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गर्भावस्था वह समय है जब एक महिला गर्भधारण करती है और इस समय बच्चा फीटस के रूप में उनके शरीर के अंदर विकसित होता है। यह पूरी अवधि लगभग 37 से 40 सप्ताह तक रहती है और इसे 12 सप्ताह के तीन ट्राइमेस्टर में विभाजित किया जाता है। मेनोपॉज महिला की फर्टिलिटी क्षमता के अंत का संकेत देता है। महिला की ओव्यूलेशन प्रक्रिया बंद हो जाती है और पीरियड आने बंद हो जाते हैं और महिला की फर्टिलिटी क्षमता खत्म हो जाती है।
प्रेगनेंसी और मेनोपॉज के कई लक्षण एक जैसे होते हैं। आजकल महिलाएं थोड़ा लेट प्रेगनेंट होना पसंद करती हैं, इसलिए महिलाओं के लिए यह पता करना मुश्किल हो सकता है कि उनके शुरुआती लक्षण प्रेगनेंसी की वजह से हैं या मेनोपॉज की वजह से है। इस आर्टिकल में आपको दोनों के बीच समानता और अंतर के बारें में बताया गया है।
गर्भावस्था के दौरान, शरीर बहुत सारे शारीरिक और हार्मोनल परिवर्तनों से गुजरता है जो अलग-अलग लक्षणों का कारण बनते हैं। इसी तरह मेनोपॉज भी शरीर में बदलाव का कारण बनता है। ज्यादातर महिलाओं को मेनोपॉज का अनुभव 40 से 50 की उम्र के बीच होता है। इससे पहले, वे पेरिमेनोपॉज से गुजरती हैं, जो वास्तविक मेनोपॉज से पहले लक्षणों की शुरुआत है। पेरिमेनोपॉज 40 की उम्र से शुरू हो सकता है और 2 से 8 साल के बीच कहीं भी रह सकता है।
यहां ऐसे लक्षण दिए गए हैं जो गर्भावस्था और मेनोपॉज दोनों के लिए सामान्य हैं:
गर्भवती महिला और पेरिमेनोपॉज से गुजर रही महिला, दोनों को अपने पीरियड साइकिल में बदलाव का अनुभव होगा। पीरियड्स का मिस होना आमतौर पर प्रेग्नेंसी का संकेत होता है, जबकि इर्रेगुलर पीरियड्स मेनोपॉज की शुरुआत का भी संकेत होता है। इर्रेगुलर पीरियड्स, ब्लड फ्लो में बदलाव और कम या ज्यादा पीरियड्स होना इसके लक्षण में शामिल है।
हार्मोन में उतार चढ़ाव से पेरिमेनोपॉज और गर्भावस्था दोनों में मूड स्विंग्स हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान, हार्मोनल चेंज आपको बहुत इमोशनल और अशांत महसूस करा सकते हैं। पेरिमेनोपॉज के दौरान, महिलाएं चिड़चिड़ी या उदास हो जाती हैं।
पेरिमेनोपॉज और प्रेगनेंसी दोनों के दौरान महिलाओं को सिरदर्द होता है। मेनोपॉज में एस्ट्रोजन की कमी से सिरदर्द होता है। हार्मोन एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन और एचसीजी (ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन) के बढ़ते लेवल से गर्भावस्था के दौरान सिरदर्द होता है।
गर्भावस्था और मेनोपॉज दोनों के कारण शरीर के वजन में बदलाव आता है। प्रेगनेंसी में महिला का वजन धीरे-धीरे बढ़ता है, जैसे-जैसे बच्चा बढ़ता है। मेनोपॉज के दौरान, हार्मोनल चेंज की वजह से पेट के आसपास वजन बढ़ता है। मेनोपॉज के दौरान मेटाबोलिज्म काफी स्लो हो जाता है जिससे महिलाओं के लिए स्वस्थ वजन बनाए रखना मुश्किल हो जाता है।
कामेच्छा में परिवर्तन गर्भावस्था और मेनोपॉज दोनों में आम है। हालांकि, मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में कामेच्छा कम होने की संभावना अधिक होती है, जबकि गर्भावस्था के दौरान उनकी सेक्स ड्राइव बढ़ या घट सकती है।
शुरूआती गर्भावस्था में हार्मोनल चेंज से ऐंठन और सूजन हो सकती है। इसी तरह मेनोपॉज के दौरान भी सूजन और ऐंठन होती है। मेनोपॉज के दौरान क्रैम्प महसूस होना एक संकेत हो सकता है कि आपके पीरियड शुरू होने वाला है।
गर्मी लगना और रात को पसीना आना मेनोपॉज के सामान्य लक्षण में से एक हैं। हालांकि, गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में भी महिलाओं को रात को पसीना और गर्मी लग सकती है। गर्मी लगने से महिलाओं को अधिक पसीना निकलता है साथ ही चेहरे पर रेडनेस आने लगती है।
गर्भावस्था में खून की मात्रा बढ़ने से किडनी पर दबाव पड़ता है क्योंकि उन्हें अधिक मात्रा में तरल पदार्थों को संसाधित करना पड़ता है। इससे ज्यादातर महिलाओं में पेशाब करने की इच्छा बढ़ जाती है और हो सकता है कि आप खुद को बार-बार शौच के लिए जाते हुए पाएं! साथ ही, बढ़ता हुआ गर्भाशय ब्लैडर पर दबाव डालता है, जिससे शुरूआती गर्भावस्था में आपको बार बार पेशाब आने का अनुभव होता है। मेनोपॉज के दौरान मांसपेशियों और टिश्यू की कमी भी थोड़ी थोड़ी देर में पेशाब लगने का कारण बनती है।
गर्भावस्था में प्रोजेस्टेरोन का हाई लेवल थकान का कारण बनता है जिससे महिलाओं को नींद आने लगती है। पेरिमेनोपॉज में महिलाओं को रात में सोने और सोने में परेशानी होती है। इससे नींद की कमी और थकान होने लगती है।
हालांकि, गर्भावस्था और मेनोपॉज के लक्षण एक जैसे हैं, लेकिन प्रेगनेंसी के कुछ जरूरी लक्षण से आप अपनी खुद की कंडीशन को आसानी से समझ पाएंगी।
गर्भावस्था में मतली और उल्टी होना मॉर्निंग सिकनेस कहलाती है। यह प्रेगनेंसी हार्मोन एचसीजी के बढ़ते लेवल के कारण होता है। जो पहली तिमाही के दौरान ज्यादा नोटिस किया जाता है। हालांकि इसे ‘मॉर्निंग सिकनेस’ कहा जाता है, लेकिन दिन या रात में किसी भी समय आपको मतली और उल्टी महसूस हो सकती है। गर्भावस्था के तीसरे महीने के बाद मॉर्निंग सिकनेस आमतौर पर कम हो जाती है।
शुरूआती प्रेगनेंसी में हार्मोनल चेंजेस ब्रेस्ट को बहुत सेंसिटिव और पीड़ादायक बनाते हैं। यह समस्या तब कम हो जाती है, जब शरीर हार्मोनल चेंजेस अनुकूल हो जाता है।
गर्भावस्था के दौरान प्रोजेस्टेरोन के लेवल में वृद्धि पूरे शरीर की मांसपेशियों को आराम देती है। यह पाचन तंत्र को धीमा कर देता है जिससे आपको कब्ज की शिकायत होने लगती है।
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को फूड क्रेविंग और खाने से परहेज दोनों का खयाल रखना होता है। यह प्रेगनेंसी हार्मोन एचसीजी के हाई लेवल के कारण होता है।
पेरिमेनोपॉज के दौरान शरीर में एस्ट्रोजन लेवल में कमी हड्डियों की डेंसिटी कम करने का कारण बनती है। इससे ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा होता है, यह एक मेडिकल कंडीशन है जिसमें टिश्यू के नुकसान से हड्डियां नाजुक और कमजोर हो जाती हैं। हड्डियों को कमजोर होने रोकने के लिए 40 की उम्र की सभी महिलाओं को कैल्शियम और विटामिन डी की खुराक लेने की सलाह दी जाती है।
एस्ट्रोजन का लेवल कम होने से भी योनि की लोच और चिकनाई में कमी आती है। इससे संभोग के बाद ब्लीडिंग हो सकती है और इस प्रक्रिया के दौरान आपको काफी असहज महसूस हो सकता है।
मेनोपॉज, महिला फर्टिलिटी की क्षमता के अंत का संकेत देती है। मेनोपॉज के करीब आने वाली महिलाएं नियमित रूप से ओवुलेट करना बंद कर देती हैं और उनके गर्भवती होने की संभावना कम होती है। हालांकि, पीरियड वाली महिलाएं अभी भी गर्भवती हो सकती हैं।
कम एस्ट्रोजन का लेवल एलडीएल कोलेस्ट्रॉल (कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन) के बढ़ने का कारण बनता है, जिसे खराब कोलेस्ट्रॉल भी कहा जाता है। इससे हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
एक डॉक्टर द्वारा ही प्रेगनेंसी और मेनोपॉज दोनों का सही निदान और पुष्टि की जा सकती है। यदि आप 40 की उम्र की हैं और गर्भावस्था या मेनोपॉज के कारण होने वाले लक्षणों का अनुभव कर रही हैं, तो आप इसका सही निदान करने के लिए इन चरणों का पालन कर सकती हैं:
यदि आपको संदेह है कि यह मेनोपॉज या गर्भावस्था है जो आपके लक्षणों का कारण बन रही है, तो इसकी पुष्टि के लिए घर पर प्रेगनेंसी टेस्ट करें। अपने डॉक्टर से रिजल्ट जरूर कंफर्म करें, ताकि आपको पता चल सके कि होम प्रेगनेंसी टेस्ट का रिजल्ट पॉजिटिव और नेगेटिव गलत तो नहीं दिया है। डॉक्टर खून या यूरीन टेस्ट और अल्ट्रासाउंड स्कैन के साथ आपकी प्रेगनेंसी कंफर्म करेंगे। अल्ट्रासाउंड स्कैन वह तरीका है जिसका उपयोग अधिकांश डॉक्टर प्रेगनेंसी कंफर्म करने के लिए करते हैं।
यदि आपको नहीं पता कि आपके लक्षण गर्भावस्था या मेनोपॉज के कारण हैं, तो अपने डॉक्टर से सलाह लें। यह पुष्टि खून और यूरीन टेस्ट के माध्यम से की जाती है ताकि यह गर्भावस्था नहीं है इसकी पुष्टि किया जा सके। एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के लेवल को कंफर्म करने के लिए डॉक्टर ब्लड टेस्ट भी करेंगे। वह मेनोपॉज का निदान करने के लिए पीरियड साइकिल में बदलाव सहित एक महिला द्वारा अनुभव किए जाने वाले सभी लक्षणों पर भी विचार करेंगे।
मेनोपॉज और गर्भावस्था में कई सामान्य लक्षण होते हैं। इसके कारण, जो महिलाएं 40 साल की होती हैं, उन्हें यह पता करने में मुश्किल हो सकती है कि क्या उनके लक्षण गर्भावस्था के हैं या फिर मेनोपॉज के हैं। इस बात को कंफर्म करने के लिए आप अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें, जो आपके लक्षणों का कारण निर्धारित करने के लिए टेस्ट करेंगे। यदि आपको जो लक्षण दिखाई दे रहे हैं वो गर्भावस्था के हैं, तो महिला को हेल्दी खाना शुरू करना होगा, प्रीनेटल विटामिन लेना होगा ताकि बच्चा हेल्दी पैदा हो। यदि यह मेनोपॉज के संकेत हैं, तो महिला को कैल्शियम और विटामिन डी की खुराक लेनी होगी, रेगुलर एक्सरसाइज करना होगा, हेल्दी भोजन करना होगा और मेनोपॉज के लक्षणों को कम करने के लिए हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी लेने पर विचार करना होगा।
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