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गर्भवती होना हर महिला के लिए आसान नहीं होता है। जहां कुछ महिलाएं बिना किसी मुश्किलों के स्वाभाविक रूप से प्रेग्नेंट हो जाती हैं, वहीं कुछ महिलाओं के लिए गर्भधारण करना किसी सपने से कम नहीं होता है। ऐसे में वो महिलाएं उन तमाम प्रक्रियाओं से गुजरने के लिए तैयार हो जाती हैं जो उनकी गर्भावस्था को संभव बना सकें और ऐसे ही एक प्रक्रिया है आईवीएफ या इन विट्रो फर्टिलाइजेशन। हालांकि, आईवीएफ में स्वाभाविक गर्भावस्था में होने वाले गर्भपात की तुलना में अधिक गर्भपात का खतरा रहता है। यदि आपने गर्भधारण के लिए आईवीएफ उपचार चुना है, तो यह जानने के लिए इस आर्टिकल को आगे पढ़ें कि आईवीएफ के बाद मिसकैरेज कैसे हो सकता है और इसकी संभावना को कैसे कम करें।
आईवीएफ से गुजरने वाली महिलाओं में गर्भपात होने के कुछ मुख्य कारणों के बारे में यहां बताया गया है:
जो महिलाएं प्रेग्नेंट होने के लिए आईवीएफ ट्रीटमेंट चुनती हैं, हो सकता है वो किसी प्रकार की मेडिकल समस्याएं से ग्रसित हों, जिसके कारण उनका मिसकैरेज हो जाता है।
ऐसा देखा गया है कि जो महिलाएं आईवीएफ करवाने के बारे में सोचती हैं, वह प्राकृतिक तरीके से गर्भधारण करने वाली महिलाओं की तुलना में अधिक उम्र की होती हैं। जिन महिलाओं की उम्र अधिक होती है उनमें गर्भपात होने की संभावना भी अधिक होती है। 35 से 45 साल की महिलाओं में गर्भपात की संभावना 20 से 35 प्रतिशत होती है और 45 साल पार करने वाली महिलाओं में यह बढ़कर 50 प्रतिशत हो जाती है।
एक स्टडी के अनुसार, जो महिलाएं अलग-अलग फर्टिलिटी प्रक्रियाओं से गुजरते हुए हाई ओवेरियन स्टिम्युलेशन से गुजरती हैं, उनमें गर्भपात होने की संभावना अधिक होती है।
स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाली आदतें जैसे धूम्रपान, शराब पीना और अधिक कैफीन का सेवन करना गर्भपात के जोखिम को बढ़ाता है।
कई प्रकार के इंफेक्शन से लड़ने के लिए हमारे शरीर में नेचुरल किलर सेल्स मौजूद होते हैं। एक थ्योरी में बताया गया है कि गर्भाशय की परत में ये कोशिकाएं आपके भ्रूण को नुकसान पहुंचा सकती हैं और यहां तक कि इनसे गर्भपात भी हो सकता है।
आईवीएफ के बाद गर्भपात होने के लक्षण वही होते हैं जो स्वाभाविक तरीके से गर्भवती हुई महिलाओं को गर्भपात के समय में दिखाई देते हैं। इन संकेतों और लक्षणों के बारे में जानना होने वाली मां को तुरंत सही मेडिकल मदद लेने में कारगर हो सकता है।
यहां कुछ तरीके दिए गए हैं जो आईवीएफ के बाद गर्भपात के जोखिम को कम करने में आपकी मदद करते हैं:
आपको अपनी गर्भावस्था को सपोर्ट करने के लिए प्रोजेस्टेरोन की एक नियमित खुराक लेने की जरूरत होती है, जो गोलियों, जेल, इंजेक्शन या पेसरी के रूप में उपलब्ध है। हालांकि, यह देखा गया है कि प्रोजेस्टेरोन को योनि द्वारा लेने से यह न केवल बेहतर तरीके से घुल जाता है, बल्कि यह मतली को भी रोकता है, जो आमतौर पर अन्य तरीकों से ट्रिगर हो जाती है और इस प्रकार यह गर्भपात की संभावना को कम करता है। तो ऐसे में प्रोजेस्टेरोन डोज के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें।
कुछ स्टडीज ने खून में टीएसएच के असामान्य स्तर और गर्भपात और गर्भाधान से जुड़ी अन्य समस्याओं के बीच संबंध बताया है। इसलिए, इस बात का ध्यान रखें कि आप आईवीएफ का विकल्प चुनने से पहले अपने टीएसएच लेवल की जांच करा लें।
आईवीएफ का विकल्प चुनने से पहले, यह सलाह दी जाती है कि आप हिस्टेरोस्कोपी जरूर करवाएं। ऐसा इसलिए है क्योंकि गर्भाशय की कई समस्याएं आपके गर्भधारण की संभावनाओं को प्रभावित करती हैं। इस प्रकार, हिस्टेरोस्कोपी करवाने से गर्भपात का खतरा भी कम हो जाता है और गर्भधारण की संभावना में सुधार आता है।
यह बेहद अहम है कि आप खून की किसी भी समस्या की जांच के लिए ब्लड टेस्ट करवाएं। ब्लड क्लॉट और गाढ़ा खून जैसी खून की समस्याएं भ्रूण तक उचित प्रवाह में बाधा डालते हैं और गर्भपात की संभावना को बढ़ा देते हैं। सही दवा आपको ब्लड से जुड़ी कई बीमारियों से निपटने में मदद करती है।
ऐसी सलाह दी जाती है कि आईवीएफ उपचार की योजना बनाने से पहले आप अपनी लाइफस्टाइल का ध्यान रखें। यदि आपका वजन अधिक है तो इसे कम करने, धूम्रपान और शराब पीने से परहेज करने और बिना प्रिस्क्रिप्शन वाली दवा खाने से बचने से गर्भपात की संभावना को कम करने में मदद मिलेगी।
यह बेहद जरूरी है कि आप आईवीएफ के बाद अपनी दवाएं नियमित रूप से लें और एक भी खुराक लेने से न चूकें। कुछ मामलों में, एक भी खुराक मिस करने से गर्भपात हो सकता है। सभी दवाओं के सेवन और उनके उचित समय के बारे में अपने डॉक्टर से स्पष्ट रूप से जानकारी जरूर लें।
एसटीडी, टोक्सोप्लाज्मोसिस, लिस्टेरिया और इस तरह के अन्य इंफेक्शन से गर्भपात होने की संभावना बढ़ जाती है। एमएमआर शॉट लेने से आपको कई तरह के संक्रमणों से लड़ने में मदद मिलती है। अगर आपने एमएमआर शॉट नहीं लिया है तो अपने डॉक्टर से इस बारे में बात करें।
कभी-कभी फर्टिलिटी ट्रीटमेंट आपके सर्विक्स (गर्भाशय ग्रीवा) पर भारी पड़ता है और इस प्रकार गर्भावस्था के शुरुआती समय के दौरान इसके खुलने की संभावना अधिक हो जाती है, जिसके कारण मिसकैरेज होता है। सर्वाइकल स्टिच आपके गर्भपात की संभावना को कम करने में मदद करता है। आप सर्वाइकल स्टिच करवाने के बारे में अपने डॉक्टर से बात कर सकती हैं और अगर आपको पहले किसी अन्य सर्वाइकल समस्याओं का अनुभव हुआ है, तो इसे भी डॉक्टर के ध्यान में जरूर लाएं।
आप गर्भवती होने के लिए डोनर एग का उपयोग करने के लिए निराश महसूस कर सकती हैं लेकिन यदि आप गर्भवती होना चाहती हैं और अधिक उम्र की हैं, तो आपको डोनर एग का उपयोग करना पड़ता है। यदि आप 42 साल या उससे अधिक उम्र की हैं, तो गर्भपात की दर 50 प्रतिशत तक बढ़ जाती है, आपका अपने अंडे के साथ लाइव बर्थ रेट केवल 10-15 प्रतिशत होता है और बच्चे को क्रोमोसोम से जुड़ी असामान्यताएं होने का अधिक जोखिम रहता है। इन तीनों समस्याओं का डोनर एग अच्छे से खयाल रखता है।
आईवीएफ प्रक्रिया के बाद गर्भपात एक महिला के लिए काफी दर्दनाक स्थिति होती है। यह न केवल उसे शारीरिक रूप से थका देता है, बल्कि यह उसे भावनात्मक रूप से भी प्रभावित करता है। हालांकि, हमेशा अगला प्रयास जरूर होता है। इसलिए, जैसे ही आप अपने पिछले अनुभव से शारीरिक और मानसिक रूप से ठीक हो जाएं, तो आप फिर से प्रयास कर सकती हैं।
आईवीएफ उन महिलाओं के लिए गर्भवती होने का एक बेहतरीन तरीका है जो किसी अन्य तरीके से गर्भधारण नहीं कर सकती हैं। इस प्रक्रिया के बारे में अपने डॉक्टर से विस्तार से बात करें और उनके अनुसार प्रक्रिया की तैयारी करें।
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