गर्भावस्था में डायबिटीज से बचने के 6 प्रभावी तरीके

गर्भावस्था में डायबिटीज से बचने के 6 प्रभावी तरीके

जेस्टेशनल डायबिटीज या जीडीएम (जेस्टेशनल डायबिटीज मेलिटस) एक ऐसी स्थिति है जो गर्भावस्था के दौरान विकसित होती है। यह उन महिलाओं में होता है जिनको पहले कभी डायबिटीज से जुड़ी कोई समस्या नहीं हुई है और इससे माँ और बच्चे दोनों को खतरा होता है। हालांकि, ज्यादातर मामलों में यह गर्भावस्था के बाद खत्म हो जाता है और टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज की तरह खतरनाक नहीं होता है। एक अच्छी डाइट और जरूरत पड़ने पर मेडिकल सहायता के द्वारा जेस्टेशनल डायबिटीज से बचाव हो सकता है।

जेस्टेशनल डायबिटीज से कैसे बचें?

जेस्टेशनल डायबिटीज से कैसे बचें?

इससे पहले कि आप यह जानें कि प्रेगनेंसी के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज से कैसे बचा जाए, आपका यह जानना जरूरी है कि आखिर यह समस्या होती क्या है। गर्भावस्था के दौरान आपका शरीर ऐसे हार्मोन का उत्पादन करता है जो पोषक तत्वों से भरपूर फैट लेयर को जोड़ने में मदद करता है। इन परिवर्तनों के कारण शरीर इंसुलिन का उपयोग कम करता है, जिससे इंसुलिन रेसिस्टेंट कंडीशन बन जाती है। सरल शब्दों में कहें, तो जेस्टेशनल डायबिटीज आपके ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने के लिए इंसुलिन के उत्पादन और उपयोग के तरीके को प्रभावित करता है।

नीचे कुछ जरूरी स्टेप्स बताए गए हैं जिनका इस्तेमाल करके जेस्टेशनल डायबिटीज को रोका जा सकता है:

1. डाइट की मदद से जोखिम कम करें

आपके डॉक्टर या पोषण विशेषज्ञ उन खाने की चीजों की एक लिस्ट देते हैं, जो ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में आपकी सहायता करते हैं। आप उनसे यह भी पूछ सकती हैं कि खाने को किस समय पर खाना चाहिए और कितने हिस्से में खाना चाहिए ।

  • अपने ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखने के लिए आपको अपने खाने में फाइबर से भरपूर आहार लेना चाहिए जिससे आप जेस्टेशनल डायबिटीज से बच सकती हैं। हाई फाइबर वाले पदार्थ जैसे हरी पत्तेदार सब्जियां, फल जैसे आलूबुखारा, चोकर और साबुत अनाज निश्चित रूप से शामिल होने चाहिए।
  • अपनी डाइट में प्रोटीन की मात्रा को चिकन, पालक और ब्रोकोली जैसी चीजों द्वारा बढ़ाएं। अपनी रोजाना की डाइट में प्रोटीन और विटामिन बी को शामिल करने से जन्म के समय होने वाली सभी परेशानियों को रोका जा सकता है।
  • आपका शरीर हाई ब्लड शुगर लेवल की वजह से इंसुलिन का उत्पादन ज्यादा करेगा, इसलिए कोशिश यही करें कि खाने के बीच का समय ज्यादा न हो और कभी भी एक साथ बहुत खाने से बचें। ऐसा करने से ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहता है।
  • खाने की सफेद चीजें जैसे चीनी, आटा, स्टार्चयुक्त चीजें जैसे आलू और पास्ता का सेवन बंद करने या कम करने को कहा जाता है। ये चीजें आपके ब्लड शुगर के स्तर को बढ़ा सकती हैं इसलिए उन्हें कम मात्रा में खाने में ही आपकी समझदारी है।
  • आखिर में बता दें कि आपको तले हुए, मीठे और फैट युक्त सभी खाने की चीजों का सेवन कम करना पड़ेगा। वहीं दूध से बनी चीजों को भी अपनी डाइट में तभी शामिल करें जब जरूरत हो।

2. नियमित जांच से जोखिम को कम करें

  • इस बात का बेहद ख्याल रखें कि आप डॉक्टर की किसी भी अपॉइंटमेंट को मिस नहीं कर रही हैं और दिए गए समय पर स्क्रीनिंग करवाती हैं। ज्यादातर जिन मांओं को कम जोखिम रहता है उनको 24 से 28 सप्ताह के बीच जीडीएम टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है, जबकि ज्यादा जोखिम वाली महिलाओं का टेस्ट पहली ही विजिट में किया जाता है।
  • डॉक्टर से जेस्टेशनल डायबिटीज से जुड़े सभी जोखिम और डायबिटीज से जुड़ी अपनी फैमिली हिस्ट्री के बारें में खुलकर बात करें, यदि आपको कोई भी संदेह है उसके बारे में उन्हें विस्तार में पूछें। यह जरूर जानें कि क्या जीडीएम को दूर रखने के लिए आपको व्यायाम करना चाहिए या किसी विशेष डाइट का पालन करना चाहिए।
  • यदि डॉक्टर नियमित रूप से आपके ब्लड शुगर लेवल की जांच करने और उस पर निगरानी रखने को कहते हैं, तो ऐसा जरूर करें। 
  • आपकी स्थिति को देखते हुए डॉक्टर प्रारंभिक ग्लूकोज टेस्ट के बाद ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट भी कर सकते हैं, ताकि वह फॉलोअप ले सकें। अपने ब्लड शुगर के स्तर की जांच के लिए ‘ओवर नाईट फास्टिंग टेस्ट’ कराएं।
  • अपने डॉक्टर को अपनी सभी दवाओं और सप्लीमेंट्स की पूरी जानकारी दें, ताकि यदि आवश्यक हो तो उन्हें रोका या बदला जा सके।

3. अपने रिस्क फैक्टर्स को समझें  

जेस्टेशनल डायबिटीज से बचने के अपने रिस्क फैक्टर्स को समझना पहला कदम माना जाता है। आपको जीडीएम कितना प्रभावित करता है उसके लिए अपने परिवार के इतिहास की सटीक जानकारी रखनी चाहिए। अपने परिवार के सदस्यों और करीबी रिश्तेदारों से बात करें और उनकी डायबिटीज की किसी भी तरह की हिस्ट्री के बारे में जानकारी प्राप्त करें। टाइप 1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून विकार है जबकि टाइप 2 डायबिटीज खाने की आदतों और जीवनशैली से जुड़ा है।

यदि आपके माता-पिता या भाई-बहन जैसे परिवार के किसी करीबी सदस्य को टाइप 2 डायबिटीज है, तो जेस्टेशनल डायबिटीज होने की संभावना बढ़ जाती है। यह जरूर पता लगाएं कि क्या यह आपके मामले में भी सच है और उसके अनुसार अपने डॉक्टर से बात करें, जो आपको इसे रोकने के लिए सही दवाइयों या तरीकों के बारे में बताएंगे। डॉक्टर को सूचित करें यदि आपने ग्लाइकोसुरिया (पेशाब में शक्कर) जैसे ब्लड शुगर टेस्ट करवाए हैं। अन्य जोखिमों में शामिल हैं:

  • गर्भावस्था से पहले ओवरवेट होना।
  • 25 साल या उससे अधिक उम्र का होना।
  • यदि आपको पिछली प्रेगनेंसी के दौरान जीडीएम था।
  • यदि आपको पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम का इतिहास रहा है ।
  • यदि इससे पहले आपका बच्चा जन्म के समय 9 पाउंड या उससे अधिक का था या मृत पैदा हुआ था।

4. शारीरिक गतिविधि के जरिए वजन कम करें

यदि गर्भावस्था के दौरान आपका वजन बढ़ा हुआ है, तो अपने डॉक्टर से बात करें, ताकि वह इस दौरान किए जाने वाले व्यायामों के बारे में आपको बता सकें। यदि आपने अगले छह महीनों या एक साल के दौरान अपनी गर्भावस्था की योजना बनाई है, तो आप निम्नलिखित तरीकों से अपना वजन कम कर सकती हैं:

  • प्रतिदिन तीस मिनट या उससे अधिक समय तक एक्सरसाइज करें।
  • लिफ्ट की जगह सीढ़ी का इस्तेमाल करें। 10 मिनट सीढ़ियां चढ़ना 30 मिनट चलने के बराबर है।
  • टीवी, मोबाइल और गेम खेलने के समय को कम करें और हर 15 मिनट में अपनी जगह से उठ जाएं।
  • यदि संभव हो तो स्विमिंग, कूदना और दौड़ना जैसी एक्टिविटीज भी आप कर सकती हैं ।
  • अपनी कार दूर पार्क करें ताकि यह आपको अपने किसी भी काम के दौरान इतनी दूर तक चलने के लिए मजबूर होना पड़े।
  • आपको बता दें कि सिर्फ चार घंटे की शारीरिक गतिविधि जेस्टेशनल डायबिटीज के खतरे को लगभग 70% तक कम कर सकती है।

यदि आप गर्भावस्था के दौरान व्यायाम कर रही हैं तो सुरक्षित व्यायाम करें जो कम प्रभाव वाले हों जैसे तैरना और चलना। ऐसे किसी भी खेलों से दूर रहें जिनसे आपको चोट लग सकती है। व्यायाम करते समय आपको अपनी हृदय गति की निगरानी करनी चाहिए ताकि वह आपके बीएमआई के अनुसार दी गई गई दर से चल सके। व्यायाम को थोड़ी-थोड़ी देर रुक कर करना भी आपको उसी तरह लाभ देगा जैसे 30 मिनट तक लगातार करने पर मिलता है। लेकिन यह डॉक्टर तय करेंगे कि आपको अपने संपूर्ण स्वास्थ्य पर विचार करने के बाद कितनी बार व्यायाम करना चाहिए।

5. तनाव के स्तर को कम करें

आप तनाव को जितना अपने से दूर रखेंगी उतना ही जेस्टेशनल डायबिटीज को कम करने में आपको मदद मिलेगी। यदि आपका मूड लाइट है और आप खुश हैं, तो आप कम तनाव में रहेंगी जो आपके और आपके बच्चे के लिए एक स्वस्थ संकेत है। तनाव के स्तर को कम करने के लिए निम्नलिखित चीजों को आजमाएं:

  • गहरी सांस लेने के व्यायाम जैसे प्राणायाम, अनुलोम विलोम आदि का अभ्यास करें क्योंकि वे टेंशन को कम करने में मदद करते हैं।
  • योग और ध्यान जैसी एक्टिविटीज तनाव से संबंधित मुद्दों के लिए जल्दी राहत देती है और इसे किसी प्रोफेशनल की निगरानी में ही किया जाना चाहिए।
  • संगीत सुनने से भी आप अपनी टेंशन को एक हद तक कम कर सकती हैं और यह आजमाया जाने वाला सबसे कामयाब तरीका है। काम के दौरान आप अपने पसंदीदा गाने लगाकर रिलैक्स हो सकती हैं।

6. गर्भावस्था की योजना बनाएं 

प्रेग्नेंट होने से पहले कुछ सरल लेकिन महत्वपूर्ण एहतियाती कदम उठाना जीडीएम को रोकने का एक प्रभावी तरीका है। कोशिश यही करें कि अपने डॉक्टर की सलाह से ही गर्भावस्था की योजना बनाएं। यह एक ऐसा तरीका है जो आपको प्रेगनेंसी के दौरान शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक रूप से तैयार करता है।

  • यदि आप प्रेगनेंसी के दौरान बढ़े हुए वजन को कम करने की योजना बना रही हैं तो सोच समझकर ऐसा करें , क्योंकि गर्भावस्था के दौरान वजन घटाने की सलाह नहीं दी जाती है। यदि आप गर्भावस्था के दौरान जीडीएम के प्रभावों के बारे में चिंतित हैं, तो गर्भवती होने से पहले ही अपना वजन कम करें।
  • गर्भवती होने की योजना बनाने से कम से कम तीन महीने पहले से ही देखें कि आपका ब्लड शुगर लेवल सामान्य है। इससे आपको गर्भधारण करने से पहले सामान्य स्तर तक पहुंचने का समय मिल जाएगा।
  • आपको चीनी युक्त खाना और मिठाई जैसे डोनट्स, गुलाब जामुन आदि आदि खाना बंद कर देना चाहिए।

ऐसा माना जाता है कि कभी कभी जेस्टेशनल डायबिटीज बच्चे के जन्म के बाद भी माँ को प्रभावित कर सकता है, इसलिए इससे जुड़े सभी जोखिमों को समझना महत्वपूर्ण है। यह जेस्टेशनल डायबिटीज को रोकने में मददगार साबित होता है क्योंकि बच्चे की योजना बनाने से पहले जोखिमों का पता चल जाता है।

डिलीवरी के बाद की योजना: आपको बता दें कि जिस तरह के जोखिम फैक्टर आपको जेस्टेशनल डायबिटीज जैसे खतरे में डालते हैं, उसी तरह के फैक्टर्स आपको भविष्य में भी टाइप 2 डायबिटीज का शिकार बना सकते हैं। यदि आपको गर्भावस्था के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज है तो टाइप 2 डायबिटीज होने की संभावना अधिक होती है। इसलिए गर्भावस्था के बाद भी आपको अपनी डाइट और व्यायाम से जुड़े सभी सुझावों का पालन करना जरूरी है। यदि डिलीवरी के बाद आपका वजन सही हो जाता है, तो डायबिटीज का खतरा भी कम हो जाता है। वजन कम करके आप बेहतर आकार में आ सकती हैं और अपने मातृत्व को अच्छे से एन्जॉय कर सकती हैं।

ऊपर बताए गए सुझावों से आपको जेस्टेशनल डायबिटीज को रोकने में मदद मिलेगी। यदि आपको गर्भावस्था के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज है, ऐसे में जब आपका बच्चा बड़ा होगा तो उसको अतिरिक्त वजन बढ़ने या टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाएगा। इस जोखिम को कम करने के लिए बच्चे को जितना हो सके स्तनपान कराएं, थोड़ा बड़ा होने पर उसे नियमित एक्सरसाइज करने के लिए प्रोत्साहित करें और कम उम्र से ही स्वस्थ खाने की आदतों को अपनाने की आदत डलवाएं।

यह भी पढ़ें:

गर्भावस्था में डीप वेन थ्रोम्बोसिस की समस्या
गर्भावस्था के दौरान दमा (अस्थमा) – कारण, लक्षण और इलाज
गर्भावस्था के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज के लिए डाइट प्लान: क्या खाएं और क्या न खाएं