आनुवंशिकता एक महत्वपूर्ण फैक्टर है जो आपके बच्चे की बुद्धि को प्रभावित करता है। हालांकि, गर्भ में बढ़ते बच्चे के लिए आसपास का माहौल भी उतना ही महत्वपूर्ण कारक होता है जिसका बच्चे की बुद्धि पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ता है। गर्भवती महिला का खानपान, फिटनेस और मानसिक स्वास्थ्य बच्चे के मस्तिष्क के विकास को प्रभावित कर सकता है।
एक माँ बनने वाली महिला अपने बच्चे के आईक्यू को बढ़ाने के लिए ऐसी कई चीजें प्रेगनेंसी के दौरान कर सकती है जिससे वह तेज और बुद्धिमान पैदा हो।
गर्भवती होने के दौरान महिलाओं को आमतौर पर हेल्दी डाइट लेनी चाहिए, जिसमें मौसमी फल और सब्जियां खासकर शामिल हों क्योंकि ये भ्रूण के स्वस्थ विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। गर्भ में पल रहे बच्चे के मस्तिष्क को विकास के लिए ओमेगा-3 फैटी एसिड की भी जरूरत होती है। इसलिए, अपने मील में ओमेगा -3 फैटी एसिड वाली चीजों को जरूर शामिल करें, जैसे मछली, अखरोट, बीन्स, पत्तेदार सब्जियां, सरसों का तेल, घी, अलसी, चिया सीड्स।
गर्भावस्था के दौरान फिट और एक्टिव रहने से न केवल महिलाओं को डिलीवरी के समय फायदा होता है बल्कि बच्चे में भी एक स्मार्ट ब्रेन डेवलप करने में भी मदद मिलती है। एक्सरसाइज करने से शरीर में एंडोर्फिन नामक केमिकल रिलीज होता है, जो एक फील-गुड केमिकल कहलाता है। जो बच्चे के दिमाग के विकास में मदद करता है। इसके अलावा रोजाना एक्सरसाइज करने से शरीर में कोर्टिसोल नाम के हॉर्मोन का भी स्राव होता है। कोर्टिसोल हॉर्मोन बच्चे के मस्तिष्क के विकास को बढ़ाता है, क्योंकि एक्सरसाइज करने से शरीर के अन्य हिस्सों के अलावा गर्भ में भी ब्लड फ्लों को बढ़ाने में मदद मिलती है और यह बच्चे के स्वस्थ विकास के लिए एक अच्छा संकेत माना जाता है।
अंडे में कोलीन नामक विटामिन भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन परिवार का ही एक महत्वपूर्ण विटामिन होता है। ऐसा माना जाता है कि प्रेग्नेंट महिलाओं को कोलीन युक्त भोजन का सेवन करने से बच्चे के दिमाग और याददाश्त पर पॉजिटिव प्रभाव पड़ता है।
आयोडीन एक बहुत ही अहम मिनरल माना जाता है जिससे थायरॉयड ग्लैंड यानि गले संबंधी सभी कार्यों को सुचारू रूप से चलाने मे मदद मिलती है। जिन महिलाओं के शरीर में थायरॉयड हॉर्मोन का स्तर कम होता है उनके जन्म लेने वाले बच्चों में निम्न स्तर का आईक्यू होने की संभावना अधिक पाई जाती है, इसलिए गर्भवती महिलाओं के लिए यह जरूरी है कि वे अपनी डाइट में आयोडीन को शामिल करें। दही, दूध और नमक में आयोडीन पाया जाता है।
प्रेग्नेंसी के समय महिलाएं अपनी डाइट में फोलेट को जरूर शामिल करें। फोलिक एसिड या फोलेट, अपने प्राकृतिक रूप में, विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन फैमिली से संबंध रखता है और भ्रूण के मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के समुचित विकास के लिए बहुत जरूरी होता है। कुछ स्टडी से पता चला है कि जिन महिलाओं ने प्रेग्नेंसी से कम से कम 2 सप्ताह पहले फोलिक एसिड की दवा लेनी शुरू कर दी थी और गर्भावस्था के 8 वें सप्ताह तक उसे लेना जारी रखा था, उनके ऑटिज्म और न्यूरल ट्यूब संबंधी बीमारी वाले बच्चे को जन्म देने की संभावना बहुत कम हो जाती है। फोलिक एसिड हरे पत्तेदार सब्जियों, दाल, नट्स और एवाकाडो में पाया जाता है।
विटामिन डी बच्चे की हड्डियों और दिल को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाता है। कई बिना पब्लिश स्टडी के मुताबिक, जिन प्रेग्नेंट महिलाओं में विटामिन डी की कमी पाई जाती है, उनके गर्भ में पल रहे है बच्चे में ऑटिज्म की बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में अगर आपको विटामिन डी की कमी है, तो रोजाना कुछ देर हाथ और पैरों को ढके बिना धूप में जरूर बैठें ।
शराब, तंबाकू, ड्रग्स और कैफीन जैसे नशीले पदार्थों के सेवन से गर्भ में पल रहे बच्चे में गंभीर विकास संबंधी विकार उत्पन्न हो सकते हैं। वे बेबी के मस्तिष्क के विकास को भी प्रभावित करने के साथ ही मां के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डालते हैं, इसलिए ऐसे हानिकारक नशीले पदार्थों के संपर्क में आने से बचना चाहिए।
आमतौर पर बच्चा प्रेग्नेंसी के बीस – पच्चीस हफ्तों में अपने सुनने की शक्ति को विकसित कर लेता है। अगर आप पाँचवें महीने में हैं तो आपकी आवाज को सुनकर बच्चा रिएक्ट जरूर करेगा। ऐसे में यदि बच्चा माँ की आवाज को दूसरों से अलग करने लगे, तो माँ को बच्चे से बात करनी और कुछ गीत आदि सुनाने चाहिए, इससे उसके दिमाग को तेजी से विकसित होने में मदद मिल सके।
कई स्टडीज से पता चलता है कि बच्चा गर्भ में स्पर्श यानी टच की अनुभूति को महसूस कर सकता है। ऐसे में अगर आप रोजाना कुछ देर अपने पेट की हल्के हाथों से मालिश करें या उसे रगड़ें तो इससे बच्चे के मस्तिष्क को उत्तेजित करने में मदद मिल सकती है और बच्चे को बढ़ी हुई उत्तेजना का जवाब देने में मदद मिलती है। तनाव यानी स्ट्रेस बच्चे के मस्तिष्क के विकास को नुकसान पहुंचा सकता है और कुछ रिसर्च के अनुसार, समय से पहले डिलीवरी भी हो सकती है। बच्चा जितना अधिक समय तक गर्भ में रहता है, उसके मस्तिष्क के विकास के लिए उतना ही अधिक समय मिलता है। इसलिए माँ बनने वाली महिलाओं के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह तनाव से बचें और गर्भावस्था के दौरान शांत रहें।
सीसा, कैडमियम, लेड, पॉलीक्लोरिनेटेड बाई फिनाइल (पीसीबी) और कीटनाशकों जैसे जहरीले पदार्थों के संपर्क में आने से भ्रूण में गंभीर विकास संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। ऐसे में बासी, दूषित और जहरीले चीजों वाले भोजन या पानी का सेवन करने से बचना चाहिए। इससे बच्चे या भ्रूण के विकासशील मस्तिष्क को भी नुकसान पहुंच सकता है। जर्मन खसरा और टॉक्सोप्लाज्मोसिस जैसे इंफेक्शन, जो बिल्ली के मल में पाए जाने वाले एक माइक्रोबियल परजीवी के कारण होता है, विकासशील बच्चे के मस्तिष्क को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए, गर्भवती महिलाओं को बिल्लियों और ऐसे बीमार बच्चों या लोगों से दूर रहना चाहिए जिन्हें संक्रामक रोग हुआ हो।
एक शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत और हेल्दी बच्चे के लिए गर्भवती महिलाओं को स्वस्थ आहार का सेवन, डिलीवरी से पहले जरूरी विटामिन लेना, हानिकारक पदार्थों से बचना और तनाव से दूर रहना बहुत जरूरी है। गर्भावस्था के दौरान इस लेख में दिए गए सुझावों का पालन करने से एक इंटेलिजेंट और स्मार्ट बच्चा होने की संभावना बढ़ जाती है।
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