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बच्चे को जन्म देना एक महिला के जीवन के सबसे खूबसूरत क्षणों में से एक माना जाता है। सभी माएं अपने बच्चों को प्राकृतिक और सबसे सामान्य तरीके से ही जन्म देना चाहती हैं, लेकिन ऐसा हमेशा नहीं हो पाता है। अगर प्रेगनेंसी के समय होने वाली माँ को कुछ कॉम्पलिकेशन का सामना करना पड़ता है, तो ऐसे में सिजेरियन डिलीवरी करनी पड़ सकती है। कुछ मेडिकल कारण जो नवजात बच्चे और माँ को सुरक्षित रखने के लिए होते हैं, उन मामलों में भी डॉक्टर आपको सी-सेक्शन कराने की सलाह दे सकते हैं।
सिजेरियन डिलीवरी, जिसे सी-सेक्शन भी कहा जाता है, एक सर्जिकल प्रक्रिया होती है जिसमें महिला के पेट पर या तो मिडलाइन यानी बीच में या ट्रांसवर्स यानी तिरछा कट चीरा लगाया जाता है। इसलिए, यूट्रस को खोलने और बच्चे तक पहुंचने की पूरी प्रक्रिया को सिजेरियन डिलीवरी कहा जाता है। आमतौर पर सिजेरियन डिलीवरी की योजना डॉक्टर या तो पहले से ही बना लेते हैं या फिर डिलीवरी के दौरान बहुत ज्यादा समस्या और जटिलताएं बढ़ने पर इसे सुरक्षित विकल्प के रूप में चुनते हैं।
कुछ मामलों में, माँ या डॉक्टर पहले से ही नॉर्मल वेजाइनल डिलीवरी की जगह सिजेरियन डिलीवरी करवाने का फैसला ले सकते हैं। प्लांड यानी पहले से तय किया गया या नियोजित सी-सेक्शन आमतौर पर गर्भावस्था के प्रकार, किसी मेडिकल समस्या की उपस्थिति या माँ की मेडिकल हिस्ट्री पर निर्भर करता है।
अगर गर्भ में जुड़वां या तीन बच्चे होते हैं, तो उनकी नाल के आपस में उलझने की बहुत ज्यादा संभावना होती है, इसलिए ऐसे मामलों में, डॉक्टर डिलीवरी की पूरी प्रक्रिया के समय सभी बच्चों और माँ को सुरक्षित रखने के लिए सिजेरियन डिलीवरी करवाने की सलाह दे सकते हैं।
अगर यह देखा जाता है कि गर्भ में मौजूद बच्चा बहुत धीमी गति से बढ़ रहा है या उसका विकास पूरी तरह से बंद हो गया है, तो इन दोनों ही स्थितियों में बच्चे को समय से पहले ही गर्भ से बाहर निकालना आवश्यक हो जाता है। ऐसा करने के लिए सिजेरियन डिलीवरी एक आदर्श तरीका बन जाता है।
माँ बनने जा रही कुछ महिलाओं में पहले से ही कोई मेडिकल समस्या होती है, जैसे हाई बीपी या जेस्टेशनल डायबिटीज होने की वजह से वेजाइनल डिलीवरी होने से शरीर पर बुरा असर पड़ सकता है और अगर माँ इन समस्याओं से पीड़ित है तो ऐसे में सिजेरियन डिलीवरी करना ही एक बेहतर विकल्प होता है।
डिलीवरी की शुरुआती स्टेज पर पेट में होने वाले संकुचन को देखकर डॉक्टर यह जान सकते हैं कि आपका सर्विक्स उतना नहीं खुल पा रहा है जितना उसे खुलना चाहिए, जिससे बच्चे को बर्थ कैनाल से बाहर निकलने में समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए डॉक्टर को सामान्य डिलीवरी की जगह सिजेरियन डिलीवरी करनी पड़ सकती है।
जननांग में घाव होने पर या माँ को एचआईवी होने पर बच्चे की बर्थ कैनाल के जरिए डिलीवरी करवाना, उसके लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है, क्योंकि इससे वह उन सभी घातक वायरस के संपर्क में आ सकता है। ऐसे में सिजेरियन करना ही सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है।
कुछ महिलाएं, खासकर जिन्हें डायबिटीज होता है, उनके बच्चे का बड़ा आकार वेजाइनल डिलीवरी को बहुत चुनौतीपूर्ण बना सकता है, जिससे माँ के लिए वजाइना से बच्चे को धक्का देना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में सिजेरियन डिलीवरी ही महिला के लिए न केवल आसान होती है बल्कि सुरक्षित भी होती है।
किसी भी महिला को अपने बच्चे को जन्म देने के बारे में सोचकर ही एक अजीब सा डर महसूस हो सकता है। ऐसा आमतौर पर तब होता है, जब उसने पहले किसी मिसकैरेज में अपने बच्चे को खो दिया हो। ऐसे में माँ को शांत करने के लिए सिजेरियन डिलीवरी करवाने की सलाह दी जाती है।
अगर किसी महिला की पिछली डिलीवरी सी-सेक्शन के जरिए से हुई है, तो ऐसे में वेजाइनल डिलीवरी का विकल्प चुनने से माँ का यूट्रस फट सकता है या अन्य कई तरह के कॉम्प्लिकेशन उत्पन्न हो सकते हैं। इस स्थिति में सिजेरियन डिलीवरी करवाना ही सबसे सुरक्षित तरीका माना जाएगा।
कुछ मामले ऐसे हैं जो सी-सेक्शन करने के सबसे जरूरी कारण माने जाते हैं, इसके अलावा बच्चे और माँ को सुरक्षित रखने और इमरजेंसी की स्थिति में भी डॉक्टर को सी-सेक्शन बर्थ करवाना पड़ सकता है ।
अगर सामान्य डिलीवरी के समय सर्विक्स अपना पूरा फैलाव नहीं कर पाता है, तो इस स्थिति में डॉक्टर तुरंत सी-सेक्शन करते हैं।
पेल्विक अनुपात, जिसे सीपीडी के रूप में भी जाना जाता है, इसमें अगर पेल्विस का आकार बच्चे के सिर से छोटा होता है, तो ऐसे में बच्चा बर्थ कैनाल में फंस जाता है। जिसके कारण बच्चे के जन्म के लिए सिजेरियन की जरूरत पड़ती है।
अगर बच्चे की दिल की धड़कन कम है या उसके मस्तिष्क में तरल पदार्थ भरा हुआ है, तो ऐसे में बच्चे को वजाइना से बाहर निकालना सुरक्षित नहीं होगा, इसलिए ऐसी स्थिति में इमरजेंसी सी-सेक्शन डिलीवरी की जाती है।
अगर डिलीवरी के दौरान अचानक से यूट्रस फट जाता है, तो ऐसी स्थिति में तुरंत सिजेरियन डिलीवरी की सलाह दी जाती है, क्योंकि ऐसा न करने पर यूट्रस से बच्चे का दम घुट सकता है और यह घातक साबित हो सकता है।
प्री-एक्लेमप्सिया यानी जब माँ का बीपी बढ़ जाता है, तो इससे बच्चे को डिलीवरी के दौरान जरूरी रक्त और ऑक्सीजन की सप्लाई रुक जाती है। तो, ऐसे में डॉक्टर सिजेरियन करने का विकल्प चुनता हैं।
बहुत ही दुर्लभ मामलों में, प्लेसेंटल अब्रप्शन हो सकता है यानी प्लेसेंटा यूट्रस की लेयर से अलग हो जाता है, जिससे इंटरनल ब्लीडिंग (आंतरिक रक्तस्राव) शुरू हो जाता है और बच्चे को मिलने वाली ऑक्सीजन बंद हो जाती है, जिससे डॉक्टर को सिजेरियन करना जरूरी हो जाता है।
अगर प्लेसेंटा डिलीवरी के समय ऊपर उठने में विफल रहता है और सर्विक्स को ढक कर रखता है, तो आमतौर पर ऐसी जटिलता से बचने के लिए सिजेरियन डिलीवरी करवाने की सलाह दी जाती है।
अगर बच्चे की गर्भनाल, बच्चे से पहले सर्विक्स में पहुंच जाती है तो इससे उसका बाहर निकलने का रास्ता बंद हो सकता है या इससे बच्चे का गला भी घुट सकता है। जैसे ही डॉक्टर को इस स्थिति का पता चलता है, तो वह तुरंत सिजेरियन का ऑप्शन चुनेंगे।
कभी-कभी, बच्चा गर्भ में मेकोनियम यानी मलत्याग कर सकता है, जिससे इसके दूषित होने और बच्चे के इसे निगलने का खतरा बढ़ सकता है। ऐसे में उसकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए तुरंत ही सिजेरियन करना जरूरी होता है।
जन्म के समय बच्चा एक ही पोजीशन में नहीं रहता है और लगातार इधर-उधर घूमता रहता है। पॉलिहाइड्रेमनियोस के मामलों में डॉक्टर सिर्फ सी-सेक्शन डिलीवरी की सलाह दे सकते हैं।
अगर बच्चा ब्रीच पोजीशन में है या बगल में भी है, तो वह सही तरीके से वजाइना से बाहर नहीं आ पाएगा। ऐसे में सी-सेक्शन करवाना आपके लिए सबसे अच्छा ऑप्शन रहेगा।
डिलीवरी के समय माँ के शरीर से बहुत तेजी से खून बहना घातक साबित हो सकता है, जिसकी वजह से ऐसे में डॉक्टर सी-सेक्शन करने का ही विकल्प चुनते हैं।
डिलीवरी के समय बर्थ कैनाल में फाइब्रॉएड का मौजूद होना या पेल्विस के फ्रैक्चर होने से बच्चे के बाहर निकलने वाला रास्ता बंद हो सकता है। ऐसे मामले में, उसे बाहर निकालने के लिए सिजेरियन करना ही एकमात्र तरीका होता है।
अपनी इच्छा से सिजेरियन या सी-सेक्शन के कराने से लेकर कई मेडिकल कॉम्प्लिकेशंस के तहत या मेडिकल हिस्ट्री के कारण डॉक्टर सी सेक्शन करने का फैसला ले सकते हैं। चाहे इनमें से कोई भी कारण हो, अपने डॉक्टर की सलाह पर ही कायम रहना और सिजेरियन के लिए सहमत होना सबसे बेहतर निर्णय है, खासकर अगर वेजाइनल डिलीवरी के समय जटिलताएं होने की संभावना हो।
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