधी समस्याओं और निजात के बारे में खुलकर बात कर सकती हैं। इससे आपको अलग-अलग नजरियों को समझने में मदद मिलेगी।
6. करवट लेकर सोएं
20 सप्ताह की गर्भावस्था हो जाने पर महिला को करवट लेकर सोने की सलाह दी जाती है, लेकिन जुड़वां गर्भावस्था में ये समय 16 सप्ताह होता है। क्योंकि इस समय यूट्रस का आकार बढ़ने लगता है जिससे दिल की ओर रक्त प्रवाह ले जानी वाली नसें दबने लगती हैं। जिससे शरीर में कमजोरी और घबराहट महसूस होने लगती है। इसके साथ ही शरीर में पहले की तुलना में सूजन आने की शिकायत बढ़ जाती है। यही सही समय होता है कंप्रेशन स्टॉकिंग्स खरीदने और उपयोग करने का।
7. जुड़वां होने का मतलब यह नहीं कि आप दोगुना चिंता करें
आज भी कई कपल्स जुड़वां बच्चे होने की खबर मिलते ही स्ट्रेस में आ जाते हैं और उससे जुड़ी समस्याओं और कॉम्प्लिकेशन के बारे में ही हर वक्त पढ़ते और सोचते रहते हैं। आमतौर पर सभी जानते हैं कि जुड़वां गर्भावस्था में एकल गर्भावस्था की तुलना में थोड़े ज्यादा कॉम्प्लिकेशंस होते हैं, लेकिन उन्हें डॉक्टर स्पेशल केस की तरह देखते हैं और समय-समय पर गर्भवती महिला का हाई बीपी, डायबिटीज और ब्लड टेस्ट आदि करते रहते हैं जिससे प्रीटर्म डिलीवरी या अन्य स्थिति का सही से पता किया जा सके और उसके मुताबिक जरूरी सलाह दी जा सके।
8. अच्छे रिसोर्सेज की खोज करें
आप गर्भावस्था के दौरान जुड़वां गर्भावस्था से जुड़ी समस्याओं और जुड़वां बेबी पेरेंटिंग टिप्स के बारे में किताबों, ब्लॉग और बेबी वीडियो चैनेल्स देखकर जानकारी प्राप्त कर सकती हैं जिनमें लोगों ने अपने बचपन के दिनों को शेयर किया हुआ हो। सेल्फ-हेल्प की ऐसी पुस्तकें पढ़ें जो जुड़वां बच्चों की गर्भावस्था के लिए बहुत सारे सुझाव देती हैं। कई किताबें हैं जो गर्भावस्था के बारे में अच्छी सलाह देती हैं और आगे भी ट्विन्स के पालन-पोषण के बारे में गाइड करती हैं। आप इस तरह के ब्लॉग और वीडियो चैनल भी खोज सकती हैं।
9. एडवांस में तैयारी करके रखें
संख्या के तौर पर बात करें तो लगभग 60% मामलों में जुड़वां बच्चों का जन्म 37 सप्ताह से पहले ही हो जाता है। जटिलताओं के कारण लगभग 10% मामलों में जुड़वां बच्चे 32 सप्ताह से पहले जन्म लेते हैं। ऐसे में अपनी गोद भराई की रस्म जल्दी कर लें और 30 हफ्ते बीत जाने के बाद तैयारी कर लें। डिलीवरी बैग तैयार करने, परिवार के लोगों, दोस्तों, हॉस्पिटल और अन्य इमरजेंसी नंबर्स हमेशा अपने पास रखने के बारे में याद रखें।
10. प्रोफेशनल देखभाल
अगर आप चाहें तो गर्भवती महिला की देखभाल करने के लिए प्रशिक्षित प्रोफेशनल नर्स रख सकती हैं, बजाय इसके कि आप दाई/मिडवाइफ रखें। ट्रेन नर्स को ज्यादा बेहतर तरीके से पता होता है कि हाई रिस्क प्रेगनेंसी में कैसे आपका ध्यान रखना है। इसके अलावा यह भी फायदा होता है कि आप नर्स के जरिए अपने डॉक्टर से अपॉइंटमेंट ले सकती हैं। डॉक्टर के पास नियमित जाना आपके लिए अनिवार्य है। उनसे अपनी शारीरिक और मानसिक स्थिति के बारे में हर बात पर चर्चा करें और अपनी स्थिति के लिए विशिष्ट सलाह मांगें।
जुड़वां गर्भावस्था बिल्कुल भी स्ट्रेसफुल नहीं होनी चाहिए। आखिरकार, आपको एक नहीं, बल्कि दो बच्चे पाने का आशीर्वाद मिला है। आप बहुत ही भाग्यशाली हैं जो एक नहीं बल्कि दो बेबी को घर लाने वाली हैं। सुनिश्चित करें कि आप अपनी और बच्चों की अच्छी देखभाल करें और बेहतर सेहत बनाए रखें। आशावादी दृष्टिकोण और सावधानी के साथ, आप जुड़वां गर्भावस्था से स्वस्थ डिलीवरी की ओर बढ़ सकती हैं।
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